RE: Mastram Sex Kahani मस्ती एक्सप्रेस
औरतों की होली
इस बीच औरतों का ग्रुप जमा हो गया था तो औरतें उधर चली गईं। कुछ औरतें बातचीत से, हाव-भाव से हरकतों से बेकाबू हो रही थीं, फूहड़ से फूहड़ बातें कर रही थीं। बदन खोल-खोलकर के दिखा रही थीं। इन सबमें आगे मिसेज़ वर्मा थी। वह एक बहुत बड़ा डिल्डो लिये थीं। हरकतों से ऊपर से अपने में लगा कर दिखाती थीं। किसी औरत से चिपक जाती थीं, उसको चूमने लगती थीं, ऊपर से डिल्डो लगाने लगती थीं।
ढोलक पर थाप पड़ने लगी। कोई स्वांग भर रहा था, कोई नाच रहा था, कोई गा रहा था। मिसेज़ वर्मा की मंडली ने सामूहिक गाना शुरू किया-
“झड़ते हैं जिसके लिये चूत को याद करके,
ढूँढ़ लाया हूँ वही लण्ड मैं तेरे लिये,
बुर में रख लेना इसे हाथों से ये छूटे न कहीं,
पड़ा रहेगा यूँ ही झांटों के बाल तले,
झड़ते हैं जिसके लिये रोज ही उठ-उठ के।
लण्ड मोटा है मेरा चूत पे फिसले न कहीं,
कसके ले लेना इसे चूत उठा-उठाकर के,
लगाये जायेगा यही धक्के धकाधक से,
झड़ते हैं जिसके लिये मूठ मल-मल के,
मिसेज़ वर्मा ने शेर सुनाना चालू किया:
दिला तो दिया है तुझे पर एक शर्त लगाई है,
लेनी है वो चीज़ जो तूने टांगों में छिपाई है।
और उन्होंने टांगों के बीच में हाथ कर लिया। फिर…
बेदर्द जामाना क्या जाने क्या चीज़ जुदाई होती है,
मैं चूत पकड़कर बैठी हूँ घर-घर में चुदाई होती है।
चूत को उन्होंने मुट्ठी में जकड़ लिया। फिर…
मुड़कर जरा इधर भी देख जालिम, कि तमन्ना हम भी रखते हैं
लण्ड तेरे पास है तो क्या, चूत तो हम भी रखते हैं।
यह कहते हुये उन्होंने साड़ी ऊपर उठा दी, नीचे कुछ भी नहीं पहने थीं।
शेर कहे शायरी कहे या कहे कोई खयाल,
बीवी उसकी चूत उठाये चोदे उसका यार।
यह कहकर टांगें फैलाकर उन्होंने ऐसी हरकत की जैसे चुदवा रही हों।
अचानक भौजी ने जोर से कहा- “ऐसी गरम हो रई है तो खोल के सड़क पे खड़ी हो जा कोई लगा देगो…”
मिसेज़ वर्मा को ऐसी उम्मीद नहीं थी, उन्होंने चौंक कर भौजी को देखा और बोलीं- “लगता है तुम सड़क पर ही लगवाती होगी, तेरा आदमी नामर्द होगा…”
भौजी ने जावाब दिया- “मेरा आदमी तेरी जैसी चार को एक साथ करे और तेरा आदमी तेरी भी भूख न मिटा पाये…”
मिसेज़ वर्मा भौजी के पास आ गईं बोली- “तू कितनों का एक साथ ले सकती है? ला देखूं क्या छिपाया है?” यह कहते हुये उन्होंने धक्का देकर भौजी को चित्त गिरा दिया और आदमी की तरह उन पर पसर गईं।
भौजी ने चट से पलटी खाकर मिसेज़ वर्मा को अपने नीचे कर लिया। एक हाथ से उनकी दोनों कलाइयां जकड़ लीं।
मिसेज़ वर्मा ने छुड़ाने की बड़ी कोशिश की पर भौजी की मजबूत जकड़ से न छूट सकीं।
मिसेज़ वर्मा की साड़ी पलटते हुये भौजी ने कहा- “बछिया जैसी गरमा रही है, ले मैं लगाती हूँ बैल का तेरे में…” अपने दोनों घुटने फँसाकर भौजी ने मिसेज़ वर्मा की टांगें चौड़ा दी। चूत मुँह खोले सामने थी। अच्छा खासा बड़ा सा छेद था, भोसड़ी हो गई थी। लगता था खूब इश्तेमाल की गई थी। भोसड़ी गीली हो रही थी। गुलाबी नरम गहराइयों में पानी और गाढ़ी सी सफेदी चमक रही थी। मालूम होता था हाल में ही लण्ड का रस चखा था जो थोड़ा अंदर रह गया था। पानी बाहर रिस रहा था। सब लोग गौर लगाकर मज़े लेकर देख रहे थे। भौजी ने सुपर साइज़ का डिल्डो उठा लिया।
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