RE: Antarvasna Sex Kahani फार्म हाउस पर मस्ती
अगले दिन वो सुबह का नाश्ता करके अपने स्टाकिस्टों से मिलने चले गए और मै वही रह गयी. उनके जाने के बाद मुनिया मेरे पास आई और कहा ,' बहु रानी हमने गजेंदर से कह दिया है की आपको खेत घुमा लाये .मै तब तक यहाँ का काम संभालती हूँ.' उसकी बात सुन कर मै तो खुश होगयी. सोचा अब राजेश्वर भी नही है मै अब बिना मालिकन वाले रौब के आराम से घूमूंगी. मैंने अपने साडी पहनने का इरादा छोड दिया और सलवार और कुरता पहन लिया. मैंने चहरे पर गॉगल्स लगाया और एक शाल अपने ऊपर डाल ली. तभी गजेन्द्र गाडी लेकर गया और मै उस में बैठ गयी. करीब ३०/३५ मिनिट बाद हम लोग उस खेत पर पहुंचे जहां सरसो लगी हुयी थी. हर तरफ सरसो और चने के खेत थे. गजेन्द्रे ने गाड़ी खेत से सटे एक झोपड़ी के पास रोक दी उस के बगल में एक खालिस ईटो के ३ कमरो की पुरानी सी ईमारत भी थी.आस पास गाय और भैसी बढ़ी थी और मुर्गे मुर्गी दाने चुग रहे थे. गाड़ी की आवाज सुनकर उस झोपड़ी से ३ बच्चे और एक २७/२८ साल की औरत निकल कर आई. उसने सर पर पल्ला डाले हुआ था. दूर से ही उसने गजेन्द्र को देख कर कहा,' पाये लागी बाबू'.
गजेन्द्र ने उसका अभिवादन स्वीकार करते हुए कहा ,' अरी धन्नी कइसन है? देख आज बहूजी आई है खेत देखन.'
'पाये लागी बहूजी, आवैं !' धन्नी ने हँसते हुए हमारा स्वागत किया.
'वो दुलारे कहाँ है ?' गजेन्द्र ने धन्नी से पूछा.
'जी बगलिया वाले गाँव गवा है.'
'क्यूँ ?'
"कल रतिया भूरिया गरम होके बोलन लागी तो बगलिया से उसके वास्ते भूरा लाये गए है.'
'ओह अच्छा ठीक है.' गजेन्द्र ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और फिर धन्नी से बोला,'तू बहूजी को अंदर लेजा और हाँ,इनकी अच्छे से देख भाल करियो. हमारे यहाँ पहली बार आई हैं खातिर में कोई कमी ना रहे !' कहते हुए गजेन्द्र पेड़ के नीचे बंधे पशुओं की ओर चला गया.
भूरिया और भूरे का क्या चक्कर था मुझे समझ नहीं आया. मैं और धन्नी कमरे में आ गए. बच्चे झोपड़े में चले गए. कमरे में एक तख्त पड़ा था. दो कुर्सियाँ, एक मेज, कुछ बर्तन और कपड़े भी पड़े थे.
मैं कुर्सी पर बैठ गई तो धन्नी मेरे पास नीचे फर्श पर बैठ गई. तब मैंने पूछा,'ये भूरिया कौन है?'
'भूरिया! 'उसने हँसते हुए पेड़ के नीचे खड़ी एक छोटी सी भैंस की ओर इशारा करते हुए कहा.
'क्यों ? क्या हुआ है उसे ? कहीं बीमार तो नहीं ?', मैंने हैरान होते हुए पूछा.
'आप भी बहुरानी! एकै जवानी चढ़ल बा! पिया मिलन के वास्ते बावली हुई है." कह कर धन्नी खिलखिला कर हँसने लगी, तो मेरी भी हंसी निकल गई.
मैंने उसको झेड़ते हुआ पूछा, 'अच्छा यह पिया-मिलन कैसे करेगी ?'
'बहुरानी सब्र रहे. अभी थोड़ी देर बाद भूरा ओपर चढ़ कर जब अपनी गाज़र इसकी फुदकनी में डलिहिये तब ओके गर्मिया सारी निकल जाई.'
उसकी बात सुनकर मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा था और मेरी चूत यह सोंच कर धरधरा गयी कि आज मुझे जबरदस्त चुदाई देखने को मिलने वाली है. मैंने कई बार सड़क चलते कुत्ते कुत्तियों को आपस में जुड़े हुए जरुर देखा था पर कभी बड़े जानवर को चोदते हुए नही देखा था.
उधर वो भैंस बार बार अपनी पूंछ ऊपर करके मूत रही थी और जोर जोर से रम्भा रही थी.
थोड़ी ही देर में दो आदमी एक भैंसे को रस्सी से पकड़े ले आये, उसी को धन्नी भूरे कह रही थी. गजेन्द्र उस पेड़ के नीचे उस भैंस के पास ही खड़ा था. भैसा उस भैंस की ओर देखकर अपनी नाक ऊपर करके हवा में पता नहीं क्या सूंघने की कोशिश करने लगा.
तभी एक आदमी हमारे कमरे की ओर आ गया, उसकी उम्र कोई ४० की लग रही थी. वो मुझे बाद में समझ आया कि यही तो धन्नी का पति दुलारे है.
उसने धन्नी को आवाज लगाई,'धन्नी! चने री दाल भिगो दी थी ना?'
'हाँ जी सबेरे ही भिगो दी थी'
'ठीक है', कह कर वो वापस चला गया.
अब दुलारे उस भैंस के पास गया और उसके गले में बंधी रस्सी पकड़ कर खड़ा हो गया. दूसरा आदमी उस भैंसे को खूंटे से खोल कर भैंस की ओर ले आया. भिसा दौड़ते हुए भैंस के पास पहुँच गया और पहले तो उसने भैंस को पीछे से सूंघा और फिर उसे जीभ से चाटने लगा. अब भैंस ने अपनी पूछ थोड़ी सी ऊपर उठा ली और थोड़ी नीचे होकर फिर मूतने लगी. भैंसे ने उसका सारा मूत चाट लिया और फिर उसने एक जोर की हूँकार की.
अब धन्नी दरवाजा बंद करने लागी. उसने बच्चों को पहले ही झोपड़े के अंदर भेज दिया था. इतना अच्छा मौका मैं भला कैसे छोड़ सकती थी. मैंने एक दो बार डिस्कवरी चेनल पर पशुओं का समागम देखा था पर आज तो लाइव शो था, मैंने उसे दरवाज़ा बंद करने से मना कर दिया तो वो हँसने लगी.
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