RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
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सुशी बुआ ने बड़े पूछा ," बेटी के चूत आराम से मारी न आपने ? मैं तो बेचारी के बारे में सोच सोच कर घबरा थी। "
बड़े मामा ने सुशी बुआ के हिलते विशाल दाहिने उरोज़ को मसल कर बोले, "सुशी, यदि कुंवारी लड़की की चूत सही तरीके से नहीं मारी जाय तो उसकी अपनी पहली चुदाई की खुशी अधूरी रह जाती है। नेहा की कस कर चुदाई हुई और उसने आगे बढ़ कर सबके लंड लिए। "
सुशी बुआ ने गहरी सांस भरी और छोटे चाचा ने पूछा ,"भैया नेहा की गांड की सील भी तोड़ दी है ना आपने ? मैं कई सालों से उसकी फैलती मटकती गांड देख उसे चोदने के सपने देख रहा हूँ। "
"विक्कू, भांजी का पीछे का द्वार पूरा खुल चूका है अब तुम जब चाहे उसे चोद लो," छोटे मामा ने सुशी बुआ की चूची मसल कर उनकी सिसकारी निकाल दी।
"विक्कू, नेहा को चोदते समय मुझे सुन्नी की याद आ रही थी। सुन्नी तो नेहा बेटी से तीन साल छोटी थी, याद है ?" बड़े मामा ने मीथीं यादों में गोते लगाते प्यार से कहा।
सुशी बुआ ने भी भावुक अवायज़ में कहा ,"आप दोनों की बातों ने तो मेरी यादें ताज़ा कर दीं। इस समय ऐसा लग रहा है जैसे बीस साल नहीं कल की बात हो जब मैंने अक्कू के लंड की पहली बार मुठ मारी थी। "
मैं मुश्किल से भौचक्केपन की सिसकारी दबा पायी। अक्कू माने मेरे डैडी अक्षय जो बुआ से छोटे हैं।
सुशी बुआ की बात सुन कर छोटा मामा बोले, "सुशी पूरे कहानी बताओ ना भई। तक बस संक्षिप्त विवरण ही दिया है। "
बड़े मामा ने भी हामीं भरी ,"सुशी देखो पूरी कहानी सम्पूर्ण विस्तृत प्रकार तो सुनाओगी तो विक्कू और हम तुम्हारे दोनों छेदों को तब तक चोदेगें तब तक तुम्हारी चूत या गांड ना फट जाए। "
"अच्छा जी भैया यह तो बहुत ही आकर्षक प्रलोभन है। " सुशी बुआ खिलखिला के हंस दीं।
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सुशी बुआ के संस्मरण
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अक्कू और मैं हमेशा से बहुत करीब थे। मम्मे ने उसकी देखबाल मेरे ऊपर छोड़ दी थी। जबसे अक्कू पैदा हुआ मैं तब दो साल की थी पर मुझे नन्हा सा छोटे-छोटे हाथ-पाँव फैंकता हुआ गुड्डा बिलकुल भा गया। अक्कू तभी से मेरे दिल में हमेशा के के बस गया। मैंने उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ा। मम्मी ने भी मुझे प्रोत्साहित करने के लिए अक्कू की देखबाल मेरे ऊपर छोड़ दी ।
मम्मी मज़ाक में सबसे कहतीं थीं कि अक्कू भले ही मेरी कोख़ से जन्मा हो पर सुशी उसकी माँ है। मैं इस बात को मज़ाक नहीं वास्तविकता समझती थी , इतना प्यार था मुझे अपने छुटके भाई से।
अक्कू और मैं स्कूल भी इकट्ठे जाते। मैं तब गोल मटोल थी [ "मैं आज भी सूखा कांटा नहीं हूँ," ] और अक्कू बिजली की तेज़ी से बढ़ रहा था।
वो स्कूल में सबसे लम्बा और बड़ा था और स्कूल के सब लड़के उससे डरते थे।
मेरी ज़िद पर मम्मी ने मुझे अक्कू को नहलाना सिखाया। अक्कू जब बड़ा हुआ तो उसे मुझसे शर्म आने लगी और उसने खुद नहाना शुरू कर दिया।
मुझे ना जाने क्यों ऐसा लगा कि मुझसे कुछ छिन गया है।
मैं भी और लड़कियों के मुकाबले जल्दी विकसित हो गयी। मुझे में किशोरावस्था के पहली ही शारीरिक इच्छाएं जागने लगीं जो मुझे समझ नहीं आतीं थी।
एक दिन मैं अक्कू के स्कूल के काम में मदद करने के लिए उसके कमरे गयी।
अक्कू के स्कूल के कपड़े बिस्तर पे बिखरे पड़े थे। कमरे से लगे हुए स्नानगृह से शॉवर की आवाज़ से मैं समझ गयी कि अक्कू नहा रहा था। मुझ से रुका नहीं गया। मैंने अपने सारे कपडे उतार दिए। तब तक मेरे उरोज़ों की जगह सिर्फ दो भारी चर्बी के उभार थे। मैं हल्के हलके पांवों से स्नानगृह में प्रविष्ट हो गयी।
खुले शॉवर के नीचे अक्कू नंग्न था। उसका कद मुझसे बहुत लम्बा हो चूका था। पर मेरी आँखे उसके गोरे लंड पर जा कर टिक गयीं। अक्कू का लंड मुझे बहुत बड़ा लगा। मैंने तब तक कोई लंड नहीं देखा था फिर भी।
मैं अक्कू से जा कर चिपक गयी ,"अक्कू, तुम मेरे साथ क्यों नहीं नहते हो। मुझे तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगता है। "
अक्कू ने मुझे भी बाँहों में भर लिया ,"दीदी , सॉरी। मुझे एक परेशानी होने लगी थी और उस वजह से आपसे मैं शर्माने लगा। "
"अक्कू, मेरे से शर्म आने का मतलब है कि तुम मुझसे प्यार नहीं करते ?" मैं कुछ रुआंसी हो गयी।
"नहीं दीदी, मैं तो आपके बिना रह नहीं सकता। जब आप मेरे साथ नहाते हो तो मेरा यह अजीब सा हो जाता है ," अक्कू ने अपनी निगाहें से अपने लंड की ओर मेरा ध्यान इंगित किया।
"अक्कू, मुझे पता नहीं कि इसको कैसे ठीक करें पर मैं पता लगाऊंगीं। पर तुम मुझे ऐसे नहीं तरसाया करो। " मैंने बिना सोचे समझे अपने दोनों हाथों से अक्कू के लंड को प्यार से सहलाना शुरू कर दिया।
अक्कू की सिसकारी निकल गयी, "दीदी ऊं दीदी। " वैसी ही जैसे कि जब मैं उसकी खरोंचों पर डेटोल लगती थी ।
मैं घबरा गयी कि मैंने अक्कू को दर्द कर दिया ," सॉरी अक्कू। बहुत दर्द हुआ क्या। मैं तो इसे …… यह मुझे इतना प्यारा लग रहा है मैंने सोचा ……… ओह! अक्कू सॉरी यदि मैंने दर्द ……। "
अक्कू ने घबरा कर मेरे मुंह को चूम लिया और जल्दी से मुझे प्यार से पकड़ते हुआ कहा, "नहीं दीदी मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा था। प्लीज़ और करो न। "
अब मेरी हिम्मत खुल गयी मैंने झुक कर दोनों हाथों से अक्कू के लंड को सहलाना शुरू कर दिया। उस समय भी अक्कू का लंड मेरे दोनों नन्हें हाथों में मुश्किल से समा पा रहा था।
अब मैं अक्कू की सिस्कारियों से घबराने की जगह प्रोत्साहित हो रही थी ।
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