RE: Rishto Mai Chudai खून का असर
"खून का असर"--9
गतान्क से आगे........................
शाम को दोनो भाई संध्या का खेतो के पास आम के पेड़ के
पीछे इंतजार करने लगे तभी उन्हे संध्या आती हुई दिखाई दी
संध्या ने इधर उधर देखा और फिर अपना घाघरा उठा कर
संडास के लिए बैठ गई दोनो भाई उसके मोटे मोटे कसे हुए
चूतड़ देख देख कर अपना लंड मसलने लगे कुछ देर इंतजार
के बाद संध्या उठ कर जैसे ही जाने के लिए पलटी दोनो भाई
उसके सामने खड़े थे संध्या उन्हे देख कर डर गई तुम
दोनो यहाँ क्या कर रहे हो, अरे भाभी हम दोनो आप की मोटी
गंद देख रहे थे जब आप संडास कर रही थी संध्या तुम्हे
शरम नही आती ऐसा करते हुए मैं अभी सुधिया काकी से
जाकर तुम दोनो के बारे मे बताती हू, तभी बिरजू ने उसका हाथ
पकड़ लिया अरे मेरी रानी जाती कहाँ हो अभी तो हम दोनो भाई
तुम्हे चोदेगे, संध्या कमिनो छ्चोड़ दो मुझे नही तो
तुम्हारी खेर नही, बिरजू ने संध्या के एक दूध को दबोच
लिया तो संध्या कसमसा गई लेकिन वह ज़्यादा विरोध नही कर
रही थी देखो तुम दोनो अच्छा नही कर रहे हो तभी राजू ने
संध्या की चूत को उसके घाघरे के उपर से अपनी मुट्ठी मे
भर लिया अरे भाभी अब ज़्यादा नखरा मत करो, संध्या आह
छ्चोड़ो मुझे नही तो मई चिल्लाउन्गि, बिरजू देखो भाभी हम
भी जानते हैकि तुम्हारी चूत को लंड चाहिए फिर नखरा क्यो
कर रही हो ऐसा मोका बार बार नही मिलता है और जो तुम
सुधिया काकी की धमकी हमे दे रही हो तो वो क्या करेगी वो तो
खुद हमसे अपनी चूत और गंद तबीयत से मरवा चुकी है,
संध्या ने जब यह सुना तो शरम करो कामीनो एक बूढ़ी
औरत के बारे मे ऐसी झूठी बात कह रहे हो, अच्छा भाभी
आप को यकीन नही आता तो फिर बताओ सुधिया काकी जब खेत मे
दोपहर को गई थी तो वहाँ से शाम को लगदाती हुई आई थी यह तो
तुमने भी देखा था और तुम जो सुधिया काकी को बुढ़िया कह
रही हो वह इतनी तबीयत से अपनी गंद उठा उठा कर चुदवा
रही थी तुम देखती तो कहती, और एक बार तुम भी हम से अपनी
चूत मरवा लो फिर तुम देखना तुम्हारे घर मे ही सुधिया
काकी की चूत और गंद ना मारी तो कहना तब तक थोड़ा अंधेरा
होने लगा था और दोनो भाइयो ने अपनी अपनी लूँगी उतार कर
अपना अपना काला लंड जब संध्या को दिखाया तो वह सिहर गई
अब दोनो भाइयो ने उसे आगे से और पीछे से दबोच लिया और
उसके गाल गले होंठ सभी जगह चूमने लगे, संध्या की चूत
भी गीली होने लगी और उसका विरोध ना के बराबर हो गया,
देखो बिरजू यह ठीक नही है कोई देख लेगा तो, अरे भाभी तुम
कहे फिकर करती हो हम सब संभाल लेंगे और फिर यहाँ अब
रात को कॉन मा चुदवाने आएगा और संध्या का घाघरा उठा
देते है राजू संध्या की चुचिया को तबीयत से मसल्ने लग
जाता है और बिरजू संधा की मोटी गंद को दबोचने लगता है
अब संध्या अपने शरीर को उनके उपर ढीला छ्चोड़ देती है, और
दोनो संध्या को पकड़ कर आम के बगीचे मे ले जाते है,
राजू धीरे दबा कमिने बहुत दर्द हो रहा है अरे भाभी
तुम्हारी चुचियो और चूत को लगता है तुम्हारे पति ने कस
कर मसला नही है इसीलिए इतनी कठोर है हमे तो ऐसा लग रहा
है जैसे किसी कुवारि लोंड़िया की चुचि मसल रहे है, ऐसी
कठोर चुचिया तो शीला की भी नही है, संध्या आश्चर्या से
क्या तुमने शीला की चुचिया दबाई है, बिरजू संध्या की चूत
मे अपनी एक उंगली पेलते हुए अरे भाभी आप तो चुचिया
दबाने की बात करती है हम दोनो भाई तो शीला को दिन रात
चोद्ते रहते है उसकी गंद और चूत मार मार कर हम फाड़
चुके है और शीला भी दिन भर बस हमारे लंड से चुद्ती
रहना चाहती है, संध्या तुम दोनो तो बड़े कमिने हो रे अपनी
सग़ी बहन को भी नही छ्चोड़ा, राजू अरे भाभी शीला इतनी मस्त
तरीके से चुदवाती है कि क्या बताऊ और उन दोनो ने संध्या
को वही खड़ी करके एक उसकी गंद फैला फैला कर चाटने लगा
दूसरा उसकी बुर को फैला फैला कर चाटने लगा संध्या पागल
होने लगी थोड़ी ही देर मे संध्या कामुक सिसकारिया निकालने
लगी, आह आह बिरजू राजू जल्दी से चोद लो ज़्यादा देर मत लगाओ
शुधिया काकी इंतजार कर रही होगी, तभी बिरजू ने संध्या के
हाथ मे अपना लंड पकड़ा दिया संध्या उसके मोटे लंड को
अपने हाथो मे लेकर ज़ोर ज़ोर से भिचने लगी
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