Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
06-21-2018, 12:00 PM,
#9
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. चाची के इस करम से एक क्षण को जैसे मुझे लकवा मार गया था, और मेरा सिर गरगराने लगा था .... कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि चाची के मन में ऐसा कुछ होगा. कितना छोटा था मैं उनसे! याने उनके बेटे से भी छोटा था. एक बार लगा कि यह ठीक नहीं है, उनका हाथ अलग कर दूं पर ऐसा करना उनकी इन्सल्ट करना होता. और मैं यह करना भी नहीं चाहता था, उनका हाथ मुझे जो सुख दे रहा था, उस सुख को मैं आखिर क्यों छोड़ देता? फ़िर जब मैंने याद किया कि पिछले हफ़्ते मैं उनके बारे में कैसी कैसी कल्पनायें करता था, खास कर हस्तमैथुन करते समय, तो मेरा लंड जैसे लगाम से छूट गया, फटाफट उसने अपना सिर उठाना शुरू कर दिया. चाची को भी मेरे लंड के खड़े होने का एहसास हो गया होगा क्योंकि उनके हाथ का दबाव बढ़ गया और वे और जोर से उसे पैंट के ऊपर से ही घिसने लगीं.

आखिर मैंने लंड में होती उस स्वर्गिक मीठे गुदगुदी के आगे आत्मसमर्पण कर दिया. आंखें बंद करके बैठ गया और जो हो रहा था, उसका मजा लूटने लगा. वो कहते हैं ना कि ’नेवर लुक अ गिफ़्ट हॉर्स इन द माउथ’. अब अगर चाची ने ही पहल की थी तो मुझे कोई पागल कुत्ते ने नहीं काटा था, कि इस सुख से खुद ही वंचित हो जाऊं.

जल्द ही मेरा तन के खड़ा हो गया. मेरी टाइट पैंट के कपड़े को भी तानकर तंबू बनाने लगा. चाची अब उस तंबू को हथेली से पकड़कर मेरे लंड को दबाने लगीं. ऐसा लगने लगा कि झड़ ना जाऊं. मुझसे न रहा गया, मैंने चाची का हाथ पकड़कर उनका ये मीठा अत्याचार रोकने की कोशिश की तो उन्होंने मेरे हाथ पर जोर से चूंटी काट ली. तिलमिला कर मैंने उनकी ओर देखा तो आंखें बंद किये किये ही धीमे स्वर में बोलीं "ऐसा चुलबुल क्यों कर रहा है रे मूरख! ठीक से बैठा रह चुप चाप. लोग सो रहे हैं"

मैं चुप हो गया. चाची ने अब मुझे सताने का गियर बदला, याने और हाई गीयर लगाया. शाल के नीचे ही धीरे से मेरी ज़िप खोली, उसमें हाथ डालकर मेरे अंडरवीयर के फ़ोल्ड में हाथ डाला और मेरे लंड को पकड़कर धीरे धीरे बड़ी सावधानी से बाहर निकाला. अब आप को अगर यह मालूम है कि कस के खड़ा लंड ऐसा अपनी ब्रीफ़ के फ़ोल्ड में से निकालने में कितनी परेशानी होती है, तो आप समझ सकते हैं कि चाची ने कितनी सफ़ाई से और सधे हाथों से ये किया होगा.

लंड को बाहर निकालकर वे पहले उसे मुठ्ठी में पकड़कर दो मिनिट बैठी रहीं, शायद मुझे संभलने का मौका दे रही थीं कि मैं एकदम से झड़ ना जाऊं. फ़िर उन्होंने पूरे लंड को सहलाया, दबाया, हिला कर देखा. वे बिलकुल ऐसा कर रही थीं जैसे किसी नयी चीज को खरीदने के पहले पड़ताल कर देखते हैं, या जैसे कोई गन्ना लेने के पहले उसे देखे कि कितना रस है उसमें! फ़िर उन्होंने मेरे नंगे सुपाड़े को एक उंगली से सहलाया, जैसे उसकी नंगी स्किन की कोमलता का अंदाज ले रही हों. फ़िर अपना हाथ खोलकर हथेली बनाकर मेरे शिश्नाग्र पर अपनी हथेली रगड़ने लगीं.

मुझे यह सहन होने का सवाल ही नहीं था. ऐसे खुले नंगे सुपाड़े पर कुछ भी रगड़ा जाये, तो मैं सहन नहीं कर पाता. मजा आता है पर नस नस तन जाती है. मैंने एक गहरी सांस ली और किसी तरह सहन करता रहा. पर फ़िर शरीर अकड़ सा गया, सांस थम सी गयी. लगातार कोई झड़ने का इंतजार करे और झड़ न पाये तो कैसा होता है. आखिर मेरी सहनशक्ति जवाब दे गयी. पर मैंने फिर से चाची का हाथ पकड़ने का प्रयत्न नहीं किया, बस उनकी ओर देखकर धीरे से मिन्नत की "चाची ... प्लीज़ ... कैसा तो भी होता है ... सहा नहीं जा रहा ..."

"ये पहले सोचना था ना ऐसे गंदे गंदे खयाल आने के पहले? मेरी ओर बुरी नजर से देखता है ना? पिछले कई दिनों से मैं देख रही हूं तेरे रंग ढंग! समझ ले उसकी सजा दे रही हूं. अब चुपचाप आंखें बंद कर, और बैठा रह. सोया है ऐसे दिखा. और खबरदार मुझसे फ़िर बोला या मेरा हाथ पकड़ा तो" दो पल के लिये अपना हाथ रोककर स्नेहल चाची मेरे कान के पास अपना मुंह लाकर धीरे से बोलीं. फ़िर शुरू हो गयीं. अपनी हथेली से वे मेरे सुपाड़े को इस तरह से रोल कर रही थीं जैसे कोई आटे की गोली को परात में रोल कर रहा हो. बीच में लड्डू जैसा पकड़तीं, दबातीं पुचकारतीं और फ़िर शुरू हो जातीं. इसी तरह काफ़ी देर सुपाड़े को सता कर फ़िर उन्होंने लंड का डंडा पकड़ लिया और ऊपर नीचे करने लगीं. उनका अंगूठा अब मेरे सुपाड़े के निचले मांसल भाग पर जमा था और उसे मसल रहा था.

मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं. तीव्र कामसुख में मैं गोते लगा रहा था. मजे ले लेकर मुठ्ठ मारना यह सिर्फ़ मर्दों को ही जमता है, लंड को कैसे पकड़ना, कैसे दबाना, कहां घिसना, यह अधिकतर स्त्रियों की समझ के बाहर है. चाची पहले थोड़ी देर मेरे लंड के ऊपर एक्सपेरिमेंट करती रहीं. मुझे अच्छा लगे या न लगे, इससे उनका कोई सरोकार नहीं था. मेरी परेशानी भी बढ़ गयी थी, और यह भी पल्ले नहीं पड़ रहा था कि कब इससे छुटकारा मिलेगा. पर जल्दी ही उन्होंने अचूक अंदाजा लगा लिया कि मुझे किसमें ज्यादा मजा आता है. उसके बाद तो उन्होंने मुझपर ऐसे ऐसे जुल्म किये कि क्या कहूं. मुझसे वे कैट एंड माउस का गेम खेलने लगीं. मुझे स्खलन की कगार पर लातीं और फ़िर हाथ हटा लेतीं, जब मेरा लंड थोड़ा शांत होकर अपना उछलना कूदना बंद करता, वे फ़िर शुरू हो जातीं.
Reply


Messages In This Thread
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची - by sexstories - 06-21-2018, 12:00 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,708,012 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 569,816 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,321,686 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,005,042 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,773,243 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,181,017 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,124,177 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,639,479 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,217,706 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 305,024 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)