RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
मैं नीचे आया तो नीलिमा और चाची की गप्पें अब भी चल रही थीं. मैं बैठकर अखबार पढ़ने लगा. आधे घंटे बाद नीलिमा उठी और चाय के कप समेटने लगी. "अरे बैठ ना, इतनी क्या जल्दी है तेरे को काम करने की? आज छुट्टी है ना?" चाची ने उसे कहा.
"कहां ममी! ऑफ़िस में ज्यादा काम है, इसलिये अब मुझे कई बार पूरे दिन के लिये जाना पड़ता है. आने में सात बज जायेंगे, इसलिये मैं खाना बनाकर जाऊंगी. विनय को भूख लगी हो तो परोस भी दूंगी उसे"
"खाना बनाने वो विमलाबाई आती हैं ना?" चाची ने पूछा.
"कल उनकी तबियत ठीक नहीं थी. अब शायद एक दो दिन ना आयें. पर आप चिंता मत करो ममीजी. मुझे कोई परेशानी नहीं है. विनय, तू अपना सामान रख ले बेडरूम में, तब तक मैं ब्रेकफ़ास्ट बनाती हूं. फ़िर रिलैक्स करना"
मैं नीचे वाले बेडरूम में सामान ले जाने लगा तो स्नेहल चाची बोलीं "अरे यहां नहीं. वैसे यह बेडरूम भी ठीक है पर रोज साफ़ सफ़ाई नहीं होती उसकी. ऊपर वाला ज्यादा अच्छा है. वहां सामान रख दे"
मेरे साथ वे ऊपर आयीं. बीच का दरवाजा खोला और मुझे बेडरूम दिखाया. अच्छा बड़ा और कंफ़र्टेबल था. "देखो, नीलिमा ने थोड़ी साफ़ सफ़ाई भी कर के रखी है इसकी. मैंने आने के पहले फोन किया था कि जरा ऊपर के सब बेडरूम थोड़े ठीक करके रखे."
मैंने वहां सामान रखा. बाहर बाल्कनी थी. बाजू में एक और दरवाजा था. शायद दूसरे बेडरूम में खुलता था पर अभी बंद था, परदा भी लगा हुआ था. चाची बोलीं "वहां हमारा बेडरूम है. इस वाले से लगा हुआ. ये पुराना बंगला है ना, हर कमरे से हर कमरे में जाने को दरवाजे बनाते थे तब. अब ये बंद करके रखा है"
"और नीलिमा भाभी का वो तीसरा बेडरूम होगा चाची" मैंने ऐसे ही बात चलाने को कहा. क्योंकि अब भी उनसे क्या बातें करूं, मुझे समझ में नहीं आ रहा था. कल के बाद अब उनकी ओर नजर जमाकर देखने में भी मुझे संकोच हो रहा था.
"अरे नहीं, ये जो मैंने कहा ना कि हमारा बेडरूम है, तेरे बेडरूम से लगा हुआ, वो याने हम दोनों का है, मेरा और नीलिमा का. वो क्या है कि अब घर में हम दोनों ही हैं. वैसे ही हम दोनों अकेली हैं इतने बड़े घर में. अब इतने कमरे कौन रोज साफ़ करे और जमाकर रखे. ये झंझट कम करने के लिये हम दोनों अब एक ही बेडरूम में आ गयी हैं" कहकर उन्होंने मेरी ओर देखा. न जाने क्यों मुझे लगा कि मेरी ओर देखकर वे मन ही मन मुस्करा रही हैं.
मेरा दिल और बैठ गया. ये लो - याने चाची का अलग बेडरूम भी नहीं है. अब? फ़िर सोचा कि ऐसी बातों में दिमाग खराब करने का कोई फायदा नहीं है.
नीचे से नीलिमा भाभी ने आवाज लगायी तो हम नीचे गये. उन्होंने उपमा बनाया था. नाश्ता करके चाची बोलीं "अब तुम नहा लो विनय. चाहो तो एकाध झपकी ले लो. मैं भी जरा अनपैक करती हूं"
मैं नहाया और फ़िर अपने कपड़े निकाल कर अलमारी में रखे. थोड़ी देर एक झपकी लेने की कोशिश की पर अब भी मन में बहुत एक्साइटमेंट था इसलिये नींद नहीं आ रही थी जबकि बस में मेरी ठीक से नींद नहीं हुई थी. फ़िर एक नॉवल पढ़ने की कोशिश की, चाची अपने कमरे में चली गयी थीं, नीचे नीलिमा भाभी अकेली थीं. मैं भी नीचे चला गया. नीलिमा सब्जी काट रही थी. मुझे बोली "बस अब ममी का हो जाये तो मैं भी नहा लेती हूं, फिर खाना बना कर रखती हूं. तुम बोर तो नहीं हो रहे विनय?"
मैंने नहीं कहा, नीलिमा से थोड़ी फ़ॉर्मल बातें कीं, फ़िर उससे कहा कि मैं जरा घूम कर आता हूं. नीलिमा बोली कि पास ही बहुत अच्छा पब्लिक गार्डन है और वहां से खाड़ी और पणजी का व्यू भी बहुत अच्छा है. मैं बाहर निकल गया.
जब वापस आया तो करीब बारा बज गये थे. नीलिमा मुझे बाहर ही गेट पर मिली. वह ऑफ़िस जा रही थी. सलवार कमीज़ का ड्रेस पहनी थी. अच्छी लग रही थी, वैसे उस ड्रेस में उसके चौड़े कूल्हे एकदम से उभर कर दिख रहे थे. जिनको बहुत स्लिम फ़िगर अच्छे लगते हैं उन्हें शायद वह शेपलेस लगती पर मुझे उसका फ़िगर अच्छा खासा आकर्षक लगा.
नीलिमा बोली "चलो टाइम पर आ गये विनय. ममी सो रही थीं, अभी जागी हैं. नहा धो कर तुम्हारा खाने पर इंतजार कर रही हैं, उनको भी बाहर जाना है"
बाई करके नीलिमा निकल गयी. एक मिनिट मैं उसको पीछे से देखता रहा, उसका चलने का अंदाज अच्छा खासा मादक था, याने कम से कम मेरे लिये. रिलेटिवली पतली कमर और चौड़े कूल्हे होने से उसके नितंब बड़े मतवाले तरीके से डोलते थे. उसने थोड़ी सी हाई हील वाला सैंडल पहना था, उसमें उसकी चाल और आकर्षक लग रही थी.
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