Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
06-21-2018, 12:02 PM,
#19
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
"कौनसा रुमाल?"

"जिसमें आपने उस बेचारे कमसिन लड़के का रस निकाला था. धो डाला क्या? आपका भी जवाब नहीं ममी, मुझे तो उस बेचारे पर दया आ रही है. एक बार आपने उसे चंगुल में लेने की ठान ली, उसके बाद उसकी क्या बिसात कि आप से छूट पाये? शेरनी के पंजे से हिरन का बच्चा बचता है क्या कभी?" नीलिमा बोली और फ़िर हंसने लगी.

"चल कुछ भी बोलती है. बहुत अच्छा बच्चा है विनय. बहुत स्वीट है. अभी जरा भोला भाला सा है, जवानी तो चढ़ी है पर अब तक उसका क्या करना है यह नहीं सोचा बेचारे ने. और रही उसे फंसाने की बात, अब पहल तो उसीने की थी ना! ऐसा मेरी ओर देखता था जैसे आंखों से ही खा जाना चाहता हो. अब अगर मेमना ही इस शेरनी से शिकार करवाना चाहता था तो मैं क्या करती?"

"सब पता है ममी कि आप क्या चीज हो. आप के आगे कोई टिका है आज तक!!! कोई एक्स्प्लेनेशन देने की जरूरत नहीं है. पर वो रुमाल का तो बताइये, धो डाला क्या?"

"अब तुझे क्या करना है उससे?"

"पुरुष सेंट है वो ममी, वो भी एक इतने जवान छोकरे का, अच्छी लगती है उसकी खुशबू, बहुत दिन हो गये मैं तरस गयी"

"अरे नीचे पर्स रखी है, ऊपर लाना भूल गयी, उसी में है, मैं ले आती हूं"

"ऐसी ही जायेंगी नीचे?" नीलिमा ने पूछा.

"तो क्या हुआ? पहली बार कर रही हूं क्या? तू भी तो नंगी घूमती है इतनी बार. घर में और है ही कौन? चल ले आती हूं"

"थोड़ी देर से ले आना ममी, अभी बस मेरे पास रहो" नीलिमा चाची की छातियों में मुंह छुपा कर बोली. चाची ने खुद ही अपना एक स्तनाग्र उसके मुंह में दे दिया. "एकदम बच्ची बन जाती है तू कभी कभी"

"बच्ची ही तो हूं आप की, अब बच्चों जैसा करने दो" नीलिमा ने कहा और फ़िर चाची का निपल चूसने में मग्न हो गयी.

थोड़ी देर के बाद चाची बोलीं "वैसे स्वाद चखना हो तो है मेरे पास"

"कौनसा स्वाद ममीजी? इतने सारे स्वाद हैं आपने अंगों में, हर अंग का टेस्ट अलग अलग है और मुझे सब अच्छे लगते हैं"

"अरी विनय की जवानी के टेस्ट के बारे में कह रही हूं. अभी होगा यहां देख, भले सूख गया होगा पर फ़िर भी स्वाद तो होगा. मैंने नहाया नहीं उसके बाद" अपनी जांघें खोल कर नीलिमा को दिखाती हुई चाची बोलीं."

"और मैं तब से ट्राइ कर रही थी तो आप ने मुंह ही नहीं लगाने दिया" नीलिमा ने शिकायत की.

"अरी मजा आता है तेरे को थोड़ा तंग करने में"

नीलिमा ने चाची को बिस्तर पर लिटाया और उनकी टांगों में घुसने की कोशिश करने लगी. चाची ने उसे दूर किया और उठ कर बैठ गयीं "आज आप मुझे रुला कर छोड़ेंगी ना सासूमां?" नीलिमा ने उनकी ओर देखकर शिकायत की.

"अरे नहीं पगली, वहां चेयर पर बैठती हूं, बहुत देर हो गयी लेटे लेटे. फ़िर आराम से चखना तेरे को जो चाहे" स्नेहल चाची उठ कर कुरसी में बैठ गयीं. नीलिमा को सामने नीचे बैठाकर टांगें फैलाकर उन्होंने नीलिमा का सिर उनके बीच दबा लिया. मेरी पहचान का आसन था. ये जो चल रहा था वो देखना याने मेरे ऊपर घोर अत्याचार था. पर क्या करता, देखता रहा. नीलिमा मन लगाकर स्वाद चख रही थी. चाची ने उसका सिर पकड़कर और अपनी बुर पर दबाया और कहा "अरे बेटी, जरा जीभ अंदर तक डाल, तब तो आयेगा टेस्ट"

"थोड़ा अलग स्वाद तो है पर ठीक से ले नहीं पा रही" उसने सिर उठाकर चाची से कहा.

"अरे सात आठ घंटे हो गये अब. और मेरे रस में एकदम मिल भी गया होगा. अगली बार तेरे को एकदम फ़्रेश टेस्ट दूंगी." चाची ने अपनी टांगें आपस में जोड़ कर नीलिमा के सिर को उनकी गिरफ़्त में ले लिया और फ़िर आगे पीछे होकर धीमे धीमे धक्के मारने लगीं. फ़िर एक जोर की सांस ली और टांगें कस के नीलिमा भाभी के सिर को भींच कर स्थिर हो गयीं. दो मिनिट बाद एक लंबी सांस ली और नीलिमा को छोड़ा. "बहुत प्यार से चूसती है तू बेटी, बहुत सुख देती है. अब तू जरा बैठ, मैं नीचे जाकर वो रुमाल लेकर आती हूं"

मैं बैठा बैठा जरा चिंतित हो गया था. चाची ने नीलिमा को सब बता दिया था. अब कल कैसे उसके सामने जाऊंगा और उससे क्या बातें करूंगा, यही समझ में नहीं आ रहा था. शरम सी आ रही थी, पर उन सास बहू के वे कारनामे देखकर लंड की तो हालत बहुत खस्ता हो गयी थी. किसी तरह टाइम पास करना ही था क्योंकि अब यह लाइव लेस्बियन रति देखना बंद करना मेरे बस की बात नहीं थी.

चाची के बाहर जाने के बाद नीलिमा उठी और टेबल के पास जाकर वहां रखी बॉटल से पानी पीने लगी. मेरी ओर उसकी पीठ थी. क्या नितंब थे, एकदम गोल भरे तरबूज. उसकी कमर और कमर के ऊपर के शरीर की तुलना में वे महाकाय थे. असल में शायद बहुत लोग नीलिमा के फ़िगर को बेडौल या बॉटम हेवी ही कहते पर मेरे लिये तो वो साक्षात मेनका थी. इस तरबूजों पर सिर रखकर सोने में क्या मजा आयेगा! और उनके बीच अगर लंड गाड़ने का मौका मिले तो!!!

मैं यह सब सोचते सोचते लंड को पुचकारते पुचकारते अपनी रंगीन खयालों की दुनिया में खोया हुआ था कि अचानक कमरे का दरवाजा खुला और लाइट ऑन हो गयी. चाची वहां खड़ी थीं और मेरी ओर देख रही थीं. मुझे थोड़ा शॉक ही लगा. मैंने नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा. वे दोनों तो यही मान कर चल रही थीं ना कि मैं सोया हुआ हूं! मैं लंड हाथ में लिये भोंचक्का होकर बस उनकी ओर देखता रहा.

"चल कपड़े निकाल" चाची ने पास आकर आदेश दिया. वे वैसी ही पूर्ण नग्नावस्था में मेरे सामने खड़ी थीं. हाथ में वही रुमाल था. उसको सूंघ कर वे मेरी ओर देखकर मुस्करायीं "नीलिमा को भी सुगंध अच्छी लगेगी, इसीलिये मैंने अब तक धोया नहीं. जवान वीर्य की खुशबू अलग ही होती है. चल जल्दी कर"

मैंने चुपचाप कपड़े निकाले, और कर भी क्या सकता था! चाची ने मेरे लंड को पकड़ा और लंड से ही मुझे खींचती हुई अपने बेडरूम में ले गयीं.
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