RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
इन दोनों कामिनियों के संग मेरी जिंदगी एकदम मजे में कट रही थी. कभी कभी लगता कि जरूर पिछले जनम में कुछ अच्छा किया होगा इसलिये इतना कामसुख मुझे मिल रहा है. दोनों की स्टाइल बहुत अलग थी. जहां नीलिमा भाभी से मैं अब बिलकुल घुलमिल गया था, उनसे कुछ भी कह सकता था, वैसा चाची के साथ नहीं था. नीलिमा को मैं अगर कहता कि भाभी, आज डॉगी स्टाइल करेंगे तो तुरंत तैयार हो जाती. या कहता कि आज तो भाभी, बस लंड चुसवाऊंगा तुमसे, तो वो मना नहीं करती थी.
चाची से यह सब कहने की हिम्मत नहीं होती थी. चाची मेरे सुख का खयाल जरूर रखती थीं पर अपनी तरह से. करवाती मुझसे वो वैसा ही थीं जैसा उनके मन में था. बिना कहे अगर कुरसी में बैठतीं तो साफ़ था कि अब मुझे उनकी बुर चूसना है. या मेरी ओर पीठ करके लेट जाती थीं और खुद मेरे हाथ अपने स्तनों पर रख कर दबा लेतीं तो मैं समझ जाता था कि आज उनको ठीक से गूंधना है. मजाल थी मेरी जो उनसे कहूं कि चाची, मेरा लंड चूसिये.
और अब एक सबसे ज्यादा खटकने वाली बात पर आता हूं. एक महना होने को आया था पर अब तक मुझे उनमें से किसी से गुदा संभोग का मौका नहीं मिला था. अब टीन एज में और नये नये हॉर्मोन उबाल पर आने के बाद किशोर लड़कों के मन में ’गांड मारना’ इस क्रिया के बारे में बहुत उत्सुकता होती है. इन्टरनेट पर भी ’ऐनल सेक्स’ सबसे ज्यादा पॉपुलर है. अब उन दोनों रूपवती नारियों के वे भरे भरे नितंब देखकर बार बार लगता था कि ये मेरे नसीब में हैं या नहीं! और मेरे सामने तो दो तरह के खूबसूरत नितंब थे. जहां चाची के गोले गोरे गोरे, मांसल भरे हुए और मुलायम थे, भले थोड़े से लटक गये हों, वहीं नीलिमा के बड़े भी थे और एकदम कसे हुए गोल मटोल थे. सॉलिड !! संभोग के समय उनको हाथ लगाने का, कभी कभी चूमने का मौका तो मिलता था पर लंड तो क्या, उंगली भी डालने का साहस मैं नहीं जुटा पाया था.
आखिर एक शनिवार को मैंने ठान ली कि आज चाची की गांड में उंगली तो जरूर करूंगा. उनकी बुर चूसने के बाद जब वे बिस्तर पर लेटीं और मुझे अपने पीछे लिटा लिया तो सीधे उनके स्तन दबाने के बजाय मैं ने उनके नितंबों पर हाथ फ़ेरा. वे कुछ बोली नहीं, अपने स्खलन का आनंद लेती आंखें बंद करके पड़े रहीं. फ़िर मैंने धीरे से उन गोलों को चूमा, दो तीन चुंबन ही हुए थे कि उन्होंने पलट कर मुझे पास खींच लिया. मैं समझ गया कि उनकी इच्छा नहीं है कि मैं ऐसे उनके चूतड़ों से खेलूं.
बाद में जब मैं उनके पीछे लेटा उनका स्तनमर्दन करते करते उनके कंधे चूम रहा था, जैसा उन्हें अच्छा लगता था, तो मैंने अपना खड़ा लंड उनके नितंबों के बीच की गहरी लकीर में आड़ा फंसाया और घिसने लगा. अंदर भले ना डालने मिले पर कम से कम उनके गुदा पर लंड तो रगड़ने को मिलेगा ये सोच रहा था. एक दो बार ही किया था कि वे मुझे बोलीं "ये क्या इधर उधर हिलडुल रहा है बेटे, जरा ठीक से कर ना" तो मैं चुपचाप उनके स्तन दबाने लगा, पर लंड तो अब भी उनके उन गुदाज नितंबों पर ही दबा था. उनको वैसे ही मैंने रगड़ने की कोशिश की तो चाची ने पलट कर कहा "चल लेट नीचे" लेटने के बाद वे मुझपर चढ़ गयीं और चोदने लगीं. ऐसा वे बहुत कम करती थीं पर उस दिन उन्होंने मुझे आधा घंटा चोदा. और झड़ने नहीं दिया, अंत तक तड़पाया, आखिर में जब उस मीठी आग से मैं रोने को आ गया तब उन्होंने मुझे ऊपर चढ़ कर चोदने दिया, मुझे शायद अपने अंदाज में पनिश कर रही थीं. उसके बाद मैंने कसम खा ली कि अब ट्राइ भी नहीं करूंगा. वैसे फ़्रस्ट्रेट हो गया था, सोच रहा था कि कैसे चाची की गांड मारी जाये, उनसे यह सीधे कहने की हिम्मत नहीं थी मेरी कि चाची, पट लेटिये, गांड मारनी है आपकी.
मैंने पूरी हार नहीं मानी. उसी दिन रात को जब हम तीनों लगे हुए थे और एक चुदाई के बाद चाची बाथरूम में गयी थीं, तब मैंने नीलिमा के साथ चांस लिया. नीलिमा पट सोयी हुई थी. मैं तुरंत उसके पास बैठ गया और उसके नितंबों पर हाथ फेरने लगा "भाभी ... कितना गुदाज चिकना बदन है आपका!"
नीलिमा मुस्कराकर आंखें बंद किये किये ही बोली "आज बड़ा लाड़ आ रहा है. कोई खास बात?"
"भाभी, रहा नहीं जा रहा, इनके चुंबन लेने की इच्छा होती है"
"तो मैंने कब मना किया तेरे को! हमेशा तो करता है वहां चूमाचाटी"
उसकी मंजूरी है यह समझ कर मैं उसके चूतड़ों पर टूट पड़ा. उनको दबाया, मसला, साथ ही पटापट उनके चुम्मे लिये, थोड़ा दांत से हल्के से काटा और फ़िर उसके नितंब का मांस जितना हो सकता था मुंह में भरके चूसने लगा. नीलिमा ने बस ’हं .. हं .." किया जैसे उसे अच्छा लग रहा हो. मैंने अब आगे का स्टेप लिया, उसकी गांड की लकीर में नाक डाली और फ़िर जीभ से गुदगुदाने लगा. "अरे गुदगुदी होती है ना ..." कहकर नीलिमा हंसने लगी. उसने मुझे रोकने की जरा भी कोशिश नहीं की. तभी फ़्लश की आवाज आयी और मैं बिचक कर अलग हो गया.
"अरे क्या हो गया? और कर ना! चाची कुछ नहीं कहेंगीं" उसने मुझे धीरे से कहा भी पर मेरी हिम्मत नहीं हुई. हां उसी रात मैंने नीलिमा की गांड में उंगली की और उसने बिना रोक टोक करने दी. ये मुझे चाची से छुपाकर करना पड़ा. वे दोनों आपस में लिपटी हुई चूमा चाटी कर रही थीं, ओपन माउथ किसिंग और जीभ चूसना जारी था. मैं नीलिमा के पीछे लेटा था. मैंने उसके गुदा पर उंगली रखी और घुमाने लगा. जब वो कुछ नहीं बोली तो धीरे से मैंने उसकी बुर के पानी से उंगली गीली की और फ़िर गुदा पर रखकर दबाने लगा. फ़िर कमाल हो गया, नीलिमा ने अपनी गांड ढीली की और ’पच’ से मेरी उंगली आराम से अंदर चली गयी. नीलिमा ने क्षण भर को अपना छल्ला सिकोड़ा और मेरी उंगली कस के पकड़ ली. फ़िर ढीली छोड़ी तो मैं उंगली अंदर बाहर करने लगा.
ये बहुत देर तक चलता रहा. लगता था कि नीलिमा भाभी को उंगली करवाने में मजा आ रहा था. मैंने खूब मजा लिया. नीलिमा को ये गांड मस्ती अच्छी लगी यह देखकर मुझे फ़िर से जोश आ गया था. दूसरे दिन रविवार था, मेरा और नीलिमा का दिन. मैंने ठान ली कि कल जितना हो सकता है, गांड पूजा के इस सफ़र पर आगे जाऊंगा.
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