Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
06-21-2018, 12:03 PM,
#26
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
"विनय ... जो मैं बोली उससे शॉक लगा क्या तेरे को? याने ऐसी गंदी लैंग्वेज मेरे मुंह से तूने एक्सपेक्ट नहीं की होगी?"

"हां भाभी लगा तो पर मजा भी बहुत आया" मैंने कहा. वैसे इसके पहले कभी दिमाग में नहीं आया था कि नीलिमा ऐसे बोलेगी.

"अरे सेक्स करते वक्त ऐसा उलटा सीधा बोलना मेरे को भाता है, अरुण को भी, वो तो कैसी कैसी गालियां देता है, उसीने मुझे सिखाया, बोला मजा करना चाहिये, मन पर लगाम नहीं देना चाहिये पर अब ममीजी के साथ ऐसा कैसे बोलूं. वैसे उनके भी दिमाग में क्या क्या आता है इसका अंदाजा है मुझे, तू नहीं जानता यह अच्छा है, उनकी इमेज है तेरे मन में वो वैसी ही रख, और वे बोलती भी नहीं हैं ऐसा कुछ अनाप शनाप. ममी के सामने इसलिये मैं कंट्रोल रखती हूं. पर आज तूने मेरी मारी तो रहा नहीं गया, कितने दिनों के बाद गांड मरवायी है ... बहुत सुकून मिला!"

"भाभी ... आप को तो गुस्सा नहीं आया ना? शुरुआत मैंने ही की थी ’आज गांड फाड़ दूंगा आपकी’ कहकर"

नीलिमा मुझे लिपटकर बोली "अरे मजा आ गया. पर सच बता, तुझे ये मेरा भारी भरकम पिछवाड़ा सच में अच्छा लगा? मुझे तो कभी कभी शरम आती है कि कैसे बेकार बेडौल मोटी दिखती होऊंगी मैं इसके कारण"

"भाभी, बहुत सेक्सी दिखती हैं आप इन बड़े बड़े कूल्हों की वजह से. क्या गुदाज नितंब हैं आप के. वो आपने पुरानी पिक्चरें देखी हैं? उनमें कुछ हीरोइनें इस मामले में एकदम ए-वन थीं. उनके भी कूल्हे कितने चौड़े थे पर एकदम सेक्सी लगते थे"

"अरुण को भी बहुत पसंद हैं मेरे ये तरबूज ... पर ये बता मूरखनाथ ... तेरे को एक महना लगा ये सब मुझे बताने में? टाइम वेस्ट किया ना! अरुण तो हनीमून में ही शुरू हो गया था इनपर. एकदम पगला गया था. मुझे लगता है उस एक हफ़्ते के हनीमून में उसने मुझे इस पीछे के छेद में ही ज्यादा चोदा होगा. खैर जाने दे, मुझे लगता है तू शरमा रहा होगा मुझसे ये बात करने में, मैं भी आखिर कैसे भूल जाती हूं कि तू अभी छोटा है, अभी अभी तो शुरू किया है तूने ये सब."

मैंने फ़िर चाची के साथ के अपने एक्सपीरियेंस को बताया " भाभी, चाची से एक दो बार कहने की कोशिश की, शुरू भी किया था पर मुझे लगता है वे नाराज हो जाती थीं इसलिये रोक देती थीं. फ़िर मेरी हिम्मत नहीं हुई. आप के साथ चांस इस लिये नहीं लिया कि मुझे किसी को नाराज नहीं करना था, अब आप में से कोई भी मुझसे नाराज हो जाये तो मेरा तो कबाड़ा ही हो जायेगा ना!"

हम दोनों कुछ देर पड़े रहे. फ़िर मैंने हाथ बढ़ाकर नीलिमा के नितंबों को दबाना शुरू कर दिया. उसके गुदा का छेद अब एकदम नरम और चिपचिपा गीला था, खुला हुआ भी लगता था. मैंने अपनी बीच की उंगली डाल दी और अंदर बाहर करने लगा.

नीलिमा मस्ती से गुनगुना उठी "हां ... और कर ना ... अच्छा लगता है ... कितनी अच्छी उंगली करता है तू"

मैं अब उनकी गांड में उंगली इधर उधर घुमा कर खोद रहा था "भाभी आप को अच्छा लगा ये तो मस्त बात है, ऐसे किसी खुबसूरत औरत की गांड में उंगली करने में जो मजा है वह आप नहीं जानतीं. पर भाभी, मैंने पढ़ा है कि अधिकतर औरतों को ये अच्छा नहीं लगता?"

"उनकी मैं नहीं जानती, पर मुझे बहुत मजा आता है. अरुण ने जब पहली बार मारी मेरी तब इतना दुखा फ़िर भी मैंने उसे नहीं रोका क्योंकि तभी मेरे को दर्द के साथ बड़ी मीठी फ़ीलिंग हुई थी. उसके बाद तो आदत लग गयी, अरुण से चुदाने के साथ साथ मैं रोज मराती भी थी. एक भी दिन अगर उसने नहीं मारी तो मुझे अतृप्त जैसा लगने लगता था. अब वो नहीं है तो इस मामले में मेरी कैसी हालत हो रही है वह तू ही समझ सकता है. वैसे ममी के साथ चूत का सुख खूब मिलता है मुझे पर ये पीछेवाली चूत पागल कर देती है ... एक दो बार तो मैंने कैंडल डाल कर भी देखा ... मजा नहीं आया. अब तू आ गया है ना, अब हर रविवार को तेरी यही ड्यूटी है समझ ले"

मैं उसकी गांड में उंगली करता रहा. नीलिमा ने अचानक मुझे प्यार से चूम लिया "मुझे बहुत याद आती है अरुण की. उसके साथ सेक्स याने ... वो ऐसी नयी नयी चीजें करता है ... क्या दिमाग चलता है उसका ... पर ममी ने भी मुझे खूब सुख दिया है और अब तू मुझे करीब करीब अरुण जैसा ही भोग रहा है इसलिये सोच रही हूं कि अगर वीसा मिल जाये तो ... जरा खट्टा मीठा किस्सा हो जायेगा. मन तो बहुत है कि तुरंत अरुण के पास चली जाऊं पर तुमको और ममी को छोड़कर जाने का भी मन नहीं करेगा"

फ़िर उसने उठ कर कपड़े ठीक किये और बोली "ब्रन्च क्या अब लन्च का टाइम हो गया. चल मुझे भूख लगी है. फ़िर दोपहर को तुझसे जरा मेहनत कराती हूं. एक मस्त खास चीज भी दिखाऊंगी तेरे को"

खाना खाकर हम आधा घंटे के बाद ऊपर आये. मैंने नीलिमा से कहा कि ’भाभी, आप ऊपर जाइये, आज खाने के बाद की साफ़ सफ़ायी मैं करूंगा. उसे मेरा ये जेश्चर बड़ा अच्छा लगा, मुझे प्यार से किस किया और ऊपर चली गयी.

जब मैं ऊपर आया तो नीलिमा अलमारी में कुछ ढूंढ रही थी. मैंने कपड़े निकाले और तैयार होकर नंगा बिस्तर पर लेट गया. जब पांछ मिनिट हो गये तो रहा नहीं गया. "भाभी अब आओ ना, कितनी देर लगा रही हो, अब देखो, क्या सुताई करता हूं तुम्हारी गांड की!"
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