RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
दो महने ऐसे ही कब गये पता भी नहीं चला. फ़िर एक दिन अरुण का फोन आया. वैसे वह हफ़्ते में दो तीन बार फ़ोन करता था, मेरी भी फ़ॉर्मल बात ’हाय हेलो’ होती थी. पर मैं फ़िर खिसक लेता था कि नीलिमा और चाची को खुल कर बात करने का मौका मिले.
इस बार फोन वीसा के बारे में था. नीलिमा ने स्पीकर ऑन किया था. अरुण ने कहा कि उसका ग्रीन कार्ड हो गया है और नीलिमा को भी वीसा मिल गया है. चाची का अभी प्रोसेस में है.
चाची ने अरुण को कहा कि वह नीलिमा को तुरंत बुला ले, वे बाद में आ जायेंगी. नीलिमा को ऐसे अकेले जाना अटपटा लग रहा था. वह चाची को भी साथ ले जाना चाहती थी.
चाची बोलीं "अरे बेटा, मेरी चिन्ता मत करो, मैं यहां अकेली थोड़े रहूंगी, विनय भी है. बाद में आ जाऊंगी. और मुझे नहीं लगता कि मैं वहां अमेरिका में हमेशा रह पाऊंगी, बस आ जाकर रहूंगी तो मन बहला रहेगा"
अरुण बोला कि मां तुम टूरिस्ट वीसा पर छह महने रह सकती हो. तब तक यह भी हो जायेगा.
चाची ने मेरी ओर देखा. मुझे जरा उदास सा लगने लगे था. दो माह स्वर्ग में बिताने के बाद अचानक अकेला रहना पड़ेगा यह विचार ही सहन नहीं हो रहा था. दूसरी ओर चाची के बारे में सोचता तो एक मां को भी तो आखिर बेटे के पास जाने का हक था और ऊपर से बोनस में यह सेक्सी बहू भी थी, दिन भर खेलने को. मैं धीरे से वहां से निकल लिया कि उन्हें आराम से अकेले में सोच विचार करने का मौका मिले.
बाहर से आया तब हमेशा हर रविवार की तरह चाची अपने महिला मंडल निकल गयी थीं. नीलिमा ने खाना तैयार रखा था. खाना खाकर हर रविवार की तरह हम दोनों उसके कमरे में पहुंचे. कपड़े निकाले. आज नीलिमा एकदम मूड में थी. बटरफ़्लाइ लगाकर खुद मेरी गोद में बैठ गयी, मेरा लंड अपनी गांड में लेकर, गांड मराने की यही स्टाइल उसे सबसे ज्यादा पसंद थी. मैंने उसका स्तनमर्दन करते हुए नीचे से धीरे धीरे गांड मारना शुरू कर दिया. नीलिमा ने एक सुख की लंबी सांस ली और फ़िर मुड़कर मेरी ओर देखा. कस के मेरा चुंबन लिया, आज उसके चेहरे पर अलग ही चमक थी.
"क्या बात है भाभी, आज बड़े मूड में हो. सैंया के यहां जाने की लाइन क्लीयर हो गयी इसलिये आज एकदम खुशी में लग रही हैं आप"
"हां विनय ... मैं बहुत मिस करती हूं अरुण को ... अब बस दस बीस दिन और और फ़िर मैं प्लेन में"
"भाभी .... अरुण भैया को अपने बारे में ... कोई शक तो नहीं हुआ होगा ना? इस लिये पूछ रहा हूं कि उसे मालूम है तुम्हारा गरमागरम जोबन, ये चुदासी तड़प चैन नहीं लेने देती आप को, आखिर उसने खुद ही आप को ये बटरफ़्लाइ लाकर दी है, फ़िर अब शक हुआ तो कि साथ में जवान लड़का रह रहा है तो ..."
"अरे नहीं, वो कभी शक वक नहीं करेगा. और अगर उसे मन में लगा भी कि ऐसा कुछ चल रहा है तो माइन्ड नहीं करेगा वो, उलटा खुश ही होगा. हमारा इतना प्रेम है एक दूसरे पर, एक दूसरे की सब जरूरतों को हम समझते हैं. अब तुझसे क्या छुपाऊं, पिछली बार आया था तो खुद मुझसे बोला कि यार, ऐसी प्यासी प्यासी ना रहो, कोई अच्छा यार दोस्त ढूंढ लो. मैंने बात टाली तो कहने लगा कि ऐसे टालो मत, बाद की खुशहाल जिंदगी के लिये अभी ये दूर रहना अवॉइड नहीं हो सकता, तो फ़िर ये एक दो साल प्यासे तड़पते निकाले जायें, इसमें क्या तुक है? इसपर मैंने उसकी जरा खींची याने बोली कि महाशय, आपने शायद पहले ही अपने अकेलेपन के लिये कोई ढूंढ ली है तो कुछ बोला नहीं, बस आंख मार कर हंस दिया. एक और बात बताती हूं विनय, पर किसी से कहना नहीं, ममी से भी नहीं ..." मेरे कान को हौले से दांत से काट कर नीलिमा बोली, अब एकदम खेलने खिलाने के मूड में थी.
"बोलो ना भाभी, मुझे क्या पड़ी है किसी को बताने की!" पति पत्नी के बीच की ये गुप्त बातें सुनकर मुझे भी मस्ती चढ़ रही थी, ऊपर से यह समाधान था कि नीलिमा को मैं अब इतने करीब का लगने लगा था कि वो ये सब बातें मुझसे एक क्लोज़ फ़्रेन्ड जैसे शेयर करने लगी थी.
"उसने मुझे ये हिंट भी दी कि अमेरिका आने के बाद एक दो हसबैंड वाइफ़ कपल्स के साथ कुछ खास दोस्ती करेंगे. उसके दो दोस्त वहां यू एस में हैं पहले से और एक यहां उसके साथ ही नाइजीरिया में है, उसको पहले ही वीसा मिल चुका है. पिछले महने जब वो काम से यू एस गया था तो सब मिले थे, लगता है पार्टी की होगी सब ने मिलके, तो सब ने यही ठहरा लिया है कि अब सब वहां पहुंचने के बाद खास ग्रूप बनेगा. और ये अरुण बोल रहा था कि सब मेरे बारे में पूछ रहे थे कि नीलिमा कब आने वाली है, बाकी दो की वाइफ़ तो वहीं है और एक पहुंचने वाली है. और विनय, ऊपर से मेरे इस बदमाश नालायक पति ने उनको मेरे फोटो भी दिखाये. बोला कि देख कर अब बहुत एक्साइट हुए. और ऐसी सादगी से ये बोल रहे थे महाशय कि कुछ हुआ ही ना हो. मैंने जब डांट कर ऊंची आवाज में पूछा कि कौन से फोटो दिखाये, ऐसे एक्साइट करने वाला क्या था उसमें तो बदमाश बोला कि वो जिसमें तू बांसुरी बजा रही है, वो फोटो दिखाया. और वो जिसमें तू मेरे लिये सन्तरे का रस निकाल रही है"
"तो भाभी? मैं समझा नहीं"
"अरे ऐसा कोई फोटो नहीं है मेरा. हां कुछ फोटो उसने मेरे खास निकाले थे, याने सिर्फ़ उसके देखने के लिये, उसमें से एक था ... उसके सुपाड़े को चूसते हुए ... मुझे लगता है उसने वही दिखा दिया होगा" नीलिमा ने मेरे कान मे कहा. वह अच्छी खासी उत्तेजित हो गयी थी. मुझे लगता है कि अभी से वह तीन दोस्तों और उनकी तीन पत्नियों के बीच प्लान की जाने वाली मौज मस्ती के ख्वाब देखने लगी थी.
मेरा लंड मस्ती में टनटना गया "अच्छा! पर भाभी वो सन्तरे के रस वाली फोटो में ऐसा क्या है"
"अरे कहां का सन्तरे का रस! वो तो मेरी बुर चाट रहा था, टाइमर लगाकर उसने फोटो लिया था उसका. हमेशा कहता है कि रानी तेरी चूत के होंठ याने रसीले नागपुरी सन्तरे की फांकें. बदमाश आगे कह रहा था कि वे सब बोले कि यार, भाभी को जरा हमारे लिये भी सन्तरे का रस निकालने को बोलो प्लीज़. फ़िर मैंने पूछा कि उनको बोलो कि पहले अपनी घरवालियों को कहो कि तुमको खाने पर बुलायें."
फ़िर नीलिमा मुझसे लिपट कर बोली "मैंने फ़िर पूछा कि तुम अब तक उनके यहां गये या नहीं तो बोला नहीं, तुम्हारा इंतजार है, पर फोटो पर से लगता है कि तीनों के घर का खाना स्वादिष्ट ही होगा. और बोला कि रानी, तुम भी बाहर खाने पीने की शौकीन हो मुझे मालूम है"
"भाभी, आप को अच्छा लगेगा वो वाइफ़ स्वैपिंग वगैरह, अरुण शायद उसी के बारे में हिंट कर रहा था"
"बहुत मजा आयेगा विनय, तीन तीन जवान मर्द और साथ में उनकी बीवियां. अरे सिर्फ़ सोच कर मेरा रस टपकने लगता है, अब जरा जोर से दबा ना और" नीलिमा ने रिमोट से बटरफ़्लाइ और तेज की और फ़िर खुद ही मेरी गोद में नीचे ऊपर होकर मेरा लंड गहरा अपनी गांड में लेने लगी.
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