RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
अब मैं क्या कहता, चुप रहा. फ़िर बोला "हां हो सकता है, यह भी हो सकता है कि यह सब आपका वहम हो भाभी. मुझे नहीं लगता कि चाची को सब से छुपा कर इतने दिन तक अपने बेटे के साथ ये सब करना संभव हो पाया होगा"
"अरे तू नहीं जानता, ममी इस मामले में ... महा चालू हैं" नीलिमा आंखें झपकाकर बोली. वैसे उसके स्वर में गुस्सा या त्रास नहीं था, एक तरह की प्रशंसा ही थी, चाची की मादकता का उद्घोष था.
हम कहां से कहा पहुंच गये थे यह देख कर मैंने वातावरण थोड़ा शांत करने को कहा "ठीक है नीलिमा भाभी, हो सकता है यह सब सच हो पर आप को क्या फरक पड़ता है? आप तो खुद ही यह सब करवाने वाली हैं मां बेटे के बीच में, अब पहले वो होता था या नहीं होता था इससे ..."
"हां तू ठीक कह रहा है विनय. मुझे गुस्सा नहीं आया, वो तो ऐसे ही मैं जरा गरम हो गयी थी, अरुण ने बताना चाहिये था मुझे, बाकी सब वो मुझसे शेयर करता है ना! पर जाने दे, अगर यह सच है तो मेरी मेहनत बच जायेगी, डायरेक्ट शुरू हो जायेगा हमारा तिरंगा सामना! जिस दिन वहां पहुंचेंगे उसी रात से ... पर विनय, मेरी कसम, ममी को कुछ मत बताना इसके बारे में, अगर सच में मां बेटे के बीच कुछ नहीं है और उन्हें पता चल गया कि मैं क्या गुल खिलाने वाली हूं, तो कहीं वे मेरे साथ वहां जाने का ही कैंसल ना कर दें. वैसे ही तुझपर अब वे इतनी मरती हैं कि तुझे छोड़कर जाने का मन नहीं है उनका. मैं चाहती हूं कि वहां वे आयें, फ़िर कहां जायेंगी मुझसे बच कर? अब प्रॉमिस कर कि तू कुछ नहीं कहेगा"
"मैं कुछ नहीं कहूंगा भाभी" मैंने कान पकड़कर कहा "वैसे भी चाची कोड़े ही लगायेंगीं अगर मैं ऐसा कुछ ऊल जलूल बोला तो"
नीलिमा हंस कर बोली "अरे घबरा मत, ममी सच में बहुत अच्छी हैं और रंगीली भी हैं एक नंबर की. मैं इसीलिये तो ये सब करने वाली हूं कि उनको एकदम मन भर कर कामसुख मिले जैसा उन्हें चाहिये. वैसे वे भी सोच रही होंगीं कि तू अकेला रह जायेगा, कुछ तो इन्तजाम करना पड़ेगा तेरा. वैसे तेरा कहना ममी के बारे में मुझे ठीक लगता है, अगर उनके बीच कुछ होता तो अरुण यहीं नौकरी नहीं करता? ऐसा उन्हें छोड़कर बाहर क्यों चला जाता!"
मैंने मजाक में कहा "अपनी मां की गरमी सहन नहीं होती होगी बेचारे को"
नीलिमा मेरी ओर देख कर सीरियसली बोली "है तू मूरख पर ममी की गरमी के बारे में पहली बार कुछ काम का बोला है"
मैं उसके इस कथन के बारे में सोच ही रहा था कि आखिर उसने ऐसा क्यों कहा, तभी चाची उन पड़ोसी महिला के साथ बाहर आयीं. हमारे पास आकर बोलीं कि मैं दो घंटे में आती हूं. उन दोनों के जाने के बाद हम अंदर चले गये. वैसे भाभी के साथ मस्ती का अच्छा मौका था पर फ़िर रात को हमारे जोश में कमी से चाची जरूर पहचान लेतीं, कि उनकी दो घंटे आंख फिरी और यहां हम चोदने बैठ गये. उस दिन के केले वाले एपिसोड के बाद तो चाची को नाराज करने का मेरा कतई इरादा नहीं था. इसलिये हमने कुछ नहीं किया.
कुछ दिन पहले मैंने अलमारी के ऊपर पड़ा एक फोटो एलबम देखा था. बहुत दिन से देखने की इच्छा थी. कुरसी पर खड़ा होकर मैंने वह निकाला. फ़िर झटककर देखने लगा. मुझे भरोसा था कि उसमें चाची के पुराने फोटो होंगे. स्नेहल चाची - मेरी मलिका - मेरी मालकिन - मेरी देवी - जवानी में कैसी दिखती थीं, देखने की बड़ी उत्सुकता थी.
"जरा पुराना है, चार पांच साल पहले तक के फोटो हैं" नीलिमा ने मुझे बताया.
"और आपकी शादी के फोटो?" मैंने एलबम खोलते हुए कहा. "वैसे मुझे चाची के जवानी के ही फोटो देखने थे भाभी"
"ओह ऽ हो ... याने मर मिटे हो ममी पर? देख लो, वैसे वे बहुत सीदी सादी थीं जवानी में, और अभी भी हैं, पहनावे और रहन सहन से कोई कह सकता है कि उनके अंदर ऐसी अगन जलती होगी? मेरी शादी का एलबम नहीं है मेरे राजा, मेरी मौसी ले गयी थी, जब पिछले साल आयी थी. अब तक नहीं लौटाया"
मैं वही पुराना एलबम देखने लगा. चाची के कई फोटो थे. जवान थीं तब जरा स्लिम भी थीं. पर सब फोटो सादी पुराने किस्म की साड़ियों में थे. ज्यादा मजा नहीं आया, सब में बस गंभीर चेहरा लेकर आदर्श भारतीय नारी जैसी खड़ी थीं. बस एक फोटो में उनकी छुपी सेक्स अपील जरा दिख रही थी. उसमें वे किसी बात पर हंस रही थीं, उनके वे दो क्यूट टेढ़े दांत और ऊपर का मसूड़ा दिख रहा था, जरा बाजू का पोज़ होने से पल्लू के नीचे के स्तनों का उभार उनके उस पुराने कट के ब्लाउज़ में से भी दिख रहा था.
नीलिमा बोली "लगता नहीं ना वही चाची हैं तेरी? कोई सादी भोली युवती दिखती है इन फोटो में."
मेरे मन में आया कि शायद चाची की सेक्स अपील उमर के ढलने के साथ साथ घटने के बजाय बढ़ी थी और अब अपनी चरम सीमा पर थी.
आगे पन्ने पलटने पर दो तीन साल पहले की एक फोटो थी. उसको देखकर जरा मजा आया. उसमें आज की ही चाची थीं, थोड़ी कम मोटी पर एकदम सेक्सी. साड़ी ही पहने थीं पर साड़ी और ब्लाउज़ के बीच दिखते कमर और पेट एकदम मस्त लग रहे थे, जैसे उनके असल में हैं. आंचल के नीचे का उभार भी जोरदार था. मैं सोचने लगा कि सेक्स अपील भी बड़ी उलझाने वाली चीज है, कभी सुंदर से सुंदर अर्धनग्न या पूरी नग्न जवान नारी में भी नहीं होती और उलटे एकदम सादे रूप वाली अधेड़ उमर की साड़ी पहने औरत ऐसी दिल में उतर जाती है कि लगे कि यहीं पटक कर चोद लिया जाये. फ़िर मेरे मन में आया कि चाची की सेक्स अपील का शायद यह कारण था कि ऊपर से वे इतनी सात्विक लगती थीं पर उनके मन के अंदर वासना का एक तूफ़ान सा उमड़ता था. चाची की सेक्स अपील के बारे में मेरा विचार मंथन चल ही रहा था कि अचानक नीलिमा ने मेरा हाथ पकड़ा. मैं उसकी ओर देखने लगा.
"इससे मजेदार एक एलबम दिखाऊं?" नीलिमा ने शैतानी भरी नजर से मुझे देखते हुए कहा.
|