RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
अब मैं क्या कहता. किसी को लगेगा कि मेरे मन में लड्डू फूट रहे होंगे पर ऐसा नहीं है. लता आंटी थीं तो बड़ी खूबसूरत पर उनके बारे में ऐसे वैसे खयाल, याने नीलिमा और स्नेहल चाची की तरह रिश्ते के खयाल मेरे मन में नहीं आये. मेरे हिसाब से उनका लेवल बहुत अलग था, गोआ के अच्छी खासी वेल-टु-डू परिवारों में एक परिवार था उनका. मुझे तो यह भी आश्चर्य लगा कि इस बंगले में आकर रहने को वे कैसे तैयार हो गयीं, उन्हें तो किसी अच्छे होटल में रुकना चाहिये था. फ़िर मन में आया कि वैसे चाची का बंगला भी कोई कम नहीं था, पुराना जरूर था पर हेरिटेज बंगला था, आजकल बड़ी महंगी प्रॉपर्टीज़ में गिना जाता था.
अब चाची से क्या कहूं इस पशोपेश में पड़ गया. और मैं कौन होता था कहने वाला कि किसे वे अपना घर दें रहने के लिये और किसे नहीं. वैसे मुझे ऑड जरूर लग रहा था पर सोचा कि अभी चाची को कह दूं कि मैं और कहीं जगह देख लूंगा तो वे बुरा ना मान जायें. अभी तो उन्होंने मुझे यह भी नहीं बताया था कि वे कब तक वापस आयेंगी. सोचा कि अभी कुछ न कहूं, एक हफ़्ते के बाद कोई बहाना बनाकर खिसक लूंगा.
"हां चाची, अच्छा आइडिया है आपका. पर वे इतनी बड़ी कंपनी में ऊंचे ओहदे पर हैं, उनको मेरी कंपनी न जाने कैसी लगेगी"
"अरे लता बहुत अच्छी है इस मामले में, उसे अपने धन दौलत का जरा घमंड नहीं है. बहुत मिलनसार है. घर में वहां कंपनी का सब भूल जाती है. और मैं भी एक महने के अंदर आ ही जाऊंगी, ठीक है ना?"
मुझे जो रिलीफ़ लगी वह मेरे चेहरे पर दिख आयी होगी क्योंकि चाची हंसने लगी "अब जरा मन शांत हुआ तेरा? आराम से रहना यहां बिना टेंशन के, समझा. लता दो साल बाहर थी, अब वापस आकर गोआ में ही रहने वाली है, आखिर यहां उसका पुश्तैनी मकान है, इतना ही नहीं, उसकी भांजी दीपिका भी दो महने के बाद यहीं गोआ आकर रहेगी उसके साथ, वह भी बचपन से यहीं रही है, बस पिछले दो तीन साल से मुंबई चली गयी थी सेंट ज़ेवियर्स में पढने. "
मैंने पूछा "उसके पेरेंट्स कहां हैं चाची? यहीं गोआ में हैं?"
"वे पंधरा साल से दुबाई में हैं, मुझे नहीं लगता कि दस साल और वापस आयेंगे. दीपिका को वहां बिलकुल अच्छा नहीं लगा इसलिये वह छोटी थी तभी से लता के साथ रह रही है. लता ने भी शादी नहीं की थी पर अपनी भांजी को बिलकुल अपनी बेटी जैसा पाला पोसा है उसने. तेरे बाईस बरस कंप्लीट हो गये हैं ना?"
मैंने हां कहा. "तेरे से तीन साल बड़ी है दीपिका, बारा तेरा साल की थी तब से लता के पास है"
नीलिमा सब सुन रही थी. बीच में किचन में चली जाती थी, खाने की तैयारी करने. उसने आवाज लगाई "ममी ... जरा देखिये इतना चावल ठीक रहेगा?"
चाची अंदर चली गयीं, मैंने टी वी लगा लिया. चाची वापस आ रही हैं यह सुनकर मुझे बहुत शांति मिली थी. तभी अंदर किचन से कुछ आवाज आई. मैंने सहज मुड कर देखा तो नीलिमा मुंह पर हाथ रखकर अपनी हंसी दबाने की कोशिश कर रही थी.
चाची की आवाज आई "अब तुझे हंसने जैसा क्या हो गया यहां?"
नीलिमा की दबे स्वर में आवाज आई "आप भी ग्रेट हैं ममी ...मुझे लगा ही था कि .... बेचारा ... आप के सामने अब कौन ..." आगे सुनाई नहीं दिया और फ़िर वह दबी आवाज में हंसने लगी.
चाची अब चिढ़ गयीं "पहले हंसना बंद कर. फालतू ही ही करती रहती है, और चुप रह, जहां तुझे समझ में नहीं आता वहां टांग मत अड़ाया कर"
दूसरे दिन चाची और नीलिमा जाने वाले थे. वह रात हमारी साथ की आखरी रात थी. उस दिन की चुदाई जरा अलग ही थी, रोज जैसा जोश नहीं था. बस प्यार भरे किस और लिपटना वगैरह ज्यादा हुआ. दूसरे दिन सफ़र करना है इसकी वजह से वे दोनों थोड़ी टेंस भी थीं.
आखरी दिन भाग दौड में ही गया. चाची और नीलिमा शाम की फ़्लाइट से मुंबई जाने वाले थे. दूसरे दिन वीसा के लिये जाना था और उनकी अमेरिका की फ़्लाइट दो दिन बाद थी. तब तक वे मुंबई में ही रुकने वाली थीं.
जब चाची नहा रही थीं तो नीलिमा ने मुझे पूछा "क्यों रे विनय, लता आंटी पसंद आयीं? कैसा इम्प्रेशन हुआ तेरे पर?
मैं कहने वाला था कि बहुत सुंदर हैं पर फ़िर अपने आप को रोक लिया, एक सुन्दर जवान स्त्री के सामने दूसरी की सुन्दरता की प्रशंसा नहीं करनी चाहिये ऐसा कहीं पढ़ा था. इसलिये बोला "बहुत स्मार्ट हैं काफ़ी इन्टेलिजेंट भी लगती हैं, क्यों न हों, इतने ऊंचे ओहदे पर हैं. मुझे तो अभी से उनसे थोड़ा डर लगने लगा है"
"लगना ही चहिये, अब अकेले उनके चंगुल में रहोगे इतने दिन, तो तेरे बचने की उम्मीद कम ही है. और बाद में तो वो दीपिका भी रहेगी, उनकी भांजी."
"अरे पर वो तो दो महने बाद आयेगी, तब तक तो उनका घर रिपेयर हो जायेगा ना?"
"कहां रिपेयर होगा? बहुत काम निकाला है उन्होंने, अंदर से पूरा रीकन्स्ट्रक्ट करने वाले हैं. चार पांच महने तो लगेंगे, तब तक वे दोनों मिल कर तेरे क्या हाल कर डालेंगी तुझे पता है? वैसे ऐसी खूबसूरत बलाओं से दुर्गति कराने में भी तेरे को मजा ही आयेगा, ऐसा मुझे लगता है"
"अब भाभी, क्यों मेरे को फालतू डराती हो. मेरा और उनका संबंध ही क्या है, याने चाची की बात और थी, उनकी तो मेरी मां के साथ भी इतनी अच्छी पटती है इसीलिये तो मां ने यहां रहने दिया मुझे, लता आंटी के बारे में ऐसा थोड़े होगा"
"तू मूरख है, असल में लता आंटी भी तेरी मां की बहुत दूर की रिश्तेदार हैं, तुझे मालूम नहीं है, वे सालों में मिले नही होंगे ये बात अलग है"
मैं उसकी ओर देखता रहा. फ़िर अस्पष्ट सी याद आयी कि पूना में एक दिन मां ने गप्पें लगाते हुए चाची से दो तीन दूर के रिश्तेदारों के बारे में पूछा था उनमें एक नाम लता का भी था. याने यह वही लता थी?
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