RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
उन्होंने मेरी ओर मुस्करा कर देखा, फ़िर उनकी नजर मेरे तन्नाये लंड पर आ टिकी. शॉक से मैं भोंचक्का सा खड़ा था, मैंने यह एक्सपेक्ट नहीं किया था कि वे सीधे मेरे बेडरूम में आ जायेंगी. मेरे इस तरह नंगे लंड तन्ना कर उनके सामने अचानक आ जाने से थोड़ी शर्म भी लगी और मेरा लंड धीरे धीरे गर्दन झुकाने लगा.
लता आंटी बोलीं "ये भी शर्मीला है बड़ा, तेरी तरह, याने जैसा तू पहले था. स्नेहल ने बताया था." फ़िर वे मेरे पास आयीं, मुझे बाहों में लिया और मेरा एक गहरा चुंबन लिया "बहुत क्यूट है तू विनय, मैं तो कब से इंतजार कर रही थी. फ़िर रहा नहीं गया, सोचा तू नीचे आयेगा, हम कुछ फ़ॉर्मल बोलेंगे, फालतू में टाइम वेस्ट करेंगे. वैसे तू मेरे बारे में क्या सोचता है ये तेरी आंखों में ही दिख गया था मुझे पहले दिन"
कहते कहते वे मुझे पकड़कर पलंग तक ले गयीं और मुझे उसपर गिराकर मेरे ऊपर लेट कर मुझे बेतहाशा चूमने लगीं. उनका एक हाथ मेरे लंड को कस के पकड़ा था. उनके बदन से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी, चुंबन लेते हुए उनके नरम होंठ एकदम कोमल गुलाब की कलियों जैसे लग रहे थे. उनके मुलायम स्तन मेरी छाती पर स्पंज के गोलों जैसे दबे हुए थे.
जल्दी ही मेरा कस के खड़ा हो गया, इतना कस के कि कांपने सा लगा. मैं सातवें आसमान में था, बस सीधे इस जन्नत की हूर जैसी खूबसूरत आंटी के आलिंगन में इस तरह बंध जाऊंगा, यह कभी सोचा भी नहीं था, सब चाची का कमाल था. आंटी की जीभ अब मेरे मुंह में घुस गयी थी और उस गीली रसभरी जुबान का स्वाद लेकर मेरा लंड लोहे की सलाख जैसा तन गया था.
अब लता आंटी की भी सांसें जोर से चल रही थीं. वे उठ बैठीं और अपनी नाइटी निकाल दी. अंदर उन्होंने ब्रा और पैंटी पहनी थी. उनके बदन पर वो पर्पल क्वार्टर कप ब्रा और एकदम छोटी पर्पल पैंटी कितनी जच रही थी, वह ठीक से बताना भी मुश्किल है. ब्रा के कप बस उनके आधे स्तनों को ही ढके थे और उनका गोरा उभरा वक्षस्थल अपनी पूरी सुंदरता में मेरे सामने था. पैंटी एकदम छोटी और तंग थी, उसकी बीच की पट्टी इतनी पतली थी कि बस उनकी बुर की लकीर को भर ढके हुए थी. और उस पट्टी के बाजू से उनकी बुर के काले रेशमी बाल बाहर झांक रहे थे. चाची और नीलिमा की शेव्ड चूत के बाद चाची की सहेली की घनी काली झांटें, क्या कन्ट्रास्ट था!!! अचानक मेरे मन में आया, दीपिका की भी ऐसी ही होंगी क्या? या और घनी होंगी, वो हेयरी गर्ल्स के फोटो होते हैं वैसे!
आंटी फ़िर मेरे लंड पर टूट पड़ीं, जल्दी में थीं, इसलिये पहले हौले हौले चूमना, किस करना, चाटना वगैरह कुछ नहीं किया, सीधे मेरा पूरा लंड निगल कर चूसने लगीं. उनकी जल्दबाजी देखकर मुझे लगा कि शायद लंड को चखे अरसा हो गया होगा उनको. अगर नीलिमा की गप्पें सच थीं तो इसके पहले काफ़ी दिन उन्हें बस लेस्बियन सेक्स ही मिला होगा. मैं सांस रोके उस मीठे असहनीय आनन्द को चखते हुए झड़ न जाऊं, बस इसकी कोशिश करता खड़ा रहा, चाची ने मुझे इतने दिन यही सिखाया था कि असली रसिक पुरुष को झड़ने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिये, अपनी प्रेमिका को अपने खड़े लंड का भरपूर आनंद लेने का मौका देना चाहिये. लता आंटी भी जैसे मेरी परीक्षा ले रही थीं, बीच बीच में नजर उठाकर मेरी आंखों में देखतीं कि हाल कैसा है जनाब का और फ़िर लंड चूसने में लग जातीं.
थोड़ी देर को रुक कर वे उठ कर बैठीं और अपनी पैंटी और ब्रा निकाल दी. मुझे लगा था कि जब हमारी पहली चुदाई होगी तो आंटी बड़े नखरे दिखायेंगी, धीरे धीरे तरसा तरसा कर अपने कपड़े उतारेंगीं. अपने खास अंगों के प्रदर्शन के लिये मुझे वेट करने को मजबू करेंगीं, शायद उन्होंने ऐसा प्लान भी किया होगा पर खुद अपनी वासना के आगे विवश हो गयीं. लगता है उन्हीं को ज्यादा जल्दी थी. उनका नग्न बदन मैंने कल्पना की थी वैसा ही जोबन से खचाखच भरा हुआ था. सच में किसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग लेतीं तो इस उमर में भी तीसरा चौथा नंबर तो आ ही जाता. एकदम प्रमाणबद्ध शरीर, सुडौल स्तन, न बड़े न छोटे और शेपली जांघें.
यह सब ठीक से देख पाता इसके पहले ही लता आंटी मुझपर चढ़ कर बैठ गयीं. अपनी बुर में मेरा लंड घुसेड़ा और मुझे चोदने लगीं. एकदम गीली मखमली म्यान जैसी चुदने को तैयार बुर थी, वो मुझे पहले ही अंदाजा हो गया था जब मैंने उनकी गीली पैंटी बाथरूम में देखी थी.
आंटी मुझे चोदने लगीं. बड़े सधे तरीके से ऊपर नीचे होते हुए वे अपनी चूत से मेरे लंड को निगल और निकाल रही थीं. मैंने हाथ बढ़ाकर उनके मम्मे पकड़ लिये और दबाते हुए नीचे से उनका साथ देने लगा. वे बड़े रुबाब से, बड़ी एरोगेंस के साथ नीचे मेरी ओर देखते हुए चोद रही थीं. आंखों में कुछ ऐसे भाव थे जैसे कह रहे हों कि लड़के, तेरी जगह यही है, ऐसे मेरे नीचे, मेरे अधीन, अब मेरी गिरफ़्त में आ गया है तो अब मुझे खुश करने के अलावा तुझे कुछ सोचना भी नहीं चाहिये.
वह संभोग करीब बीस मिनिट चला. दस मिनिट तो मैंने सह लिया उसके बाद मेरी हालत खराब हो गयी. मैं झड़ने को आ गया. आंटी एक बार झड़ चुकी थीं पर सिर्फ़ दो मिनिट के आराम के बाद उन्होंने मुझे फ़िर चोदना शुरू कर दिया था. एक दो बार जब मैं झड़ने को आ गया तो मुझे लगा था कि जैसे चाची या नीलिमा मुझे संभलने का टाइम देकर रुक जाती थीं, वैसे ही लता आंटी भी रुकेंगीं पर उन्होंने मुझे चोदना चालू रखा. वे बस अपने मन जैसी चुदाई कर रही थीं, मैं उसे कैसे सहता हूं या क्या चाहता हूं, इससे उनका कोई सरोकार नहीम था. उनका भी स्टेमिना गजब का था, कम से कम एक चालीस साल की औरत के हिसाब से तो बहुत अच्छा. चाची भी इसीलिये मुझे ऊपर से बहुत कम चोदती थीं, ज्यादा देर तक ऐसी उठक बैठक के लायक पचास की उमर में उनके पास एनर्जी नहीं थी. पर यहां लता आंटी लगातार बीस मिनिट मुझे चोद रही थीं, किसी एथेलीट की तरह.
आखिर मैंने घुटने टेक दिये, एक हल्की हुंकार के साथ झड़ गया. लता आंटी ने फ़िर भी चोदना बंद नहीं किया, मेरा लंड झड़ने के बाद भी दो तीन मिनिट आधा कड़ा रहता है, उतनी देर वे लगातार चोदती रहीं. झड़े हुए लंड के सुपाड़े की स्किन बहुत सेन्सिटिव हो जाती है, झड़ने के बाद उसपर कोई भी स्पर्ष सहन नहीं होता है इसलिये आप मेरी हालत समझ सकते हैं. मेरा बदन कांपने लगा, मैंने मिन्नत भी की कि ’आंटी प्लीज़ ... बस ..’ तो उन्होंने अपनी हथेली मेरे मुंह पर भींच कर मेरी आवाज बंद कर दी और चोदती रहीं. उस वक्त उनकी आंखों में बड़े सेक्सी भाव थे, प्यार भरी पर एक दुष्ट मुसकान चेहरे पर थी जैसे वे मुझे तड़पाना भी चाहती हों, और सुख भी देना चाहती हों, कह रही हों कि तेरे को सहा नहीं जाता, तो मेरे को फरक नहीं पड़ता, मुझे तो अभी मजा लेना है.
आखिर मेरा लंड एकदम लस्त होकर नुन्नी बनकर उनकी बुर से निकल आया तब उन्होंने चोदना बंद किया. पर लंड को पकड़कर उसे वे अपने क्लिट पर रगड़ती रहीं, शायस उनका दूसरा ऑर्गे़ज़म नहीं हुआ था इसलिये. मैं दांतों तले होंठ दबाये उस मीठे दर्द को सहता रहा. जब उनकी बुर भी स्खलित हो गयी तब वे लंबी सांस छोड़कर मुझपर लेट गयीं.
जब हम अलग हुए तो वे बोलीं. "नॉट बैड विनय बेटे, इतनी यंग एज में काफ़ी सीख गया है तू" लता आंटी मेरी प्रशंसा करते हुए बोलीं. "बहुत कम होते हैं जो इतना टिक पाते हैं."
"आंटी आप भी बहुत अच्छा चोदती हैं, मुझे नहीं लगता कि आप से कोई जीत पायेगा इस खेल में, पर बाद बाद में बहुत सता रही थीं आप आंटी, रहा नहीं जा रहा था"
"ऐसी पीड़ा सहने में भी एक तरह का लुत्फ़ है विनय, वैसे भी यह दर्द एक मीठा दर्द ही होता है, है ना? अभी तू छोटा है, बाद में समझ जायेगा. पेन और प्लेज़र में करीबी नाता है! चल छोड़ ये बातें, तेरी वाइन है ना, कब से आइस में पड़ी हमारा इंतजार कर रही है. अब एक एक पेग तो लेना चाहिये ना" आंटी जाकर वाइन और दो ग्लास ले आयीं. हमने वाइन पी. आंटी चुपचाप मेरी ओर देखती हुई वाइन टेस्ट कर रही थीं. उनकी आंखों में एक वैसा ही सैटिस्फ़ैक्शन था जैसा किसी की आंखों में तब होता है जब किसी मनचाही वस्तु को खरीद के लाने के बाद और चला कर देखने के बाद वह ठीक अपने एक्सपेक्टेशन जैसी चलती है.
वाइन पीते पीते आंटी मेरे लंड से खिलवाड कर रही थीं. कभी हौले हौले मेरी गोटियों को पुचकारतीं. दस मिनिट में फ़िर से मेरा झंडा ऊंचा हो गया.
"शाबास, कितना अच्छा आज्ञाकारी बंदा है ये" आंटी हंस कर लंड को पुचकारती हुई बोलीं. "इतनी जल्दी तैयार हो गया अपनी मालकिन की सेवा करने के लिये. चलो विनय, जरा लंबी बाजी हो जाये अब, ऐसे थोड़ा सा खेल कर मेरा मन नहीं भरता. और आज पहली बार है तो तेरे साथ जरा लंबा मैच खेलना चाअती हूं"
उस रात हमने बस चुदाई की. करने को इतने चीजें थीं, आंटी का अंग अंग प्यार करने जैसा था, हर अंग के रस का स्वाद लेने जैसा था, खास कर उनकी उस रस से भरी बुर के तो मैं जीभ लगाने इतना पास भी नहीं पहुंच पाया था, ... और उनके वो परफ़ेक्ट गोल नितंब! वैसे उनतक पहुंचने में टाइम लगेगा मैं जानता था. सब रह गया, बस चूत और लंड की रात भर कुश्ती होती रही.
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