RE: Chodan Kahani तीन देवियाँ
ज़िप का खुलना था के मेरा मूसल जैसा लंड मेरे शॉर्ट्स के अंदर से किसी साँप की तरह से तड़प के बाहर निकल गया और ऋतु के मूह के सामने हिलने लगा तो ऋतु एक दम से घबरा गई और उसका
मूह डर के मारे खुल गया और उसके मूह से फिर से निकला “अरे बाप रे” और सडन्ली उसका मूह थोड़ा सा पीछे हट गया तो मैं हंस दिया और बोला के क्या हुआ कभी लंड देखा नही क्या? तो उसने अपना सर हिला दिया और कहा देखा तो है पर इतना बड़ा और मोटा नही देखा. एक बार फिर से ऋतु बोलने लगी राजा बाबू प्लीज़ किसी से कुछ भी नही कहना हमारे बारे मे नही तो मैं मर जाउन्गी तो मैं ने फिर से दिलासा दिलाया के मैं किसी से नही बताउन्गा बस मैं जैसा कहु तू वैसे ही करती जा तो उसने कहा ठीक है आप जैसा कहेंगे मैं करूगी पर प्लीज़ मैं ने उसे और कुछ कहने नही दिया और उसका मूह अपने लंड पे लगा दिया.
पहले तो वो समझी नही के क्या करना है तो मैं ने फिर से उसका हाथ पकड़ के अपने लंड पे रखा और वाइज़ ही उसके लिप्स पे अपने लंड का सूपड़ा घुमाने लगा. उसने अपना मूह बंद कर रखा था. शाएद उसे पता नही था के उसको मेरा लंड चूसना है.
अब पोज़िशन ऐसी थी के मैं चेर के एड्ज पे बैठा था, ऋतु मेरे दोनो पैरो के बीचे मे घुटनो के बल बैठी थी. मेरा मूसल लंड उसके मूह के सामने हिल रहा था. मैं ने अपने लंड को अपने हाथो से पकड़ के उसके मूह मे घुसाना शुरू किया तो उसने मूह नही खोला पर सूपड़ा उसके होंठो के बीचे मे घुस के उसके दांतो से रगड़ने लगा. मैं ने ऋतु से कहा चल अब जल्दी से मूह खोल ज़ियादा नखरे मत कर तो वो मेरी तरफ देखने लगी तो मैं ने कहा हा चल खोल मूह जल्दी से और ले इसको चूस. ऋतु ने अपना मूह थोड़ा सा खोला और मेरे लंड को ऐसे मूह मे लिया जैसे टेस्ट कर रही हो और फॉरन ही मूह हटा लिया. अब मैं ने अपने लंड को ज़बरदस्ती घुसाया तो उसने मूह खोल दिया और मेरा लंड उसके मूह मे घुस्स गया पर उसने चूसा नही ऐसे ही मूह खुला रखा तो मैं ने लंड को थोड़ा प्रेशर दिया तो लंड उसके थ्रोट तक घुस्स गया और उसके मूह से आआग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह गगगगगगगगघह जैसी आवाज़ निकल गई और उसके गले की रगे तंन के मोटी हो गई और उसकी आँखें बाहर को निकल गई और उसने अपना मूह लंड से बाहर खेचना शुरू किया तो मैं ने कहा अगर नही चूसेगी तो ऐसे ही हलक़ के अंदर तक घुसा दूँगा तो उसने बिना कुछ कहे अपना सर हिला दिया तो मैं ने उसके सर पे से अपना हाथ ढीला कर दिया.
अब ऋतु ने अपना मूह ऊपेर नीचे कर के मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया था. मैं ने अपना हाथ उसके सर पे रख दिया और उसके मूह को चोदने लगा. ऋतु थोड़ी देर तक ऐसे ही मेरे लंड को चूस्ति रही फिर मैं ने उसका मूह अपने लंड से हटा दिया तो उसने इत्मेनान की साँस ली और समझी के शाएद उसका काम ख़तम हो गया और वो अपनी जगह से उठने लगी तो मैं
ने कहा चल अब अपने कपड़े उतार तो वो मेरी तरफ दया की नज़रो से देखने लगी तो मैं ने कहा चल जल्दी कर तो उसने कहा क्यों बाबू कपड़े क्यों उतारू. मुझे लज्जा आती है प्लीज़ बाबू ऐसे ना करो ना तो मैं ने कहा अपनी चूत चटवाने और अनु और शालु की चूतो को चाटने के टाइम पे तो कपड़े उतार के नंगी हो जाती है तब तुझे लज्जा नही आती और मेरे सामने नंगी होते तुझे लज्जा आती है चल उतार जल्दी से, तो उसने कुछ नही कहा अपनी जगह से उठ के खड़ी हो गई तो मैं ने कहा चल जल्दी कर मैं तुझे नंगी देखना चाहता हू. उसने एक बार फिर से दया की नज़रो से देखा तो मैं ने अपनी उंगली को ऐसे नीचे से ऊपेर किया जैसे कह रहा हू के जल्दी से निकाल. ऋतु पलट गई और अपने शर्ट के बटन्स खोलने लगी तो मैं ने कहा हे इधर पलट के खोल मैं तुंझे नंगा होते देखना चाहता हू. इतनी देर मे एक ज़बरदस्त बिजली चमकी और गूँज से बारिश और ज़ियादा तेज़ हो गई. बारिश इतनी तेज़ी से हो रही थी जैसे लगता था के दिन के 11 नही रात के 11 बजे हैं. बाहर का मौसम तो ठंडा था पर कमरा और मैं गरम था. ऋतु ने एक बार फिर से कोशिश की के बाबू ठंड लग रही है तो मैं ने उठ के कमरे की खुली हुई विंडो भी बंद कर दी जिस से कमरे मे बाहर की ठंडी हवा आ रही थी. इतनी तूफ़ानी बारिश मे किसी के आने की उम्मीद नही थी और घर का मैन डोर भी लॉक था. मम्मी और डॅडी भी शाम से पहले घर आने वाले नही थे. घर मे मेरे और ऋतु के सिवा कोई नही था. इसी लिए ऋतु को तडपा तडपा के इत्मीनान से चोदना चाहता था और वो किसी नन्ही सी मासूम कबूतरी की तरह से डरी सहमी बड़ी अछी लग रही थी जिसे देख के मेरे लंड मे एक नया जोश आ गया था..
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