kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
06-27-2018, 12:01 PM,
#32
RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
निधि की समझ से यह बात कोसों दूर थी.. वो तो बस मज़े लेने में लगी हुई थी। उसको कहा ध्यान था कि जेम्स की बातों का मतलब क्या है।
निधि- बस.. मेरा मुँह दुखने लगा है.. अब तुम मेरी फुद्दी चाटो ना..
जेम्स- हाँ क्यों नहीं.. मेरी रानी.. अब तू गर्म हो गई है.. तेरी फुद्दी चटकार तुझे आग की भट्टी बना दूँगा.. उसके बाद चोट करूँगा..
रानी के दोनों पैर मोड़ कर.. जेम्स उसके पैरों के बीच बैठ गया.. और उसकी चूत को चाटने लगा। अपनी उंगली पर थूक लगा कर थोड़ा अन्दर घुसने लगा ताकि उसकी चूत थोड़ी खुल जाए।
निधि- आह्ह.. सस्स नहीं.. आह्ह.. क्या कर रहे हो.. दुख़ती है.. आह्ह.. नहीं उफ..
जेम्स- अभी कहाँ दुख़ती है मेरी जान.. जब ये बम्बू अन्दर जाएगा.. तब दुखेगा.. अभी तो तू बस मज़ा ले..
निधि- आह्ह.. अईह्ह.. चाटो.. मज़ा आ रहा है.. ये क्या आह्ह.. बोल रहे हो.. ये कैसे अन्दर आ जाएगा.. मेरी फुद्दी कितनी छोटी सी है.. आहह सस्स सस्स.. और ये कितना बड़ा है.. ना बाबा ना.. मैं तो मर ही जाऊँगी.. आह्ह.. बस ऐसे ही चाटो..
जेम्स अब ज़ोर-ज़ोर से चूत को चाटने लगा था.. निधि एकदम गर्म हो गई थी। वो कमर को हिलाने लगी थी।
बस जेम्स ने मौका देखा और चूत को चाटना बन्द किया.. खुद उसके पैरों के बीच बैठ गया.. लौड़े को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
निधि- आह उहह.. नहीं जेम्स.. ये ना जा पाएगा.. आह्ह.. नहीं आह्ह..
जेम्स- अरे डाल कहाँ रहा हूँ.. बस ऊपर रगड़ रहा हूँ.. मैंने कहा था ना इस लौड़े से तेरा पानी निकालूँगा।
निधि- उफ़फ्फ़ आह.. तब ठीक है.. अहह.. करते रहो.. मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. उफ़फ्फ़.. जेम्स ज़ोर-ज़ोर से रगड़ो.. आह्ह.. मुझे पहले जैसा हो रहा है.. मेरा सूसू आह्ह.. नहीं नहीं.. मेरा रस आ रहा है आह्ह..
जेम्स ने जल्दी से ढेर सारा थूक लंड पर लगाया.. निधि झड़ने लगी थी। उसका रस बाहर आ रहा था.. यही मौका था.. उसकी चूत एकदम चिकनी थी, जेम्स ने हाथ से चूत को फ़ैलाया.. और सुपारा सैट करके एक धक्का मारा.. उसकी टोपी अन्दर फँस गई।
निधि तो कामवासना में तड़प रही थी.. उसका पानी अभी रुका भी नहीं था कि जेम्स का मोटा बम्बू.. उसकी चूत में घुस गया.. वो तड़प उठी..
निधि- आह नहीं.. जेम्स आह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. नहीं ये ना जाएगा.. आह्ह.. निकालो आह्ह..
जेम्स- अरे रानी.. अभी तो बस मुँह अन्दर किया है इसका.. अभी से काहे छटपटा रही है.. अब देख.. बस थोड़ा सा सहन कर ले.. फिर हवा में ना उड़ने लगे.. तो कहना मुझे..
जेम्स ने निधि के निप्पल को मुँह में लिया और कमर को झटका मारा 3″ लौड़ा निधि की सील तोड़ता हुआ अन्दर घुस गया और दिल को दहला दे.. ऐसी चीख निधि के मुँह से निकली..
वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी.. अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगी.. मगर जेम्स ने उसके दोनों हाथों को मजबूती से जकड़ लिया था।
जेम्स- अबे कितना चिल्लाएगी.. चुप.. कोई आ जाएगा..
निधि लगातार रोए जा रही थी.. जेम्स ने उसके होंठों को जकड़ा और एक जोरदार धक्का मारा.. पूरा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.. उसकी चूत से खून रिसने लगा।
निधि दर्द के कारण बेहोश हो गई.. मौके का फायदा उठा कर जेम्स दनादन लौड़ा पेलने लगा.. वो जल्द से जल्द चूत को ढीला करना चाहता था ताकि होश में आने के बाद निधि को ज़्यादा दर्द ना हो और वो आराम से चुदवाए।
रानी- हे राम.. आदमी हो या शैतान उस पर ज़रा भी रहम ना आया तुझे?
जेम्स- अरे तू लौड़ा सहलाती रह.. अभी तो मज़ा आ रहा था और कैसा रहम.. उसको चोद कर मैंने कोई गुनाह नहीं किया.. बल्कि मज़ा लेने लायक बना दिया.. समझी..
रानी- अच्छा अच्छा.. बड़ा आया लायक बनाने वाला.. चल आगे बता..
जेम्स- साली निधि की चुदाई बताते हुए लौड़ा कैसे झटके खा रहा है.. तू कर ना.. मज़ा आ रहा है..
रानी दोबारा लौड़े को सहलाने लगी और जेम्स उसको आगे की कहानी सुनने लगा।
निधि को अब होश आने लगा था.. उसकी चूत दर्द से फटी जा रही थी और जेम्स उसको चोदे जा रहा था।
निधि- आह न..नहीं.. एयेए जेम्स.. मैं मर जाऊँगी.. आह्ह..
जेम्स- अरे बस.. थोड़ी देर रुक.. आह्ह.. उहह.. मेरा वीर्य निकलने ही वाला है.. उहह उहह.. तेरी फुद्दी अब मेरा पूरा लौड़ा निगल गई है.. अब कैसा दर्द.. आह्ह.. उहह..
निधि को उत्तेजना का पता भी नहीं चल रहा था.. वो तो बस दर्द से कराह रही थी। इधर जेम्स के लौड़े ने उसकी चूत को पानी से भर दिया और सुकून की लंबी सांस ली।
रानी- हाय रे बेचारी निधि.. कितना दुखा होगा उसको..
जेम्स- उसकी छोड़.. आह्ह.. तू ज़ोर से कर.. आह्ह.. मेरा रस आने वाला है.. आह्ह.. मुँह में लेके चूस आह्ह..
जेम्स ने ज़बरदस्ती अपना लौड़ा रानी के मुँह में ठूँस दिया और झटके देने लगा। कुछ ही देर में उसका रस निकल गया.. जिसे रानी पूरा गटक गई और मज़े से उसके लौड़े को जीभ से चाट कर साफ कर दिया।
जेम्स- आह्ह.. मज़ा आ गया रानी.. बस ऐसे ही तू मेरे साथ रहना.. देखना तुम्हें ऐसा मज़ा दूँगा कि तू जिंदगी भर मुझे भूल नहीं पाएगी..
रानी- हाँ देखे तेरे मज़े.. खुद तो मेरे मुँह को पानी से भर दिया.. मेरी चूत का हाल पूछा कि उसको क्या चाहिए.. वो अभी कैसी है..
जेम्स- अरे जानता हूँ रानी.. तू निधि की बात सुनकर गर्म हो गई है.. अब पहले ही मान जाती तो तेरी फुद्दी को लौड़े से ठंडा कर देता.. ला अब चाट कर ही पानी निकाल देता हूँ।
रानी- हाँ ये सही रहेगा.. वैसे भी चूत बहुत गर्म है.. जल्दी पानी निकल जाएगा.. उफ़फ्फ़ गीली तो पहले से हो गई..
रानी ने कपड़े निकाले तो जेम्स ने जल्दी से चूत को चाटना शुरू किया जैसे बस वो उसका भूखा हो।
कुछ देर में ही रानी झड़ गई.. क्योंकि वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित थी।
जेम्स- वाह.. मज़ा आ गया तेरा रस तो कमाल का है, अब इतना सब हो ही गया तो एक बार कर लेते हैं ना..
रानी- अरे नहीं नहीं.. माई जाग गई तो शक करेगी.. अच्छा तूने आगे नहीं बताया कि निधि का क्या हुआ.. उसको खून निकल आया.. तो वो घर कैसे गई.. सब बताओ ना जल्दी से..
जेम्स- अच्छा.. अब तेरी माई को शक नहीं होगा.. ये सब बताने में समय कितना लगेगा.. अभी लंबी कहानी है।
रानी- जल्दी-जल्दी बता दे ना.. मुझे पूरी बात जाननी है?
जेम्स- अच्छा ठीक है.. सुन थोड़ी देर बाद निधि ने बैठने की कोशिश की तो उसकी फुद्दी में बहुत दर्द हुआ.. वो रोने लगी।
मैंने सहारा दिया.. तब जाकर बैठ पाई और जैसे ही उसने खून देखा.. उसकी हालत पतली हो गई।
मैंने बहुत समझाया कि ये तो तेरी फुद्दी के खुलने का सगुन है.. तब कहीं जाकर वो मानी।
रानी- उसके बाद दोबारा किया या नहीं.. या ऐसे ही छोड़ दिया उसको?
जेम्स- अरे किया ना.. पहले पास के कुंए से एक बाल्टी पानी लाया.. उसकी फुद्दी को अच्छे से साफ किया और अपने लौड़े को भी.. उसके बाद उसे दोबारा गर्म किया.. उसकी फुद्दी चाट कर… और बस दूसरी बार फिर से वही चीखने चिल्लाने का दौर शुरू हो गया।
रानी- इतने दर्द को झेलने के बाद भी.. वो दूसरी बार के लिए राज़ी कैसे हो गई?
जेम्स- अरे मैं किस मर्ज की दवा हूँ.. ऐसा चक्कर चलाया कि बस मान गई और ऐसा चोदा कि बस मज़ा आ गया। तू मानेगी नहीं मैंने उस दिन 4 बार उसकी चुदाई की.. तब कहीं जाकर मेरे लौड़े को सुकून मिला।
शाम को उसे घर तक ले जाने में बड़ी मुश्किल पेश आई.. साली से चला नहीं जा रहा था.. गोद में उठा कर लेके गया..
रानी- किसी ने देखा नहीं तुमको जाते हुए?
जेम्स- अरे नहीं शाम का समय था.. यहाँ से निकला.. तो कोई नहीं मिला.. उसके घर से कुछ पहले एक आध जन ने पूछा.. तो मैंने बता दिया कि मैं आ रहा था.. इसे रास्ते में रोता देखा… इसके पैर में मोच आई है.. तो उठा लाया..
रानी- बहुत चालाक है रे तू..
जेम्स- वो तो हूँ.. इसमें क्या शक है.. चल अब तू जा.. ऐसे बैठी रहने से क्या फायदा.. चुदवाती तो है नहीं..
रानी- अच्छा पहले मैं जाती हूँ.. उसके बाद तू जाना.. ठीक है..
जेम्स ने उसकी बात मान ली और उसके बाद वहाँ से निकल गया।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे.. मैं ये कहानी कहाँ से कहाँ ले गई.. मगर ये पार्ट बताना जरूरी था। अब क्यों.. इसका जवाब बाद में मिल जाएगा। 
मगर ये सोचने की बात है कि निधि की भाभी ने अपनी हवस को पूरा करने के लिए कैसे उस बेचारी का इस्तेमाल किया। ये बहुत ग़लत है.. कभी भी अपने फायदे के लिए किसी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
सॉरी.. क्या लेके बैठ गई मैं.. अब वापस रश्मि के पास चलते हैं, जानते हैं कि वहाँ क्या हो रहा है।
आप तो जानते ही हो.. रश्मि अपने कमरे में आकर सो गई थी और वहाँ से आने के बाद उसको बड़ी मस्त नींद आई। वो घोड़े बेच कर सो गई..
करीब 9 बजे विजय के फ़ोन पर रंगीला का फ़ोन आया.. जिसकी रिंग से उसकी आँख खुली..
विजय- हैलो.. क्या यार.. सुबह-सुबह नींद खराब कर दी.. क्या हुआ?
रंगीला- अरे क्या हुआ.. 9 बज गए.. अब तो उठ जाओ… जल्दी फ्रेश होकर मुझे फ़ोन करना.. कोई जरूरी बात है..
विजय- क्या बात है.. बता ना यार?
रंगीला- नहीं पहले उठ.. नाश्ता कर.. जब फ्री हो जाए.. तो मुझे कॉल कर लेना..
रंगीला के फ़ोन काटने के बाद विजय बाथरूम चला गया। उधर जय रात से बेसुध सोया पड़ा था.. उसकी भी आँख जब खुली.. तब वजह थी कि उसको ज़ोर से पेशाब लगी थी। वो जल्दी से उठा और बाथरूम चला गया। जब वो पेशाब कर रहा था.. तब उसकी नींद टूटी और उसके लौड़े ने रात में क्या कांड किया.. उसको समझ में आ गया।
वो टेन्शन में आ गया.. और अपने आपसे बोलने लगा- ओह्ह.. शिट.. यह क्या हो गया साला लौड़ा कैसे फेल हो गया.. गुड्डी भी साथ सोई थी.. कहीं उसने देख तो नहीं लिया.. वो कहाँ चली गई.. साला ये क्या कांड हो गया।
जय इसी टेन्शन में फ्रेश होकर.. अपने कमरे से बाहर निकला.. तो काम्या उसे सामने मिली।
जय- मॉम गुड्डी कहाँ है?
काम्या- अरे बेटा.. बहुत दिनों के बाद आई है ना.. तो सो रही है.. मैंने भी उसको नहीं उठाया।
जय- ओके.. ठीक है.. आप ऊपर क्यों आई थीं.. कोई काम था क्या?
काम्या- अरे तुमको ही उठाने आई थी। मैं मंदिर जा रही हूँ.. वहाँ आज बाबाजी आए हुए हैं देर से आऊँगी… तुम नाश्ता कर लेना और अपनी बहन को कहीं बाहर ले जाना.. बेचारी हॉस्टल में कितना अकेलापन महसूस करती होगी.. तुम उसको कुछ शॉपिंग भी करवा देना.. ठीक है..
जय ने ‘हाँ’ कहा और विजय के कमरे में चला गया.. वो अभी बाथरूम में ही था।
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम - by sexstories - 06-27-2018, 12:01 PM

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