kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
06-27-2018, 12:06 PM,
#52
RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
जय बरमूडे के ऊपर से लौड़े को मसलता हुआ बोला- नहीं यार मुझे बहुत गर्मी लग रही है.. कुछ तो गड़बड़ है.. एसी में..
रश्मि मुस्कुराते हुए जय के पास आई और लौड़े पर हाथ रखते हुए उसने कहा- भाई गड़बड़ एसी में नहीं.. आपकी नियत में है.. आपका ये जम्बूजेट कैसे खड़ा है.. उसकी वजह से आपको गर्मी लग रही है।
जय- क्या करूँ.. मेरी प्यारी बहना.. तेरी जवानी है ही ऐसी.. देख के साला लौड़ा अपने आप खड़ा हो जाता है।
रश्मि- अच्छा ये बात है.. अपनी ही बहन पर बुरी नज़र रखते हो आप..
जय ने रश्मि के बाल पकड़ कर खींचे और उसकी गर्दन मोड़ कर एक जोरदार सा किस कर दिया।
जय- अगर बहन तेरी जैसी पटाखा हो.. तो भाई अपने आपको कब तक संभाल पाएगा।
रश्मि- उफ्फ.. आप तो बहुत गर्म हो गए हो.. अब तो आपको ठंडा करना ही पड़ेगा। वैसे भी मेरी चूत सुबह से आपके लौड़े को याद कर-कर के टप-टप टपक रही है।
जय- ना ना.. मेरी रश्मि.. मेरा लण्ड तेरी चूत के लिए नहीं.. नर्म-नर्म गाण्ड को याद करके तना हुआ है.. तुमने वादा किया था ना.. आज गाण्ड मरवाओगी मुझसे..
रश्मि- नहीं भाई.. गाण्ड को रहने दो ना.. बहुत दर्द होगा.. आप चूत से ही काम चला लो।
जय- नहीं मेरी जान.. वादा मत तोड़ो.. मेरी नज़र तेरी गाण्ड से हट नहीं रही है.. बस एक बार इसमें लौड़ा पेल दूँ.. तो मुझे सुकून मिल जाएगा।
रश्मि- भाई आग तो मेरी चूत में लगी है.. आप गाण्ड मारोगे.. तो मुझे मज़ा कैसे आएगा?
जय- मेरी जान.. तू फिकर क्यों करती है.. तेरी गाण्ड के साथ-साथ तेरी चूत की आग भी मिटा दूँगा। तू बस देखती जा.. आज तेरी ठुकाई करके ऐसा मज़ा दूँगा तुझे.. कि तू याद रखेगी।
रश्मि आँखों को घूमते हुए मुस्कुरा कर बोली- अच्छा ठीक है भाई मगर ये वक्त ठीक नहीं रहेगा.. रात को करेंगे.. अभी कोई आ गया तो?
जय- मेरी जान टेंशन मत ले.. मैं बस तुम्हें बताने आया हूँ.. सो मत जाना.. मैं थोड़ा बाहर जाकर आता हूँ.. उसके बाद आकर सीधा तेरे पास आ जाऊँगा.. तू बस टाँगें फैला कर तैयार रहना..
रश्मि- ओह्हो.. क्या बात है.. अब कहाँ जा रहे हो.. आप तो सुबह से तो बाहर ही थे।
जय- मेरी जान.. आकर बता दूँगा.. ठीक है.. अब तू आराम कर ले.. जितना करना है.. उसके बाद तो पूरी रात तुझे चैन नहीं लेने दूँगा।
रश्मि- ओह्ह.. अच्छा चलो देखते हैं आज ऐसा क्या करोगे आप..
जय मुस्कुराता हुआ वहाँ से निकल गया और रश्मि बिस्तर पर लेट गई।
वहाँ से निकल कर जय विजय के पास गया और उसे कहा- थकान उतारने का एक ही तरीका है.. थोड़ी-थोड़ी बीयर मार आते हैं।
विजय भी मान गया और दोनों वहाँ से निकल गए। 
दोस्तो, काफ़ी दिनों से साजन और उसके दोस्तों के बारे में मैंने कुछ नहीं बताया, आज बता देती हूँ।
रंगीला वहाँ से निकल कर सीधा इनके पास आया। ये तो अपने पीने के प्रोग्राम में मस्त थे.. तभी रंगीला वहाँ आ गया।
रंगीला- क्या बात है सालों.. तुम तो शुरू हो गए.. लाओ आज मैं भी तुम्हारे साथ दो पैग लगा देता हूँ।
सभी बैठकर पीने लगे और साजन जिज्ञासा में पूछने लगा- अब हमें आगे क्या करना है?
रंगीला- करना क्या है.. उस साले जय की बैंड बजानी है.. कल पार्टी में खूब मज़ा करेंगे.. उसके बाद साले कुत्ते को जलील करना है.. उसके लिए ही मैं यहाँ आया हूँ।
साजन- मुझे पता है भाई.. आप ऐसे तो आने वाले हो नहीं.. कोई तो प्लान लेकर ही आए होगे.. बताओ क्या करना है?
रंगीला- अबे बता दूँगा.. इतनी क्या जल्दी है.. पहले थोड़ा नशा तो होने दे.. वैसे भी अभी अभी एक मस्त माल को चोदकर आ रहा हूँ।
साजन- ओए होए.. भाई क्या बात है.. आपको कहाँ से मिल जाती है साली मस्त माल.. हमको तो रंडियाँ भी आजकल भाव नहीं देतीं.. वैसे साली रश्मि के मम्मों को छुआ तो करंट सा आ गया था भाई.. प्लीज़ कल मना मत करना.. साली को डान्स के बहाने मैं थोड़ा तो टच करके मज़ा ले ही लूँगा।
रंगीला- जा साले ले लेना.. मगर ज़्यादा कुछ मत करना।
साजन- अरे वाह्ह.. जिओ भाई.. मज़ा आ गया.. आपने ‘हाँ’ कह दी.. बस अब बाकी मुझ पर छोड़ दो.. कल साली को छूकर मज़ा लूँगा.. मगर आपने इतनी आसानी से हाँ कह दी.. इसमें कुछ तो बात होगी.. ऐसे आप हाँ कहने वाले नहीं।
सुंदर- अरे इसमें क्या बात होगी?
आनंद- साजन भाई.. आप भी ना बॉस की हर बात को शक से देखते हो।
रंगीला- चुप रहो सालों.. चमचों.. ये साजन बहुत हरामी है साला.. सब समझ जाता है और सही भी है.. मैंने ऐसे ही नहीं हाँ कही.. ये कल का प्लान है। अब पूरी बात सुनो.. तुम्हें कल क्या करना है।
रंगीला ने पूरा प्लान समझाया तो तीनों की आँखों में चमक आ गई।
साजन- वाह्ह.. हाँ भाई मुझे लगा ही था कुछ तो गड़बड़ है.. साली रंडी को कल देखना.. कैसे मज़ा देता हूँ और उस कुत्ते को भी सबक़ सिखा देंगे। बस जल्दी से कल की रात आ जाए।
वो सभी पीने के मज़े लेने लगे और रश्मि के बारे में गंदी बातें करने लगे उधर विजय और जय भी एक जगह बीयर पी रहे थे।
विजय- भाई कल पार्टी है.. रश्मि भी साथ होगी, वहाँ का माहौल आपसे छुपा नहीं है.. मैं तो सोच कर टेंशन में आ रहा हूँ.. कल क्या होगा?
जय- अरे कुछ नहीं होगा.. रश्मि को मैं सब समझा दूँगा। वैसे भी फार्म के गेम से तो ज़्यादा कुछ नहीं होगा ना.. वहाँ जब वो उसके लिए मान गई.. तो यह पार्टी क्या चीज़ है..

विजय- अपने रश्मि को बता दिया कि वहाँ क्या होगा?
जय- पूरी बात नहीं बताई.. बस आधी-अधूरी बताई है। तुम फिकर मत करो.. वहाँ कुछ नहीं होगा.. जीतना तो मुझे ही है.. तो पहले से क्यों रश्मि को बता कर गेम को ख़तरे में डालूँ.. हाँ सही है ना?
विजय- हाँ सही है भाई.. मगर वहाँ ग़लती से आप हार गए तो क्या होगा.. यह आपने सोचा है?
जय- उस साजन की माँ की चूत.. वो क्या हराएगा मुझे साला कुत्ता..
विजय- हाँ आप जीतोगे.. मगर हार के भी चान्स है. मैं बोल नहीं सकता.. गेम है कुछ भी हो सकता है। अगर हार गए तो क्या होगा.. ये अपने सोचा है क्या?
जय ने बोतल को मुँह से लगाया और बाकी की बीयर एक सांस में पीकर बोला- देख यार.. हारने का तो सवाल ही नहीं उठता.. फिर भी तेरी बात मान ली जाए.. तो साले उस कुत्ते के मुँह पर पैसा फेंक दूँगा.. लेकिन रश्मि को कुछ नहीं होने दूँगा।
विजय- वो मानेगा क्या? कहीं ऐसा ना हो.. जिस ज़ुबान के लिए ये सब हो रहा है.. वही ना रहे?
जय- बस यार मूड खराब मत करो.. जो होगा देखा जाएगा.. चलो अब घर जाकर खाना भी खाना है.. रश्मि वेट कर रही होगी।
दोनों वहाँ से निकले.. रास्ते में जय ने सर दर्द का बहाना करके गाड़ी मेडिकल स्टोर पर रोकी और उतार कर दवा लेने चला गया। वहाँ से उसने अपने मतलब की कामोत्तेजक दवा ले ली और वापस गाड़ी में आ गया।
इधर रश्मि को जोरों की भूख लगी हुई थी। वो दोनों का वेट कर रही थी.. तभी वो दोनों आ गए।
रश्मि- क्या भाई.. कहाँ चले गए थे.. मैं कब से भूखी बैठी हूँ।
जय ने ‘सॉरी’ कहा और बिना कपड़े चेंज किए.. वो खाने के लिए बैठ गए।
काका ने खाने के साथ ‘जूस’ भी दे दिया।
अब वो खाने के साथ बातें करने लगे, जब खाना फिनिश हो गया तो सोने के लिए सब अपने कमरों में चले गए।
रश्मि को पता था.. जय कभी भी आ जाएगा.. तो उसने जल्दी से एक सेक्सी नाईटी पहन ली और बिस्तर पर चादर डालकर सो गई।
कुछ देर बाद जय ने देखा कि विजय बीयर के नशे में मस्त होकर सो गया है.. तो वो भी अपने लौड़े की आग मिटाने रश्मि के पास चला गया।
रश्मि को पता लगा कि जय आ गया तो उसने सोने का नाटक शुरू कर दिया जय उसके पास आकर बैठ गया।
जय- रश्मि.. अरे यार क्या है यह.. मैंने कहा था ना.. फिर भी सो गई.. उठो ना यार.. प्लीज़..
रश्मि नींद से जागने का नाटक करती हुई बोली- क्या भाई सोने दो ना.. बहुत अच्छी नींद आ रही है.. मेरा पूरा जिस्म अकड़ा हुआ है.. प्लीज़ सोने दो..
जय- अरे मेरी जान.. सोने में क्या रखा है.. तेरा बदन अकड़ रहा है.. यहाँ देख मेरा लौड़ा अकड़ा हुआ है.. प्लीज़ यार उठ ना..
रश्मि मन ही मन हँस कर मज़ा ले रही थी, उसने दोबारा मना कर दिया और सो गई।
जय- यार रश्मि.. प्लीज़ ऐसा मत करो.. आज तो मैंने कामोत्तेजक दवा भी ले ली है.. अब चुदाई के बिना पूरी रात मेरी हालत खराब हो जाएगी.. प्लीज़ मान जाओ ना..
गोली का नाम सुनते ही रश्मि झट से बैठ गई और जय को घूरने लगी।
रश्मि- ओह्ह.. अच्छा ये बात है.. बिना चुदाई के आपकी हालत खराब हो जाएगी.. और अगर मैंने ‘हाँ’ कर दी तो मेरा क्या होगा.. आपको किसने कहा था दवा लेने के लिए.. जाओ मैं नहीं चुदवाती.. पता नहीं कितनी बार चोदोगे मुझे..
जय- यार प्लीज़.. कुछ हालत खराब नहीं होगी.. तुम मना करोगी तो नहीं करूँगा.. प्लीज़ मान जाओ यार..
वैसे तो रश्मि पर भी जूस का नशा चढ़ गया था.. मगर वो बस जय के साथ मस्ती कर रही थी।
रश्मि- हा हा हा.. देखा कैसे उल्लू बनाया हा हा हा मैं तो मजाक कर रही थी भाई.. आपके लौड़े को प्यासा रख कर मैं सो सकती हूँ क्या?
इतना सुनते ही जय खुश हो गया और बिस्तर पर रश्मि को पटक कर किस करने लगा.. उसके मम्मों दबाने लगा।
रश्मि- आह्ह.. ऑउच.. भाई.. आराम से आइ.. धीरे दबाओ ना.. दु:खता है।
जय- बस मेरी जान.. आज की बात है.. फिर कुछ नहीं दु:खेगा.. आज तेरी गाण्ड मार लूँ आराम से.. उसके बाद तू चुदाई के लिए एकदम पक्की हो जाएगी… फिर चाहे आगे डालो या पीछे.. तुझे मज़ा ही आएगा।
रश्मि- मुझे पक्की होकर कौन सा चुदते रहना है।
जय- क्या पता कभी एक से ज़्यादा लोगों से चुदना पड़ जाए.. पक्की रहोगी तो तकलीफ़ कम होगी।
रश्मि- ये क्या बकवास बात कर रहे हो आप? मैं क्यों चुदूँगी.. किसी से.. आपका मुझे क्या रंडी बनाने का इरादा है क्या?
जय समझ गया अभी इसको बताने से काम बिगड़ जाएगा.. तो उसने बात को टाल दिया।
जय- अरे मजाक कर रहा हूँ मेरी जान.. चल अब बातें बन्द कर.. जल्दी से अपनी मस्त गाण्ड का दीदार करवा दे।
रश्मि- डायरेक्ट गाण्ड ही मारोगे क्या.. पहले थोड़ी मस्ती तो कर लो..
जय ने कुछ कहा नहीं.. सीधा बिस्तर पर रश्मि को पटक दिया और उसके होंठ चूसने लगा।
रश्मि भी मस्ती में आ गई और उसका साथ देने लगी, कुछ ही देर में दोनों चूमते-चूमते एक-दूसरे के कपड़ों को निकालने लगे।
अब दोनों एकदम नंगे हो गए थे।
जय का लण्ड तो लोहे जैसा सख़्त हो गया था, एक तो गोली का असर और दूसरा ऐसी क़ातिल जवानी पास में हो.. तो लौड़ा अपने आप ही अकड़ जाएगा।
रश्मि- अरे भाई, ये आपके लौड़े को क्या हो गया.. कैसे झटके खा रहा है.. लगता है इसको घुसने की बड़ी जल्दी है।
जय- अरे इसको पता है.. आज मुलायम गाण्ड का मज़ा मिलने वाला है।
रश्मि- हाँ मिलेगा.. लेकिन उसके पहले मेरे प्यारे होंठ इसको मज़ा देंगे.. फिर ये मेरी चूत की आग मिटाएगा.. उसके बाद लास्ट में गाण्ड का मज़ा मिलेगा.. समझे इतनी आसानी से नहीं..
जय- अरे यार ये क्या बात हुई.. पहले गाण्ड मारने दो ना प्लीज़..
रश्मि- नो वे.. आपने तो गोली खा रखी है… शुरू में गाण्ड मारोगे तो पता नहीं कितना दर्द होगा.. पहले मुझे ठंडी कर दो.. फिर आराम से मारते रहना।
जय ने ज़्यादा ज़िद नहीं की और मान गया। उसके बाद दोनों चूमा-चाटी में लग गए। दोनों 69 के पोज़ में आ गए और एक-दूसरे के चूत और लण्ड को चूसकर मज़ा लेने लगे।
कुछ देर बाद रश्मि ने कहा- अब बस बर्दाश्त नहीं होता.. घुसा दो लौड़ा चूत में.. और बुझा दो इसकी प्यास!
जय ने रश्मि के पैर कंधे पर डाले और लौड़े को चूत पर सैट करके जोरदार झटका मारा.. पूरा लौड़ा एक ही बार में अन्दर चला गया।
सरश्मि- आआह्ह.. आईईइ.. मर गई रे.. आह्ह.. भाई क्या हो गया है आपको आह्ह..
जय- ये तेरी साली चूत बहुत प्यासी है ना.. इसकी वजह से मैं गाण्ड बाद में मारूँगा। अब देख इसका क्या हाल करता हूँ.. आह्ह.. ले उहह उहह उहह..
रश्मि- आ आह्ह.. चोदो आह्ह.. मेरे भाई.. मज़ा आ गया.. फक मी फास्ट.. आह्ह.. भाई फाड़ दो मेरी चूत को.. आह्ह.. यू फास्ट ब्रो फास्ट.. आह्ह.. आइ..
जय स्पीड से झटके देने लगा.. रश्मि से ऐसे तगड़े झटके बर्दास्त नहीं हुए वो झड़ने के करीब आ गई।
रश्मि- आह्ह.. भाई फास्ट.. मेरी चूत आह्ह.. गई.. गई.. आह्ह.. आइ आइ..
रश्मि कमर हिलाकर झड़ने लगी उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर जय का अभी बाकी था.. वो ‘घपा-घाप’ लौड़ा पेल रहा था।
रश्मि- आ आह्ह.. भाई आह्ह.. अब निकाल लो.. आह्ह.. मेरी चूत में आह्ह.. जलन हो रही है.. आह्ह.. उफ्फ.. उफ़फ्फ़..
जय ने झटके से लौड़ा बाहर निकाल लिया.. तो रश्मि तड़प सी गई..- आह्ह.. आज तो बड़े जोश में हो भाई.. लगता है आज मेरी खैर नहीं..
जय- तेरा तो पता नहीं.. मगर आज तेरी गाण्ड की खैर नहीं है.. बहुत तड़पाती है मुझे.. आज उसको फाड़ के रख दूँगा मैं..
रश्मि- भाई जोश में होश ना खो देना.. आज फाड़ दोगे.. तो दोबारा नहीं करना क्या आपको?
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम - by sexstories - 06-27-2018, 12:06 PM

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