RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --51
गतान्क से आगे........................
"इंदर चाहता तो उसे कामिनी को लेके भागने की कोई ज़रूरत नही थी. वो चाहता तो अपने घर वालो के ज़रिए बात आगे बढ़ा सकता था. बड़ी बहेन इस घर की बहू है, थोड़ी प्राब्लम होती पर बात शायद बन ही जाती. पर इंदर के पास कामिनी को लेकर भागने के सिवाय कोई चारा नही था क्यूंकी जो ठाकुर पहली ही इस शादी के खिलाफ थे, उनको अगर ये पता चल जाता के कामिनी ऑलरेडी 3 महीने की प्रेग्नेंट है, तो इंदर का क्या बनता ये कोई भी सोच सकता है"
जैसे एक बॉम्ब सा फोड़ दिया था ख़ान ने.
"थ्ट्स राइट मिस्टर. ठाकुर" वो पुरुषोत्तम से बोला "आपके पिता कामिनी और इंदर के रिश्ते के बारे में जानते थे और इस शादी के खिलाफ थे. और इंदर, अगली बार जब लड़की की प्रेग्नेन्सी रिपोर्ट्स दिखाने जाना हो तो प्लीज़ किसी फॅमिली डॉक्टर के पास मत जाना. तुम कामिनी की रिपोर्ट्स लेकर ठाकुर के फॅमिली डॉक्टर के पास पहुँचे थे जो कामिनी का तबसे इलाज कर रहा था जबसे वो एक छ्होटी बच्ची थी. वो उस रिपोर्ट को देख कर ही समझ गये थे के जो लड़की प्रेग्नेंट है, वो कामिनी थी"
इंदर हैरत से खड़ा देख रहा था.
"थ्ट्स राइट. डॉक्टर ने ही मुझे बताया था. नाउ मूविंग टू दा नेक्स्ट वन."
"म्र्स सरिता देवी ठाकुर" ख़ान व्हील चेर पर बैठी सरिता देवी की तरफ पलटा "आपको सीढ़ियों से धक्का दिया था ना आपके पति ने?"
ठकुराइन की आँखें हैरत से खुल गयी.
"यस आइ नो" ख़ान ने कहा "और ऐसा करते हुए उन्हें आपके बड़े बेटे ने देख लिया था जिसके चलते पुरुषोत्तम और ठाकुर साहब की उनके मरने तक कभी बात नही हुई. उपेर से पुरुषोत्तम ये बात जानते थे के ठाकुर साहब वसीयत बदलना चाहते थे क्यूंकी आपने अपने फॅमिली वकील से इस बारे में सवाल किया था"
आँखें खोलने की बारी पुरुषोत्तम की थी.
"थ्ट्स राइट, आइ नो दट टू. सो दट गिव्स यू ए पर्फेक्ट रीज़न टू किल यू फादर, डोएसन्थ इट? अपनी माँ का बदला और दौलत का लालच?"
पुरुषोत्तम गुस्से में ख़ान की तरफ बढ़े पर बीच में 2 पोलिसेवालो के आ जाने के कारण रुक गया.
"वाउ" नोट पेड़ में सब लिखती हुई किरण बोली.
"मिसेज़. रूपाली सिंग ठाकुर" ख़ान रूपाली की तरफ पलटा "भाई को अपनी ननद की प्रेग्नेन्सी रिपोर्ट लेकर फॅमिली डॉक्टर के पास ही भेज दिया?"
रूपाली के मुँह से बोल ना फूटा.
"थ्ट्स राइट. ये भी बताया मुझे डॉक्टर ने के जिस दिन इंदर वो रिपोर्ट लेकर उनके पास पहुँचा था, उस दिन सुबह सुबह आपने फोन करके डॉक्टर से अपने लिए अपायंटमेंट ली थी पर उस वक़्त डॉक्टर से मिलने आप नही आपका भाई पहुचा"
सबकी नज़र रूपाली की तरफ ही थी.
"अपने भाई को आपने हर मुसीबत से हमेशा बचाया. एक बड़ी बहेन का रोल बखूबी निभाया. पर मैं ये डिसाइड नही कर पा रहा था के क्या आप मर्डर जैसा बड़ा काम भी अपने भाई को बचाने के लिए अंजान दे सकती हैं? पर फिर मेरी कल्लो से बात हुई और उसने काफ़ी कुच्छ बताया जिससे मुझे यकीन हो गया के ऐसा करने का दिमाग़ भी आप में है और हिम्मत भी"
रूपाली की नज़र अब नीचे झुक चुकी थी. ख़ान ने इस बारे में आगे और कुच्छ नही कहा.
"बिंदिया जी" अब बिंदिया की बारी थी "अजीब माँ हैं आप. दौलत के लालच में पहले खुद ठाकुर साहब के बिस्तर तक गयी और जब कामयाबी हाथ ना लगी तो अपनी बेटी को भी पहुँचा दिया?"
इस बात से झटका बिंदिया और पायल के साथ साथ कुलदीप को भी लगा.
"बेटी के नाम दौलत हो चुकी थी पर ठाकुर साहब वसीयत बदलना चाहते थे. डर तो लगा होगा आपको के कहीं बेटी का नाम वसीयत से निकाल ना दें? आपको और आपकी बेटी दोनो को लगा होना ने के वसीयत बदले, इससे पहले ही कोई कदम उठाया जाए?
किसी के मुँह से आवाज़ तक नही निकल रही थी. सिर्फ़ कुलदीप बोला.
"पायल?"
पायल कुच्छ कहने ही लगी थी के ख़ान ने इशारे से रोक दिया.
"कोई कुच्छ नही बोलेगा जब तक के मेरी बात पूरी ना हो जाए"
सब फिर चुप हो गये.
"कुलदीप जी" ख़ान कुलदीप की तरफ पलटा "वैसे पायल के बारे में मेरी बात सुनकर आपने ऐसा दिखाया है जैसे आपको बहुत सख़्त झटका लगा है पर अगर ये मान लिया जाए के आपको ये बात पहले पता लग गयी थी के आपके पिता आपकी महबूबा के साथ सो रहे हैं तो गुस्सा तो बहुत आया होगा आपको? ख़ास तौर से तब जबकि आप पायल से शादी करना चाहते थे और आपको पता था के आपके पिता इसकी खिलाफत करेंगे?"
कुलदीप ने बोलने के लिए मुँह खोला ही था के फिर ख़ान ने चुप रहने का इशारा किया.
"और चंदर, ज़ुबान से गूंगा पर दिल में बदले की पूरी पूरी भावना. ठाकुर साहब ने ही तेरे माँ बाप को मारा था ये बात तू जानता है. और जहाँ तक मेरा ख्याल है तेरा हवेली में घुसने का कारण भी बदला लेना ही था. और जब ये पता चला के बिंदिया भी ठाकुर के बिस्पर पर पहुँची चुकी थी, गुस्सा तो तुझे भी बहुत आया होगा?
चंदर तो वैसे ही गूंगा था. क्या बोलता, बस खामोशी से देखता रहा.
"तो ये है हवेली के सारे बागड बिल्ले जिनके पास खून करने की वजह भी थी और हिम्मत भी" ख़ान बोला
"तो किसने किया खून?" किरण ने फिर सवाल किया
"अब आते हैं उस शाम पर जब खून हुआ था" ख़ान ने जैसे उसका सवाल सुना ही नही "पर उससे पहले बात करते हैं एक सलवार कमीज़ की. हल्के गुलाबी रंग का एक सूट जो रूपाली जी अपने लिए लाई थी और बिल्कुल वैसा ही अपनी ननद और अपने भाई की माशूक़ा कामिनी के लिए भी लाई"
सब ख़ान को ऐसे देख रहे थे जैसे के उनके सामने भगवान खड़े हों जो सबके दिल की बात जानते थे.
"कामिनी के पास वो सूट अब तक है पर रूपाली जी आपने अपना सूट घर की नौकरानी पायल को दे दिया था, है ना?"
"तो अब उस रात की बात. शुरू से शुरू करते हैं.
1. क़त्ल की रात ठाकुर ने अपने कमरे में ही डिन्नर किया था. उनको अपने कमरे के बाहर आखरी बार 8 बजे देखा गया था, ड्रॉयिंग हॉल में टीवी देखते हुए.
2. 8:15 के करीब वो अपने कमरे में चले गये थे और उसके बाद उनकी नौकरानी पायल खाना देने कमरे में गयी.
3. 8:30 के आस पास नौकरानी ठाकुर के बुलाने पर वापिस उनके कमरे में पहुँची. ठाकुर ने ज़्यादा कुच्छ नही खाया था और उसको प्लेट्स ले जाने के लिए कहा. और जहाँ तक मेरा ख्याल है, तब ही ठाकुर साहब ने पायल को रोज़ की तरह आने का इशारा कर दिया था. एक ऐसा काम करने के लिए जो पायल और उसकी माँ बिंदिया दोनो ही उनके साथ करती थी. सब मेरा इशारा समझ गये होंगे.
4. थोड़ी ही देर बाद पायल चाई देने के बहाने फिर ठाकुर साहब के कमरे में पहुँची. चाई तो सिर्फ़ एक बहाना थी, असली काम तो कुच्छ और ही करना था जो की उस रात हुआ भी. यहाँ गौर तलब बात ये है के पायल ने रूपाली जी का दिया हुआ हल्के वो गुलाबी रंग का सूट पहना हुआ था.
4. इसके बाद 9 बजे के आस पास रूपाली जी आप कपड़े लेने के लिए हवेली की पिछे वाले हिस्से में गयी जहाँ ठाकुर के कमरे की खिड़की खुलती थी. उस रात खिड़की खुली हुई थी और आपने अंदर कमरे में क्या हो रहा है ये देख लिया था. सबसे ज़रूरी बात ये थी के आपने ये भी देख लिया था के ठाकुर साहब के कमरे की खिड़की खुली हुई है. आपके हिसाब से आप वो सब देख कर वापिस अपने कमरे में आ गयी थी पर अगर मैं कहूँ तो आपके पास पूरा मौका था के आप वापिस जाकर अपने ससुर का काम अंजाम दे सकती थी. ख़ास तौर से तब जबकि इसी दौरान थोड़ी देर के लिए लाइट चली गई थी. यू हॅड दा पर्फेक्ट कवर. घुप अंधेरे में आप आसानी से खिड़की के ज़रिए कमरे में घुस सकती थी. एक झटके से आपके पति का वसीयत से बाहर हो जाने का डर और अपने भाई के लिए शादी ना होने का डर, दोनो ही एक झटके में ख़तम किए जा सकते थे"
"बकवास" इस बार रूपाली चिल्ला उठी.
"रिलॅक्स" ख़ान हस्ते हुए बोला "आइ आम जस्ट एक्सप्लेनिंग दा फॅक्ट्स.
5. जब लाइट गयी हुई थी ठीक उसी वक़्त हवेली में दाखिल हुए पुरुषोत्तम जी आप. आपने खुद बताया था के आप नहर के किनारे गये थे और जहाँ तक मेरा ख्याल है, शराब के नशे में वापिस आए थे क्यूंकी जिस जगह आपने बताया के आप बैठे थे, वहाँ से हमें बियर की काफ़ी बॉटल्स हासिल हुई हैं. आप हवेली में दाखिल हुए और अपने कमरे की तरफ जा ही रहे थे के ठीक उसी वक़्त आपके पिता के कमरे का दरवाज़ा खुला और हल्के गुलाबी रंग के सूट में एक लड़की बाहर आई. वो क्या करके आई थी ये बात आप जानते थे और बहुत मुमकिन है के आपने सोचा हो के बाहर आने वाली आपकी अपनी बीवी है. गुस्सा तो बहुत आया होगा"
पुरुषोत्तम सब भूल कर आगे बढ़ा और ख़ान का गिरेबान पकड़ लिया. फ़ौरन कुच्छ पोलीस वालो ने आगे बढ़कर उसको पकड़ा और ख़ान का गिरेबान छुड़ाया.
"रिलॅक्स" ख़ान आगे को झुका और पुरुषोत्तम के कान में हल्के से बोला "एज आइ सेड, आइ आम जस्ट एक्सप्लेनिंग दा फॅक्ट्स. और जिस तरह से आपने रिक्ट किया है, उससे ये तो साबित हो गया के जो मैने कहा वो सच है. यही लगा था आपको के आपकी बीवी ठाकुर के कमरे से बाहर आई है, वो बीवी जो बिस्तर पर आपसे खुश नही थी"
पुरुषोत्तम के चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था.
क्रमशः........................................
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