RE: Vasna Sex Kahani बदनाम रिश्ते
"कोई बात नही बहिन , तुम सो जाओ।"
तभी बहिन की नजर मेरे ८.५ ईंच के लौडे की तरफ गई और वो चौंक के बोली,
"अरे, ऐसे कैसे सो जाउं ?"
(और मेरा लौडा अपने हाथ में पकड लिया।)
"मेरे भाई का लंड खडा हो के, बार-बार मुझे पुकार रहा है, और मैं सो जाउं।"
", इसको तो मैं हाथ से ढीला कर लुन्गा, तुम सो जाओ।"
"नही मेरे भाई, आजा जरा-सा बहिन के पास लेट जा। थोडा दम ले लुं, फिर तुझे असली चीज का मजा दुन्गी।"
मैं उठ कर बहिन के बगल में लेट गया । अब हम दोनो बहिन-भाई एक-दुसरे की ओर करवट लेते हुए, एक-दुसरे से बाते करने लगे। बहिन ने अपना एक पैर उठाया ,और अपनी मोटी जांघो को मेरी कमर पर डाल दिया। फिर एक हाथ से मेरे खडे लौडे को पकड के उसके सुपाडे के साथ धीरे-धीरे खेलने लगी। मैं भी राखी की एक चुंची को अपने हाथों में पकड कर धीरे-धीरे सहलाने लगा, और अपने होंठो को राखी के होंठो के पास ले जा कर एक चुंबन लिया। राखी ने अपने होंठो को खोल दिया। चुम्मा-चाटी खतम होने के बाद राखी ने पुछा,
"और भाई, कैसा लगा बहिन की चूत का स्वाद ? अच्छा लगा, या नही ?" "हाये राखी, बहुत स्वादिष्ट था, सच में मजा आ गया।"
"अच्छा, चलो मेरे भाई को अच्छा लगा, इससे बढ कर मेरे लिये कोई बात नही।"
" राखी , तुम सच में बहुत सुंदर हो। तुम्हारी चुचियां कितनी खूबसुरत है। मैं,,,,, मैं क्या बोलुं ? राखी , तुम्हारा तो पुरा बदन खूबसुरत है।"
"कितनी बार बोलेगा ये बात तु, मेरे से ? मैं तेरी आंखे नही पढ सकती क्या ? जिनमे मेरे लिये इतना प्यार छलकता है।"
मैं राखी से फीर पुरा चिपक गया । उसकी चुचियां मेरी छाती में चुभ रही थी, और मेरा लौडा अब सीधा उसकी चुत पर ठोकर मार रहा था। हम दोनो एक-दुसरे की आगोश में कुछ देर तक ऐसे ही खोये रहे। फिर मैने अपने आप को अलग किया और बोला,
" राखी , एक सवाल करुं ?"
"हां पुछ, क्या पुछना है ?"
" राखी , जब मैं तुम्हारी चुत चाट रह था, तब तुमने गालियां क्यों निकाली ?"
"गालियां और मैं, मैं भला क्यों गालियां निकालने लगी ?"
"नही राखी , तुम गालियां निकाल रही थी। तुमने मुझे कुत्ता कहा, और,,, और खुद को कुतिया कहा, फिर तुमने मुझे हरामी भी कहा।"
"मुझे तो याद नही भाई कि, ऐसा कुछ मैने तुम्हे कहा था। मैं तो केवल थोडा-सा जोश में आ गई थी, और तुम्हे बता रही थी कि कैसे क्या करना है। मुझे तो एकदम याद नही कि मैने ये शब्द कहे "नही राखी , तुम ठीक से याद करने की कोशिश करो। तुमने मुझे हरामी या हरामजादा कहा था, और खूब जोर से झड गई थी।"
"मुझे तो ऐसा कुछ भी याद नही है, फिर भी अगर मैने कुछ कहा भी था तो मैं अपनी ओर से माफी मांगती हुं। आगे से इन बातों का ख्याल रखुन्गी।"
" इसमे माफी मांगने जैसी कोई बात नही है। मैने तो जो तुम्हारे मुंह से सुना, उसे ही तुम्हे बता दिया। खैर, जाने दो तुम्हारा भाई हुं, अगर तुम मुझे दस-बीस गालियां दे भी दोगी तो क्या हो जायेगा ?"
" ऐसी बात नही है। अगर मैं तुझे गालियां दुन्गी तो, हो सकता है तु भी कल को मेरे लिये गालियां निकाले, और मेरे प्रति तेरा नजरीया बदल जाये। तु मुझे वो सम्मान ना दे, जो आजतक मुझे दे रहा है।"
"नही ऐसा कभी नही होगा। मैं तुम्हे हमेशा प्यार करता रहुन्गा और वही सम्मान दुन्गा, जो आजतक दिया है। मेरी नजरों में तुम्हारा स्थान हमेशा उंचा रहेगा।"
"ठीक है , अब तो हमारे बीच एक, दुसरे तरह का संबंध स्थापित हो गया है। इसके बाद जो कुछ होता है, वो हम दोनो की आपसी समझदारी पर निर्भर करता है।"
"हां तुमने ठीक कहा, पर अब इन बातों को छोड कर, क्यों ना असली काम किया जाये ? मेरी बहुत इच्छा हो रही है कि, मैं तुम्हे चोदुं। देखोना , मेरा डण्डा कैसा खडा हो गया है ?"
"हां भाई, वो तो मैं देख ही रही हुं कि, मेरे भाई का हथियार कैसा तडप रहा है, बहिन का मालपुआ खाने को ? पर उसके लिये तो पहले बहिन को एक बार फिर से थोडा गरम करना पडेगा भाई।" "हाये बहिन, तो क्या अभी तुम्हारा मन चुदवाने का नही है ?"
"ऐसी बात नही है, चुदवाने का मन तो है, पर किसी भी औरत को चोदने से पहले थोडा गरम करना पडता है। इसलिये बुर चाटना, चुंची चुसना, चुम्मा चाटी करना और दुसरे तरह के काम किये जाते है।"
"इसका मतलब है कि, तुम अभी गरम नही हो और तुम्हे गरम करना पडेगा। ये सब कर के,,,,,"
"हां, इसका यही मतलब है।"
"पर तुम तो कहती थी, तुम बहुत गरम हो और अभी कह रही हो कि गरम करना पडेगा ?"
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