RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
सुबह मैं उठी वॉशरूम में जाकर फ्रेश हुई और बाहर उठकर अपना मोबाइल उठाया तो उसमे 3 मेसेज आए हुए थे. सबसे पहला मेसेज तुषार का था और फिर भाभी और आकाश का. तीनो ने मेसेज में गुड मॉर्निंग विश की थी. मैं अपने रूम से बाहर निकली और किचन में जाकर मम्मी से चाइ ली और ड्रॉयिंग रूम में आकर बैठ गई और टीवी देखने लगी. मैं टीवी देख ही रही थी कि मुझे गुलनाज़ दीदी घर में एंटर होती दिखाई दी. उन्हे देखते ही मेरा चेहरा फूल की तरह खिल उठा. वो मेरे पास आई और बोली.
गुलनाज़-गुड मॉर्निंग रीतू.
मे-गुड मॉर्निंग दीदी. आज इधर कैसे आना हुआ वो भी सुबह सुबह.
गुलनाज़-अब आपसे मिलने का मन हो रहा था तो मैं चली आई. आप तो अब आती नही.
मे-वो दीदी मैं आज आने वाली थी. क्योंकि मुझे आपको कुछ दिखाना था.
गुलनाज़-ओये स्वीतू क्या दिखाना था.
मैने अपना मोबाइल दीदी की तरफ कर दिया.
गुलनाज़ दीदी मोबाइल देखकर बहुत खुश हुई और बोली.
गुलनाज़-बहुत अच्छा मोबाइल है आपका तो.
मे-थॅंक यू दीदी.
तभी भैया अपने रूम से निकले और गुलनाज़ दीदी को देखकर बोले.
हॅरी-गुड मॉर्निंग दीदी आप कब आई.
गुलनाज़-गुड मॉर्निंग हॅरी बस अभी-2. कैसी चल रही है आपकी स्टडी.
हॅरी-एकदम बढ़िया दीदी. इस चिरकूट से पूछो बिल्कुल ध्यान नही है इसका पढ़ाई में.
गुलनाज़-बिल्कुल सही कहा लगता है किसी दिन इसके स्कूल जाना पड़ेगा मुझे.
हॅरी-किसी दिन क्यूँ आज ही जाओ दीदी इसके साथ.
गुलनाज़-हां ये भी ठीक रहेगा.
मे-अरे दीदी क्या आप भी. स्कूल जाने की क्या ज़रूरत है.
गुलनाज़-चुप करो आप. मैं आपके साथ जा रही हूँ मतलब जा रही हूँ.
मैं बुरा सा मूह बनाकर बैठ गई.
गुलनाज़-अब इसमे इतना बुरा मानने वाली क्या बात है.
तभी मम्मी किचिन से बाहर आई और बोली.
मम्मी-कॉन बुरा मना रहा है.
गुलनाज़-नमस्ते चाची जी.
मम्मी-नमस्ते बेटा कैसी हो तुम.
गुलनाज़-बिल्कुल ठीक चाची जी.
मम्मी-क्या बातें हो रही थी.
गुलनाज़-अब देखो ना चाची जी. मैने रीतू से कहा कि मैं तुम्हारे साथ आज स्कूल जाउन्गी ताकि तुम्हारी प्रोग्रेस का पता चल सके और ये है कि मूह फुलाए बैठी है.
मम्मी-इसमे मूह फूलने की क्या बात है रीतू. गुल बेटी तू जा इसके साथ और अच्छे से खबर लेना इसकी वहाँ.
गुलनाज़-चल अब बच्चू जल्दी से रेडी हो जा मैं भी रेडी होकर आती हूँ.
मे-ओके दीदी.
मैं अपने रूम में आई और सोचने लगी कि 'दीदी भी मेरी मम्मी ही बन जाती हैं'
मैं रेडी होकर रूम से बाहर निकली तो गुलनाज़ दीदी पहले से ही मम्मी के पास बैठी थी. दीदी बहुत खूबसूरत लग रही थी. उन्होने रेड कलर का सलवार कमीज़ पहना था वो बहुत जच रहा था उनके उपर. वैसे भी दीदी का फेस और उनका शरीर ही ऐसा था कि वो कुछ भी पहनती थी तो अच्छा लगता था.
मैने ब्रेकफास्ट किया और फिर मैं और दीदी बस स्टॉप की ओर निकल पड़े. आकाश वहाँ पहले से ही खड़ा था. मेरे साथ आज गुलनाज़ दीदी को देखकर उसका चेहरा उतर सा गया था क्योंकि दीदी के रहते वो मेरे साथ कोई छेड़-छाड़ नही कर सकता था. मैं और दीदी बस स्टॉप पे खड़े होकर बस की वेट करने लगे. आकाश आज मुझसे दूर ही खड़ा था. मैने देखा वो बार-2 मुझे ही घूर रहा था. थोड़ी देर बाद बस आई और सभी उसमे चढ़ने लगे. मैं और दीदी भी बस में चढ़ गये और बस में भीड़ थी तो जाहिर था खड़े रहकर ही जाना था. मैं गुलनाज़ दीदी के आगे खड़ी थी और वो मेरे पीछे थी और उनके पीछे वोही लड़का खड़ा था जिसके साथ लास्ट डे मैने बस में एंजाय किया था. आकाश काफ़ी पीछे था उसने आगे आने की कोशिश भी नही की थी क्योंकि वो जानता था कि आज वो कुछ नही कर पाएगा.
बस अपनी स्पीड से जा रही थी. मैने नज़र घुमा कर गुलनाज़ दीदी की ओर देखा तो उनके चेहरे पे थोड़ी शिकन थी. शायद वो पीछे वाला लड़का उनके साथ कोई बदतमीज़ी कर रहा था. मैने देखा वो दीदी से बिल्कुल चिपक कर खड़ा था. मुझे उसके उपर बहुत गुस्सा आ रहा था. मैने दीदी को कहा.
मे-दीदी आप आगे आ जाओ.
गुलनाज़-नही बच्ची मैं ठीक हूँ.
शायद वो इसलिए नही आना चाहती थी कि अगर मैं उनकी जगह पे जाउन्गी तो वो मेरे साथ भी ऐसा ही करेगा.
लेकिन मैं नही मानी और ज़बरदस्ती उन्हे आगे कर दिया और खुद उनकी जगह पे आ गई. मैने देखा आकाश का आज हमारी तरफ ध्यान नही था.
अब वो लड़का फिरसे अपनी औकात पे आ गया था. और उसके हाथ मेरे नितंबों पे घूमने लगे.
उसने अपना चेहरा मेरे कान के पास किया और कहा.
'हाई डियर आइ आम रेहान वॉट'स युवर गुड नेम'
मैने सोचा अब इसको सबक सीखाना पड़ेगा. मैने गुस्से से उसकी तरफ देखा और काफ़ी लाउड्ली उसे कहा.
मे-पीछे हट कर नही खड़े हो सकते क्या अकेली लड़की के साथ बदतमीज़ी करते हुए शरम नही आती.
मैने लाउड्ली इस लिए कहा था कि मेरी बात सब को सुन जाए. जैसे ही मैने अपनी बात ख़तम की पास में खड़े कुछ लोग उसे गालियाँ देने लगे और कुछ एक ने तो थप्पड़ भी रसीद कर दिए. मैने देखा आकाश पीछे से लोगो को चीरता हुआ आया और धड़ाधड़ थप्पड़ रेहान के उपर बरसाने लगा. वो कल वाला गुस्सा भी उसके उपर निकाल रहा था. रेहान बेचारा पिटाई की वजह से सीट्स के बीच वाली जगह यहाँ हम खड़े थे वहाँ पे गिर गया और हाथ जोड़ कर सबसे माफी माँगने लगा. आकाश उसे लात मारने लगा लेकिन मैने उसे रोक दिया. क्योंकि उस बेचारे रेहान की इतनी ग़लती नही थी जितनी उसको सज़ा मिल चुकी थी.
आख़िरकार मैं और दीदी मेरे स्कूल पहुँचे. महक ने बस से उतरते ही दीदी को नमस्ते किया और मुझे कहा.
महक-क्या कर रहा था वो लड़का.
मे-बस यार ऐसे ही बदतमीज़ी कर रहा था.
गुलनाज़-ऐसे लोगो से दूर रहा करो तुम दोनो.
मे-ओके दीदी.
मैने देखा स्कूल के सभी लड़के गुलनाज़ दीदी को देखकर आहें भर रहे थे. मैने शरारत से दीदी को कहा.
मे-दीदी देखो कितने दीवाने है आपके.
गुलनाज़-स्टॉप दिस नॉनेसेंस. ईडियट. ऐसे लड़कों की तरफ ध्यान नही देते समझी.
अब मैं चुप चाप उनके साथ चलने लगी. महक अपनी क्लास में चली गई और दीदी मुझे प्रिन्सिपल ऑफीस में ले गई. वहाँ हमारे प्रिन्सिपल सर बैठे थे. मैने और दीदी ने उन्हे गुड मॉर्निंग कहा और दीदी सर से मेरे बारे में पूछने लगी. सर ने बताया कि इनकी प्रोग्रेस के बारे में आप इनके टीचर'स से पूछ सकते हैं. फिर मैं और दीदी स्टाफ रूम में गये और दीदी मेरे टीचर'स से मेरी प्रोग्रेस पूछने लगी. तकरीबन हर टीचर ने अच्छा ही कहा. बस सबकी बातों में एक ही बात कॉमन थी कि ये थोड़ी ला-परवाह है. ज़्यादा ध्यान नही देती. अगर दिल लगाकर पढ़े तो बहुत अच्छे मार्क्स ले सकती है.
टीचर'स से बात करने के बाद हम बाहर आए तो दीदी ने मुझे कहा.
गुलनाज़-देखा कितना कुछ बताया आपके टीचर'स ने.
मे-दीदी ये तो छोटी-2 बातें है.
गुलनाज़-ये इतनी सारी छोटी-2 बातें मिल कर बड़ी बात बन जाती है. आप दिल लगाकर पढ़ती क्यूँ नही.
(अब क्या बताती दीदी को कि मेरा दिल अब कोन्सि पढ़ाई पढ़ रहा है)
मे-बस दीदी मेरा मन नही लगता.
गुलनाज़-ह्म्म्मा अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा. आज से हर रोज़ शाम को मेरे पास ट्यूशन लेने के लिए आओगी आप. मैं देखती हूँ आपका मन कैसे नही लगता.
मे-ओके दीदी मैं शाम 6 आ जाया करूँगी.
गुलनाज़-अच्छा अब मैं चलती हूँ ध्यान से पढ़ना बच्चे. बाइ.
मे-बाइ दीदी.
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