RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
तुषार ने अब अपनी जीन्स भी उतार दी थी और उसके जिस्म पे सिर्फ़ एक ब्लॅक अंडरवेर थी. और उसकी छोटी सी अंडरवेर उसका भारी भरकम लिंग संभालने में नाकाम हो रही थी. उसकी अंडरवेर का उफान सॉफ बता रहा था कि उसका लिंग पूरा तना हुआ है. मेरा तो दिल उसे अंडरवेर में देखते ही घबराने लगा. मुझे अपने लिंग को घूरते देख तुषार बोला.
तुषार-डार्लिंग इतनी दूर क्यूँ बैठी हो इसे पास से आकर देखो.
उसने मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीचा और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया. अब वो दोनो टाँगें सीट से नीचे लटका कर बैठा था और मैं उसकी गोद में उसकी तरफ चेहरा किए बैठी थी. मेरी पीठ आकाश की तरफ थी और मेरी टाँगें तुषार की टाँगों के इर्द-गिर्द थी. वो फिरसे मेरे होंठ चूसने लगा और उसके हाथ मेरे कमीज़ को नितंबो के उपर से उठाते हुए नितंबों को मसल्ने लगे. मेरी पीठ आकाश की तरफ थी तो जाहिर है मेरे पिंक कलर की पैंटी में ढके नितंब उसे दिख रहे होंगे. यही सोच कर मेरा रोम रोम मस्ती और शरम में डूबने लगा. तुषार के हाथ अब मेरी पैंटी में घुसकर मेरे नितंब मसल्ने लगे थे. पहला मौका था जब मैं किसी मर्द के सामने ऐसी हालात में थी. वो भी 2 मर्दों के सामने. तुषार के होंठ अब मेरे उरोजो के उपर घूम रहे थे और वो मेरे उरोजो को कमीज़ के उपर से ही चूस रहा था और कभी-2 काट भी देता था. मैं अब पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी तुषार ने मौका अच्छा देखकर मेरा कमीज़ पकड़ा और उसे उपर करने लगा और मदहोशी में मेरे हाथ अब खुद ही उपर उठ गये और तुषार ने आसानी से मेरा कमीज़ मेरे जिस्म से अलग कर दिया. अब मेरे जिस्म पे केवल पिंक कलर की ब्रा और पैंटी थी. तुषार ने अब मेरे उरोजो को ब्रा से बाहर निकाला और मेरे गोरे और मुलायम उरोजो पर टूट पड़ा और अपने होंठों से उन्हे चूसने लगा. मैं उसका सर पकड़ कर अपने उरोजो में दबाने लगी मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था.
मुझे अपने नितंबों के उपर कोई हाथ रेंगता हुआ महसूस हुया मैने गर्दन घुमा कर देखा तो ये आकाश का हाथ था वो अपनी उंगली मेरे नितुंबों के बीच की दरार में घुमा रहा था. मैने झटके से उसके हाथ हटा दिया. वो फिरसे आगे देखता हुआ गाड़ी चलाने लगा.
फिर तुषार ने मेरे उरोजो के उपर से अपना मूह हटाया और कहा.
तुषार-अबे यार आकाश किसी सुनसान जगह पे गाड़ी रोक ले कब तक ऐसे घूमते रहेंगे.
आकाश-ओके बॉस जैसा तू कहे.
अब तुषार ने मुझे अपनी गोद से उतार दिया और सीट के उपर घुटनो के बल बैठने को कहा. मैं घुटनो के बल सीट के उपर बैठ गई अब मेरे नितंब तुषार की तरफ थे और मेरा चेहरा डोर की तरफ. आकाश ने भी गाड़ी एक सुनसान से रास्ते पे लेजा कर साइड में लगा दी थी.
तुषार ने पीछे से मेरी पैंटी को पकड़ा और झटके से उसे खोल कर मेरी जांघों तक कर दिया और वो अपना हाथ मेरी योनि पे फिराने लगा. मेरी योनि का गीलापन उसे अपने हाथ पे सॉफ महसूस हो रहा था. उसने अपना हाथ हटाया और अपना चेहरा मेरी योनि के पास कर दिया. मेरा शरीर तुषार की हरकतों से पहले ही पूरा गरम था. जैसे ही उसने अपनी जीभ मेरी योनि पे लगाई तो मेरी योनि एकदम से झटके खाते हुए पानी छोड़ने लगी. मेरे मूह से हल्की-2 आहें निकलने लगी. सारा कामरस मेरी जांघों से बहता हुआ नीचे की तरफ जाने लगा. अब तुषार की जीभ मेरी योनि पे तेज़-2 चलने लगी. उसकी हरक़तें मुझे फिरसे गरम करने लगी.
मैने आकाश की तरफ देखा तो वो मुझे ही देख रहा था और उसने अपना पेनिस बाहर निकाल रखा था और हाथों से हिला रहा था. सच में उसका पेनिस बहुत बड़ा था उसे देखते ही मेरे शरीर में एक झटका सा लगा. मैने देखा आकाश के होंठ मुझे इस हालत में देख कर बार सूख रहे थे. मैं भी कहाँ पीछे हटने वाली थी. उसकी हालत और पतली करने के लिए मैं अपने नितंबों के तुषार के मूह पे इधर उधर घुमाने लगी और जान बुझ कर थोड़ी लाउड्ली आहें भरने लगी. मेरी और आकाश की नज़रें आपस में मिली और मैं उसे देखकर मुस्कुराने लगी और वो भी मुस्कुराते हुए अपने लिंग को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा. मैं आकाश के लिंग को देखने में इतना खो गई कि मुझे पता ही नही चला कि कब तुषार ने अपनी अंडरवेर उतार दी और अपना लिंग मेरी योनि में घुसाने के लिए रेडी कर लिया. जैसे ही तुषार का लिंग मेरी योनि पे लगा तो एकदम जैसे मैं नींद से जाग उठी और झट से आगे को होकर बैठ गई और कहने लगी.
मे-नही तुषार प्लीज़ में ये काम नही कर्वाउन्गी.
तुषार-ओह कमोन रीत देखना कितना मज़ा आएगा.
मे-नही मुझे पता है बहुत दर्द होता है.
तुषार-डार्लिंग थोड़ा बहुत दर्द होगा मैं प्यार से करूँगा प्लीज़ यार.
उसने मुझे फिरसे टाँगो से पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया. अब मैं फिरसे सीट के उपर पीठ के बल लेट गई और तुषार ने मेरी पैंटी और ब्रा निकाल दी अब मैं बिल्कुल नंगी उन दोनो के सामने थी. तुषार ने अपने लिंग पे थोड़ा थूक लगाया और उसे मेरी योनि के मुख द्वार पे सेट कर दिया. मेरा दिल आने वाले पल को सोचते हुए ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. तुषार ने एक हल्का धक्का लगाया और मगर उसका लिंग मेरी योनि के उपर से फिसल गया. फिर तुषार ने थोड़ा ज़ोर लगाते हुए धक्का दिया और उसके लिंग का सुपाडा मेरी योनि को चीरता हुआ अंदर घुस गया और मेरी दर्द भरी चीख पूरी कार में गूँज़ उठी.
तुषार ने थोड़े ज़ोर के साथ धक्का लगाया और उसका सुपाडा मेरी योनि को चीरता हुआ अंदर घुस गया और मेरी दर्द भरी चीख पूरी कार में गूँज़ उठी. तुषार नीचे झुका और मेरे होंठों को चूसने लगा और मेरे उरोजो को मसल्ने लगा. अब मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसने फिरसे एक धक्का लगाया और उसका लगभग आधा लिंग मेरी योनि में घुस गया मेरे आँखों में से पानी बहने लगा और मैं ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी.
मे-'आअहह उम्म्म्म औचह प्लीज़ स्टॉप्प्प तुशाार....प्लस्सस बहाआररर निकालो ईसीए'
मगर तुषार ने मेरी एक नही सुनी और उसने एक और जोरदार धक्का दिया और उसका लिंग पूरे का पूरा मेरी योनि में समा गया. मेरी आँकें बाहर निकल आई और मेरे मूह खुले का खुला ही रह गया. मेरी योनि में से खून की एक धार निकल कर मेरे नितंबों की दरार में से होती हुई नीचे सीट पे गिरने लगी. तुषार फिरसे मेरे होंठ चूसने लगा. मुझे बहुत दर्द हो रहा था ऐसे लग रहे था जैसे कोई बहुत ही मोटा डंडा मेरी योनि में घुस गया हो. काफ़ी देर तक तुषार अपने लिंग को मेरी योनि में डाले ही पड़ा रहा जब उसे लगा कि मेरा दर्द कुछ कम हो गया है तो वो धीरे धीरे अपने लिंग को बाहर निकालने लगा और फिर धीरे धीरे वापिस अंदर करने लगा अब मुझे पहले जितना दर्द नही हो रहा था. तुषार की स्पीड भी अब बढ़ती जा रही थी. मैं भी नीचे से अब उसका साथ देने लगी थी. मेरी दर्द की चीखें अब मस्ती भरी आहों में बदल गई थी और मैने तुषार को मज़बूती से जाकड़ लिया था. तुषार अब तेज़-2 धक्के लगाने लगा था. काफ़ी देर तक वो ऐसे ही धक्के लगाता रहा और फिर उसने अपना लिंग बाहर निकाल लिया. मैने देखा मेरी योनि सूज़ गई थी और काफ़ी खून उसके उपर लगा हुआ था. तुषार ने मेरी पैंटी उठाई और मेरी योनि को उसके साथ सॉफ करने लगा और फिर अपने लिंग को भी उसने सॉफ किया और पैंटी वापिस वहीं पे रख दी. अब उसने मुझे घुटने के बल कर दिया और पीछे से अपना लिंग मेरी योनि में डालते हुए धक्के लगाने लगा. मुझे अब बहुत मज़ा आ रहा था. मैं खुद अपने आप को आगे पीछे कर रही थी. मेरे पूरे शरीर में मस्ती छाई थी तुषार बहुत तेज़ तेज़ धक्के मार रहा था पूरी कार में मेरी आहें और सिसकारियाँ गूँज़ रही थी. आकाश अभी भी अपना पेनिस हाथ में पकड़ कर हिला रहा था. एक लिंग मेरी योनि के बीच था तो दूसरा आँखों के सामने. मेरे लिए ये बहुत ही उत्तेजक दृश्य था और उत्तेंजना की वजह से अब मेरी योनि ने अपना काम रस छोड़ दिया था मगर तुषार का लिंग था की शांत होने का नाम ही नही ले रहा था. वो बुरी तरह से मुझे चोद रहा था. आख़िरकार काफ़ी दर्द झेलने के बाद मेरी योनि ने तुषार के लिंग को अपने अंदर निचोड़ लिया था. तुषार ने भी अपना सारा काम रस मेरी योनि में उडेल दिया था. उसने अपना लिंग बाहर निकाला तो मुझे कुछ राहत मिली और मैं सीधी होकर बैठ गई. तुषार ने मुझे बाहों में भर कर चूमते हुए कहा.
तुषार-तुम बहुत हॉट हो रीत मज़ा आ गया.
मैं उसकी बात सुनकर दिल ही दिल में बहुत खुश हुई. आख़िर अपनी तारीफ सुन ना किसे अच्छा नही लगता. मुझे बहुत दर्द हो रहा था और मैं अपनी योनि पे हाथ लगाकर बैठी थी. मुझे इस तरह बैठे देख तुषार ने पूछा.
तुषार-क्या हुया रीत.
मे-बहुत दर्द हो रहा है तुषार.
तुषार-बस तुम थोड़ी देर रूको हम तुम्हे पेन किल्लर लेकर देते हैं ये लो अपने कपड़े पहनो.
और उसने मुझे मेरे कपड़े इकट्ठे करके दिए. मैने देखा मेरी पैंटी तो उनमे थी ही नही. मैने तुषार को कहा.
मे-तुषार मेरी पैंटी तो दो.
तुषार ने अपने हाथ में मुझे पैंटी दिखाते हुए कहा.
तुषार-ये है तुम्हारी पैंटी लेकिन अब ये मेरे पास रहेगी हमारे पहले सेक्स की याद के तौर पर. इसके उपर तुम्हारी कुँवारी योनि का खून लगा है जो कि हमेशा मुझे आज के दिन की याद दिलाता रहेगा.
फिर उसने गाड़ी में से एक मारकर उठाया और पैंटी के उपर तुषार न्ड रीत लिख दिया. मैं उसकी हरकत पे अंदर ही अंदर मुस्कुराने लगी. मैने सोचा जिस दिन से इस तुषार के संग दिल जोड़ा है मेरी 3 पॅंटीस खराब हो गई और आगे पता नही कितनी ही होंगी. फिर मैने अपने कपड़े पहने और आकाश ने भी गाड़ी वापिस घर की तरफ दौड़ा दी. रास्ते में एक मेडिकल स्टोर से तुषार ने मुझे पेन किल्लर ला कर दी जिसे खाने के बाद मेरा दर्द कुछ हद तक कम हो गया. फिर उन्होने मुझे हमारे बस स्टॉप से कुछ दूरी पे उतार दिया. मैने टाइम देखा तो 3 बज रहे थे. थॅंक गॉड मैं सही टाइम पे घर आ गई थी. आकाश थोड़ी आगे जाकर उतर गया था. मुझे चलने में थोड़ी मुश्क़िल हो रही थी. मगर मैं जल्दी जल्दी अपने घर पहुँच गई मगर वहाँ पे कोई नही था. मैं गुलनाज़ दीदी के घर गई तो ताई जी ने मुझे बताया कि वो लोग करुणा को देखने गये है और गुलनाज़ दीदी भी उनके साथ गई है. तभी जावेद भैया भी कॉलेज से वापिस आ गये. ताई जी ने मुझे और भैया को खाना दिया और हमने खाना खाया और फिर मैं गुलनाज़ दीदी के रूम में जाकर सो गई और शरीर के थक जाने की वजह से मुझे बेड पे गिरते ही नींद आ गई.
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