RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
करण-देखो रीत यहाँ तक माफी की बात है तो वो तुम्हे माँगने की ज़रूरत नही है क्योंकि माफी वो माँगता है जिसने किसी को धोखा दिया हो.
मे-मैने तुम्हे धोखा ही तो दिया है करण.
करण-नही रीत तुमने मुझे धोखा नही दिया. ग़लतियाँ इंसान से ही होती है और तुम भी एक इंसान हो तो जाहिर है तुम से भी ग़लतियाँ हुई लेकिन वो ग़लतियाँ मेरे साथ धोखा नही हैं. ग़लती करके उसे अपने चाहने वालो से छुपा लेना धोखा या बेवफ़ाई कहलाता है लेकिन ग़लती के बारे अपने चाहने वाले को सब कुछ सच-2 बता देना सच्चे प्यार का एक सबूत होता है और वो सबूत आज तुमने मुझे दिया है. वो तुम्हारा पास्ट था जो गुज़र गया और मुझे इस बात से कोई फरक नही पड़ता कि तुम्हारा पास्ट कैसा था लेकिन अब तुम मेरे साथ हो और मैं यही चाहूँगा कि प्रेज़ेंट में और फ्यूचर में तुम सिर्फ़ मुझे ही प्यार करो. जो हुआ उसे भूल जाओ बस वो सब आगे नही होना चाहिए.
मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे करण की बातें सुनकर मगर वो खुशी के आँसू थे. मैं आगे बढ़ कर करण की बाहों में सिमट गयी और कहने लगी.
मे-थॅंक यू सो मच करण मुझे तुमसे यही उम्मीद थी. आइ लव यू करण.
करण-आइ लव यू टू रीत. बस तुम मुझसे वादा करो कि आगे से तुम कोई ऐसी ग़लती नही करोगी.
मे-मैं वादा करती हूँ करण मैं दुबारा ऐसी ग़लती नही करूँगी. बस प्लीज़ तुम मुझे कभी छोड़ कर मत जाना.
करण-मैं कही नही जाने वाला और अब तुम रोना बंद करो.
कारण ने मुझे पीछे हटाया और मेरे आँसू पूछने लगा. मैं थोड़ा सरक कर उसके पास गयी और खुद ही मेरे होंठ करण के होंठों के पास जाने लगे और कुछ ही सेकेंड. में हमारे होंठ एक हो गये और मैं पूरे जोश के साथ करण के होंठ चूमने लगी और करण भी मेरा पूरा साथ देने लगा. हम दोनो पार्क में एक पेड़ के नीचे बैठे थे. कुछ और कपल्स भी वहाँ बैठे थे लेकिन वो सब काफ़ी दूर थे इसलिए हमारे उपर किसी का ध्यान नही था. हम दोनो एकदुसरे को चूमने में लगे थे मैं पूरे जोश के साथ करण का साथ दे रही थी शायद में चुंबन के ज़रिए अपना प्यार ज़ाहिर करना चाहती थी. करण ने अब मुझे खीच कर और नज़दीक कर लिया था. अब उसके हाथ मेरी कमर के उपर घूम रहे थे. अब मैने अपने होंठ उसके होंठों से हटाए और कहा.
मे-बस अब बहुत हुआ कोई देख लेगा.
करण-तो देख ले जिसे देखना है मैं अपनी होने वाली बीवी को प्यार कर रहा हूँ.
उसने फिर से मुझे खीच कर अपने होंठ मेरे होंठों के उपर रख दिए.
मैने फिरसे करण को अपने से दूर करते हुए कहा.
मे-काजू छोड़ो ना मुझे एक कॉल करनी है.
करण पेड़ के साथ पीठ लगाकर बैठा था उसने अपनी टाँगें फैलाई और मुझे खीच कर अपनी टाँगों के बीच बैठा दिया. अब मैं करण की दोनो टाँगों के बीच उसकी तरफ पीठ किए बैठी थी. करण के हाथ मेरे पेट पे बँधे हुए थे. मैने अपना मोबाइल निकाला और करू भाभी का नंबर. डाइयल किया. उधर से भाभी की आवाज़ आई.
करू-हां रीतू बोल.
मे-आइ लव यू भाभी.
करू-ओये भाभी पे बड़ा प्यार आ रहा है आज.
मे-प्यार तो रोज़ ही आता है मगर आज कुछ ज़्यादा आ रहा है.
करू-ऐसी क्या ख़ास बात है.
मे-भाभी मैने करण को सब कुछ सच-2 बता दिया और पता है करण ने मुझे माफ़ भी कर दिया. मैं बहुत खुश हूँ भाभी. सब आपकी वजह से हुआ. यू आर ग्रेट भाभी. आइ लव यू.
करू-लव यू 2 स्वीतू. मैने कहा था ना कि सच का सहारा लोगि तो ज़रूर कामयाब हो जाओगी. अच्छा तू जल्दी घर आ मैं तेरे लिया 'रस मलाई' बनाकर रखूँगी.
मे-ओके भाभी. बाइ.
करू-बाइ स्वीतू.
मैने मोबाइल वापिस पर्स में रख दिया.
कारण-अरे नाउ डार्लिंग भाभी का क्या रोल है इसमे.
मे-मैं तुम्हे सच्चाई बता पाई हूँ तो सिर्फ़ भाभी की वजह से.
करण-अरे वाह फिर तो भाभी जी से मिलना पड़ेगा.
मे-क्यूँ नही ज़रूर मिल्वाउन्गी तुम्हे भाभी से.
करण-रीत पता नही तुमने क्या कर दिया है मुझे मैं बस तुम्हारे बिना रह ही नही पाता.
करण के हाथ मेरे पेट पे घूमने लगे.
मे-मैने कुछ नही किया उल्टा तुमने मेरे उपर जादू कर दिया है.
करण ने अपना चेहरा मेरे कान के पास किया और धीरे से कहा.
केरेन-नाउ मेरी गोद में बैठो ना.
मे-नो सब देख रहे हैं तुम्हे शरम नही आती बदमाश.
करण-तो देखने दो ना लोगो का तो काम है देखना.
मे-मैने नो कहा तो मतलब नो.
मैं करण की टाँगों के बीच घास पे घुटने मोड़ कर बैठी थी. करण के हाथ अब मेरी टाँगों के साइड से होते हुए मेरे नितंबों पे पहुँच चुके थे और वो पाजामी के उपर से ही मेरे नितंब मसल्ने लगा था.
मेने उसके हाथ वहाँ से हटाते हुए कहा.
मे-काजू प्लीज़ रहने दो ना यहाँ खुले आम ये सब कर रहे हो मुझे शरम आ रही है.
करण-तो चलो मेरे घर चलते है वहाँ आराम से पूरे कपड़े उतार कर करेंगे.
मे-नो बिल्कुल भी नही.
करण-व्हाई डार्लिंग.
मे-पागल कल ही तो किया था हमने.
करण-फिर क्या हुआ आज फिरसे कर लेंगे. वैसे भी जिसकी तुम्हारे जैसी पाताका गर्ल फ़्रेंड हो वो तो दिन रात तुम्हे बिना कपड़ो के ही रखेगा.
मे-उम्म्म करण जाओ मैं नही बात करती तुमसे.
करण-डार्लिंग ऐसा नाराज़ मत हुआ करो.
फिर कारण मेरे पीछे से उठता हुआ बोला.
करण-चलो लेक्चर. लगाते हैं.
मैं जैसे ही खड़ी हुई तो करण ने मुझे पकड़ कर पेड़ के साथ लगा दिया और मेरे होंठों की एक जबरदस्त किस लेते हुए कहा.
करण-अब चलो.
मैं मुस्कुराती हुई उसका हाथ पकड़ कर उसके साथ चल पड़ी.
करण ने मुझे अपना लिया था और इस बात से मैं बेहद खुश थी. मैं कॉलेज से घर आई तो देखा भाभी बैठी टीवी देख रही थी और भैया भी वहीं बैठे थे. जैसे ही मैने अंदर कदम रखा तो मेरे कानो में भाभी की आवाज़ सुनाई दी.
करू-तुम मुझसे बात मत करो.
शायद भाभी भैया को कह रही थी और उनका चेहरा भी उतरा हुआ था. मैं चल कर भाभी के पास गयी और उनके गले में बाहें डालते हुए उनके उपर गिर गयी और उन्हे भी एक साइड को सोफे के उपर गिरा दिया. भाभी मुझे अपने उपर से उतारती हुई बोली.
करू-ओये रीत चंडाल तू आराम से आकर नही बैठ सकती.
मैने फिर से उनके गले में बाहें डालते हुए कहा.
मे-ये तो मेरा प्यार था भाभी. मुझे आपके उपर बहुत प्यार आ रहा है आज.
करू-हां-2 जानती हूँ क्यूँ आ रहा है.
हॅरी-हमसे कोई प्यार ही नही करता.
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