RE: Sex Story मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त
करण-हाई जान अभी भी जाग रही हो.
मे-अब तो आपने नींद ही उड़ा दी है जानू.
करण-तो आ जाओ मैं प्यार से सुला देता हूँ तुम्हे.
मे-अच्छा-2 अब ये सब छोड़ो काम की बात करो.
करण-मैं तो काम ही करना चाहता हूँ.
मैने रूठने का नाटक करते हुए कहा.
मे-काजू....मैं फोन रख रही हूँ.
करण-नो नो डार्लिंग सॉरी अब बताओ ना क्या कह रही थी.
मे-अब आए ना लाइन पे.
करण-मैं तो कब का लाइन में हूँ आपका नंबर. ही बिज़ी आ रहा था.
मे-अरे यार मैं दोस्तो को इन्विटेशन दे रही थी कल के लिए.
करण-ओह तो मतलब फुल तैयारी.
मे-जी बिल्कुल अच्छा मम्मी पापा ने क्या कहा.
करण-तुम बे फिकर रहा जान बस कल लाल रंग का जोड़ा पहन कर रेडी रहना.
मे-जो हुकम जनाब.
करण-अच्छा अब रात बहुत हो गई है मैं रखता हूँ.
मे-ओके बाइ. लव यू....
करण-लव यू टू छम्मक छल्लो....
मैने मोबाइल साइड पे फेंका और देखा मिक्कु. बिस्तेर में मूह गढ़ाए सो रही थी. मैं भी उसके साथ ही लेट गई बस आज आख़िरी रात थी मेरी अपने इस जान से भी ज़्यादा प्यारे रूम में आज के बाद सारी रातें करण के साथ उसके रूम में उसके बिस्तेर में ही बीतने वाली थी. आज मैं बहुत खुश थी बस डर था तो सिर्फ़ एक बात का. वो बात थी रेहान. वैसे तो मैं करण को सब कुछ बता चुकी थी मगर मैने उसे ये नही बताया था कि वो बस वाला लड़का कोई और नही रेहान ही था.
लेकिन मुझे करण के उपर पूरा भरोसा था. अगर कोई ऐसी वैसी बात हुई भी तो भी वो मेरा साथ कभी नही छोड़ेगा. अब मेरी आँखें भी बंद होने लगी थी एक नये सवेरे के इंतेज़ार में. और वो नया सवेरा मेरी ज़िंदगी में कैसी रंगत लेकर आने वाला था ये सब वक़्त की मुट्ठी में क़ैद था.
सुबह 4 बजे पे भाभी ने आकर मुझे हिलाते हुए कहा.
करू-रीत उठ जल्दी बच्चे नहाकार रेडी भी होना है.
मैं आँखें मल्ति हुई उठी और भाभी के गले में बाहें डालकर उनकी गालों को चूमते हुए कहा.
मे-भाभी मैं आपको बहुत मिस करूँगी.
भाभी मेरे पास ही बैठ गई और मेरा माथा चूमते हुए बोली.
करू-एक दिन तो सबको ससुराल जाकर माइके वालो को भूलना ही पड़ता है बच्ची.
मे-मुझसे नही भुलाया जाएगा. कहते हुए मैं रोने लगी.
भाभी ने मेरी आँसू पूछते हुए मुझे सीने से लगाकर कहा.
करू-ऐसे रोते नही बचे चल अब अच्छा बच्चा बनकर जल्दी से नहा ले फिर हम पार्लर चलते हैं रेडी होने के लिए ठीक है.
मैने जवाब में मुस्कुराते हुए गर्दन हां में हिला दी. भाभी ने बिस्तेर से उठकर टेबल की तरफ इशारा करते हुए कहा.
करू-ये चाइ और मिठाई पड़ी है पी लेना और इस मिक्कुद को भी उठाकर पिला देना.
मे-ओके भाभी थॅंक यू.
मैने मिक्कुे की तरफ देखा तो वो उल्टी लेटी हुई थी. मैने उठ कर मूह धोया और ब्रश किया और फिर मिक्कुि के पास आकर उसे उठाने लगी. वो मेडम पता नही मूह में क्या बुदबुदा कर रही थी. मैने ध्यान से सुना तो पता चला वो कह रही थी 'आकाश छोड़ो ना प्लीज़ मुझे जाने दो'
मैने मॅन में कहा लो मेडम सपने में आकाश के साथ मस्ती कर रही हैं. मैने ज़ोर से उसे हिलाया तो वो एकदम हड़बड़ा कर उठी और मुझे देखते हुए बोली.
महक-रीत तुम.
मे-हां मैं.
महक-तुम यहाँ क्या कर रही हो.
मे-ओये मेडम ये मेरा रूम है और आप मुझसे ही पूछ रही हैं कि मैं यहाँ क्या कर रही हूँ.
महक-मगर मैं तो आकाश के साथ थी.
मैने उसे हिलाते हुए कहा.
मे-ओये कुंभकारण की बेहन पहले जाकर मूह धो अच्छी तरह से तू आकाश के साथ नही मेरे साथ सोई थी रात.
महक उठ कर वॉशरूम में चली गई और फिर मूह धोकर बाहर आई तो मैने उसे चाइ और मिठाई दी.
चाइ पीने के बाद हम दोनो नहा कर बाहर निकली और फिर हॅरी भैया मुझे, गुलनाज़ दीदी, महक और करू भाभी को पार्लर में छोड़ आए. मुझे और गुलनाज़ दीदी को वहाँ लाल रंग का जोड़ा पहना कर अच्छी तरफ से रेडी किया गया और करू भाभी न्ड मिक्कुऔ भी वहीं रेडी हो गई. फिर हॅरी भैया हमें लेने आ गये और हम 10 एएम पे वहाँ पहुँच गये यहाँ हमारी शादी होनी थी. मैं और गुलनाज़ दीदी एक अलग रूम में बैठे थे. मम्मी और ताई जी हमारे पास आई और हमे देखकर बोली कि उनकी दोनो बेटियाँ बहुत खूबसूरत लग रही हैं. फिर पता चला कि बारात आ चुकी है मगर किसकी ये नही पता था. करू भाभी ने बताया कि गुलनाज़ दीदी के हज़्बेंड यानी कि मेरे जीजू की बारात आई है. मैं मन में सोचने लगी कि ये करण का बच्चा हमेशा लेट हो जाता है. मैं और दीदी वहीं बैठी थी बाहर सभी रस्में निपटाई जा रही थी. आख़िरकार करण भी पहुँच ही गये बारात लेकर लेकिन उनकी बारात में सिर्फ़ 6 लोग ही थे. करण खुद उनके मम्मी पापा, रेहान, एक उनके मामा थे और एक लड़की थी जो मुझे फिलहाल पता नही था कि कौन है.
करीब दोपहर 1:30 बजे मुझे और गुलनाज़ दीदी को फेरो की रसम के लिए बुलाया गया. करण और सम जीजू पहले से ही वहाँ बैठे थे और मैं जाकर करण के पास और दीदी जीजू के पास बैठ गई. पंडित जी ने पूरी रस्म के साथ मंतर पढ़ने शुरू किए. मैने चोर निगाहों से देखा रेहान मुझे ही घूर रहा था. आँखों पे ब्लॅक चश्मा नीचे ब्लॅक कोट न्ड उसके अंदर रेड शर्ट न्ड नीचे ब्लॅक पॅंट में बहुत स्मार्ट दिख रहा था वो. उसके घूर्ने से मुझे अंदाज़ा हो गया था कि वो मुझे पहचान चुका है. मैं पक्का दिल बनाकर बैठी थी कि बस जो होगा देखा जाएगा. फिर फेरो की रसम शुरू हुई और हमने एक-एक करके फेरे कंप्लीट किए. आख़िर सभी रस्मे पूरी हुई और पंडित जी ने बताया कि आज से आप लोग पति-पत्नी हो और हमेशा एक दूसरे का साथ बनाए रखना है. फिर हम लोग उठे और करण और सम जीजू ने एक दूसरे से अच्छी तरह से जान पहचान की.
दीदी ने जीजू को मेरे बारे में बताया कि ये है रीत.
जीजू ने मुझे मुबारकबाद दी और मैने उन्हे. फिर करण मुझे अपने परिवार वालों के साथ इंट्रोड्यूस करवाने लगे.
करण-रीत ये है मेरे मम्मी और पापा. न्ड मम्मी ये है आपकी बहू रीत.
मैने और करण ने एक साथ मम्मी पापा के पैर छुए फिर मम्मी ने मुझे गले लगाते हुए कहा.
मम्मी-मेरी बहू तो चाँद का टुकड़ा ही है.
मैं उनकी बात सुनकर शरमा गई.
फिर हमने मामा जी के पैर छुए और आख़िर में उस लड़की की तरफ इशारा करते हुए करण ने कहा.
करण-रीत ये है तुम्हारी ननद कोमल.
कोमल ने गले मिलते हुए कहा.
कोमल-नमस्ते भाभी.
रीत-नमस्ते ननद जी.
मैने करण से धीरे से पूछा कि आपकी तो कोई बेहन है ही नही तो करण ने मुझे बताया कि कोमल मेरे मामा की लड़की है और अब वो हमारे साथ ही रहती है. हम बात कर ही रहे थे कि मुझे सामने से एक आवाज़ सुनाई दी.
'अजी हमे कॉन मिलवाएगा भाभी से'
ये रेहान था.
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