RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
नया नया स्वाद
मैं कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर पड़ गयी ,
संज्ञा शून्य , शिथिल , निश्चल , मेरी पलकें मूंदी हुयी थीं ,साँसे लम्बी लम्बी धीमे धीमे चल रही थीं।
पूरी देह में एक मीठे मीठे दर्द की चुभन दौड़ रही थी।
बस सिर्फ एक चीज का अहसास था , अभी भी मेरे पिछवाड़े धंसे ,अंदर तक गड़े ,मोटे खूंटे का।
कुछ देर में धीमे धीमे हलके से वो बाहर सरक गया , जैसे कोई मोटा कड़ियल सांप सरकते फिसलते हुए , बिल से निकल जाय।
और मैंने अपना छेद भींच लिया , जोर से सिकोड़ के। साजन के जाने बाद जैसे कोई सजनी ,अपने घर की सांकल बंद कर ले।
एक तूफ़ान जो अभी अभी मेरे ऊपर से गुजर गया था , उसका अहसास बस समेट के सजो के बचा के मैं अपनी बंद पलकों में रखे हुए थी।
आँखे भले बंद थी लेकिन मैं महसूस कर सकती थी , भौजी मेरे पास आके बैठ गयी थीं , कुछ देर उन्होंने बहुत दुलार से मेरे बाल , गाल सहलाए , और मेरा सर उठा के अपनी गोद में हलके से रख लिया। और मुझे धीरे से सरका के ,
अब मैं आराम से पीठ के बल लेट गयी थी , भौजी के गोद में सर रखे , भौजी के प्यारे नरम हाथ मेरे गुलाबी गालों पे बहुत अच्छे लग रहे थे।
मानुष गंध , और इस महक को तो मैं अमराई के आर पार से भी पहचान सकती थी , कामिनी भाभी के सैयां ,मेरे नए बने भैय्या ,...
मन तो मेरा कर रहा था पलकें खोल के उन्हें आँख भर के देखने का , लेकिन कुछ आलस ,कुछ थकान और कुछ मस्ती भरी शरारत ,.... मैंने आँखे और जोर से भींच ली ,
लेकिन मेरे सबसे बड़े दुश्मन , ... मेरी मुस्कान ने मेरा भेद खोल दिया।
और भौजी ने मेरा मुंह खुलवा दिया , जैसे वो बाकी छोटी कच्चे टिकोरे वाली ननदों के साथ करती थी।
चट से उन्होंने मेरे गोरे गुलाबी पूरी ताकत से दबा दिया।
पट से चिरई की चोंच की तरह मैंने मुंह चियार दिया , और
सट से भैय्या ने अपना मोटा सुपाड़ा , मेरे खुले मुंह में ,....
भौजी अब कस के मेरा सर पकडे थीं , मैं सूत भर भी हिल डुल नहीं सकती थी। भैया का मोटा सुपाड़ा अभी भी पूरी तरह कड़ा , खूब फूला ,...
वही साइज , वही कड़ेपन के अहसास ,जिसके लिए मैं तरसती थी ,भरे बाजार में उसे घोंट सकती थी ,
लेकिन स्वाद , स्वाद,... एकदम अलग।
और तब तक मुझे अचानक याद आया , ...भइया का ,...अभी थोड़ी देर , बल्कि जस्ट , मेरी गांड ,... उसमें, ...
बस मैेने पूरी कोशिश की , उसे मुंह से बाहर करने की , पूरी ताकत से , ... मैं छटपटा रही थी , लेकिन
जब भैया ,भाभी की जुगलबंदी हो तो कुछ भी करना बेकार है सिर्फ चुपचाप मजे लेना चाहिए। पर सोच सोच कर , ...अभी अभी ये
मैं पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन भाभी ने कस के मेरे सर को कंधो को दबोच रखा था और भैय्या ने पूरी ताकत से अपना सुपाड़ा पेल रखा था मेरे मुंह में ,
दो चार मिनट में मैंने हार मान ली , और भौजी मुस्करा के बोली
" अरे ननदो ,तेरा ही मक्खन है, चाट ले ,स्वाद ले ले के। नीचे वाले मुंह में तो खूब मजे ले ले के घोंट रही थी , बाहर खेत में काम करने वाली तक सुन रही थी औरअब काहे नखडा चोद रही हो , छिनारपना छोड़ , रंडी क जनी ,मजे ले ले के चूस। "
मेरा तन कब का उनके कब्जे में हो चुका था।
बहुत ऐसा वैसा लग रहा था , बस किसी तरह भैया बाहर निकाल ले ,बस यही मन कर रहा था , मन गिनगिना रहां था ,
लेकिन सब कुछ मेरे बस में था क्या , मेरी जीभ , कुछ देर बाद पहले उसकी टिप भैय्या के लिथड़े चुपड़े सुपाड़े , फिर जीभ हलके हलके नीचे से , ...
भैया ने पूरी ताकत से सुपाड़ा मेरे मुंह में धकेल रखा था। और मेरी जीभ की हलकी हलकी हरकतों से , सिसकियाँ भरने लगे थे।
लेकिन भौजी इतनी आसानी से नहीं बख्शने वाली थी।
" अरे काहें आंखियां मूंदले हउ। तनी खोल के देखा , कैसे मस्त मक्खन मलाई लगी है, खोलो सीधे से नहीं तो ,... " और भौजी ने इन्तजार भी नहीं किया , जोर से मेरे निपल के कान उमेठ दिए पूरी ताकत से।
और मैंने दर्द के मारे आँख खोल दी , भैया का मोटा लण्ड ,लेकिन ,... लेकिन, मेरी ,... जैसे भौजी कह रही थीं एकदम , ....
और भौजी ने दूसरी हरकत की , जिसके आगे हर ननद हार मान के मुंह खोल देती थी।
उन्होंने कस के मेरे दोनों नथुने भींच लिए , सांस लेना है तो मुंह तो खोलना ही पडेगा , ऊपर से भैय्या ने भी जोर से निपल पकड़ के नोच लिया।
मुंह खुल गया , और उनका लिथड़ा चुपड़ा सीधे मेरे मुंह में ,
गों गों ,... मैं आवाज कर रही थी ,चोक हो रही थी लण्ड पूरे गले तक , सांस भी फूल रही थी।
" चाट चूट के पहले जैसा कर जल्दी वरना , ,... " भौजी ने हड़काया ,फिर प्यार से समझाया ,
" अरे स्वाद ले ले के , मजे ले ले के चूस , कस के चाट , बहुत मजा आयेगा , ज़रा प्यार से , अभी कुछ देर पहले कैसे चूस चाट रही थी , वैसे ही अरे तेरी गांड का ही तो है। "
कुछ देर तक तो मैंने ,... फिर धीरे धीरे,... जब भैय्या ने ७-८ मिनट बाद निकाला तो एकदम , ...साफ़ चिकना गोरापहले जैसा।
जैसे कोई शैतान बच्चा कीचड़ में होली खेल के , खूब कीचड़ लपेट के आये और माँ उसकी नहला धुला के , रगड़ रगड़ के , पहले जैसा सुथरा , चिक्कन कर दे।
जब मेरे मुंह से निकला ,तो खूब कड़ा भी हो गया था।
" अभी जाना नहीं होता न तो निहुरा के एक राउंड और लेता तेरी ,... " वो बोले।
" अरे जाओ जल्दी , बस छूट जायेगी। ये कही नहीं जा रही , तोहार बहिनिया अभी ७-८ दिन और रहेगी ,कल आ जाना फिर ,... " हँसते हुए भौजी बोलीं और मारे ख़ुशी पकड़ के चूम लिया सीधे मुंह पे।
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