RE: XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
मैं उठी कपरे और बाल ठीक किए और चमेली के साथ चाय लेकर जीजाजी के
कमरे में आ गयी, जीजाजी गहरी नींद में सो रहे थे. चाय साइड टेबल पर
रखकर चमेली ने धीरे से चादर खींच जीजाजी नंगे ही सो रहे थे, उनका
लॉरा भी सो रहा था" चमेली धीरे से बोली, "दीदी देखो ना कैसा सुस्त सुस्त
पड़ा है" मैने उनके गाल पर गीला चुंबन लिया और वे जाग गये,उन्होने मुझे
अपनी बाहों में समेट लिया. चमेली चहकि, " वह जीजाजी! रात भर दीदी की
चुदाई कर नंगे ही सो गये" "आरे रात भर कहाँ तुम्हारी दीदी तो एक ही बार में
पस्त हो भाग गयी आधी रात के बाद का वादा करके.. पर आई अब" " अरे जीजाजी!
आधी रात के बाद वाली बात तो गाने की तुक भिड़ा कर कहा था" मैने अपने को
छुड़ाते हुए चमेली से कहा "पुंछ ली ना बुर चोदि! लगता है चुदवाने के लिए
तेरी बुर रात भर कुलबुलाती रही, ऐसा था तो यहीं रात में रुक क्यो नही
गयी"
फिर जीजाजी को चादर देती हुई बोली "चलिए गरम गरम गरम चाय पिया जाय"
चादर लपेट कर जीजा जी उठे और बाथरूम मेजाकर पायजामा एवम् शर्ट पहन कर
बाहर आ कर हम लोंगों के साथ चाय पी फिर जीजाजी चमेली से बोले "ज़रा ज़रा
एक सिगरेट तो सुलगा कर देना" चमेली ने एक सिगरेट अपने मूह में लगा कर
सुलगया फिर कपरे के उपर से ही बुर के पास ले गयी और जीजा जी के ओठों मे
लगा दिया. हम सब हंस परे. जीजाजी सिगरेट लेकर यह कहते हुए बाथरूम
में घुस गये, "मुझे 10 बजे ऑफीस पहुचना है, 2 बजे तक लौट आउन्गा"
मैं समझ गयी की जीजाजी के पास इस समय हमलोगो से बात करने के लिए समय
नही है. तभी मॅमी का कॉल बेल बज उठा. हम नीचे आ गये.
मेरी मॅमी बहुत कम ही सीढ़ी चढ़ कर उपर आती हैं, उन्हे एक अटॅक पड़
चुक्का है. उन्होने नीचे से मेरे कमरे में एक कॉलिंग बेल लगवा दिया है कि
जब उन्हे ज़रूरत हो मुझे उपर से बुला लें.
9 बजे जीजाजी तैयार होकर उपर से नीचे उतरे और नस्ता कर ऑफीस चले गये.
दो बजे के करीब वे ऑफीस से लौटे और खाना खाकर आराम करने उपर चले
गये. इस बीच चमेली आ गयी. साफ-सफाई करने के बाद वह यह कह कर चली
गयी कि वह 1 घंटे के बाद आ जाएगी उसका जाना इस लिए भी ज़रूरी था क्योकि
उसे आज कामिनी के यहाँ रुकना था. थोरी देर बाद मा भी एक घंटे में आने
के लिए कह कर बगल में चली गयीं. मैने चाय बनाई और उसे लेकर उपर आ
गयी. जीजाजी 2 घंटे आराम कर चुके थे. टी साइड टेबल पर रख कर उन्हे
जगाने के लिए जैसे ही चुके उन्होने मुझे अपने आगोस मे ले लिया. शायद वे जाग
चुके थे और मेरे आने का इंतजार कर रहे थे. मैने उन्हे चूमते हुए कहा,
"जीजाजी अब उठिए! चाय पी कर तैयार होइए. कामिनी का दो बार फोन आ चुका
है" जीजा जी उठे चाय हम्दोनो ने चाय पी. चाय पीने के बाद जीजा जी
सिगरेट पीते है इस लिए आज मैने एक सिगरत पकेट से निकाली और अपने मूह
में लगा कर जला दिया और एक काश लगाकर धुआँ (स्मोक) जीजाजी के चेहरे पर
उड़ा दिया फिर सिगरेट जीजाजी को देते हुए बोली, "आप कामिनी के यहाँ चलने के
लिए तैयार होइए, मैं भी अपने कमरे में तैयार होने जा रही हूँ" जीजाजी
बोले, "चल्लो मैं भी वही चलकर तैयार हो लूँगा" मैने सोचा चलो ठीक है
जीजाजी के मन पसंद कपरे पहन लूँगी फिर बोली, "अपने कपरे ले कर आइए
लेकिन कोई शतानी नही"
क्रमशः.........
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