XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
07-12-2018, 01:20 PM,
#20
RE: XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
चमेली ने जीजाजी को ग्लास पकड़ा दिया जिसे वे बड़े चाव से सिगरेट सुलगा कर 
सीप करने लगे. चमेली उनके पास खरी थी उनके मूह से सिगरेट निकाल कर 
एक गहरा कश लगाया और उसे अपनी बुर से च्छुआ कर फिर से उनके मूह में लगा 
दिया. जीजाजी नेउसके ओठो पर अपनी मदिरा का ग्लास लगा दिया. उसने बड़ी अज़ीजी 
से हम दोनो की तरफ देखा और फिर उसने उस ग्लास से एक शिप लिया और हमलोगो 
के पास भाग आई. कामिनी ने उसकी चून्चि दबाते हुए कहा, "फँस गयी ना 
बच्चू" वाह बोली, "दीदी! प्यार के साथ चुदाई में यह सब चलता है, यह तो 
मिक्स सोडा था लोग तो सीधे मूह में मुतवाते हैं" "आरे तू तो बरी एक्सपीरियेन्स्ड 
है" कामिनी बोली. चमेली कहाँ चूकने वाली थी बोली, "हाँ दीदी, यह सब 
आपलोगों की बदओलत हुआ है" बात बिगरते देख मैं बोली, "चमेली तू फालतू 
बहुत बोलती है. अब जा चुदक्कर जीजू को खाने की टेबल पर ले आ". "उन्हे गोद 
में उठा कर लाना है क्या" वह बोली. "नही! अपनी बुर में घुसेड कर ले आ" 
मैं थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली. चमेली जीजाजी के पास जाकर बोली, "हुजूर! अब 
स्पेकाल ड्रिंक नही है, जितना बचा है उसे ख़तम कर खाने की मेज पर चलें" 
फिर जीजाजी के लौरे को सहलाते हुए बोली, " शुधा दीदी ने कहा है बुर में 
घुसा कर लाना" उसने जीजाजी को खरा कर उनके लौरे को मूह में ले लिया जीजाजी 
का लॉरा एकदम तन गया. फिर उनके गले में बाँहे डाल कर तथा उनके कमर को 
अपने पैरो में फसा कर उनके कंधे पर झूल गयी और जीजाजी ने उसके 
चूतर के नीचे हाथ लगा कर अपने लंड को अडजेस्ट कर उसकी बुर में घुसा 
दिया. आब जीजू से कामिनी बोली, " हाँ! आब ठीक है इसी तरह खाने की मेज तक 
चलिए" जीजाजी उसे गोद में उठाए खाने के टेबल तक आए. चमेली बोली, 
"देखो दीदी! जीजाजी मेरी बुर में घुस कर यहाँ तक आए हैं" उसकी चालाकी 
भरी इस करतूत को देख कर हम दोनो हंस परे. 

जीजाजी खाने की बरी मेज के खाली जगह पर उसके चूतर को टीका कर उसकी बुर 
को चोदने लगे. चमेली घबरा कर बोली, "आरे जीजाजी यह क्या करने लगे 
खाना लग गया है" "तूने मेरे लंड को ताओ क्यो दिलाया. अब तो तेरी चूत का बाजा 
बजा कर ही छोड़ूँगा ले साली सम्हाल, अपनी बुर को भोसरा बनने से बचा... 
तेरी बुर को फार कर ही दम लूँगा...". चुदाई के धक्के से मेज हिल रही थी. 
मैं यह सोंच रही थी कि मज़ाक में जीजाजी चमेली को चिढ़ाने के लिए चोद 
रहे हैं, अभी चोदना बंद कर देंगे, लेकिन जब जीजाजी नशे के शुरूर में 
बहकने लगे "साली! तूने मेरे लंड को खरा क्यो किया.... आब तो तेरी बुर फार 
कर रख दूँगा ..... ले .... ले .... अपनी बुर में लौरे को ... उस समय नही 
झारी थी आब तुझे चार बार झरुन्गा..." कामिनी धीरे से बोली "लगता है 
चढ़ गयी है" मैने जीजाजी को समझाते हुए कहा, "जीजाजी इस साली की बुर को 
चोद-चोद कर भूरता बना दीजिए.... उस समय झरी नही थी तभी तल्ख़ हो 
रही थी.... इस साली को पलंग पर ले जाइए और चोद-चोद कर कचूमर निकाल 
दीजिए. यहाँ मेज पर लगा समान खराब हो जाएगा" जीजाजी बरे मूड में थे 
बोले "ठीक है इस साली को पलंग पर चोदुन्गा..... इस मेरे लंड को खरा 
क्यो किया.... चल साली पलंग पर तेरी बुर की कचूमर निकालता हूँ" जीजाजी उस 
नंगी को पलंग तक उठा कर लाए. चमेली खुस नज़र आ रही थी और जीजाजी से 
सहयोग कर रही थी, कहीं कोई विरोध नही. जीजाजी चमेली को पलंग पर लिटा 
कर उसपर चढ़ गये और उसकी बुर में घचा-घच लंड पेल कर उसे चोदने 
लगे. हम सभी समझ गये कि जीजाजी मूड में हैं और बिना झरे वे चुदाई 
छ्होरने वाले नही हैं. 

जीजाजी उसकी चूत में अपने लंड से कस-कस कर धक्का मार रहे थे और 
समूचा लौरा चमेली की चूत में अंदर बाहर हो रहा था. वे दना-दान शॉट 
पर शॉट लगाए जा रहे थे और चमेली भी चुदासी अओरत की तरह नीचे से 
बराबर साथ दे रही थी. वह दुनिया जहाँ की ख़ुसी इसी समय पा लेना चाह रही 
थी. कामिनी इस घमासान चुदाईको देख कर मुझसे लिपट कर धीरे से बोली, " हाई 
रानी! लगता है यह नुक्सा अमेरिकन वियाग्रा से ज़्यादा एफेक्टिव है, चल आज 
उसकी ताक़त देख लिया जाइ" उसने जीजाजी के पास जाकर उनके बाल को पकड़ कर सिर 
उठाया और उनका मूह अपनी चूत पर लगा दी जिसे चाट-चाट कर चमेली की 
चूत में धक्का लगा रहे थे. इधर मैं पीछे से जाकर चमेली की चूत 
पर धक्का मार रहे जीजाजी के लंड और पेल्हरे (टेस्टिकल) से खेलने लगी. 
जीजाजी का लंड चमेली की चूत में गपा-गॅप अंदर बाहर हो रहा था और उनके 
पेल्हरे के अंडे चमेली के चूतर पर ठप दे रहे थे. बरा सुहाना मंज़र था. 
चमेली अभी मैदान में डटी थी और नीचे से चूतर हिला हिला कर जीजाजी के 
लंड को अपनी बुर में लील रही थी और बर्बरती जा रही थी, "चोदो मेरे 
राजा...... चोदो.....बहुत अच्छा लग रहा है...पेलो .. पेलो .... और पेलूऊऊओ 
....ऊऊओह माआअ जीजाजी मेरी बुर चुदवाने के लिए बहुत बेचैन थी.... 
बहुत अच्छा हुआ जो आपका लौरा मेरी बुर फाड़ने को फिर से तैयार हो 
गया...ऊओह आआहह.... ओह राजा लगता है अपने से पहले मुझे खलास कर 
दोगे... देखो ना! कैसे दो बुर मूह बाए इस घोरे जैसे लंड को गपकने के लिए 
आगे पिछे हो रही हैं.... जीजाजी आज इन मुतनियों को को भोसरा ज़रूर बना 
देना"
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