RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
गंगू के लिए आज का दिन काफ़ी अच्छा था .
दोनो ने अपने-2 पैसे समेटे और मैन रोड से निकलकर मार्केट की तरफ चल दिए ..
दोपहर का टाइम होने लगा था ...दोनो को भूख भी लग रही थी ..
मार्केट मे एक रेहडी वाला आलू पूरी बेच रहा था ..गंगू और नेहा ने वहीं बेंच पर बैठकर आलू पूरी खाए ..गंगू जब भी खुश होता था तो यही आकर खाना खाया करता था ..नही तो ज्यादातर दोपहर मे भूखा ही रह लेता था वो ..
गंगू ने नेहा से पूछा : "तुम्हे कोई परेशानी तो नही हुई ना ....वो सब करते हुए ...मतलब भीख माँगते हुए ..''
नेहा बोली : "तुम भी तो ये काम रोज करते हो ...जब तुम्हे कोई परेशानी नही है तो मुझे क्या होगी ..''
उसकी भोली सूरत और प्यार भारी बात सुनकर वो भी मुस्कुरा दिया ..
गंगू उसके चिकने शरीर को देखकर सोच रहा था की वो कब तक अपने आप पर कंट्रोल रख सकेगा ...ऐसा गर्म माल उसके पास है पर वो उसका कोई फायदा नही उठा सकता ..और अब वो उसके झोपडे मे ही रहने लगी है इसलिए उसे अकेला छोड़कर कही जा भी नही सकता ..
उसने मन ही मन निश्चय कर लिया की वो उसे अब सेक्स के बारे मे कुछ जानकारी देगा..शायद उसकी वजह से उसमे कोई बदलाव आ जाए ...
खाना खाने के बाद वो दोनो एक ऑफीस वाले एरिया मे पहुँच गये ..जहाँ काफ़ी उँची-2 बिल्डिंग्स थी और कोट और टाई पहने लोग काफ़ी पैसे भी देते थे ..
गंगू और नेहा एक पार्किंग के बाहर जाकर खड़े हो गये ..
पार्किंग के अंदर जा रहा हर आदमी नेहा को घूर-2 कर देख रहा था ...फिर जैसे ही नेहा अपने हाथ आगे करती वो उसके हाथ मे नोट पकड़ा देते ...दस के नोट की तो गड्डी बन गयी थी गंगू की जेब मे ...
शाम तक उन्होने काफ़ी पैसे इकट्ठे कर लिए और फिर जब अंधेरा होने लगा तो दोनो वापिस अपने झोपडे की तरफ चल दिए ..
जाते हुए गंगू मार्केट से होता हुआ गया ..जहाँ रज्जो रोज की तरह मच्छी बेच रही थी ..
गंगू को अपनी तरफ आता देखकर वो खुश हो गयी ..
रज्जो : "आओ गंगू ....अब तो तुम्हारी बीबी आ गयी है ...घर पर बनाना शुरू कर दे अब तो खाना ...बोल कितनी दू ..''
उसने अपनी छातियों की नुमाइश उसके सामने लगाते हुए कहा ..
गंगू ने एक नज़र नेहा की तरफ देखा और फिर झुककर रज्जो के सामने बैठ गया और बोला : "मन तो कर रहा है की सब कुछ उठा कर ले जाऊ यहा से ....पर अभी के लिए तू ये तोल दे बस ...''
गंगू ने एक बड़ी सी मच्छी उठा कर उसे दे दी ..जब रज्जो तोल रही थी तो गंगू फुसफुसाया : "आज रात आ जइयो मेरे झोपडे मे ...''
वो हैरत से उसे देखने लगी ...गंगू कई बार उसके झोपडे मे जाकर उसकी चुदाई कर चुका था और वो भी कई बार उसके पास आ चुकी थी ..और आज सुबह तो दोनो ने नदी के किनारे भी खुलकर चुदाई की थी ..
रज्जो हैरान थी की वो अपनी पत्नी के होते हुए क्यो उसे अपने झोपडे मे बुला रहा है ...क्या उसे डर नही लगता ..उसकी पत्नी को पता चल गया तो क्या होगा ...
फिर उसने सोचा 'पता चलता है तो चलने दे ...वो अगर खुद ही अपनी पत्नी के होते हुए उसे बुला रहा है तो ज़रूर उसने कुछ सोच कर ही ये कदम उठाया होगा ...'
और वैसे भी सुबह की आधी-अधूरी चुदाई के बाद से उसकी चूत अब तक सुलग रही थी ..उसका बस चलता तो वो पूरी मच्छी अपनी चूत के अंदर घुसा लेती ...पर अब गंगू के लंड की आस मिल चुकी थी उसको ...इसलिए वो मन ही मन खुश होते हुए हाँ मे इशारा करके मछली तोलने लगी ..
उसके बाद गंगू और नेहा घर की तरफ चल दिए ...आज काफ़ी पैसे इकट्ठे हो गये थे गंगू के पास ....वो किचन मे इस्तेमाल होने वाली हर चीज़ को इकट्ठा करते हुए घर की तरफ चलने लगे ...रास्ते से उसने एक शराब की बोतल भी खरीद ली ...
गंगू के पास एक पुराना स्टोव पड़ा था, जिसमे उसने तेल डालकर चालू कर दिया और फिर चावल और मछली बनाने लगा ...आज काफ़ी सालो के बाद वो किचन का काम कर रहा था ..पर फिर भी उसे कोई परेशानी नही हो रही थी ..नेहा उसके पास बैठी हुई देख रही थी .
खाना बनकर जब तैयार हुआ तो गंगू ने अपने कपड़े बदलने की सोची..
अपने भीख माँगने वाले गंदे कपड़े वो अलग ही रखता था ...उसने वो सारे कपड़े उतार दिए ..
नेहा नज़रे चुरा-2 कर उसके कसरती बदन को देख रही थी ..
अचानक गंगू ने अपना अंडरवीयर भी उतार दिया ...नेहा एकदम से सकपका गयी ..और उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया ..पर फिर धीरे से पलटकर वो दोबारा वहीं देखने लगी ..
गंगू का लंड खड़ा हो चुका था ...वो नेहा की तरफ नही देख रहा था पर फिर भी जानता था की वो उसे ही देख रही है ...अपने खड़े हुए लंड को वो अपने हाथ मे लेकर पूचकारने लगा ...
नेहा चारपाई पर बैठ गयी ...अब वो भी खुलकर गंगू को देख रही थी ..गंगू तो ऐसे बिहेव कर रहा था जैसे उसे कोई फ़र्क ही नही पड़ता अपने नंगेपन से ...
गंगू ने अपना पयज़ामा और एक पुरानी सी टी शर्ट पहन ली ...और बर्तन निकालने लगा ..और नेहा से बोला : "तुम भी अपने कपड़े बदल लो ...फिर खाना खाते हैं ...''
नेहा सकुचाती हुई सी उठी ..और झोपड़ी के दूसरे किनारे पर जाकर खड़ी हो गयी ...
अब गंगू की नज़रें उसकी तरफ थी ..वो अपनी बोतल खोलकर आराम से उसको कपडे बदलते हुए देखने लगा, नेहा ने अपनी चोली उतार दी ..और जैसे ही उपर का टॉप पहनने लगी ..गंगू बोला : "ये ब्रा भी उतार दे ...रात को सोते हुए तकलीफ़ होती है नही तो ..''
नेहा ने उसकी तरफ देखा और फिर दूसरी तरफ घूम कर उसने अपनी ब्रा भी उतार दी ..इसी बीच गंगू ने बड़ी चालाकी से उसके पीछे जाकर उसका टॉप उठा लिया और वापिस अपनी जगह पर आकर बैठ गया ..
नेहा ने जब अपना टॉप उठाना चाहा तो वहाँ वो नही था ...वो घूम-2 कर अपना टॉप देखने लगी ...उसने अपने हाथों से अपनी ब्रेस्ट को ढक लिया था ..और कभी इधर जाकर और कभी उधर जाकर अपना टॉप देखने लगी ..
गंगू उसके अर्धनग्न जिस्म को बड़े घूरकर देख रहा था ..फिर उसने जल्दी से वो टॉप चारपाई के नीचे फेंक दिया ..और बोला : "वहाँ देखो ...शायद उधकर चारपाई के नीचे चला गया है ...''
नेहा अपने मुम्मों को अपने हाथों मे पकड़े -2 ही नीचे झुकी और उसे अपना टॉप दिखाई दे गया ...उसने एक हाथ को ज़मीन पर रखा और दूसरे को आगे करते हुए अपना टॉप उठा लिया ..
बस इतना समय ही बहुत था गंगू के लिए...उसके मोटे-2 थन लटके हुए देखने का ..
नेहा ने जल्दी से अपना टॉप उठाया और पहन लिया ...उसके बाद अपना घाघरा भी उतार दिया और वही पुराना पयज़ामा पहन लिया ..
दोनो ने मिलकर खाना खाया ....गंगू ने सचमुच काफ़ी स्वादिष्ट खाना बनाया था ...नेहा ने उसकी तारीफ की और साथ ही साथ उसकी नज़रों ने उसके खड़े हुए लंड को भी देखा, जो शायद उसके मोटे मुममे देखकर अभी तक बैठने का नाम नही ले रहा था .
नेहा खाना खाने के बाद जल्द ही सो गयी...और गंगू इंतजार करने लगा रज्जो का .
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