Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
07-19-2018, 12:26 PM,
#12
RE: Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
जिस्म की प्यास--8

गतान्क से आगे……………………………………

डॉली अपने आपको शीशे में निहारने लगी.. उस पुश अप ब्रा मेवो काफ़ी हसीन लग रही थी...

अपने बालो को खोलके वो उंगलिओ के नाख़ून अपने स्तन के उपरी हिस्से पे चलाने लगी... वो थर्कि सेल्समन उन पैंटी को अपने लंड से लपेट तो नहीं सकता था मगर उनको अच्छी तरह महसूस करकर वो ट्राइयल रूम की तरफ बढ़ा....

सेल्समन चाहता तो था कि वो डॉली को पॅंटीस अपने हाथो से पकड़ाए मगर उपर से फेंकने में ही भलाई थी...

जैसे ही उसने 'मॅम' बोला तो डॉली ने अपने आप ही ट्राइयल रूम का दरवाज़ा खोला और अपना हाथ आगे बढ़ाया...

सेल्समन के चेहरे पे एक लंबी मुस्कुराहट थी... उसने डॉली के हाथ को छुते हुए उसे पॅंटीस थमा

दी और वहाँ से थोड़ा दूर खड़ा हो गया... डॉली ने सबको स्टूल पे रखा और अपनी सफेद स्कर्ट को नीचे उतारा...

. अब वो सिर्फ़ एक पुश अप ब्रा और पैंटी में खड़ी हुई वी थी... उसने अपनी पैंटी को नीचे करा और उसे टाँगो

से निकालने के झुकी तो उसने पुश ब्रा की वजह से बनता हुआ क्लीवेज देखा.... वो अपने आपको वैसे

देखकर थोड़ा शर्मा गयी.... उसकी चूत पर बाल अब ज़्यादा बढ़ गये थे जिनपे खुजली होने लगी...

1 सेकेंड अच्छी तरह खुजाने के बाद उसने पहली पैंटी ट्राइ करी जो उसके नितंभ को पूरी तरह धक रही थी....

वो थोड़ा शर्मा गयी ये सोचके कि उस सेल्समन ने कितनी अच्छी तरह से उसके नितंबो को देखा होगा जो एकदम

सही पैंटी लाके दी....दूसरी पैंटी थोड़ी टाइट थी जिसको पहने की वजह से उसके नितंब थोड़े से दिख रहे थे...

मगर जब उसने अगली पैंटी उठाई तो उन्हे देख कर वो थोड़ा सा हैरान हो गई... उस सेल्समन ने उसे एक काले रंग का

थोन्ग पहनने को दिया था.... डॉली ने मस्ती में उसे पहना और मूड कर अपने नितंब को देखने लगी...

वो काफ़ी उत्साहित हो गयी थी अपनी गान्ड को छुके... हल्के से जब उसने नीचे हिस्से को दबाया तो वो शर्मा गयी.....

वो सेल्समन को समझ आ गया था कि मेडम ने उस थोन्द को भी पहेन ही लिया होगा.... फिर भी उसने पूछा

"मेडम सारी फिट हो रही है ना..." डॉली ने धीमे से हां कहा... फिर उसने अपनी ब्रा आंड पैंटी वापस पेहेन्के

अपने कपड़े पहने और वहाँ से बाहर निकली.... सेल्समन के चेहरे की गंदी मुस्कुराहट देखकर उसे थोड़ा अजीब सा लगा....

खैर फिर उसने सारे ब्रा/पैंटी में अलग अलग रंग ले लिया... आख़िर में उस सेल्समन ने खुद पूछा

(जैसा कि वो चाहती थी) मॅम इसका (थोन्ग) का क्या करू??

डॉली को बहुत चाह थी वो लेने की मगर उसने अभी उसे रहने दिया और वहाँ पैसे देके चली गयी...

उस सेल्समन से रहा नहीं गया और उस थोन्ग को सुंगते सुंगते जिसमें डॉली की खुश्बू बेहद आ रही थी

तकरीबन 10 मिनट तक मूठ मारा....

डॉली ने गाड़ी में बैठके अब्दुल से कयि बारी माफी माँगी और अब्दुल ने भी उसको माफ़ कर्दिआ... कुच्छ 9:30 बजे तक वो पहुच गयी और अपने पापा के साथ खाना ख़ाके जल्दी सो गयी...

उधर दिल्ली में काफ़ी बदलाव आ गया था... शन्नो अब अकेली बिस्तर पर रहती थी अपनी तन्हाइओ में.. उसे सबसे

ज़्यादा दुख इस बात का था कि नारायण के जाने से पहले वो उसे चुदि नहीं.... नारायण के लाख बारी कोशिश करने पर

भी उसने अपने पैर पर कुलहारी मार ली.... ललिता ने अब डॉली का कमरा ले लिया था और वो काफ़ी खुश थी कि आख़िर

कार उसके पास उसका खुद का कमरा है जिसको वो जैसे सजाना चाहे सज़ा सकती है... चेतन के पास भी अब एक पूरा

कमरा आ गया था... मगर दोनो की ज़िंदगी में अधूरापन था... चेतन डॉली के साथ बिताए हुए वो

हसीन पल को भूल नहीं पा रहा था... उनको सोचकर ही उसका लंड खड़ा होने लगता और वो आँखें बंद करके

डॉली को याद करके मूठ मारता... ललिता को चेतन और डॉली के बारे में पता चल गया था...

और ये ख्यालात उसके दिमाग़ में चलता था अब सिर्फ़ वो ही है पूरी दुनिया में जो इतनी साल की होने के बाद भी

चुद्ने का मज़ा नहीं ले पाई.... ललिता को चेतन में कोई दिलचस्पी नहीं थी... उसे वो बिल्कुल भी अच्च्छा नहीं लगता

था और वैसे बात ये थी कि अपने भाई के साथ वो हमबिस्तर नही होना चाहती थी मगर उसकी जिस्म की प्यास

मिटने का नाम ही नहीं ले रही थी...

कुच्छ दिन तक सबकी ज़िंदगी रूखी सूखी चलती रही... फिर एक दिन चेतन ने शन्नो से कहा: मम्मी ऐसा हो सकता है

की कुच्छ दिनो के लिए चंदर यहाँ रहने आ जाए. उसके नाना की तबीयत बहुत बिगड़ी हुई है तो उसके मा बाप

उन्हे देखने ओरिसा जाने वाले है. शन्नो ने कुच्छ देर सोचा और फिर चंदर को घर पे रुकने क लिए इजाज़त देदि.

वो जानती थी चंदर एक अच्छे और अमीर घर का लड़का है और उसकी वजह से ही उसका बेटा स्कूल जाने लग गया है.

शन्नो ने चंदर की मा से बात करके उनको भरोसा दिलाया कि चंदर हमारे साथ बिना किसी परेशानी

से रहेगा और आप बिना चिंता करें ओरिसा जाइए. चंदर काफ़ी खूबसूरत लड़का था और चेतन का

सबसे अच्च्छा दोस्त भी. लंबा कद मज़बूत शरीर और सॉफ गोरा चेहरा की वजह से काई लड़किया उसपे मन ही

मन मरती थी. ललिता चंदर से काई बारी मिली है मगर चंदर कभी भी उसके साथ खुल नहीं पाता था और

यही चंदर की सबसे खराब बात थी. अगर वो चाहता अब तक कयि लड़कियों को पटा सकता था मगर

उसके अंदर हिम्मत नहीं थी. वो मन ही मन लड़कियों के बारे में सोचके मज़े लेता था.

उधर भोपाल में सुबह स्कूल जाने से पहले नारायण ने डॉली को बताया कि 3 दिन में हमारे स्कूल में डिन्नर

रखा गया है हमारे लिए..... स्कूल के सारे लोग अपनी फॅमिली के साथ आ रहे है....

नारायण ने कहा मैं चाहता हूँ कि मेरी बेटी आए और मेरे साथ रहे. ये बोलके नारायण स्कूल के लिए चला गया..... उस दोपेहर दिल्ली में जब ललिता स्कूल से घर आई तो उसने घर की बेल बजाई और घर का दरवाज़ा

चंदर ने खोला. ललिता 2 सेकेंड के लिए कुच्छ बोल नहीं पाई बस चंदर को देखने लगी और वोही हाल

चंदर का भी था. "चंदर तुम यहाँ कैसे आ गये" ललिता ने मुस्कुराते हुए पूछा..

चेतन आया और उसने बोला " आपको बताना भूल गया था... चंदर यहीं रहेगा कुच्छ दिनो के लिए

हमारे साथ क्यूंकी इसके पापा मम्मी ओरिसा गये हुए है"....

ये सुनके ललिता के चेहरे पे मुस्कान आ गयी... फिर सबने साथ में बैठके लंच किया.

चंदर और ललिता आमने सामने बैठे हुए थे और ललिता के चेहरे पे शरारत से भरी हुई मुस्कान

रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. खाना खाने के बाद वो अपने कमरे में चली गयी और

उसे बंद कर लिया. वो सोचने लगी कि अब चंदर घर पे है तो ज़रूर ये दोनो स्कूल नहीं जाएँगे तो

इसका मतलब मुझे भी छुट्टी लेने का प्लान बनाना पड़ेगा. ये सोचते सोचते ललिता बिस्तर पे जाके सो गयी.

जब शाम हो गयी तो उसको दरवाज़े पर खटखटाने की आवाज़ आई. वो अपनी नींद की भरी हुई

आँखों में उठी और दरवाज़ा खोला.

चेतन ने मज़ाक में बोला "क्या अफ़ीम ख़ाके सो जाती हो आप" ये सुनके ललिता हँसने लग गयी...

फिर चेतन ने कहा "सुनो मैं और चंदर बाहर जा रहे है आपको कुच्छ चाहिए तो नही ललिता ने मना कर दिया.

कुच्छ देर बाद जब वो अपने मम्मी के कमरे में गयी तो शन्नो ने बोला "ललिता बेटा क्या कर रखा है

ये तूने. मैने तुझे दोपेहर में बोला था ना के वॉशिंग मशीन ऑन कर दिओ"

ललिता ने माफी माँगते हुए कहा "ओह्ह भूल गयी थी मम्मी"

शन्नो बोली "भूल गयी थी की बच्ची कल क्या पहेन के जाएगी अगर कपड़े ही ना धुले हुए हो" ललिता मज़ाक में बोली

"कोई बात नहीं कल में बिना कपड़ो के चली जाउन्गि ना."

हॉ गंदी लड़की शन्नो ने ललिता के कंधे पे हल्के से मारते हुए कहा. फिर शन्नो ने कहा

"अच्च्छा सुन अपना कमरे को अंदर से बंद करके ना सोया कर सिर्फ़ भेड़ दिया कर". ललिता ने पूछा क्यूँ.
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