Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
07-19-2018, 01:20 PM,
RE: Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
जिस्म की प्यास--29

गतान्क से आगे……………………………………

अगले दिन चेतन ने अपनी मम्मी को खुद कह दिया कि अब भोपाल का टिकेट कार्वालो जिससे सुनके शन्नो के दिल में बहुत दर्द हुआ... अब उसका उसकी परिवारिक ज़िंदगी में लौटना असंभव था और वो यहीं चेतन के साथ अपनी ज़िंदगी

गुज़ारना चाहती थी... इतने दिनो में नारायण ने शन्नो से बात तक भी नहीं करी थी जिससे शन्नो को सॉफ

एहसास होने लगा था कि नारायण को उसकी कोई ज़रूरत नहीं है और वो अपनी ज़िंदगी में बहुत ही ज़्यादा खुश है....

शन्नो अब उसके पास वापस नही जाना चाहती थी बल्कि अपने बेटे की बाँहों में रहना चाहती थी....

सुबह से दोपहर शन्नो इसी बात को लेकर चिंतित रही... उसे समझ नही आया था कि चेतन ने उसे ये क्यूँ कहा??

क्या वो मुझसे बोर हो चुका है

पूरी दोपहर शन्नो अपने ही ख़यालो में खो चुकी थी... वो अपने टाय्लेट में गयी और उसने

दरवाज़ा बंद कर दिया... अपनी नाइटी के अंदर हाथ घुसाकर उसने अपनी चूत में एक उंगली डाली और

वो पानी बिन मछली की तरह तड़प उठी.... आहिस्ते आहिस्ते अंदर बाहर अंदर बाहर शन्नो की उंगली उसकी

चूत में होती रही... उसकी नज़र वॉशिंग मशीन पे पड़ी तो उसने झट से उसे खोला और वहाँ पड़े चेतन के कच्छे को देख कर उसकी आँखें बड़ी हो गयी... उस अंडरवेर को उसने उठाके देखा तो उसपे अभी

उसके बेटे के वीर्य के धब्बे मौजूद थे..... शन्नो वॉशिंग मशीन से टिक के ज़मीन पे बैठ गयी...

अपनी टाँगें चौड़ी करके उसने अपनी कच्छि को उतारा और अपनी चूत से खेलने लगी....

चेतन के हरे अंडरवेर को अपनी नाक से सूंघ सूंघ कर वो और भी ज़्यादा तड़प गयी थी....

उसकी चूत का पानी फर्श पे बहने लगा था मगर उसकी उंगली रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी...

जब चेतन के वीर्य की सुगंध उसकी नाक में भर गयी तो अपनी ज़बान से वो उन धब्बो को चाटने लगी...

उसका जिस्म पूरी तरह मचल उठा था... देखते देखते उसकी चूत ने वहीं पानी छोड़ दिया और उसकी

उंगली पे लगा पानी उसने अपने होंठो पे लगाके के चाट लिया.... अपने आपको खुश करने के बाद भी वो

अभी खुश नहीं थी... हार मानकर वो टाय्लेट से निकली और बिस्तर पे बैठके अपनी हालत पे आँसू टपकाने लगी...

कुच्छ देर तक सोने के बाद शन्नो जब अपने बिस्तर से उठी तो वो पूरे घर में चेतन को आवाज़

देकर ढूँढती रही मगर वहाँ कोई नहीं मिला.... शन्नो को लगा अगर वो थोड़ी देर घर के सन्नाटे से बाहर

रहेगी तो शायद उसका मन हल्का हो जाएगा.... वो सफेद सलवार कुर्ता पहेन के घर से निकल गयी और

चाबी फुट्मॅट के नीचे छुपाके रख दी जहाँ अकसर वो चाबी रखा करते थे... घर से थोड़ी ही दूर

एक पार्क था शन्नो उधर जाके बैठ गयी और जो भी ग़लत काम उसने करा है वो उसे याद करने लगी...

उस काले सच की शुरुआत होने पर ही अगर वो सम्भल जाती तो शायद ऐसा नहीं होता उसके साथ....

जब हल्का अंधेरा छाने लगा आसमान पे तब शन्नो वापस घर जाने लगी.....

जब वो घर पहुच गई तो फुट्मॅट के नीचे अभी भी चाबी थी और एक लंबी साँस लेकर उसने दरवाज़ा

खोला और उसे बंद करके अपने कमरे की तरफ बढ़ी.... कमरे के अंदर जाते हुए एक आवाज़ आने पर

उसके कदम रुक गये... वो दबे पाओ चेतन के कमरे की तरफ बढ़ी और दीवार से सतकर कर खड़ी हो गयी....

दरवाज़ा खुला हुआ था और चेतन के साथ उसे एक लड़की की आवाज़ आ रही थी और वो आवाज़ उसी की

बेहन आकांक्षा की थी.... शन्नो के आँखो में आँसू झलक उठे जब उसे एहसास हुआ कि उसने चेतन के लिए

इतना सब किया और उसे ऐसा सिला मिल रहा है....

शन्नो गुस्सी में कमरे में गयी जिसे देखकर आकांक्षा और चेतन एक दम से चौक गये...

शन्नो ने आकांक्षा के बाल पकड़े और उसके गाल पर चाँते बरसाने लगी... आकांक्षा भी पिछे नहीं हटी

और उसने अपनी बड़ी बेहन का कुर्ता फाड़ दिया और उसके बदन पे घूसे मारने लगी....

चेतन को समझ नहीं आया वो क्या करे मगर उसने दोनो को एक दूसरे से अलग करने की कोशिश करी....

आकांक्षा ने चेतन को धक्का दिया और उसका सिर दीवार पे जाके लगा और ज़मीन पे गिर गया....

चेतन को ज़मीन पे गिरा देख आकांक्षा ने शन्नो को धक्का दे के अपने आप से दूर करा और चेतन को

देखने लग गयी और तभी उसके सिर के पीछे एक भयंकर दर्द महसूस हुआ... उसने अपने हाथ से उसे

महसूस किया तो सिर से खून टपकने लगा था... आकांक्षा ने पीछे मूड कर देखा तो शन्नो के हाथ में

एक विकेट थी.... शन्नो के सामने उसके बेटे और उसकी बहन की मौत हो गयी थी... वो वही खड़ी रही चुप चाप..

कुच्छ समय के लिए समय रुक सा गया था... फिर धीरे धीरे चलती हुई शन्नो किचन की तरफ गयी..

. एक ड्रॉयर खोलके उसने एक छुरि निकाली और 7-8 बारी अपने जिस्म पे वार कर दिया.... उसके बदन में से खून ज़मीन पे बहने लगा और उसकी आँखें वही बंद हो गयी...

तीनो की लाश उसी कमरे में पड़ी रही और इस बात का पूरे मौहल्ले में किसी को भी अंदाज़ा नहीं था...

(आकांक्षा देहरादून नहीं गयी थी.. वो अभी भी दिल्ली में थी बस चेतन से दूर रहने के लिए उसने चेतन से मिलने से इनकार कर दिया था.... आज सुबह ही चेतन उसके दिल्ली वाले फ्लॅट में गया और उसको अपने से चुदवाने के लिए मजबूर कर दिया... तभी आकांक्षा चेतन के साथ उसके घर आई और ये अनहोनी घटी)

उधर भोपाल में डॉली का समय रात का इंतजार करने में ही निकल गया और जैसी ही शाम आई वो

नहा के तैयार हो गई उसने सलवार कुरती पहेन लिया और अपने बाल अच्छे से बना लिए...

उसने एक बॅग लिया और उसमें एक ड्रेस रख लिया ताकि वो पार्टी में जाने के लिए वो पहेनले और घरवालो

को पता ना चले.. जब डॉली बाहर जाने लगी तो नारायण ने उसे बॅग के बारे में पूछा तो डॉली ने कह दिया

"ये रात को सोने के लिए कपड़े है"

जब डॉली बाहर निकली तो राज गाड़ी लेके आया हुआ था... डॉली जाके उसके साथ बैठ गयी..

राज ने देख कर ही उसको कहा "क्या यह पहनके पार्टी में आओगी?? डॉली बोली "अर्रे नहीं नहीं बॅग

में लाई हूँ ना कपड़े.. ये तो घरवालो के सामने दिखावा करने के लिए" फिर राज ने पूछा

"अच्छा तो फिर क्या पहनोगी..??" डॉली ने बोला "जीन्स और टॉप लाई हूँ" राज ने वही गाड़ी रोकी और बोला

"यार कोई ड्रेस ले आती ज़्यादा तर ड्रेस में ही होते है यार.." आज नज़ाने राज इतने नखरे क्यूँ कर रहा था..

शायद पहली बारी उसके दोस्त उसकी गर्ल फ्रेंड को देखेंगे तो उनको ये ना लगे कि बहनजी है डॉली के दिमाग़ में

ये चल रहा था.... फिर राज बोला चलो मैं तुम्हे अपनी दोस्त के घर ले जा रहा हूँ तो वहीं चेंज कर लेना...

कुच्छ दूर जाके राज ने गाड़ी रोकी और वो अपनी दोस्त कश्मीरा के घर लेके गया डॉली को...

हाई हेलो करने के बाद जब डॉली कश्मीरा के टाय्लेट में कपड़े बदलने जा ही रही थी तभी राज ने कश्मीरा

से कहा "यार ऐसा हो सकता कि तू अपना कोई ड्रेस देदे डॉली को पहनने के लिए... मैं तुझे कल वापस कर्दुन्गा" कश्मीरा ने तुरंत हां कह दिया और डॉली को एक ड्रेस दिया जोकि उपर सफेद था नीचे से काला...

राज का दिल रखने के लिए डॉली उस ड्रेस को पहेन ने के लिए राज़ी हो गई.. कश्मीरा कुच्छ ज़्यादा पतली सी

थी तो जब डॉली ने वो ड्रेस पहना तो उसको वो काफ़ी टाइट आ रहा था... पीछे हाथ बढ़ा कर वो अपने

ड्रेस की चैन भी बंद नहीं कर पा रही थी... वो ड्रेस उसकी जाँघो को आधा ही धक पा रही थी...

काफ़ी देर चैन बंद करने की कोशिश करने के बाद उसने राज को अंदर बुलाया चैन चढ़ाने के लिए तो

राज को डॉली की ब्लॅक ब्रा के हुक दिखे... मज़ाक मज़ाक में उसने उन्हे खोल दिया...

डॉली को जैसे ही इस बात का एहसास हुआ तो वो गुस्सा करने लगी.... डॉली का मूड ना खराब हो इसलिए राज

ने वापस हुक लगा दिए और ड्रेस की चैन भी खीच दी.. डॉली अपने कपड़े बॅग में रखके वापस गाड़ी में ले गयी और फिर दोनो फार्म हाउस जाने लगे जोकि भोपाल के किनारो में था...

घर में ललिता अकेले बिस्तर पे बैठी बहुत ज़्यादा बोर हो रही थी... उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे...

उसे एक बात से चिढ़ मच रही थी कि उसकी बहन डॉली को इतनी आसानी से रात में बाहर जाने के लिए हां

कह दी गयी जबकि वो झूठ बोलके अपने बॉय फ्रेंड के साथ गयी है.... ललिता को पूरा यकीन था कि आज उसकी बेहन

चुदाई का मज़ा लेगी वो अभी अपने बॉय फ्रेंड के साथ.... उसके दिमाग़ में डॉली एक दम नंगी हुई बिस्तर पे राज के

लंड से खेलती हुई दिख रही थी.... उसे अपनी बहन से जलन मचने लगी थी.... ललिता इन सब बातोको अपने दिमाग़ से

निकालने के लिए सोने लग गयी तो उसे लगा कि एक आखरी बारी टाय्लेट हो आती हूँ कि कहीं रात में ना उठना पड़े....

ललिता बिना कुच्छ आवाज़ करें डॉली के कमरे की ओर बढ़ी क्यूंकी उसके विजय मामा वहाँ सो रहे थे और

वो उन्हे जगाना नहीं चाहती थी... जब उसने कमरे का दरवाज़ा खोला तो एक कम रोशनी वाला बल्ब जला हुआ था और

उसके मामा कमरे में नहीं थे.... ललिता को लगा कि वो टाय्लेट में होंगे तो वो वही खड़ी इंतजार करने लगी...

फिर उसने वहाँ लॅपटॉप पड़ा हुआ देखा जिसका मुँह दीवार की तरफ था... उसके दिल में देखने की चाह जागी कि

विजय मामा इतनी देर रात लॅपटॉप पे कर क्या रहे होंगे तो वो तुर्रत भागती हुई बिस्तर पे लॅपटॉप की तरफ गयी और

उसने वहाँ देखा की उधर एक फोल्डर खुला हुआ है जिसमे ढेर सारी पॉर्न डाली हुई है....

उनमें से एक पॉज़ हुई भी रखी थी... ललिता जल्दी से कमरे में से निकली ताकि उसके मामा को उसपे शक़ ना हो...

अपने कमरे में पहूचकर उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गयी और उसके दिमाग़ में गंदा ख़याल

आया विजय मामा के अंदर जिस्म की प्यास पैदा करने का..

कुच्छ देर बाद वो एक दम अंजान बनकर फिर से कमरे में गयी और विजय अभी लॅपटॉप ऑन किए हुए बिस्तर पे बैठा था... दरवाज़ा खुलने पर वो ज़रा सा भी घबराया नहीं और ललिता को देख कर हल्का सा मुस्कुराया....

ललिता चुप चाप टाय्लेट के अंदर गयी और कुच्छ देर वक़्त गुज़ारने के बाद उसने अपनी पैंटी को उतारकर हॅंडल

पे टाँग दिया ताकि जब विजय मामा टाय्लेट जाएँगे तो उसे देख कर मचल उठेंगे...

अपना काम करकर ललिता अंजान बनकर वहाँ से चली गयी और अपने दिमाग़ में गंदे गंदे ख़याल सोच कर

अपने आपको संतुष्ट करने लगी मगर ऐसा कुच्छ भी नहीं हुआ और कुच्छ देर के बाद वो सो भी गयी...

उधर गाड़ी में डॉली अपने ड्रेस को बारे में सोच रही थी जोकि उसने पहेन रखा था...

उस ड्रेस की अच्छी बात ये थी कि उसके स्ट्रॅप्स थोड़े बड़े थे जिनमे ब्रा का स्ट्रॅप आराम से छुप रहा था और

ड्रेस भारी भी तो ब्रा और पैंटी की लाइन्स नहीं बन रही थी...घर के बाहर काफ़ी लाइट्स लगी हुई थी और जैसी ही घर

के पास पहुच रहे थे तो गानो की भी आवाज़ आ राई थी.. राज ने डॉली को बाल खोलने को कहा और डॉली

ने उसकी बात मान ली... जब दोनो अंदर घुसे तो म्यूज़िक और तेज़ हो गया और राज डॉली को लेके अपने दोस्तो के पास लेगया... राज ने डॉली को सबसे मिलवाया...

एक लड़के का नाम निकेश था, दूसरे का रवि और जिसका बर्थ'डे था वो सरदार था उसका नाम सुखजिंदर था सब

उसे सुखी बुलाते थे... फिर बारी बारी डॉली बाकी लोगो से भी मिली और फिर राज और डॉली डॅन्स करने लगे...

कयि लड़किया बीच बीच में राज के पास आई मगर डॉली ने उन सबको भगा दिया और राज के बिल्कुल पास

खड़ी होकर नाचने लगी.... कुच्छ घंटे बाद डॉली और राज दोनो थक कर बैठ गये...

दोनो को बैठा देख सुखी उनके पास गया राज को उसने बियर पकड़ाई और डॉली को कोक देदि...

डॉली को देख कर सुखी ने बोला "मैं कोक लाया हूँ मेरे ख़याल मे आप ड्रिंक नहीं करती होंगी"

डॉली को ये जानके खुशी हुई और उसने कोक पीनी शुरू की... जब डॉली का ग्लास ख़तम हो गया तो सुखी ने डॉली

को उसके साथ नाचने के लिए कहा उसका बर्थ'डे था तो डॉली ने भी इनकार नही किया और दोनो नाचने लग गये...

राज अकेला बैठा हुआ था और डॉली को अपने दोस्त के साथ नाचता हुए देख रहा था... डॉली को पता था कि

उसके बॉय फ्रेंड की नज़रे उसपर ही थी और उसे थोड़ा जलाने के लिए डॉली ने सुखी के कंधो पे हाथ रख दिए और सुखी ने भी डॉली की कमर पे हाथ रख दिया... दोनो बड़ा झूम के नाचने लग गये...

राज के पास रवि और निकेश आए और डॉली की तारीफ करने लगे... राज चुपचाप बियर पीते हुए दोनो की

बात सुनता रहा... फिर निकेश बोला "मुझे इसको चोद्ने का मन" राज निकेश को देखने लग गया...

रवि भी बोला " वैसे मन तो मेरा भी कर रहा है... ये हमारे प्रिन्सिपल की बेटी है ना...

क्या माल लग रही है इस ड्रेस में कसम से लोग हज़ारो रुपय दे देंगे इसके साथ एक रात गुज़ारने के लिए...

तूने तो काई बारी काम कर दिया होगा ज़रा हमे भी तो दर्शन करा दे??" राज ने कुच्छ नही बोला और अपनी बियर

पीने में लग गया... निकेश बोला "साले बता ना बहुत गंदा मन कर रहा है.. देख कैसे सुखी के साथ नाच

रही है और सुखी भी उसकी कमर पे अपना हाथ चला रहा है.." राज दोनो ने को मना कर दिया...

और वहाँ से चला गया... काफ़ी देर नाचने के बाद डॉली डॅन्स फ्लोर से दूर जाके बैठ गयी और निकेश और

रवि उसके पास जाके बैठ गये.. राज जब वॉशरूम गया तो सुखी ने उसको बोला

"साले तूने निकेश और रवि की बात सुनी?? नाटक क्यूँ कर रहा है.. मेरा बर्तडे है यार...

तेरेको भी तो मैने कितनी लड़कियों को चोद्ने का मौका दिया है और उनमें से एक तो मेरी कज़िन थी"

राज रुक के बोला "अबे बॉय फ्रेंड हूँ उसका नाटक तो करूँगा ही दिखावा करने के लिए." ये बोलके दोनो हँसने लग गये..

फिर राज बोला "इंतज़ाम है भी कुच्छ या बलात्कार करने वाले हो मेरी गर्ल फ्रेंड का??"

सुखी बोला "अर्रे टेन्षन ना ले.. अभी उसकी कोक में तो टॅब्लेट्स डालके पिलाई थी ताकि उसको कुच्छ याद ना रहे और अब

बस तू उसको वोड्का पिला ताकि हमारी भाभी झूम पड़े"

क्रमशः…………………..
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