Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
07-19-2018, 01:20 PM,
RE: Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
जिस्म की प्यास--30

गतान्क से आगे……………………………………

राज जब डॉली के पास गया तो कोक में वोड्का मिलाके लाया और डॉली को पीने के लिए बोला...

धीरे धीरे करके डॉली ने वो ग्लास पी लिया और उसके बाद निकेश रवि सुखी उसे डॅन्स करने के लिए ले गये....

बारी बारी तीनो उसके साथ नाचने लग गये... नशा डॉली के दिमाग़ में चढ़ रहा था और रवि निकेश सुखी

तीनो बारी बारी उसका फ़ायदा उठा रहे थे... कोई उसकी गर्दन को छुता तो कोई कमर को और सुखी तो एक दम

आगे बढ़ कर उसकी गान्ड को छुने लग गया... राज बियर पीता हुआ इन सबको देख कर मज़े ले रहा...

फिर कुच्छ 3 बजे पार्टी ख़तम होने लगी और एक के बाद के सब चले गये... पूरे फार्म हाउस में राज, निकेश, रवि, सुखी और एक नशे में डूबी हुई डॉली रह गये...

फार्म हाउस की बाहर की लाइट्स बंद करदी और अंदर डिम करदी और फिर चारो घेरा बनाके डॉली के साथ नाचने लगे...

अभी भी डॉली के इन चारो का हाथ अपना बदन से हटाने की कोशिश कर रही थी तो राज ने एक ग्लास में

वोड्का डाली और डॉली को पीने पर मजबूर कर दिया... धीरे धीरे डॉली ने वोड्का का ग्लास ख़तम कर

दिया और वो नशे में धुत हो गयी... नशे में झूमि हुई डॉली कभी सुखी के उपर गिरती तो कभी सचिन के उपर.....

नाचते नाचते डॉली की ब्रा का हुक खुल गया और उसका स्ट्रॅप कंधे से हटके नीचे गिरने लगा..

डॉली ने उसको उठाने की कोशिश करी मगर वो फिर से गिरे जा रहा था ..

सुखी ने इस बात का फ़ायदा उठाकर डॉली को बोला "डॉली तुम्हारी ब्रा का हुक शायद खुल गया है.. मैं लगा दू??"

सब चौक गये जब डॉली ने सुखी को ये करने की इजाज़त देदि... सबको पता चल गया था कि अब प्रिन्सिपल की बेटी

पूरी तरह काबू में आ गयी है... सुखी ने डॉली की ड्रेस की चैन पीछे से खोली और उसकी नंगी पीठ

को देख कर उसका लंड एक दम खड़ा हो गया... उसी दौरान सचिन ने म्यूज़िक ऑफ कर दिया और पूरे फार्महाउस पे शांति फेल गयी.. सुखी डॉली की कोमल पीठ पे अपनी उंगलिया चलाने लगा... "क्या कर रहे हो सुखी? हुक लगाओ ना' डॉली ने

नशे में कहा मगर सुखी ने कुच्छ जवाब नहीं दिया..

डॉली को नशे में देख कर बारी बारी सबने अपनी टी-शर्ट को उतार दिया जिसे देख कर डॉली ने पूछा

"अर्रे तुम लोग अपने कपड़े क्यूँ उतार रहे हो" सचिन बोला "वो हम खेल खेल रहे है.. तुम खेलोगी??"

डॉली अभी भी झूमते हुए बोली "पर मैने तो टी-शर्ट पहनी ही नहीं है" तो रवि बोला " पर ड्रेस तो पहनी है" राज ने भी कहा "अब ऐसे अच्छा थोड़ी ना होता है कि सिर्फ़ एक ही इंसान ने कपड़े पहेन रखे हो.. चलो डॉली तुम भी अपना ड्रेस उतारो"

सारे लड़के डॉली डॉली डॉली डॉली करके चिल्लाने लगे

डॉली बोली "एक शर्त पर... तुम सब अपनी आँखें बंद करो और 5 तक गिनने के बाद खोलो"

सबने शर्त मंज़ूर करली और आँखें बंद करके गिनना शुरू हुआ... 1..........2.........3....

हर एक सेकेंड बोलने पर 4रो लड़को का लंड मचले जा रहा था.... 4.......5. जैसी आँख खोली तो डॉली वहाँ

से भाग गयी.... डॉली को कुच्छ होश नहीं था कि वो क्या कर रही है.. चारो लड़के उसके पैरो

की आवाज़ सुनके उसका पीछा करने लगे... फिर दरवाज़ा खुलने के आवाज़ आई सब उसी दरवाज़े के पास पहुच गये....

डॉली की काली रंग की पैंटी उसके घुटनो के नीचे हुई पड़ी थी... उसके काले ड्रेस के स्ट्रॅप्स कंधो से नीचे

गिरे हुए थे..... ड्रेस नीचे से कमर तक उठा हुआ डॉली की जाँघो को दर्शाता हुआ...

डॉली की चूत में से पानी निकलते हुए पॉट पे लगता हुआ आवाज़ करने लगा और सब लड़को की आँखें बड़ी हो गयी...

डॉली काफ़ी शर्मिंदा हो गयी जब 3 अंजान लड़को ने और उसके प्रेमी ने उसे सूसू करते हुए पॉट पे बैठा पाया....

राज डॉली के पास गया और उसकी जाँघो को नीचे से पकड़ा और डॉली को हवा में उठा दिया....

अब उसकी चूत सुखी, रवि और सचिन के ठीक सामने पानी फर्श पे बरसा रही थी....

डॉली धीमी आवाज़ में राज को उसे छोड़ने के लिए बोलती रही पर राज ने एक नहीं सुनी...

चूत का पानी ख़तम होते ही डॉली को 2 सेकेंड के लिए राहत मिली और उसके बाद उसने अपने आपको पानी से भरे हुए

बाथ टब में पाया.... चारो लड़के पागल कुत्तो की तरह हँसने लगे जब डॉली का बदन उस ठंडे पानी से

गीला हो गया था.... डॉली को राज की इस हरकत पे बहुत गुस्सा आया और वो हिम्मत करके उठने लगी मगर फिर

से टब में गिर गयी... चारो लड़को ने डॉली को हाथ और पाव से पकड़ा और हवा में उठाते हुए

उसे बाथरूम के बाहर लेके बिस्तर पे ले गये..... उसके कपड़े को खीच तान कर उतार दिए और एक दम नंगा खड़ा कर दिया....

पूरे वक़्त डॉली ने चाहा कि वो अपने आपको इन लोगो से बचा सके मगर उसके जिस्म में लगबघ

सारी ताक़त जा चुकी थी.... अगले ही पल उसे बिस्तर पे धक्का दे दिया और 8 हाथ उसके जिस्म को नौचने लगे...

डॉली जब एक हाथ हटाने की कोशिश करती तो उसके मम्मो पर ज़ोर से चॅटा लगाया जाता...

हर एक चॅटा एक मीठा दर्द लाता.... एक एक करके चारो लड़के पूरे नंगे हो गये... सबका लंड डॉली की

आँखो के सामने तना हुआ खड़ा था... उसी दौरान राज ने एक सफेद पाउडर अपने हाथ में लिया और

उसे डॉली की चूत में जल्दी से मल दिया..... कुच्छ ही सेकेंड में डॉली की चूत हद से ज़्यादा पानी छोड़ने लगी....

कमरे की धीमी रोशनी में डॉली की ज़िंदगी अंधकार से भर गयी थी.... सुखी और और रवि ने बारी बारी

डॉली की चूत को चाटना शुरू करा और सचिन और राज डॉली के मम्मो को चाटने और चूसने लगे...

डॉली का जिस्म अब उसकी नहीं सुन रहा था और हवस के अंदर पूरी तरह से डूब चुका था....

डॉली को फर्श पे घुटने के बल बिठाया और बारी बारी उसको लंड चूसने को दिया गया.... सबका लंड लोहे की तरह

मज़बूत पतले और लंबे थे और डॉली के मुँह की वजह से गीले और गरम हुए पड़े थे....

डॉली के मम्मो पर अभी भी हाथ चले जा रहे थे और उसकी चूत फर्श पे पानी बहाए जा रही थी....

पाउडर की वजह से डॉली की चूत में खुजली होने लगी और अपने सीधे हाथ की उंगलिओ से वो अपनी चूत की खुजली

मिटाने की कोशिश करने लगी... जितना वो खुजाति उतनी खुजली बढ़ती और उतनी ही गीली हो जाती उसकी चूत...

सुखी से अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वो ज़ोर से बोला "यारो अब बहुत हुआ मुझे इसकी चूत चोद्नि है...

" रवि बोला "बारी बारी चोदेन्गे क्या??" राज बोला "सालो एक एक करके चोदोगे ना जब तक तुम्हारा लंड भी मर

जाएगा और साली भी बेहोश हो जाएगी..." ये कहकर ही राज डॉली को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पे लेट गया और

डॉली की गान्ड में धीरे से अपना लंड घुसाने लगा... जैसी ही लंड घुस गया राज ने बोला "सचिन आजा तू रंडी की चूत चोद"

सचिन जल्दी से बिस्तर पे कुदा और अपना लंड डॉली की गीली चूत में घुसके चोद्ने लगा....

सुखी और रवि भी रुके और डॉली के मम्मो को चाटने लगा और डॉली के मुँह में भी लंड डाल दिए.....

डॉली की सिसकियाँ और उन चारो लड़को की खुशी पूरे कमरे मे फेल गयी थी.... राज डॉली की गान्ड मारते रहा

और साथ में कभी सुखी कभी सचिन तो कभी रवि उसकी गर्ल फ्रेंड की चूत चोद्ते गये.... जब राज थक गया तो

सबने डॉली को कुतिया की तरह बिठाया और फिर उसके सारे छेद को अपने लंड से भर दिया....

सुखी खड़ा होके उसकी गान्ड मार रहा था रवि उसके नीचे लेटके उसकी चूत मार रहा और राज का लंड

डॉली के मुँह में था.... राज ने अपना मोबाइल फोन निकाला और डॉली की चुदाई की फिल्म बनाने लग गया....

उसने पूरा ख़याल रखा कि किसी लड़के की शक़्ल ना आए बस डॉली बुर्री तरह 3 लंड से चुद्ति हुई नज़र आई....

उस पॉवडर का चूत पे लगने की वजह से चुदाई का नशा डॉली के सिर चढ़ गया था....

वो एक रंडी की तरह अपना जिस्म हिला रही और सुखी जब उसके नितंब पे चॅटा लगाता वो और भी ज़्यादा मचल उठती...

सुखी ना चाहते हुए भी एक दम से झाड़ गया और सारा वीर्य डॉली की गान्ड में डाल दिया...

राज ने सुखी को कॅमरा दिया और वो जाके अब डॉली की गान्ड मारने लगा.... देखते ही देखते राज भी झाड़ गया

और सारा वीर्य डॉली के डॉली के मुँह में डाल दिया.... अब सचिन डॉली के मुँह की तरफ बढ़ा और राज

डॉली की चूत चोद्ने लगा और बाकी दो लड़के डॉली के मम्मो को दबाने लगे.... इतनी चुदाई की वजह डॉली

से रुका नहीं गया और उसका पानी वही गंगा की तरह बहने लगा और चारो लड़के हँसने लगे....

राज फिर भी नहीं रुका और वापस अपना लंड डॉली की चूत में डाल दिया....

कुच्छ देर बाद सब के सब झाड़ गये और डॉली के जिस्म पे बस वीर्य ही नज़र आ रहा था....

चुदाई के बाद सुखी, रवि और सचिन फिर टाय्लेट जाने लगे मूतने के लिए और राज ने कहा

"सालो जब टाय्लेट तुम्हारे पास चलके आएगा तो तुम्हे जाने की क्या ज़रूरत है.... डॉली को कुतिया की तरह चलते

हुए राज रवि के पास लेगया और उसके बाल खीचके मुँह खुलवाया और रवि ने अपना सारा पेशाब डॉली

के मुँह में डाल दिया... रवि ने उसकी गान्ड पे एक लात मारी और डॉली सचिन के पास घुटनो के बल गयी....

ऐसी करते करते सबने डॉली के मुँह में पेशाब करा और उसको वहीं फर्श पे छोड़ कर सोने चले गये...

सुबह के कुच्छ 7 बजे डॉली की आँख खुली.. अपने आपको फर्श पे लेता देख उसको अजीब सा लगा..

बड़ी मुश्किल से फर्श पे बैठी क्यूंकी कल रात जो उसके बदन ने सहा था उसका दर्द अभी भी था...

जैसी ही बैठी उसके उपर जो चादर थी वो नीचे गिर गयी... अपने आप को नंगा पाकर वो घबरा गयी..

उसको पता चला कि अभी वो फार्म हाउस में ही है... वो अपने दिमाग़ पे ज़ोर डालके वो ध्यान देने लगी कि कल रात

को क्या हुआ उसके साथ... एक समय के लिए उसको लगा शायद उसने और राज ने रात में सेक्स करा होगा मगर

फिर भी वो बिना कपड़ो के फर्श पे क्या कर रही है ये सवाल उसे खाए जा रहा था......

दीवार का सहारा लेकर वो खड़ी होने लगी तो उसे अपने जिस्म से अजीब सी बदबू आ रही थी.. उसने अपने जिस्म पर

चादर लपेटी और राज को ढूँढने लगी... हर एक कमरे में जाके वो देखने लगी मगर राज का कोई पता नहीं था...

जैसी ही आखरी कमरे की तरफ बढ़ी तो उसने देखा राज बिस्तर पे सोया पड़ा है... मगर उस कमरे में वो अकेला

नहीं है बल्कि उसके तीन दोस्त भी सोए पड़े है ... उनकी शक़ल को देख कर उसको कल रात का भयानक हादसा याद आने लगा....

इन चारो ने कल रात मेरे साथ ज़बरदस्ती करी थी ये ख़याल डॉली के दिमाग़ में बैठ गया...

जब उसने गौर से देखा तो उसकी पैंटी और ब्रा बिस्तर के पास पड़ी हुई थी और उसका वेहेम सच बनके उसके सामने आ गया... डॉली एक पल भी नहीं रुकी उस कमरे में और अपनी ब्रा और पैंटी उठाके ड्रॉयिंग रूम की तरफ चली गयी...

उसकी आँखों में आँसू बहते हुए चेहरे से टपकते हुए ज़मीन पर गिरने लगे...

डॉली को उन्न चारो पे उतना गुस्सा नहीं आया जितना कि अपने आपसे नफ़रत होने लगी कि कैसे उसने इतना सब होने दिया..

उसके सामने एक ग्लास रखा था जिसपे लिपस्टिक का निशान था ये देख कर उसका अपने आप से भरोसा उठ गया क्यूंकी

उस ग्लास में बहुत ज़्यादा शराब की बदबू आ रही थी...उसको आपने आपसे घिन होने लगी....

उसके आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे... उसे अपने परिवार के बारे में ख़याल आया कि वो उसका घर पे

इंतजार कर रहे होंगे मगर इस हाल में वो नज़ाने कैसे उनके सामने आ पाएगी....

फिर उसको अपने फोन का ध्यान आया और वो उसको आस पास ढूँढने लग गयी... उसके अपना फोन आस पास कहीं नहीं मिला....

वो ज़मीन पे बैठके रोने लगी मगर उसका दर्द उसकी चीख महसूस करने वाले कोई नहीं था...

अपने आँसुओ को पौछ्कर और एक लंबी साँस लेकर वो ज़मीन से उठी और वहाँ पड़े काँच के ग्लास को दीवार

पर तोड़ते हुए एक आखरी बारी साँस लेकर उसने अपने पेट उस टूटे हुए ग्लास से वार कर दिया...

फर्श पे गिरकर उसकी आँखें बंद होने लगी और वही उसकी मौत हो गई....

अगली सुबह नारायण स्कूल के रवाना होने लगा और उसके साथ साथ विजय भी इन्दोर के लिए निकल गया....

नारायण का कुच्छ स्कूल के बाहर काम था तो उसने पहले विजय को बस स्टॉप पे छोड़ना ठीक समझा और फिर अपना काम ख़तम करके स्कूल जाना... नारायण ने घर के दरवाज़े पे ताला लगा दिया और दोनो गाड़ी में बैठके चले गये.....

ललिता अभी भी बिस्तर पे पड़ी सो रही थी... गर्मी के कारण उसका बदन खुला बिना किसी चादर से ढका हुआ था....

बिस्तर पे पेट के बल लेटी हुई अपनी टाँगें चौड़ी करी हुई और हाथ एक उल्टे हाथ की तरफ था और एक सीधे हाथ

की तरफ जा रहा था.... उसकी सफेद रंग की घुटनो से लंबी स्कर्ट उसके घुटने के उपर हुई पड़ी थी और

उसके उपर एक पतली हल्की गुलाबी रंग का टॉप थोड़ा उपर हुआ वह उसकी कमर की नुमाइश कर रहा था....

उसका चेहरा उसके खूबसूरत काले बालो से ढका हुआ था... अचानक से उसकी गहरी नींद टूट जाती है और

अब वो बिल्कुल सीधी बिस्तर पे लेट जाती है.... उसके टॉप भी थोड़ी कमर दिखता हुआ मगर बिककूल सीधे उसके घुटनो

को छुपा रही है..... कुच्छ मिनट बाद वो फिर से हिलती है और फिर से पहले की तरह बिस्तर पे लेट जाती है बस

इस बारी उसका उल्टा हाथ उसके सिर को ढक रहा है.....

अपनी आँखें धीरे से हल्की सी खोलकर वो देखती है के उसके बिस्तर से चुपका हुआ ज़मीन पर बैठा हुआ एक

आदमी है जोकि कोई और नहीं उसी का मामा है.... विजय उपर से बिल्कुल नंगा अपनी चौड़ी छाती और उसपर ढेर

सारे बाल दिखाता हुआ बिना किसी डर के अपनी भांजी के बिस्तर के पास बैठा हुआ है....

मामू की हिम्मत देख कर ललिता को पता चल गया था कि उसकी बहन अब तक घर नहीं आई है और उसके पापा घर

से चले गये है जिसका मतलब सिर्फ़ उन दोनो के अलावा घर पे कोई नहीं है.... उसके अगले ही पल ललिता को उसके

मामा का हाथ उसकी टाँग पे महसूस होता है... वो हाथ आहिस्ते आहिस्ते उसकी टाँग पे हिल रहा है और ललिता

बस उसके उपर जाने का इंतजार कर रही है.... कुच्छ सेकेंड बाद वो हाथ उपर बढ़ता है और

ललिता के घुटनो को छूता है... विजय का चेहरा ललिता को उसका हाल दर्शा रहा है... कभी उसके चेहरे पे

मुस्कान च्छा जाती तो कभी गंभीरता मगर वो रुकने का नाम नहीं ले रहा है और उसके साथ ही ललिता बिल्कुल एक

पुतले की तरह बिस्तर पे लेटी हुई है...

धीरे धीरे ललिता उस हाथ को अपनी सफेद स्कर्ट के अंदर घुसता हुआ पाती है और उसकी उल्टी जाँघ

की तरफ बढ़ जाता है..... विजय का हाथ ललिता के घुटनो के पीछे वाले हिस्से को महसूस करता है

जिसपे गर्मी के कारण पसीना होता है....अपने मुँह में भरे पानी को निगलते हुए वो ललिता की जानगञ को छूता

है जोकि मास से फूली हुई है... उसका इतना मन कर रहा है कि वो किसी तरह उसकी जाँघ को अपने हाथ में जाकड़

ले मगर वो ज़रा सी भी बेवकूफी नहीं दिखाना चाहता...

मगर ललिता उससे कयि कदम आगे निकली और एक ही पल में वो सीधी होके लेट गयी और विजय का हाल बुरा हो

गया क्यूंकी उसका हाथ अब ललिता की दोनो जाँघो के बीच में फसा हुआ था... ललिता ने भी अपने

टाँगें जोड़ रखी थी मज़ा लेने के लिए... ललिता की जाँघो की गरमाहट से विजय के हाथ में पसीने आने

लगे थे.... बड़ी सावधानी से वो चढ़ के बिस्तर पे बैठ गया और अपना उल्टा हाथ ललिता के स्तनो की तरफ ले गया...

उसके उल्टे स्तन को छुते ही उसकी उंगलिया कापने लगी... मगर हिम्मत दिखाकर वो अपनी उंगलिया स्तन पे चलाने लगा और

उसे यकीन हो गया कि उसकी भांजी ने अंदर कुच्छ नहीं पहेन रखा था.... उसकी शांत पड़ी चूची को

भी उसने महसूस कर लिया और अपनी उंगली से वो उसे जगाने लगा.... विजय से अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था...

उसने अपनी पॅंट की ज़िप खोलके अपना काला लंड बाहर निकाला और अपनी सोई हुई भांजी के हाथ पे हिलाने लगा....

हाथ को छुते ही विजय का लंड जागने लगा.... उधर ललिता की चड्डी उसकी गीली चूत की वजह से नम हो रही थी...

अब उसने इस पूरे मौहौल को ही बदल दिया अपनी आँखें खोलकर.... इससे पहले ललिता कुच्छ बोलती उसके मामा

ने अपने उल्टे हाथ से उसका मुँह ढक दिया और उसे गुस्से से देखते हुए बोला

" देख अगर तू चाहती है कि तेरा बलात्कार ना हो तो चुपचाप मेरा कहना मान ले क्यू
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