RE: Porn Kahani लला… फिर खेलन आइयो होरी
नेह की होली
द्वार-पूजा में भाभी का बीड़ा सीधे भैया को लगा और उसके बाद तो अक्षत की बौछार (कहते हैं कि जिस लड़की का अक्षत जिसको लगता है वो उसको मिल जाता है) और हमलोग भी लड़कियों को ताड़ रहे थे। तब तक कस के एक बड़ा सा बीड़ा सीधे मेरे ऊपर… मैंने आँखें उठाईं तो वही सारंग नयनी।
“नजरों के तीर कम थे क्या…” मैं हल्के से बोला।
पर उसने सुना और मुश्कुरा के बस बड़ी-बड़ी पलकें एक बार झुका के मुश्कुरा दी। मुश्कुराई तो गाल में हल्के गड्ढे पड़ गए। गुलाबी साड़ी में गोरा बदन और अब उसकी देह अच्छी खासी साड़ी में भी भरी-भरी लग रही थी। पतली कमर…
मैं कोशिश करता रहा उसका नाम जानने की पर किससे पूछता।
रात में शादी के समय मैं रुका था। और वहीं औरतों, लड़कियों के झुरमुट में फिर दिख गई वो। एक लड़की ने मेरी ओर दिखा के कुछ इशारा किया तो वो कुछ मुश्कुरा के बोली, लेकिन जब उसने मुझे अपनी ओर देखते देखा तो पल्लू का सिरा होंठों के बीच दबा के बस शरमा गई।
शादी के गानों में उसकी ठनक अलग से सुनाई दे रही थी। गाने तो थोड़ी ही देर चले, उसके बाद गालियां, वो भी एकदम खुल के… दूल्हे का एकलौता छोटा भाई, सहबाला था मैं, तो गालियों में मैं क्यों छूट पाता। लेकिन जब मेरा नाम आता तो खुसुर पुसुर के साथ बाकी की आवाज धीमी हो जाती और… ढोलक की थाप के साथ बस उसका सुर… और वो भी साफ-साफ मेरा नाम ले के।
और अब जब एक दो बार मेरी निगाहें मिलीं तो उसने आँखें नीची नहीं की बस आँखों में ही मुश्कुरा दी। लेकिन असली दीवाल टूटी अगले दिन।
अगले दिन शाम को कलेवा या खीचड़ी की रस्म होती है, जिसमें दूल्हे के साथ छोटे भाई आंगन में आते हैं और दुल्हन की ओर से उसकी सहेलियां, बहनें, भाभियां… इस रश्म में घर के बड़े और कोई और मर्द नहीं होते इसलिए… माहौल ज्यादा खुला होता है।
सारी लड़कियां भैया को घेरे थीं। मैं अकेला बैठा था। गलती थोड़ी मेरी भी थी। कुछ तो मैं शर्मीला था और कुछ शायद… अकड़ू भी। उसी साल मेरा सी॰पी॰एम॰टी॰ में सेलेक्शन हुआ था। तभी मेरी मांग में… मैंने देखा कि सिंदूर सा… मुड़ के मैंने देखा तो वही।
मुश्कुरा के बोली- “चलिए आपका भी सिंदूर दान हो गया…”
उठ के मैंने उसकी कलाई थाम ली। पता नहीं कहाँ से मेरे मन में हिम्मत आ गई- “ठीक है, लेकिन सिंदूर दान के बाद भी तो बहुत कुछ होता है, तैयार हो…”
अब उसके शर्माने की बारी थी। उसके गाल गुलाल हो गये। मैंने पतली कलाई पकड़ के हल्के से मरोड़ी तो मुट्ठी से रंग झरने लगा। मैंने उठा के उसके गुलाबी गालों पे हल्के से लगा दिया।
पकड़ा धकड़ी में उसका आँचल थोड़ा सा हटा तो ढेर सारा गुलाल मेरे हाथों से उसकी चोली के बीच, (आज चोली लहंगा पहन रखा था उसने)। कुछ वो मुश्कुराई कुछ गुस्से से उसने आँखें तरेरी और झुक के आँचल हटा के चोली में घुसा गुलाल झाड़ने लगी। मेरी आँखें अब चिपक गईं, चोली से झांकते उसके गदराए, गुदाज, किशोर, गोरे-गोरे उभार, पलाश सी मेरी देह दहक उठी। मेरी चोरी पकड़ी गई।
मुझे देखते देख वो बोली- “दुष्ट…” और आंचल ठीक कर लिया। उसके हाथ में ना सिर्फ गुलाल था बल्कि सूखे रंग भी थे…
बहाना बना के मैं उन्हें उठाने लगा। लाल हरे रंग मैंने अपने हाथ में लगा लिए लेकिन जब तक मैं उठता, झुक के उसने अपने रंग समेट लिए और हाथ में लगा के सीधे मेरे चेहरे पे।
उधर भैया के साथ भी होली शुरू हो गई थी। उनकी एक सलहज ने पानी के बहाने गाढ़ा लाल रंग उनके ऊपर फेंक दिया था और वो भी उससे रंग छीन के गालों पे… बाकी सालियां भी मैदान में आ गईं। उस धमा चौकड़ी में किसी को हमारा ध्यान देने की फुरसत नहीं थी।
उसके चेहरे की शरारत भरी मुस्कान से मेरी हिम्मत और बढ़ गई। लाल हरी मेरी उंगलियां अब खुल के उसके गालों से बातें कर रही थीं, छू रही थीं, मसल रही थीं। पहली बार मैंने इस तरह किसी लड़की को छुआ था। उन्चासों पवन एक साथ मेरी देह में चल रहे थे। और अब जब आँचल हटा तो मेरी ढीठ दीठ… चोली से छलकते जोबन पे गुलाल लगा रही थी।
लेकिन अब वो मुझसे भी ज्यादा ढीठ हो गई थी। कस-कस के रंग लगाते वो एकदम पास… उसके रूप कलश… मुझे तो जैसे मूठ मार दी हो। मेरी बेकाबू… और गाल से सरक के वो चोली के… पहले तो ऊपर और फिर झाँकते गोरे गुदाज जोबन पे…
वो ठिठक के दूर हो गई।
मैं समझ गया ये ज्यादा हो गया। अब लगा कि वो गुस्सा हो गई है। झुक के उसने बचा खुचा सारा रंग उठाया और एक साथ मेरे चेहरे पे हँस के पोत दिया। और मेरे सवाल के जवाब में उसने कहा- “मैं तैयार हूँ, तुम हो, बोलो…”
मेरे हाथ में सिर्फ बचा हुआ गुलाल था। वो मैंने, जैसे उसने डाला था, उसकी मांग में डाल दिया। भैया बाहर निकलने वाले थे।
“डाल तो दिया है, निभाना पड़ेगा… वैसे मेरा नाम उर्मी है…” हँस के वो बोली। और आपका नाम मैं जानती हूँ ये तो आपको गाना सुनके ही पता चल गया होगा। और वो अपनी सहेलियों के साथ मुड़ के घर के अंदर चल दी।
अगले दिन विदाई के पहले भी रंगों की बौछार हो गई।
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