Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
07-26-2018, 02:15 PM,
#2
RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--2



गतांक से आगे........................

मज़दूरों को ये बात पसंद नही थी, इसलिए हमारा धांडे मे बहोत

नुकसान भी हुआ कारण दादाजी सिर्फ़ दुल्हन को ही नही बल्कि उनके

परिवार की हर कुँवारी कन्या को चोद देते थे. जब भी वो खेतों मे

जाते तो मज़दूर अपने घर की कुँवारी लड़कियों को छुपा देते., अगर

उन्हे शक़ हो जाता तो अपने मुलाज़िमो से उनके घर की तलाशी लेते और

उस मज़दूर को मार मार कर उसकी चॅम्डी उधेड़ देते.

"फिर ये मज़दूर उन्हे छोड़ कर क्यों नही चले गये?" अनु ने पूछा.

"कुछ छोड़ कर चले गये... लेकिन ज़्यादा तर वहीं रुक गये, कारण

एक तो उस जमाने मे नौकरियाँ मिलती कहाँ थी, दूसरी बात कि उन्हे

पगार इतनी ज़्यादा मिलती थी कि वो छोड़ कर जा ही नही सकते थे.

"तुम्हारा कहना का मतलब है कि ये परंपरा अब भी तुम्हारे परिवार

मे चली आ रही है." मेने पूछा.

"हां चली तो आ रही है, लेकिन अब किसी के साथ ज़बरदस्ती नही की

जाती. जब पापा ने दादाजी की जगह ली तो मम्मी ने इस प्रथा को

बदल दिया. मम्मी ने पापा को समझाया कि गाओं की दुल्हन को चोदने

का हक सिर्फ़ उसके पति का है, उसे ही कुँवारी चूत को चोदने का

मौका मिलना चाहिए. इस बात ने मज़दूरों को खुश कर दिया और सब

मन लगाकर काम करते है जिससे हमारा धंधा भी काफ़ी बढ़ गया."

सुमित ने कहा.

मुझे लगा कि बात का विषय एक अंजाने ख़तरे की ओर बढ़ रहा है

तो में बात को बदलते हुए कहा, मम्मीजी सही मे बहोत अच्छी है..

कितना प्यार और अपनत्वपन है उनकी बातों मे."

"उनके चेहरे पर मत जाना." अमित ने कहा, तुमने कभी उन्हे गुस्सा

करते हुए नही देखा, गुस्से मे वो पूरी चंडिका बन जाती है." अमित

ने कहा.

"में विश्वास नही करती.... मम्मी और चंडिका हो ही नही सकता."

मेने कहा.

"तुम कभी उमा से मिली हो?" सुमित ने पूछा.

"तुम्हारा मतलब है मम्मीजी की पर्शनल नौकरानी जिसके कान पर

घाव है?" अनु ने पूछा.

"हां वही उमा पर वो उस घाव के साथ पैदा नही हुई थी, ये सब

मम्मी की मेहरबानी है." अमित ने कहा.

"तुम्हारा कहने का मतलब है कि वो घाव उसे मम्मी ने दिया है...नही

में नही मान सकती वो ऐसा कर ही नही सकती." मैने अपनी सास का

पक्ष लेते हुए कहा.

"अमित इन्हे बताओ कि क्या हुआ था तभी इन्हे विश्वास आएगा हमारी

बातों का." सुमित ने अपने भाई से कहा.

ये वो कहाँ है जो हमे अमित ने बताई.

जिस दिन चाचू ने मोना की मा मीना को चोदा था उसके ठीक तीन

महीने बाद की बात है. उमा की उम्र 18 साल थी जब मम्मी ने उसे

नौकरानी रखा था. वो मीना जितनी सुन्दर तो नही थी लेकिन उसका

बदन बहोत ही आकर्षक था. चाचू को वो पसंद आ गयी थी और वो

उसे चोदना चाहते थे. जब भी वो कमरे मे होती थी तो चाचू की

नज़र उसपर से हटती ही नही थी, ये बात एक दिन मम्मी ने देख ली.

"देवर्जी लगता है कि आपको हमारी उमा पसंद आ गयी है?" मम्मी ने

कहा.

"हां भाभी, उमा मुझे बहोत अछी लगती है." चाचू ने जवाब दिया.

"तो फिर क्या बात है, चोद दे हरमज़ाडी को." मम्मी ने कहा.

"भाभी में भी उसे चोदना चाहता हूँ, मेने कई बार उसे रात को

मेरे कमरे मे आने के लिए कहा लेकिन वो मानती ही नही" चाचू ने

शिकायत करते हुए कहा.

"चिंता मत करो, में उससे कहूँगी कि आज कि रात वो तुम्हारे कमरे

मे जाए." मम्मी ने चाचू से वादा कर दिया.

दूसरे दिन मम्मी चाचू को नाश्ते की टेबल पर देखकर चौंक

पड़ी, "देवर्जी आप इतनी सुबह यहाँ क्या कर रहे है? क्या उमा की

कोरी चूत पसंद नही आई? मम्मी ने पूछा.

"भाभी आप भी ना.... कौन सी चूत?" चाचू ने नाराज़गी भरे

स्वर मे कहा.

"तुम्हारा कहने का मतलब है कि उमा रात को तुम्हारे कमरे मे नही

आई, मेरे आदेश देने के बावजूद नही आई? मम्मी ने गुस्से मे

चाचू से पूछा.

चाचू ने हां मे गर्दन हिला दी.

"चिंता मत करो... तुम आज ही उसकी कुँवारी चूत चोदोगे.. ये

तुम्हारी भाभी का वादा है."

जब मैं अमित और सोना नाश्ते की टेबल पर पहुँचे तो देखा कि

मम्मी का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था. थोड़ी देर बाद पापा भी

आ गये. उस दिन खाने के टेबल पर किसी ने भी बात नही की थी सब

मम्मी का गुस्सा भरा चेहरा देख डरे हुए थे.

करीब आधे घंटे बाद मम्मी गुस्से मे चिल्ला उठी, "शेरा इस घर

मे अगर कोई हमारा कहना ना माने तो उसे क्या सज़ा मिलती है?"

"अगर कोई नौकर ऐसा करे तो उसे सख़्त सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए."

पापा ने नाश्ता करते हुए कहा.

"में चाहती हूँ कि आप मेरी नौकरानी उमा को सज़ा दें, उसने मेरा

हुक्म मानने से इनकार किया है." मम्मी ने पापा से कहा.

"में तो कहूँगा की तुम उसे सज़ा दो कारण उसने तुम्हारा हुक्म नही

माना है." पापा ने जवाब दिया.

"हां में ही उसे कड़ी सज़ा दूँगी," कहकर मम्मी नाश्ते की टेबल से

खड़ी हो गयी, "बच्चो जल्दी से अपना नाश्ता ख़तम करो और अपने

कमरे मे जाओ, और वहीं रहना जब तक कि तुम्हे बुलाया नही जाए."

मम्मी ने गुस्से मे हम तीनो से कहा.

मम्मी का गुस्सा देख हम तीनो जल्दी जल्दी अपना नाश्ता ख़तम करने

लगे. सोना तो एक अछी बच्ची की तरह तुरंत अपने कमरे मे चली

गयी, लेकिन सुमित ने मुझे रोक लिया, "अमित लगता है कि कुछ ख़ास

होने वाला है, क्यों ना हम चुप चाप देंखे कि मम्मी क्या करती है."

हम दोनो चलते हुए एक खुल खिड़की के पास छुप गये और इंतेज़ार

करने लगे.

मम्मी ने दूसरे नौकर शामऊ को बुलाया जो हमे नाश्ता करा रहा था

और उससे बोली, "शामऊ जाकर उमा को यहाँ इस कमरे मे ले आओ, और

उसे इस कमरे से तब तक जाने ना देना जब तक में ना कहूँ."

थोड़ी देर बाद शामऊ उमा को पकड़े हुए कमरे मे आया. उमा डाइनिंग

टेबल की ओर मुँह किए खड़ी हो गयी.

"उमा मेने तुमसे देवर्जी के कमरे मे जाने के लिए कहा था क्या तुम

वहाँ गयी थी?" मुम्मय्ने पूछा.

उमा इतनी डरी हुई थी की उसने कोई जवाब नही दिया सिर्फ़ अपने पैरों

को घूरती रही.

"उमा में तुमसे बात कर रही हूँ, मुझे जवाब चाहिए?" मम्मी ने

धीरे से कहा.

उमा ने बिना उपर देखे अपनी गर्दन ना मे हिला दी.

"मेने सुना नही, मुँह खोल कर जवाब दो?मम्मी ने उँची आवाज़ मे

कहा.

उमा ने बड़ी मुश्किल से डरते हुए कहा, "नही मालकिन"

"तो तुमने जान बूझ कर मेरा आदेश नही माना." मम्मी उसके पास

आते हुए बोली. फिर मम्मी उसके चारों और घूम घूम कर उसे देखती

रही, "अब में समझी कि देवर्जी तुम्हे क्यों पसंद करते है."

"उमा अपने कपड़े उतारो? मम्मी ने आदेश दिया, लेकिन उमा अपनी जगह

से हिली भी नही. उसका चेहरा शरम से लाल हो गया था.

"सुना नही अपने कपड़े उतारो?" मम्मी ने फिर से कहा.

उमा ने चारों तरफ कमरे मे निगाह दौड़ाई कि शायद कोई उसे इस

मुसीबत से बचा ले लेकिन उसे बचाने वाला कोई नही था वहाँ.

"शामऊ इसके कपड़े उतार दो?" मम्मी ने शामऊ से कहा.

शामऊ उमा की तरफ बढ़ा तो शारदा घबराई हुई नज़रों से शामऊ को

देखने लगी, फिर आँखो मे आँसू लिए वो अपने ब्लाउस के बटन

खोलने लगी.

मम्मी ने उमा को कपड़े उत्तारते देखा तो शामऊ से कहा, "शामऊ रुक

जाओ. थोड़ी ही देर मे उमा कमरे मे नंगी खड़ी थी, उसकी आँखों से

आँसू बह रहे थे.

आज हम पहली बार किसी लड़की को नंगी देख रहे थे, "अमित उसकी

जाँघो के बीच उगे हुए बालों को देखो कैसे दिख रहे है,"

सुमित ने कहा.

"हां सुमित लेकिन उसके नूनी तो है ही नही वो पेशाब कैसे करती

होगी?" मेने कहा.

"ष्ह्ह्ह चुप कोई हमे सुन लेगा, हम इस बात पर बाद मे बात करेंगे,"

सुमित ने मुझे चुप करते हुए कहा.

हमने देखा कि मम्मी उसकी ओर बढ़ रही थी.

"बहोत अच्छा बहोत आछा, तभी तो देवर्जी को इतनी पसंद हो." मम्मी

उसे घूरते हुए बोली. फिर मम्मी ने अपनी उंगली उसकी टाँगो के बीच

रख कर कहा, "तो तूने इस चूत को चुदाई से बचाने के लिए मेरा

हुकुम नही माना, क्या तेरी चूत अभी तक कोरी है?"

मम्मी की बात सुनकर उमा शर्मा गयी लेकिन बोली कुछ नही.

"हरमज़ड़ी जवाब दे." मम्मी ने उसके निपल को जोरों से भींचते हुए

कहा.

"हां" उमा धीरे से बोली.

"शाबाश" इतना कह कर मम्मी वापस अपनी कुर्सी की ओर बढ़ गयी.

एक बार कुर्सी पर बैठने के बाद मम्मी ने कहा, "देवर्जी आप इस

हरामज़ादी को चोदना चाहते थे ना? ये तय्यार है, चोद दो इसे"

मम्मी की बात सुनकर चाचू चौंक पड़े... "याआहां.... आपके

सामने?"

"हां इस हरामज़ादी की चूत हमारे सामने फाड़ दो. अगर ये चोदने

ना दे तो इसे खूब मारना." मम्मी ने कहा.

चाचू ने धीरे से अपनी पॅंट और अंडरवेर उतार दी और सिर्फ़ शर्ट

पहने उमा की ओर बढ़ने लगे. उनका खड़ा लंड आसमान को सलामी दे

रहा था. चाचू ने उमा को अपनी बाहों मे भर लिया और उसे चूमने

लगे और उसकी चुचियों को मसल्ने लगे.

उमा कोई भी विरोध नही कर रही थी, वो चाचू को अपनी मन मानी

करने दे रही थी. उसे पता था कि विरोध कर कुछ होने वाला नही

है, थोड़ी ही देर मे चाचू का लंड उसके कौमार्य को भंग कर देने

वाला है.

"उमा क्या अब तू देवर्जी से चुदवाने के लिए तय्यार है?" मम्मी ने

पूछा.

"हां मालिकिन." उमा ने जवाब दिया.

ज़रा एक मिनिट." अनु ने अमित को बीच मे टोका, "उस दिन तुम दोनो की

उम्र क्या थी?"

"हमारी यही कोई सात साल की" अमित ने जवाब दिया.

"तो तुम ये कहना चाहते हो कि उस दिन जो कुछ हो रहा था वो सब तुम

दोनो की समझ मे आ रहा था" अनु ने चौंकते हुए पूछा.

"बिल्कुल भी नही..... " अमित ने कहा, "हमे तो ठीक से सुनाई भी

नही दे रहा था कि वो लोग क्या कह रहे हैं, हम तो सिर्फ़ इसलिए

देख रहे थे क्यों कि मम्मी नही चाहती थी कि हम वो सब देखें."

"फिर तुम्हे कैसे पता कि वहाँ उन्होने क्या क्या कहा था?" मेने

पूछा.

"ओह्ह्ह वो सब... वो तो जब हम बड़े हो गये तो हमने चाचू से पूछा

था," अमित ने कहा.

"ठीक है, अब बताओ कि आगे क्या हुआ था?" अनु ने पूछा.
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