RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
"कर तो सकता हूँ लेकिन तुम्हे मज़ा नही आएगा. तुम्हारे ये बाल मेरी
नाक मे घुसते रहेंगे और मुझे बार बार छींक आती रहेगी." मेने
कहा.
"आप इसे सॉफ कैसे करेंगे? मैने तो पहले कभी ऐसा किया नही
है." उसने कहा.
"में इन्हे शेव कर दूँगा." मेने जवाब दिया.
"नहिी... आअप ऐसा नही करेंगे." वो ज़ोर से चिल्लाई, उसे लगा कि
इसके लिए में उसे नंगा करूँगा. लेकिन उसे ये नही समझ आया कि
चूत चूस्ते वक्त भी तो में उसकी चूत देख लूँगा.
"नही में खुद ही सॉफ कर लूँगी." उसने कहा.
"नही तुम नही करोगी, कहीं कट कुटा गया तो तकलीफ़ होगी, रूको
मेरे पास दूसरा उपाय है," कहकर मेने उसे माला की अन्न-फ्रेंच क्रीम
दे दी और उसे समझा दिया की कैसे लगाकर सॉफ करना है.
"ठीक है में बाद मे कर लूँगी." उसने मुस्कुराते हुए कहा.
दूसरे दिन मेने उसकी सारी मे हाथ डाल उसकी चूत को छुआ तो लगा
कि जैसे में किसी कामसीँ काली की चूत को पकड़े हुए हूँ. बिना
बालों की मुलायम चूत बहोत ही अच्छी लग रही थी.
"उस रात मेने माला से कहा कि कल चुदाई दिवस है, तो वो
बोली, "ऐसी भी क्या जल्दी है."
"कल में उसकी चूत चूसूंगा," मेने मुस्कुराए हुए कहा.
"और तुम समझते हो की चूत चूसने के बाद वो तुम्हे चोदने देगी."
उसने कहा.
"हमेशा से तो यही होता आया है...." मेने हंसते हुए कहा. फिर
हम प्लान बनाने लगे की माला कैसे वो सब नज़ारा देख सकेगी.
दूसरे दिन में जब में घर पहुँचा तो माला मुझे घर के बाहर
ही मिल गयी. प्लान के अनुसार में सीधा किचन मे गया और माला
चुपके से बेडरूम मे जाकर दरवाज़े के पीछे छिप गयी. उसने
बेडरूम का दरवाज़ा खुला रख छोड़ा था.
दस मिनिट के बाद में सोना को अपनी गोद मे उठाए हॉल मे लाया और
उसे सोफे पर लीटा दिया और उसके कपड्ड़े खोलने लगा.
"आप मेरे कपड़े क्यों उतार रहे है?" वो चिल्लाई.
"अगर तुम कपड़े पहने रहोगी तो में तुम्हारी चूत कैसे चूसूंगा?"
मैने कहा.
"आप मुझे चोदेन्गे?" उसने बड़े भोलेपन से पूछा.
"अगर तू कहेगी तो में तुझे चोद भी दूँगा." मेने अपने खड़े
लंड को बाहर निकालते हुए कहा.
"नही में आपको चोदने नही दूँगी," उसने मेरे खड़े लंड की ओर
देखते हुए कहा, " मुझे डर लगता है कही में प्रेगञेन्ट हो गयी
तो."
"तुम प्रेगञेन्ट नही होवॉगी, में वादा करता हूँ," मेने उसे आश्वासन
देते हुए कहा, "में ध्यान से करूँगा."
"ऐसे ही मोहन ने रानी से कहा था कि वो प्रेग्नानॅट नही होगी लेकिन
रानी प्रेग्नेंट हो गयी." उसने कहा.
"अब ये मोहन और रानी कौन है?" मेने पूछा.
रानी मेरी सबसे प्यारी सहेली है जो गाओं मे रहती है, मोहन गाओं
मे ही रहता है. वो 50 साल का है, वो शादी शुदा है और उसके
तीन बच्चे भी है. उसकी लड़की की शादी पास के गाँव मे हुई है और
उसके दोनो लड़कों की भी शादी हो चुकी है." सोना ने कहा.
"पर हुआ क्या था?" मेने पूछा.
"मोहन ने भी रानी को चोद्ते वक़्त यही कहा था की वो ध्यान रखेगा
और उसे प्रेग्नेंट नही करेगा फिर भी वो हो गयी." सोना ने बताया.
"मुझे ज़रा सब खुल कर बताओ की क्या और कैसे हुआ?" मैने उसे अपनी
गोद मे बिठाकर चूमते हुए कहा.
** जो कुछ उसने बताया वो इस प्रकार था.
"ये करीब दो साल पहले की बात है, एक दिन शाम को मेने रानी को
मोहन के घर से छिपते छिपते देखा तो चौंक गयी. रानी का इस
समय मोहन के घर मे क्या काम, उसकी बीवी तो खेतों मे काम रही
थी. "
"मेने उससे मिली और उससे पूछा कि वो मोहन के घर मे क्या कर रही
थी? पहले तो वो मुझे टालती रही फिर मेरे ज़िद करने पर उसने बता
की वो मोहन से चुदवा रही थी."
"तुम इस बदमाश के चंगुल मे कैसे फँस गयी," मेने कहा, क्योंकि
कई बार मोहन मुझे भी फँसाने की कोशिश कर चुका था.
"छेह महीने पहेले की बात है मा ने मुझे इसकी दुकान से सब्जी
लाने को कहा. में दुकान पर पहुँची तो दुकान बंद थी, में दुकान
के पीछे इसके घर मे चली गयी तो देखा कि ये दारू पिए हुए है
और काफ़ी नशे मे था, बस वहीं उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे साथ
ज़बरदस्ती कर मुझे चोद दिया." रानी कहते हुए रोने लगी.
"अब रोना बंद करो और मुझे बताओ की आगे क्या हुआ?" मैने उसे डाँटते
हुए पूछा.
"कुछ दिन बाद मोहन मुझे बेज़ार मे मिल गया और उसने मुझे उसके
घर चलने को कहा." रानी ने अपनी जारी रखते हुए कहा.
"नही में नही चलूंगी, तुम मुझे फिर से चोदोगे?"
"हां चोदुन्गा तो सही, पर तुम्हे भी तो मज़ा आया था ये तुम्ही ने
कहा था." मोहन ने जवाब दिया.
"हां कहा तह लेकिन में प्रेगणनाट नही होना चाहती." मेने कहा.
"पर मुझे तो लगता है कि तुम प्रेग्नेंट हो चुकी हो." उसने हंसते
हुए कहा.
"हे भगवान! में चौंक गयी, "लेकिन तुम्हे कैसे पता है?"
"जिस तरह से तुम चल रही हो," उसने कहा, "लेकिन सही पता तुम्हारी
चूत देखकर ही लगेगा."
"में इतना डरी हुई थी की मुझे उसकी बात पर विश्वास हो गया और
में उसके साथ उसके घर चली गयी. उसने मुझसे मेरी सलवार उतारने
को कहा जिससे वो मेरी चूत देख सके."
"पहले तो उसने अपन उंगली मेरी चूत के अंदर डाल देखने लगा फिर
उंगली को अंदर बाहर करने लगा. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की
मेने अपनी आँखे बंद कर ली थी पर जब तक मुझे पता चलता उसने
अपनी उंगली की जगह अपने लंड को अंदर घुसा दिया औट मुझे चोदने लगा
था."
"सच कहूँ तो मुझे भी बहोत मज़ा आ रहा था इसलिए मैने उसे मन
मानी करने दी. जब उसने मुझे चोद लिया तो मेने उससे कहा, "ओह
मोहन तुमने फिर मुझे चोद दिया, अगर में पहले प्रेग्नेंट नही थी
तो इस बार ज़रूर हो जाउन्गि."
"अरे पगली नही होवॉगी," मोहन हंसा और अपने लॉड की ओर इशारा
करते हुए बोला, "देख इसे."
मेने देखा की मोहन ने अपने लंड पर कोई रब्बर जैसे चीज़ चढ़ा
रखी थी, "ये क्या है?" मेने पूछा.
"मेरी जान इसे कॉंडम कहते है," उसने मुझे समझाया, "जब मेरा
वीर्या छूटता है तो वो इसके अंदर ही रह जाता है और तुम्हारी चूत
मे नही जाता. अब हम बिना किसी परेशानी के हमेशा चुदाई कर
सकते है."
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