RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
मर्दों की दुनिया पार्ट--9
माला दीदी एक प्रश्न, " अनु ने कहा, "आपने हमे फोन पर जीजाजी
और सोना के बारे मे क्यों नही बताया?"
"जब मुझे पता चला मेने भी इससे यही पूछा था." सीमा दीदी ने
कहा.
"कैसे बताती में. सोना की चूत विजय की अमानत थी." माला दीदी ने
कहा, "तुम्हे बताने से पहले में विजय से पूछना चाहती थी."
"सही मे जीजाजी बहोत आछे है." अनु ने कहा.
"पर जीजाजी सोना का दिल तोड़ देंगे." मेने हंसते हुए कहा.
"हां वो तो है, अच्छा वो टीना की क्या कहानी है?" मैने फिर पूछा.
सीमा दीदी अपन कहानी सुनाने लगी...................
"थोड़े दिन बाद माला और विजय हमारे यहाँ रात के खाने
"पर आए तो माला ने हमे सोना के बारे मे बताया."
"क्या वो चुदवाने के लिए तय्यार है?" अजय ने पूछा.
"विजय से तो चुदवाने के लिए तय्यार है, पर किसी और से चुदेगि
इसके बारे मे में कुछ कह नही सकती." माला ने कहा.
"अरे इसकी तुम चिंता मत करो, में उसे इतना निराश और इंतेज़ार
करवाउन्गा की वो आख़िर मे कॅनटाल कर किसी भी से चुदवाने को तय्यार
हो जाएगी, अमित से भी." विजय ने कहा.
"टीना के बारे मे क्या ख़याल है, क्या वो तय्यार होगी?" माला ने पूछा.
"मुझे शक है कि वो तय्यार होगी," सीमा दीदी ने कहा, "एक बार अजय
ने उसे पीछे से बाहों मे भरा था तो वो चिल्ला पड़ी थी, "साबजी
अगर आपने मुझे दुबारा छूने की कोशिश की तो में मदन से कह
दूँगी और ये नौकरी भी छोड़ कर चली जाउन्गि. मेरी तो समझ मे
नही आ रहा कि क्या करू और सुमित के लिए कुँवारी चूत का इंतेज़ाम
कहाँ से करूँ." सीमा ने कहा.
"उसे तय्यार करने के सौ रास्ते निकल आएँगे, मुझे सिर्फ़ उसके बारे
मे बताओ?" विजय ने कहा.
"हर गाँव की लड़की की तरह बड़ी धार्मिक है, रोज़ मंदिर जाती है
पूजा पाठ करती है और बड़ी संकीर्ण विचारों की है. उसे पंडित
और ज्योतिषों की बातों पर अंध विश्वास है." मेने बताया.
"इस तरह की लड़कियाँ तो बड़ी भोली होती है," माला दीदी ने
कहा, "और ये पंडित लोग उनके भोलेपन का फ़ायदा उठा उनको बहका
फूसला लेते हैं."
"हाँ लगता तो कुछ ऐसा ही है, हमारे घर पर आने वाले एक पंडित
पर उसे पूरा भरोसा है और मुझे लगता है कि एक दिन वो उसके जाल
मे फँस जाएगी." सीमा ने कहा.
"उनके परिवार मे कौन कौन है?" विजय ने पूछा.
उसके परिवार मे सिर्फ़ माता पिता है जिन्हे वो बहोत प्यार करती है."
सीमा ने बताया.
"क्या उसके शरीर पर कोई जनम का निशान या ऐसा कोई निशान जो
बाहर से सब को नहीं दीखता हो?" विजय ने पूछा.
"उससे क्या होगा?" अजय ने पूछा.
"मेरे दीमाग मे कुछ आ रहा है शायद जिसे हमे मदद मिल जाए,
उसके शरीर पर है या नही सिर्फ़ इतना बताओ." विजय ने कहा.
"मुझे तो कुछ ऐसा याद नही," मैने जवाब दिया, "अरे रूको मुझे
याद आया उसकी चूत के बाईं तरफ एक काला बड़ा तिल है." मैने
कहा
"तुम्हे कैसे पता?" माला ने हंसते हुए पूछा, "क्या तुम हमेशा अपनी
नौकरानी की चूत देखती रहती हो या फिर कुछ चल रहा है तुम दोनो
के बीच."
"काश ऐसा कुछ होता हम दोनो के बीच तो उसे चुदवाने मे आसानी
होती." मेने कहा.
"फिर तुमने उसकी चूत क्यों देखी?" माला ने ज़ोर देते हुए पूछा.
"मुझे देखनी पड़ी." मेने कहा
"डार्लिंग लेकिन तुमने मुझे तो बताया नही." अजय ने शिकायत करते
हुए कहा.
"कोई इतनी बड़ी बात नही थी कि में तुम्हे बताती." मेने सफाई देते
हुए कहा
"ठीक है पहले बताओ फिर हम फ़ैसला करेंगे की बात बड़ी थी या
नही." माला हंसते हुए बोली.
"टीना को काम करते हुए पंद्रह दिन हुए थे, एक सुबह मेने देखा की
वो बार बार अपनी चूत को खुज़ला रही है." मेने कहा.
"टीना तुम अपनी चूत क्यों बार बार खुज़ला रही हो? मेने पूछा.
"मुझे नही पता मेडम, पर सुबह से ही बहोत खुजली हो रही है."
टीना ने शरमाते हुए कहा.
"क्या तुमने देखा उस जगह को कि वहाँ खुजली क्यों मच रही है?"
मेने पूछा.
"देखा! मैं कैसे देख सकती हूँ. शस्त्रों मे लिखा है कि खुद के
नीज़ी अंग देखना पाप है." उसने जवाब दिया.
"तो ठीक है फिर मुझे देखने दो?" मेने उससे कहा.
"ऑश नही मेडम मुझे बहोत शरम आएगी.... प्लीज़ आप मत
देखिए ना." वो आँखों मे आँसू लिए बोली.
"ठीक है में नही देखूँगी, लेकिन फिर मुझे तुम्हे डॉक्टर के पास
लेकर जाना पड़ेगा."
"नहीं मेडम में डॉक्टर के पास नही जाउन्गि, किसी अनाज्ने के सामने
नंगी होने से बेहतर है कि में मर जाउ. कहकर टीना रोने लगी.
"अब बात मेरे बर्दाश के बाहर हो रही थी.
"देखो टीना या तो मुझे देखने दो या फिर डॉक्टर के पास चलो, में
नही चाहती कि तुम साब के सामने और मेहमआनो के सामने हमेशा अपनी
चूत खुजाति रहो....."
टीना समझ गयी कि में क्या कहना चाहती हूँ, उसने कहा, "ठीक है
फिर आप ही देख लीजिए."
"एक काम करो मेरे बेडरूम मे जाओ और कपड़े उतार कर लेट जाओ, में
अभी आती हूँ." मेने उससे कहा.
जब में कमरे मे आई तो मेने देखा कि टीना सारे कपड़े उतार नंगी
बिस्तर पर लेटी थी. सही बड़ा ही सुंदर बदन है उसका. मेने देखा
की आम 17-18 साल की लड़कियों की अपेक्षा उसका बदन ज़्यादा भरा हुआ
था, चूत पर झांते भी काफ़ी उग आई थी ऐसा लग रहा था की
जैसे कोई घना जंगल हो."
"मेने उसकी चूत को चारों तरफ से देखा लेकिन मुझे कुछ दीखाई
नही दिया, "टीना कुछ तो है जिससे तुम्हारी चूत खुजा रही है,
लेकिन ये तुम्हारी झांतो की वजह से में अछी तरह देख नही पा
रही हूँ, मुझे इन्हे काटना पड़ेगा. मेने कहा.
"मेडम ऐसे ही देख लीजिए ना..इन्हे काटने की क्या ज़रूरत है?"
टीना ने कहा.
"टीना में जो कुछ कर रही हूँ तुम्हारे अच्छे के लिए ही कर रही
हूँ, इसलिए तुम चुप चाप लेटी रहो और मुझे आपना काम करने दो."
में उसकी झाँते काटने लगी लेकिन फिर भी मुझे कुछ दीखाई नही
दिया तो में उसकी झाँते एकदम सॉफ करने लगी, एक बार तो विरोध मे
उठ बैठी लेकिन मुझे देखते ही वापस वैसे ही लेट गयी.
उसकी झांते सॉफ करने के बाद में उसकी टाँगे उठा उसकी चूत का
मुआएना करने लगी तभी मुझे वो तिल दीखाई दिया था. फिर मुझे
उसकी चूत की खुजली का भी पता चला उसकी चूत के पास उसे दाद
हो गये थे जिसकी वजह से उसकी चूत खुज़ला रही थी. मेने उसे
दाद की एक क्रीम निकाल कर दी.
"टीना ये क्रीम लो और दी बार आछी तरह दाद वाली जगन पर लगाना,
और भगवान के लिए बराबर अपनी चूत को देखती रहना कि ठीक हो
रहा है की नही, नही तो मुझे तुम्हे डॉक्टर के पास लेकर जाना
पड़ेगा." मेने कहा.
"जी मेडम." उसने धीरे से जवाब दिया.
"तुम्हारी झाँते बहोत घनी है, में तो कहूँगी कि इसे बराबर स्साफ
करती रहा करो जिससे दूबारा दाद ना होवे,"
"जी मालकिन."
अब लोगों को समझ मे आया कि मुझे उस तिल के बारे मे कैसे पता
चला. " मैने सबसे कहा.
"डार्लिंग वो नंगी कैसी दीखाई पड़ती है?" अजय ने पूछा.
"मुझे मालूम था तुम यही पूछने वाले हो." मेने हंसते हुए
कहा, "ओह्ह डार्लिंग क्या बताउ, बहोत ही सुन्दर दीखाई देती है.
उसकी चुचिया बड़ी तो नही है लेकिन गोरा बदन और भरी हुई छोटी
चुचिया किसी नारंगी से कम नही लगती. उसकी चूत भी काफ़ी
सुन्दर है लेकिन उसका छेद बहोत छोटा है, मुझे तो एक उंगली
घुसाने मे ही इतनी तकलीफ़ हुई थी में तो सोच रही हूँ कि वो कौन
खुशनसीब होगा जो उसकी चूत को चोद कर उसके छेद को बड़ा
करेगा."
"अजय उसकी चूत हमारे नसीब मे तो है नही, वो तो उन दोनो जुड़वा
भाई के ही नसीब मे है.' विजय ने थोड़ा दुखी स्वर मे कहा.
"खैर ये सब तो चलता रहता है," अजय ने एक गहरी सांस लेते हुए
कहा, "तुम्हारे दीमाग मे कोई आइडिया आया क्या?" अजय ने विजय से पूछा.
"हां एक प्लान दीमग मे आया तो है."विजय ने जवाब दिया.
"प्लीज़ हमे बताओ न?" माला ने कहा.
"अभी नही बाद मे बताउन्गा पहले मुझे अछी तरह सोच कर तय्यार
तो कर लेने दो, अगर प्लान कामयाब हो गया तो जल्दी ही टीना कुँवारी
नही रहेगी." विजय ने कहा.
जब खाने के बाद वो दोनो जाने लगे तब विजय ने पूछा, "तुम दोनो
रविवार की शाम को क्या कर रहे हो?"
"अभी तक तो कोई प्रोग्राम नही है." अजय ने जवाब दिया.
"ठीक है फिर घर पर ही रहना शायद हम लोग आ जाएँ." विजय ने
कहा.
रविवार की शाम को हम जब हम लिविंग रूम मे चाइ पी रहे थे
तभी दरवाज़े की घंटी बजी, "मुझे लगता है कि माला और विजय
आए होंगे." मेने अजय से कहा.
"तभी टीना कमरे मे दौड़ती हुई आई, वो काफ़ी उत्साहित नज़र आ रही
थी, "मेडम एक साधुजी आए है." उसने कहा.
"उसे वापस भेज दो," मेने कहा, "ये साधु लोग सब ढोंगी होते है,
भगवान के नाम पर सिर्फ़ पैसा ऐंठना आता है उन्हे."
"नही मेडम ये दीखने मे बहोत ज्ञानी और पहुँचे हुए महात्मा लग
रहे है, और फिर मेडम बाहर गर्मी भी तो कितनी है, क्यों ना उन्हे
अंदर बुलाकर एक गलास ठंडा पानी ही पीला दिया जाए?" टीना ने
कहा.
"ठीक है, लेकिन सिर्फ़ दो मिनिट मे उसे पानी पीलकर रफ़ा दफ़ा कर
देना." अजय ने उससे कहा.
"कुछ देर मे ही टीना एक साधु जो गेहुए रंग की धोती और कुर्ता
पहने हुआ था अंदर लेकर आई. उसके सिर के बाल बिल्कुल सफेद हो
चुके थे और दाढ़ी भी काफ़ी बढ़ी हुई थी. हमने उन्हे आदर सहित
बैठने के लिए कहा." माला ने कहा.
"जै श्री राम" कहते हुए साधुजी सोफे पर पालती मार कर बैठ
गये. टीना ने उन्हे एक ग्लास ठंडा पानी लाकर दे दिया.
साधु ने पानी लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया लेकिन तभी अचानक
उन्होने अपना हाथ पीछे खीच लिया.
"क्या बात है महाराज? आपने हाथ क्यों खीच लिया?" अजय ने पूछा.
"महाराज, पानी लीजिए, बिल्कुल सुद्ध है, मैने अपने हाथ से ग्लास
को दो बार धोया है." टीना ने कहा.
"बात ये नही है बच्ची, मुझे इस घर मे किसी प्रेत आत्मा का वास
लगता है." साधु ने जवाब दिया.
"प्रेत आत्मा वो भी हमारे घर मे?" हम दोनो चौंक उठे थे.
"हां एक ऐसी प्रेत आत्मा जो अपने साथ मौत और बर्बादी के सिवा कुछ
नही लाती, अगर मुझे पहले इसका ग्यान हो जाता तो में इस घर मे
कभी अपने चरण नही रखता."
"महाराज इसका कोई तो उपाय होगा? अजय ने पूछा.
"उपाय तो तभी निकल सकता हो जब कि ये पता लगे कि उस प्रेत आत्मा
ने अपना वास कहाँ बना रखा है." महाराज ने जवाब देते हुए
कहा, "पहले मुझे सोचने दो" कहकर महाराज ने अपनी आँखे बंद कर
ली.
"जब मैने इस घर मे पदार्पण किया तब मुझे इसका ज्ञान नही हुआ था
लेकिन जैसे ही मेने पानी के लिए हाथ बढ़ाया मुझे इस आत्मा की
उपस्थिति का ग्यान हो गया." महाराज खुद मे बड़बड़ा रहे थे.
"तो महाराज वो कहाँ है, क्या पानी मे कोई खराबी है या फिर ग्लास
मे." अजय ने पूछा.
"या फिर महाराज इस लड़की मे, मेने सुना है कि ऐसी आत्मा किसी ना
किसी प्राणी के शरीर मे ही वास करती है." साधु ने हमे समझाते
हुए कहा.
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