RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
अचानक साधु खड़ा होकर टीना की तरफ बढ़ा, एक बार को तो मुझे
लगा कि वो टीना को पकड़ लेगा लेकिन वो उसके पास जाकर उसे देखने
लगा. फिर गहरी नज़रों से वो उसके बदन का निरक्षण करने लगा,
पहले उसकी नज़रें उसकी उभरी हुई चुचियों पर ठहरी फिर उसकी
पीठ पर अपनी हथेली जमा देखने लगा. जब उसका हाथ उसकी कमर
और जाँघो की तरफ बढ़ा तो हमने देखा की उसका हाथ काँपने लगा
था.
"मुझे उस दुष्ट आत्मा का पता चल गया है, "साधु ने पलटते हुए
कहा, "उस आत्मा ने इस लड़की के शरीर के नीचले भाग मे अपना बसेरा
बना रखा है."
"पर ये आत्मा है कौन महाराज?" अजय ने पूछा.
"ये कोई भटकती हुई दुष्ट आत्मा है जो अपना रास्ता भटक चुकी
है, ये हवा मे विचरण करती रहती है और किसी के शरीर मे भी
प्रविष्ट हो जाती हैं. थोड़े दिन अपनी मन मानी कर फिर उसके
शरीर को त्याग किसी नई शरीर की तलाश मे निकल जाती है.' साधु
ने जवाब दिया. "लेकिन ये कभी किसी के शरीर के इतने नीचे तक
नही जाती, ज़रूर कोई ऐसी वस्तु है जिसने इस आत्मा को अपनी तरफ
आकर्षित किया है."
"हां ज़रूर इसकी कुंवरी चूत ने आकर्षित किया होगा," मैने मन ही
मन सोचा "के हम इसे ऐसे ही नही छोड सकते ये खुद बा खुद एक
दिन चली जाएगी." मेने साधु से कहा.
"में इस बात की सलाह नही दे सकता ये इस बालिका को कोई हानि भी
पहुँचा सकती है," साधु ने कहा, "मैने पहले ही बताया की इस
तरह की आत्मा अपने साथ मौत भी लाती है."
"ओह्ह महाराज तो क्या में मर जाउन्गि." टीना कहकर जोरों से रोने
लगी.
"बच्ची रोवो मत,"साधु ने उसे समझाते हुए कहा, "ऐसा बहोत कम
होता है कि जिसके शरीर मे वो प्रवेश करें उसकी मृत्यु हो जाए
लेकिन हां उसके परिवार मे से किसी की भी मृत्यु हो सकती है, जैसे
भाई बेहन या माता पिता...."
"महाराज मेरे परिवार मे मेरे माता पिता के सिवाय कोई नही है." टीना
ने रोते हुए कहा.
"महाराज इस आत्मा को इसके शरीर और इस घर से भागने का कोई तो
उपाय होगा?" अजय ने पूछा.
"हर व्याघना का उपाय होता है बच्चा," साधु ने कहा, "लेकिन मुझे
पहले इस आत्मा की शक्ति का अंदाज़ा लगाना होगा. बालिका क्या तुम्हारे
शरीर के नीचले भाग मे कहीं कोई तिल है?"
टीना थोड़ी देर सोचती रही फिर बोली, "नही महाराज नही है."
"हां महाराज है एक तिल है जो मेने खुद देखा है." मेने झट से
कहा. मुझे लगा कि सही मे ये साधु तो काफ़ी ज्ञानी जान पड़ता है.
टीना मेरी तरफ गहरी निगाह से देखने लगी, "हां टीना है, मेने खुद
उस दिन देखा था." मैने ज़ोर देते हुए कहा.
"किसी आत्मा की शक्ति की पहचान करने के लिए मुझे उस तिल का
निरक्षण करना होगा जिसने उस दुष्ट आत्मा को अपनी तरफ आकर्षित
किया है." साधु ने कहा, "अगर लड़की मुझे आग्या दे तो क्या में
देख सकता हूँ."
"ढोंगी साला," मेने सोचा, "मुझे तो लगा था कि गयानी होगा लेकिन
ये और साधुओं के जैसे ही बहला फुसला कर इस लड़की को ज़रूर अपने
जाल मे फँसा लेगा."
"महाराज आपको देखने की ज़रूरत नही है," मेने विनम्रता से
कहा, "आप मुझे समझाइये में आपको देख कर बता दूँगी."
"जैसी आपकी इच्छा," साधु ने कहा, "आप मुझे उसका सही स्थान और
सही आकर देख कर बता दीजिए."
जब में टीना की चूत देखने लगी तो मेने उसे एक आईना दिया जिससे
वो खुद भी उस तिल को देख सके.
"हे भगवान ये मेरे जनम से यहाँ है, और मुझे आज तक पता ही
नही था." वो चौंकते हुए बोली.
"तुम कैसे पता चलता तुम तो हमेशा से खुद की चूत को देखना
पाप समझती आ रही हो." मेने उससे कहा.
वापस कमरे मे आकर मेने साधु को उसका सही आकर और सही स्थान
बता दिया.
"ऑश... ये सही लक्षण नही है." साधु अपनी आँखों को बंद कर
ध्यान लगाते हुए बोला.
"ऑश महाराज प्लीज़ मेरे माता पिता की जान बचा लीजिए," टीना
रोने लगी, "आप जो उपाय बताएँगे में करने के लिए तय्यार हूँ."
"ठीक है उपाय जानने के लिए मुझे इस दुष्ट आत्मा से संपर्क करना
होगा," साधु ने उसे अपने पास बुलाया और अपना हाथ उसकी कमर पर
रख दिया, "में सिर्फ़ अपना हाथ लगाकर उस आत्मा से संपर्क बनाने की
कोशिश करूँगा इसलिए तुम घबराना मत." कहकर साधु अपने हाथ को
उसकी जाँघो के बीच रख दिया.
हाथ रखते ही साधु का हाथ एक बार फिर काँपने लगा, और मैने
देखा कि वो अंगूठे से उसकी चूत को भी दबा रहा था.
"उईईई मा......" टीना सिसक पड़ी.
मुझे लगा की साधु सिर्फ़ परिस्थितियों का फ़ायदा उठा रहा है और
इसके पहले कि में उसे रोकती मैने अजय की और देखा जो वहाँ शांति
से बैठा मुक्सुरा रहा था. अजय को मुस्कुराते देख मे चौंक पड़ी,
वो साधु को टीना की चूत दबाते देख अपनी गर्दन हां मे हिला रहा
था.
इसके पहले भी में कुछ कहती साधु अचानक चिल्ला पड़ा, ऑश ये
नही हो सकता ऑश अच्छा."
साधु के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी थी. वो कुछ बिडबुदा रहा था
जैसे की उस आत्मा से बात कर रहा हो. "अब मुझे सब ज्ञान हो गया
है." साधु ने अपना हाथ टीना की चूत पर से हटाते हुए कहा.
"महाराज उस आत्मा ने क्या कहा?" टीना ने मुस्कुराते हुए कहा.
"वो आत्मा बहोत ही क्रोधित जान पड़ती थी," साधु ने कहा, "उसका
कहना है कि तुमने जान बुझ कर तुमने उसे वहाँ क़ैद कर रखा
है."
"पर महाराज मुझे तो पता भी नही है कि वो वहाँ पर है" टीना ने
भोलेपन से कहा.
"मेने भी यही बात आत्मा को समझाई तो वो थोड़ी शांत पड़
गयी, " साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, "पर उसका कहना है कि उसे
बाहर जाने के लिए रास्ता नही मिल रहा है."
"क्या वो जिस रास्ते से अंदर आई थी उसी रास्ते से बाहर नही निकल
सकती?" मेने पूछा.
"मेने भी उसे यहही सलाह दी थी लेकिन उसका कहना है कि ये लड़की
बहुत धार्मिक विचारों की है... क्या तुम पूजा पाठ करती हो." साधु
ने टीना से पूछा.
"हां महाराज में नियम से रोज़ सुबह पूजा करती हूँ और हमेशा
भगवान का जाप करती रहती हूँ." टीना ने गर्व के साथ कहा.
"यही बात मुझे आत्मा ने कही, उसका कहना है कि इन मंत्रों और
जापों की वजह से वा उसी रास्ते से नही निकल सकती..." साधु ने
कहा फिर टीना की और घूमते हुए पूछा, "बालिका क्या तुम्हारी शादी
हो गयी है?"
"नही महाराज." टीना ने कहा.
"क्या किसीने ने तुझे.... क्या तेरा मालिक तुम्हे चोद्ता है?" साधु
ने शंकित नज़रों से अजय की ओर देखते हुए पूछा.
"नही महाराज." टीना ने कहा, शरम के मारे उसका चेहरा टमाटर की
तरह लाल हो गया था, "मेरी चूत बिल्कुल कोरी है महाराज."
"अब मेरी समझ मे आया कि वो आत्मा इस लड़की के नीचे के रास्ते से
क्यों नही निकल पा रही कारण की नीचे का रास्ता बंद है," साधु
ने कहा और फिर टीना की ओर देख कर कहने लगा, "तुम समझ रही हो
ना में क्या कह रह हूँ."
"हां महाराज मेरी समझ मे आ रहा है कि इस बुरी आत्मा को निकालने
के लिए मुझे अपनी चूत फड़वानी पड़ेगी." टीना ने मुँह बनाते हुए
कहा.
"महाराज अगर बात सिर्फ़ नीचे का रास्ता खोलने की है तो वो में
बड़ी आसानी से कर सकता हूँ." अजय ने मुस्कुराते हुए कहा.
"हां महाराज ये ठीक रहेगा साबजी मेरी चूत फाड़ कर रास्ता बना
देंगे." टीना ने कहा.
"ये इतनी आसान बात नही है," साधु ने जवाब दिया, "उस आत्मा के
निकलने के लिए रास्ता किसी खास दिन और ख़ास आदमी से बनवाना
होगा."
"प्लीज़ महाराज मुझे बताइए में अपने माता पिता को बचाने के
लिए आपकी हर आग्या मानने को तय्यार हूँ." टीना ने गिड़गिदते हुए
कहा.
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