RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप
चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े अमूमन सभी चिकित्सको ने कभी आकस्मात तो कभी किसी विशेष परिस्थिति के तेहेत सरलतापूर्वक अपने मरीज़ को वस्त्र-विहीन देखा होगा मगर ड्र. ऋषभ का सेवा-क्षेत्र "यौन विज्ञान" होने के कारण अक्सर उसके क्लिनिक में औरतों की फुल वेराइटी मौजूद रहती थी या यूँ कहना ज़्यादा उचित होगा कि यदि औरतों को क्लासीफ़ाई किया जाता तो शुरू करने के लिए उसका क्लिनिक एक अच्छी जगह माना जा सकता था क्यूँ कि यहाँ हर उमर की, हर साइज़ की, हर धरम की औरत आसानी से देखने मिल जाया करती थी. अपने से-क्षेत्र में महारत हासिल करने के उद्देश्य से उसने जवान, अधेड़, बूढ़ी लगभग सभी क़िस्मो की चूतो का बारीकी से अध्ययन किया था. उनका मान्प, व्यास, कोण, लंबाई, चौड़ाई इत्यादि हर तबके की चूत का मानो अब वह प्रकांड विद्वान बन चुका था.
यह तथ्य कतयि झूठा नही की वर्तमान में जितनी भीड़ नॉर्मल एमबीबीएस डॉक्टर'स के क्लिनिक पर जमा होती है उससे कहीं ज़्यादा बड़े हुज़ूम को हम एक सेक्शोलजीस्ट के क्लिनिक के बाहर पंक्तिबद्ध तरीके से अपनी बारी का इंतज़ार करते हुवे देख सकते हैं. आज के वक़्त का शायद हर इंसान (नर हो या मादा) यौं रोग की गिरफ़्त में क़ैद है, वजह भ्रामक विग्यापन हों या झोला छाप चिकित्सकों की अनुभव-हीन चिकित्सा जिनके बल-बूते पर निरंतर लोग गुमराह होते रहते हैं और अंत-तह सारी शरम, संकोच भुला कर उन्हें किसी प्रोफेशनल सेक्शोलॉजिस्ट के पास जाना ही पड़ता है.
"अति शर्वत्र वर्जयेत " घनघोर अश्लीलता के इस युग में कोई हस्त्मैतुन की लत से परेशान है तो किसी के वीर्य में प्रजनन शुक्रानुओ का अभाव है, कोई औरत मा नही बंन सकती तो किसी की चूत 24 घंटे सिर्फ़ रिस्ति ही रहती है. सीधे व सरल लॅफ्ज़ो में कहा जाए तो काम-उत्तेजना के शिकार से ना तो भूतकाल में कोई बच सका था, ना वर्तमान में बच सका है और ना ही भविश्य में बच सकेगा. आगे आने वाली पीढ़ियों में यौन रोग से संबंधित कयि लाइलाज बीमारियाँ जन्म से ही मनुश्य के साथ जुड़ी पाई जाएँगी और जिससे जीवन-पर्यंत तक शायद म्रत्यु नामक अटल सत्य के उपरांत ही वह मुक्त हो सकेगा.
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ड्र. ऋषभ ने अपने समक्ष बिस्तर पर पसरी रीमा के नंगे चूतड़ का भरपूर चक्षु चोदन करना आरंभ कर दिया. हलाकी चुतडो के पाट आपस में चिपके होने की वजह से वह रोग से संबंधित उसके गुदा-द्वार को तो नही देख पाता परंतु जिस कामुक अंदाज़ में रीमा ने अपने चूतड़ हवा में ऊपर की ओर तान रखे थे, ड्र. ऋषभ को उसकी कामरस उगलती चूत की सूजी फांकों का सम्पूर्न उभरा चीरा स्पस्ट रूप से नज़र आ रहा था.
"माफी चाहूँगी ड्र. साहेब !! मुझ मोटी औरत को बिस्तर पर चढ़ाने के लिए आप को बेवजह तकलीफ़ उठानी पड़ी" रीमा ने मुस्कुराते हुवे कहा, इस पूरे घटना-क्रम के दौरान प्रथम बार उसका पीड़ासन्न् चेहरा वास्तव में खिल पाया था और उसके कथन को सुन कर प्रत्युत्तर में ड्र. ऋषभ के होंठ भी फैल जाते हैं, यक़ीनन यह कामुक मुस्कान उसके अविश्वसनीय बल प्रयोग की तुच्छ भेंट स्वरूप ही रीमा ने उसे प्रदान की थी.
"कैसी तकलीफ़ रीमा जी !! मैने तो बस अपना फ़र्ज़ निभाने का प्रयास किया है" ड्र. ऋषभ ने सामान्य स्वर में कहा.
"मिस्टर. सिंग !! आप इनके नितंब की दरार को खोलें ताकि मैं इनके गुदा-द्वार की माली हालत का बारीकी से निरीक्षण कर सकूँ" अनचाहे इन्फेक्षन से बचने हेतु उसने अपने दोनो हाथो में मेडिकल ग्लव्स पेहेन्ते हुवे कहा.
विजय की पलकें मूंद गयी, उसकी छोटी सी ग़लती का इतना भीषण परिणाम उसे झेलना होगा उसने ख्वाब में भी कभी नही सोचा था. किसी संस्कारी पति के नज़रिए से यह कितनी शर्मसार स्थिति बन चुकी थी जो उसे स्वयं ही अपनी पत्नी की शरमगाह को किसी तीसरे मर्द के समक्ष उजागर करना पड़ रहा था, हलाकी मेडिकल पॉइंट ऑफ व्यू से उसका ऐसा करना उचित था परंतु अत्यधिक लाज से उसके हाथ काँप रहे थे. धीरे-धीरे उसके उन्ही हाथो में कठोरता आती गयी और क्षणिक अंतराल के पश्चात ही उसकी पत्नी की गान्ड का अति-संवेदनशील भूरा छेद ड्र. ऋषभ की उत्तेजना में तीव्रता से वृद्धि करने लगता है.
"अहह सीईईई ड्र. साहेब" रीमा सिसकारी, उसके पुत्र सम्तुल्य पर-पुरुष ने उसकी सम्पूर्न चूत को अपनी दाईं मुट्ठी के भीतर भींच लिया था, दोनो की कामुक निगाँहें आपस में जुड़ कर उनके तंन की आग को पहले से कहीं ज़्यादा भड़का देने में सहायक थी. फिलहाल तो विजय की आँखें बंद थी परंतु कामुत्तेजित उस द्रश्य को देख सिर्फ़ यही अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि उसकी खुली आँखों का भी अब नाम मात्र का भय उन दोनो प्रेमियों पर कोई विशेष अंतर नही ला पाता.
"उम्म्म्म" अचानक से रीमा ने अपने खुश्क होंठो पर अपनी जीभ घुमाई, उसका इशारा सॉफ था कि अब वह ड्र. ऋषभ को अपनी चूत के गाढ़े कामरस का स्वाद चखाने को आतुर थी, मौका तो अवश्य था मगर उसके जवान प्रेमी की हिम्मत जवाब दे जाती है.
"विजय जी !! थोडा ज़ोर लगाइए वरना तो मुझे आप की मदद का कोई लाभ नही मिल पा रहा. वैसे आप की बीवी की गान्ड का छेद फटा ज़रूर है मगर फिर भी आप इनके चुतडो को ताक़त से चौड़ाइए ताकि मैं जान सकूँ कि छेद महज लोशन लगाने भर से ठीक हो जाएगा या मुझे उसके इर्द-गिर्द टाँके कसने पड़ेंगे" अपनी असल औक़ात पर आते हुवे ड्र. ऋषभ ने कहा.
क्रमशः................................................
तो दोस्तो अब आप बताइए ये कहानी कैसी रहेगी
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