RE: Kamukta Story बदला
"कामिनी कहा गयी?"
"बाथरूम गयी है."
"अच्छा.",मिसेज़.चंद्रा किचन मे चली गयी तो चंद्रा साहब ने जेब से पॅंटी
को निकाल के सूंघ के चूमा & मुस्कुरा के उसे वापस जेब मे रख लिया.
कामिनी बाथरूम से वापस आई तो उसके चेहरे पे हल्की घबराहट थी मगर जैसे ही
उसने सोफे पे बैठे चंद्रा साहब को मुस्कुराते देखा तो वो सब समझ गयी.
"ये बताओ की खाने मे क्या खाओगि?"
"ये आप बताएँगी,आंटी!"
"मैं?"
"जी!हम तीनो आज बाहर खाएँगे."
"अरे बेवजह परेशान..-"
"..-परेशानी!आंटी,रेस्टोरेंट मे कौन से मुझे खाना बनाना पड़ेगा?!चलिए
जल्दी से तैय्यार हो जाइए."
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"बहुत तारीफ सुनी थी इस जगह की आज देख ही लिया जाए !",कामिनी चंद्रा साहब
& उनकी बीवी के साथ लिफ्ट से बाहर निकल कर रेस्टोरेंट की ओर जा रही थी कि
तभी 1 शख्स उस से टकराता हुआ चला गया.
"अरे..!",कामिनी लड़खड़ाई,वो शख्स उसपे बिना कोई ध्यान दिए लिफ्ट मे चला
गया था,"..बड़ा बदतमीज़ आदमी है..1 तो टकराया उपर से माफी भी नही
माँगी..हुंग!",कामिनी बुदबुदाई.
तीनो रेस्टोरेंट की टेबल पे बैठ के मेनू देख रहे थे.थोड़ी देर बाद जब
वेटर ऑर्डर लेके चला गया तो चंद्रा साहब अपनी बीवी से मुखातिब हुए,"जो
आदमी इस से टकराया था तुमने उसकी शक्ल देखी?"
"नही.कौन था?"
"वीरेन सहाय."
"वो सहाय एस्टेट वाले सुरेन सहाय का छ्होटा भाई?"
"हां."
"मगर वो तो बाहर चला गया था ना?"
"हूँ.हो सकता है किसी काम से आया हो."
"मुझे भी तो कुच्छ बताइए.",कामिनी की जिग्यासा जाग चुकी थी.
"यही बताएँगे.इन्होने तो पहचान भी लिया..मुझे तो इतने साल हो गये देखे
हुए..सामने बैठ के बात कर लेता तब भी पहचान नही पाती.",वेटर फ्रेश लाइम
के 3 ग्लास उनके टेबल पे रख रहा था.
"सुरेन सहाय के बारे मे तो तुम जानती ही होगी."
"हां."
"ये उसी का छ्होटा भाई था..",चंद्रा साहब ने 1 घूँट भरा,"..बढ़िया
है..",ड्रिंक की तारीफ के बाद उन्होने बात आगे बधाई,"..इसे खानदानी
बिज़्नेस मे ज़रा भी दिलचस्पी नही थी,पैंटिंग का शौक था..आर्ट कॉलेज मे
पढ़ाई के बाद पॅरिस चला गया था..मा-बाप जब तक ज़िंदा थे हर साल 1 चक्कर
ज़रूर लगाता था मगर उनकी मौत के बाद तो शायद आज पहली दफ़ा मैने इसे इस
शहर मे देखा है."
"तो ये तो उस एस्टेट का आधा मालिक है सर?"
"हां.कैलाश सहाय ने कोई वसीयत नही छ्चोड़ी थी,उनकी मौत के बाद सुरेन जी
ने अपने भाई से पुचछा की क्या वो बँटवारा चाहता है मगर उसने मना कर
दिया..बोला की आप ही ये सब संभालें..",चंद्रा सहाब ने अपना ग्लास खाली कर
दिया.
"मगर सर,उस बिज़्नेस के सालने मुनाफ़े का आधा हक़दार तो ये भी है?"
"हां,मगर मुझे पता नही की सुरेन जी ने इसके साथ क्या समझौता किया हुआ
है..कैलाश जी मेरे गुरु मिश्रा सर के मुवक्किल थे..इसी वजह से मैं ये सब
जानता हू..अब का पता नही."
"अच्छा सर,फ़र्ज़ कीजिए वीरेन सहाय आज अपने बड़े भाई से आधा हिस्सा माँगे
तो क्या होगा?"
"सुरेन सहाय का दिल तो खून के आँसू रोने लगेगा!उसने इस धंधे को अकेले इस
मक़ाम तक पहुचाया है,उपर से वो पक्का बिज़्नेसमॅन है..चाहता है की दूसरो
की जेब खाली होती रहे मगर अपनी भरी रहे!अब इस वक़्त उस से कोई हिस्सा
माँगे तो उसे गुस्सा & दुख तो होगा ही."
"अच्छा-2 अब ये बाते छ्चोड़ो..",वेटर के खाना लेके आते ही मिसेज़.चंद्रा
ने उनसे कहा तो तीनो खाना खाने मे मशगूल हो गये.
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रात के 11 बजे सुरेन जी अपनी एस्टेट पहुँचे.एस्टेट के मैन गेट से कोई 2
किमी की दूरी पे उनका आलीशान बांग्ला था जिसकी पहली मंज़िल पे उनका,उनके
बेटे का & शिवा का कमरा था.पहली मंज़िल की सीढ़िया चढ़ते ही शिवा & वो
अपने-2 कमरे मे दाखिल हो गये.अंदर घुसते ही सुरेन जी को बाथरूम मे पानी
गिरने की आवाज़ आई..उनकी बीवी देविका नहा रही था.सुरेन जी ने भी अपना कोट
उतार के किनारे रखा.
"अरे..आ गये आप!",गुलाबी रंग के बातरोब मे लिपटी देविका बाथरूम से बाहर आ
गयी थी,"अभी-2 आए क्या?",उसने अपने गीले बालो से तौलिए को अलग कर किनारे
रखा & उनके पास आ गयी.सुरेन जी शर्ट के बटन खोल रहे थे,देविका ने उनके
हाथो को बटन से अलग किया & खुद ये काम करने लगी,"सब ठीक रहा ना?",उसने
अपने पति की आँखो मे देखा.
"हूँ.",देविका ने शर्ट उतार कर किनार रखी तो सुरेन जी ने उसे बाहो मे भर लिया.
"ओफ्फो!क्या कर रहे हैं?..आप भी ना!..हा..हा..!",देविका खिलखिला
उठी,सुरेन जी के उसकी गर्दन चूमने से उसे गुदगुदी हो रही थी.सुरेन जी ने
उसके गाउन की डोरी को खोला कर अपने हाथ अंदर घुसा के उसकी नंगी कमर को
बाहो मे भर उसे अपने सीने से लगा लिया.देविका की आँखो मे भी अबखुमारी
छाने लगी थी,अपने पति के गले मे बाँहे डाल उसने अपना चेहरा उनके बालो भरे
सीने मे च्छूपा लिया.
"खाना खाया आपने?",अपने चेहरे को उनके सीने मे हल्के-2 रगड़ते हुए उसने
अपने नाख़ून उनकी पीठ पे चलाए.
"हां.",सुरेन जी थोडा पीछे हुए & रोब को देविका के कंधो से नीचे सरका
दिया.उसने नीचे कुच्छ नही पहना था & अब उसका गोरा जिस्म उसके पति की आँखो
के सामने अपने पूरे शबाब मे नुमाया था.सुरेन जी थोड़ा पीछे हुए & अपनी
बीवी के हुस्न को निहारा.देविका का कद कोई 5'5" था & इस वक़्त उसकी उम्र
45 बरस थी मगर कुद्रत की उसपे ऐसी मेहेरबानी थी की वो अपनी उम्र से 10
बरस छ्होटी लगती थी.भरा-2 बदन अभी भी जवान से जवान मर्द को अपनी ओर
खींचने मे नाकाम नही रहता था.वो हमेशा सारी ही पहनती थी & उस लिबास मे
उसकी 38 इंच की चौड़ी गंद बहुत मस्तानी लगती थी.
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