"प्लीज़्ड टू मीट यू.",वीरेन सहाय ने अपना हाथ आगे बढ़ाया तो कामिनी ने उस से हाथ मिलाते हुए बड़े ठण्डेपन से जवाब दिया.थोड़ी देर दोनो मर्द बाते करते रहे फिर कामिनी & शत्रुजीत कामन रूम मे आ गये & कॉफी & कुच्छ खाने का ऑर्डर देके 1 टेबल पे बैठ गये,"तुम इसे कैसे जानते हो,जीत?"
"बरसो पहले मैं 6 महीने के लिए पॅरिस गया था,हम अपनी सेमेंट कंपनी मे कुच्छ बदलाव लाना चाहते थे,उसी सिलसिले मे.पिताजी सहाय परिवार को अच्छे से जानते थे..ये सहाय एस्टेट के..-"
"..-मालिक सुरेन सहाय का छ्होटा भाई है,पता है."
"तो पिताजी ने इन्हे मेरे बारे मे बताया,फिर इन्होने मेरी बहुत मदद की थी.मुझसे उम्र मे तो काफ़ी बड़े हैं मगर हमेशा 1 दोस्त की तरह ही बर्ताव किया है मेरे साथ.बहुत अच्छे इंसान हैं."
"मुझे तो पक्का बदतमीज़ लगता है..",& कामिनी ने उसे उस से टकराने वाली दोनो घटनयो के बारे मे बताया.
"हा..हा..हा..!",शत्रुजीत हँसने लगा.वेटर कॉफी रख गया था,कामिनी ने उसका 1 घूँट भरा,"अच्छा!तो उन्होने ही तुम्हारी ड्रेस खराब कर दी थी.उनका तो शुक्रिया अदा करना पड़ेगा!"
"क्यू?",कामिनी ने कप नीचे रखा.
"इसी बहाने तुम्हे छेड़ने का मौका तो मिल गया."
"मुझे छेड़ने के लिए तुम्हे किसी और के सहारे की ज़रूरत है?!",कामिनी ने शोखी से कहा तो शत्रुजीत की आँखो मे भी शरारत भर गयी.दोनो जानते थे कि काई दीनो बाद आज की रात फिर वही पुराने दिनो जैसी नशीली & मदहोशी भरी होने वाली है.