गतान्क से आगे... कामिनी अपने बिस्तर पे लेटी वीरेन सहाय से हुई मुलाकात के बारे मे सोच रही थी.वो उस इंसान को समझ नही पा रही थी.कभी वो उसे बिल्कुल अच्छा लगता तो कभी उसे उसपे शक़ होता!आख़िर वो थी ही ऐसे पेशे मे.जो भी हो 1 बात तो पक्की थी की वीरेन 1 बहुत खूबसूरत मर्द था मगर केवल इस बिना पे तो वो उसकी बात नही मान सकती थी.उसने सोच लिया की अगर अगली बार उसने इस बारे मे उस से पुच्छा तो वो मना कर देगी.
षत्रुजीत सिंग शहर से बाहर था,वो अपना बिज़्नेस और बढ़ा रहा था & कामिनी भी अपने केसस मे बिज़ी रहती थी.इस वजह से इधर उनकी मुलाक़ते थोड़ी कम हो गयी थी मगर जब भी दोनो मिलते इतने दीनो की दूरी की पूरी कसर निकाल लेते.आज की रात कामिनी को उसकी कमी बहुत खाल रही थी,चंद्रा साहब से मिलना भी इधर नही हो सका था.उसकी चूत बहुत बेचैन हो गयी थी.कामिनी ने अपना दाया हाथ उसपे रखा & उसे शांत करने की कोशिश करने लगी.उसके दिल मे 1 बार ख़याल आया की क्यू ना वो फिर से किसी से शादी कर ले मगर अगले ही पल उसने उस ख़याल को ज़हन से निकाल फेंका..वो ये ग़लती दोबारा नही करेगी.उसे ये तन्हाई की रात मंज़ूर थी मगर अब शादी कर किसी पे भरोसा करना & उसे फिर तोड़ना या टूटते देखना उसे मंज़ूर नही था. ( दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )
"सर,मैने इंदर धमीजा के बारे मे सब पता कर लिया है.उसने बीओ-डाटा मे जो भी लिखा है वो सब सही है.",शिवा सुरेन जी के ऑफीस चेंबर मे खड़ा था.
"ओके.",सुरेन जी खड़े हो खिड़की से बाहर देख रहे थे,"..यानी उसे हम एस्टेट मॅनेजर बना सकते हैं?"
"मुझे तो आदमी ठीक लगता है."
"ठीक है.उसे खबर भिजवा देते हैं.",तभी उनका मोबाइल बजा,"हेलो...हा वीरेन.ठीक है,मैं भी उस वक़्त तक वाहा पहुँच जाऊँगा.",उन्होने फोन बंद किया.
"शिवा,मैं ज़रा पंचमहल जा रहा हू..",उन्होने अपनी कलाई पे बँधी घड़ी को देखा,11 बज रहे थे,".शाम तक वापस आ जाऊँगा.सेक्रेटरी को उस इंदर धमीजा को फोन करने के लिए कह देता हू..",उन्होने अपना मोबाइल अपनी जेब मे डाला,"..परसो सवेरे 10 बजे उसे यहा बुलाता हू.तुम भी उस रोज़ फ्री रहना,मैं चाहता हू की उस से बात करते वक़्त तुम भी वाहा मौजूद रहो."
"ओके,सर.",शिवा उन्हे उनकी कार तक छ्चोड़ने आया जहा देविका भी खड़ी थी.कार के जाने के बाद दोनो ने 1 दूसरे को देखा मगर जल्दी से नज़रे घुमा ली.वाहा और भी लोग खड़े थे.शिवा अपने कॅबिन मे आके बैठ गया.उसका इंटरकम बजा & देविका ने उसे सुरेन जी के कॅबिन मे बुलाया.प्रेमिका को अपनी बाहो मे भर उसे प्यार करने के ख़याल से शिवा की आँखे चमक उठी.
मुस्कुराता हुआ वो जैसे ही कॅबिन मे दाखिल हुआ,उसका चेहरा उतर गया,वाहा 1 और शख्स भी मौजूद था.देविका से उसके चेहरे के भाव छुपे ना रह सके.1 पल को उसे हँसी भी आई अपने आशिक़ के उपर मगर अगले ही पल उसके दिल मे भी टीस उठी....कितने करीब थे दोनो मगर फिर भी कितने दूर!
"ये मिस्टर.कुमार हैं,ये हमे अपनी कंपनी के सेक्यूरिटी सिस्टम्स & बाकी प्रॉडक्ट्स के बारे मे बताना चाहते हैं..& ये हैं मिस्टर.शिवा हमारे सेक्यूरिटी इंचार्ज..आप इन्हे बताएँ अपने प्रॉडक्ट्स के बारे मे.",वो सेल्स रेप्रेज़ेंटेटिव ब्रोशौर्स निकाल के शिवा को दिखाने लगा.शिवा उसकी बाते तो सुन रहा था मगर उसका ध्यान अपनी प्रेमिका पे भी था....आज हरी सारी मे वो कितनी खूबसूरत लग रही थी!..यही हाल देविका का भी था..वो भी चोरी से शिवा को निहार रही थी..उसका दिल,उसका जिस्म उसके लिए तड़प रहा था मगर वो क्या कर सकती थी.
"थॅंक्स,सर.मैं आपसे फिर मिलता हू.",वो आदमी वाहा से चला गया तो दोनो प्रेमियो ने 1 बार फिर 1 दूसरे को हसरत भरी निगाहो से देखा मगर इस वक़्त दफ़्तर मे सभी लोग मौजूद थे & ऐसे मे कॅबिन बंद कर 1 दूसरे मे डूबना लोगो को बाते बनाने का मौका देना होता.शिवा उठा & चुपचाप अपने कॅबिन मे चला आया.अपनी कुर्सी पे बैठ उसने अपनी आँखे बंद कर ली & यादो मे खो गया. ( दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )
देविका उसे शुरू से ही बड़ी अच्छी लगती थी.शिवा ने उसके जैसी खूबसूरत औरत आज तक नही देखी थी मगर वो था तो उसके पति का नौकर.उसने अपनी जगह कभी भी नही भूली थी मगर वो अपनी नज़रो का क्या करता.देविका उसके सामने आती तो वो उसे जी भर के देखे बिना नही रह पता था.देविका ने उसे कभी-कभार ऐसा करते हुए पकड़ा भी था मगर उसे कभी बुरा नही लगा था.
सुरेन जी को उसपे बहुत भरोसा था & 1 दिन उन्होने उसे उसके कॉटेज से उठा के अपने घर की निचली मंज़िल पे 2 कमरे दे दिए.शिवा उनकी बहुत इज़्ज़त करता था.उन्होने उसे अपने घर मे जगह दी फिर भी वो अपनी मर्यादा नही भुला था.उसका ओहदा 1 मॅनेजर के बराबर का था मगर फिर भी वो घर मे काम करने वाले बाकी नौकरो की तरह पीछे के दरवाज़े से ही आता-जाता था & उन्ही के साथ किचन मे खाना ख़ाता था.
सुरेन जी के साथ रहते हुए उसे उनके बारे मे लगभग सभी कुच्छ मालूम हो गया था & वो उनकी अयाशियो के बारे मे भी जान गया था लेकिन ये सारे राज़ 1 सच्चे वफ़ादार की तरह उसने अपने दिल मे दफ़न कर लिए थे.
घर मे रहते हुए उसने महसूस किया था कि देविका भी उसे देखती थी मगर उसे लगा की उसका दिल-जोकि उस हसीना को प्यार करता-उसे ये ग़लतफहमी हो रही है मगर 5 साल पहले की उस तूफ़ानी रात सारी ग़लतफहमिया दूर हो गयी.