RE: Kamukta Story बदला
"..& अगर वो आरज़ुए हक़ीक़त मे ना बदले तो औरत बौखला जाती है & 1 बौखलाई
औरत की बौखलाहट का अंजाम कुच्छ भी हो सकता है.ये प्री-नप्षियल अग्रीमेंट
वग़ैरह तो ठीक हैं मगर फ़र्ज़ कीजिए उस औरत को इन काग़ज़ के टुकड़ो की
कोई परवाह ही ना हो तो?..उसे केवल अपनी हसरातो की ही परवाह हो तो?"
"..यही मुश्किल आपको सुलझानी है..",देविका ने बोला,"..1 ऐसी लड़की ढूंढीए
जोकि मेरे बेटे की सच्ची हमसफर बने..",शाम लाल जी कुच्छ बोलने वाले थे
मगर उनके बोलने से पहले ही देविका बोली,"..मैं आपकी बात समझ गयी हू & इस
बारे मे हमे वीरेन ने & आड्वोकेट कामिनी शरण ने भी आगाह किया है.शाम लाल
जी,आप मुझे 1 सुशील & सुलझी हुई बहू ला दीजिए,आपको यकीन दिलाती हू.उसके
अरमान,उसकी हसरत कभी भी अधूरे नही रहेंगे(दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे है)..बस 1 ऐसी लड़की ढूंड दीजिए
मेरे प्रसून के लिए!",
देविका की बात इतने भरोसे के साथ कही गयी थी की शाम लाल जी मना नही कर
सके,"ठीक है,मॅ'म.मैं आज से ही आपके काम पे लग जाता हू.यू समझिए की आपकी
चिंता आज से मेरी हो गयी." (दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग
कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)
"शुक्रिया,शाम लाल जी! बहुत-2 शुक्रिया.",सुरेन जी जज़्बाती होगये &
उन्होने उनके हाथ पकड़ लिए.देविका को अब थोड़ा चैन था,उसे यकीन था की शाम
लाल जी उसके बेटे के लिए 1 अच्छी लड़की ज़रूर ढूंड लेंगे.
"तो मिस्टर.धमीजा जब आपको हमारी सारी शर्ते मंज़ूर हैं तो बस ये तय करना
बाकी रह जाता है की आप कब से हमे जाय्न करते हैं.",सुरेन सहाय
मुस्कुराए.शिवा भी उनके कहने पे आहा चुपचाप बैठा दोनो की बाते सुन रहा
था.उसने इंदर के बारे मे जो मालूमत हासिल की थी उसके मुताबिक वो बिल्कुल
शरीफ,ईमानदार & मेहनती शख्स था मगर ना जाने क्यू शिवा को कुच्छ खटक रहा
था मगर क्या,ये उसके दिमाग़ मे साफ नही हो पा रहा था.
"आप कहें तो मैं कल से ही आ जाता हू,सर."
"ये तो बड़ी अच्छी बात होगी,मिस्टर.धमीजा.",उन्होने इंटरकम उठा के अपने
सेक्रेटरी को बुलाया.
"सर.",सेक्रेटरी फ़ौरन कॅबिन मे आ गया.(दोस्तो ये कहानी आप राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर पढ़ रहे है)
"विमल,ये हैं हमारे नये मॅनेजर,मिस्टर.इंदर धमीजा.ज़रा इन्हे सभी से मिला
देना & इनका कॅबिन भी इन्हे दिखा देना.",फिर वो इंदर से मुखातिब
हुए,"मिस्टर.धमीजा,विमल आपको सारे कामो का भी ब्योरा दे देगा & अगर आप
एस्टेट का जायज़ा लेना चाहें तो हमारे सेक्यूरिटी मॅनेजर मिस्टर.शिवा के
साथ जाएँ.इनसे बेहतर तो मैं भी अपनी एस्टेट को नही जानता!",अपनी ही बात
पे सुरेन जी खुद ही हंस दिए तो शिवा भी मुस्कुरा दिया.
"हुंग..!ये मुझे बताएगा एस्टेट के बारे मे!..इस बेचारे को क्या मालूम की
अंधेरी रातो मे इसकी कमाल की सेक्यूरिटी की आँखो मे धूल झोंक के मैने
पूरी एस्टेट के ज़र्रे-2 को पहचाना है!",इंदर के दिल के ख़याल उसके चेहरे
पे नही आए,"..ज़रूर,सर.वैसे भी इन्हे तो मैं अपना सीनियर ही मानता
हू.जितना तजुर्बा इन्हे इस जगह का है उतना मुझे तो नही है.उम्मीद करता हू
मिस्टर.शिवा की आप हमेशा मेरी मदद करेंगे."
"ज़रूर,मिस्टर.धमीजा.आप बेफ़िक्र रहें.",शिवा खड़ा हो गया,अब उसके भी
जाने का वक़्त हो गया था.
इंदर सबसे इजाज़त लेके विमल के साथ जाने लगा की तभी सुरेन जी ने उन्हे
आवाज़ दी,"अरे विमल,मैं तो भूल ही गया था.भाई ज़रा मॅनेजर साहब के लिए
उनकी कॉटेज सॉफ करवा देना.ये कल से ही हमारे साथ काम शुरू कर रहे हैं."
(दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानिया पर पढ़ रहे है)
"ओके,सर.",विमल ने दरवाज़ा खोला मगर इंदर अभी भी खड़ा था.
"सर."
"यस,मिस्टर.धमीजा."
"सर,प्लीज़.आप मुझे मिस्टर.धमीजा कह के ना बुलाएँ,इंदर बोलिए."
"ओके.",सुरेन जी मुस्कुराए,उन्होने बिल्कुल सही शख्स चुना था.
"..और सर ये कॉटेज,माफ़ कीजिएगा,मगर उसमे कितने कमरे हैं?"
"सर,उसमे 5 कमरे हैं.",सुरेन जी को तो याद भी नही था कि कॉटेज की अंदर की
बनावट कैसी है,ये जबाब इंदर को विमल ने दिया.
"सर,उस से छ्होटा कोई घर नही मिल सकता क्या?"
"छ्होटा!मगर छ्होटा क्यू?",सुरेन जी के माथे पे शिकन थी & होंठो पे इंदर
की बात समझने की कोशिश करती मुस्कान.
"सर,मैं अकेली जान उतने बड़े घर मे क्या करूँगा.प्लीज़ मुझे कोई छोटा घर
दिला दीजिए."
"अरे इंदर ,आप अभी अकेले हैं कल को शादी होगी आपका परिवार होगा या कभी
कोई रिश्तेदार आ गया तो?",ये पहला इंसान था जोकि उतनी बड़ी कॉटेज ठुकरा
के छ्होटा घर माँग रहा था.शिवा भी हैरान था मगर जहा उसके बॉस को इस
हैरानी से खुशी हो रही थी की इंदर लालची नही है वही उसके दिल मे और खटका
होने लगा था..जो भी हो वो इस इंसान पे नज़र रखेगा,उसने तय कर लिया.
"सर,जब परिवार होगा तो मैं आपसे उस कॉटेज को माँग लूँगा लेकिन प्लीज़
सर,अभी मुझे कोई छ्होटा घर दे दीजिए."
सुरेन जी ने विमल की ओर सवालिया निगाहो से देखा,"सर,है तो मगर वो
क्वॉर्टर है.",उसने थोड़ा सकुचाते हुए कहा & जान के क्वॉर्टर के पहले लगा
सर्वेंट्स लफ्ज़ नही बोला..पता नही कही नये मॅनेजर को बुरा लग गया तो!
"नही!मॅनेजर साहब वाहा नही रहेंगे."
"सर,प्लीज़.उसमे कितने कमरे हैं,विमल जी?"
"जी.बस 2."
"तब तो मेरे लिए बिल्कुल सही है सर."
"मगर आप सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे कैसे रह सकते हैं?"
"क्यू नही,सर.आख़िर क्या बुराई है उसमे.प्लीज़ सर,मुझे कोई ऐतराज़ नही है
& आगे अगर ज़रूरत महसूस हुई तो मैं आपसे कॉटेज की चाभी माँग लूँगा."
"ठीक है.जैसी आपकी मर्ज़ी."
"थॅंक्स,सर.",इंदर वाहा से निकल गया,उसका काम हो गया था.उसे पता था की
कौन सा क्वॉर्टर खाली है-ठीक रजनी के क्वॉर्टर के उपर वाला.मॅनेजर'स
कॉटेज सहाय जी के बंगल से दूर था मगर क्वॉर्टर बिल्कुल नज़दीक था & वाहा
से वो आसानी से बंगल पे नज़र रख सकता था.
क्रमशः.........
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