RE: Kamukta Story बदला
गतान्क से आगे...
कार का दरवाज़ा खोल कामिनी हाथ मे 1 पॅकेट थामे वीरेन के बंगल के अहाते
मे उतरी.10 दिन हो गये थे सुरेन सहाय की मौत को & इस बीच उसने वीरेन से
केवल फोन पे ही बात की थी & उसे वो बहुत मायूस लगा था लेकिन अब वक़्त आ
गया था की उसे उसकी मायूसी से बाहर लाया जाए.सीढ़िया चढ़ उसने मैं
दरवाज़े के बाहर लगी डोरबेल बजाई.
"हां....मैं आपको बाद मे फोन करता हू.",कान पे मोबाइल लगाए वीरेन ने दरवाज़ा खोला.
"खाना खाया?",कामिनी अंदर दाखिल हुई तो वीरेन ने दरवाज़ा बंद कर दिया.
"नही."
"मुझे पता था.",कामिनी ने साथ लाया पॅकेट खाने की मेज़ पे रख के
खोला,"..चलो बैठो मैं खाना निकालती हू.".साथ बैठ के खाना खाते हुए कामिनी
ने महसूस किया कि वीरेन अभी भी थोड़ा उदास था.उसने तय कर लिया की आज की
रात ही वो उसकी इस मायूसी को ख़त्म कर के रहेगी.
"वीरेन,कब तक ऐसे मायूस बैठे रहोगे?",खाना ख़त्म होते ही वो सीधे मुद्दे पे आई.
"मैं मायूस नही हू.",वीरेन ने नज़रे फेर ली.
"अच्छा!तुम्हारे चेहरे से तो ऐसा नही लगता."
"मेरी शक्ल ही ऐसी है."
"नही.बिल्कुल नही है.मेरी बात टालो मत..",कामिनी ने उसका चेहरा अपनी ओर
घुमाया,"..वीरेन जो हुआ अचानक & बहुत बुरा हुआ लेकिन क्या तुम्हारे
भाइय्या अभी तुम्हे इस हाल मे देख के खुश हो रहे होंगे?",भाई के ज़िक्र
ने वीरेन की आँखो मे पानी ला दिया,"..इस गम को दिल से निकालो वीरेन वरना
ये तुम्हे भी खा जाएगा."
"तुम..तुम ऐसा क्यू नही करते?"
"कैसा?"
"पैंटिंग करो..अपने ध्यान इन बातो से हटाओ & रंगो की दुनिया मे खो
जाओ..हां..यही ठीक रहेगा!",कामिनी खड़ी हुई & उसका हाथ पकड़ के उसे भी
खड़ा किया,"चलो..!"
वीरेन के स्टूडियो मे दाखिल हो कामिनी ने उसे उसके ईज़ल के पास खड़ा कर
उसके ब्रश उसके हाथ मे थमाए,"ये लो."
कामिनी उसके पीछे 1 कुर्सी खींच के बैठ गयी.वीरेन थोड़ी देर तक तो ऐसे ही
खड़ा रहा फिर उसने ऐसे ही आडी-तिर्छि लकीरे खींचना शुरू किया.थोड़ी ही
देर मे 1 जंगल की तस्वीर बन गयी थी.कामिनी ने गौर किया कि वीरेन अपने काम
मे डूब रहा था.वो खड़ी हुई,"वेरी गुड.अब मैं चलती हू.तुम पैंटिंग
करो.",वो मूडी.
"तुम कहा चली.",वीरेन ने जाती हुई कामिनी की दाई कलाई थाम ली.
"तुम पैंटिंग करो ना,मैं यहा क्या करूँगी?"
"जो तुमने यहा पिच्छली बार किया था.",वीरेन ने उसे खींचा तो कामिनी उसके
सीने से आ टकराई.उसका दिल खुशी से भर उठा था,इतनी जल्दी वीरेन अपने
पुराने अंदाज़ मे लौटेगा उसे पता ही नही था.वीरेन ने उसे सर से पाँव तक
निहारा,जुड़े मे बँधे बालो से सज़ा उसका खूबसूरत चेहरा अपने प्रेमी की
निगाहो की तपिश से लाल हो रहा था & गुलाबी सारी मे लिपटा उसका बदन जैसे
उसकी नज़रो से घबर खुद मे ही सिमटना चाह रहा था.कामिनी का सारी का पल्लू
उसके दाए कंधे से होता हुआ पीठ पे से घूम के उसके बाए कंधे पे रखा हुआ था
& वो इस वक़्त बिल्कुल गुड़िया सी लग रही थी.
"ऐसा रूप..ऐसा..हुस्न..",उसकी बाहे थाम वीरेन ने उसे अपने ईज़ल के बगल मे
खड़ा किया & उसपे से पुराना काग़ज़ हटा 1 बहुत बड़ी सी स्केच बुक टीका
दी.हाथ मे चारकोल लिए वो कामिनी का स्केच बनाने लगा.शर्मोहाया की मूरत के
इस स्केच की मदद से कल इतमीनान से पैंटिंग बनाएगा.स्केच तैय्यार होते-2
कामिनी के रूप ने उसे बेचैन करना शुरू कर दिया था.
स्केच ख़त्म होते ही उसने उसे बाहो मे भर लिया & चूमने लगा,"ओह्ह..क्या
करते हो..आराम से करो ना..ऊव्व..",उसने उसके बाए कान पे काट लिया
था.कामिनी ने हाथ को कान पे रख उसकी ओर प्यार भरे गुस्से से देखा,"मैं जा
रही हू..तुम बड़ी बदतमीज़ी कर रहे हो आज!"
"जवाब मे वीरेन ने उसकी कमर पे अपनी बाहे कस उसे खुद से बिल्कुल चिपका
लिया & उसके कान पे चूम लिया,"लो अब तो तमीज़ से पेश आ रहा हू.",दोनो
प्रेमी 1 दूसरे के आगोश मे 1 दूसरे के प्यासे होंठो की प्यास बुझाने
लगे.वीरेन का लंड उसके शॉर्ट्स से निकलने को बेताब हो रहा था & कामिनी के
पेट मे चुभ रहा था.उसके हाथ अपनी प्रेमिका के बदन को सहला रहे थे.कामिनी
उसकी करीबी से मदहोश हो गयी थी,उसकी आँखे बंद हो गयी थी & उसकी उंगलिया
प्यार से वीरेन के बालो से खेल रही थी.वो उसके सर को अपने गले पे दबा रही
थी.
वीरेन जोश मे कुच्छ ज़्यादा आगे हो उसे चूमने लगा तो वो लड़खड़ाई & पीछे
के दीवान पे गिर पड़ी.वीरेन ने उसे फ़ौरन थामा & उसके साथ दीवान पे बिठा
उसे चूमने लगा.इस अफ़रा-तफ़री मे कामिनी के कंधो से उसका आँचल ढालक गया &
जो नज़ारा वीरेन ने देखा उसने उसके होश उड़ा दिए.
कामिनी ने स्ट्रेप्लेस्स ब्लाउस पहना था जोकि उसके सीने को च्छूपा रहा था
यानी की उसके कंधे & उसकी छातियो का हिस्सा पूरी तरह से नंगा
था,"वाउ..!",वीरेन के मुँह से बेसखता निकल गया.उसने अपने हाथ उसके मखमली
कंधो पे फिराए तो कामिनी की आग और भड़क उठी.वीरेन झुक के उसके कंधे चूमने
लगा.उसके होंठ कामिनी के चेहरे & होंठो से होते हुए उसकी सुरहिदार गर्दन
पे आते & फिर नीचे हो उसके कंधो & फिर उसकी छातियो से उपर के हिस्से पे
घूमने लगते.
कामिनी का दिल कर रहा था की वो अब बस उसके ब्लाउस को हटा उसकी चूचियो को
अपने मुँह मे भर ले लेकिन वीरेन ऐसा कुच्छ नही कर रहा था.वो जानती थी की
वो उसे तडपा-2 के पागल कर देगा & उसके बाद जब वो झदेगी तब जो खुशी उसे
मिलेगी उसका कोई मुकाबला नही होगा.कामिनी ने अपने अपिर उपर दीवान पे चढ़ा
लिया & उन्हे मोड़ के अपनी आएडियो को अपनी गंद के नीचे दबा के बैठ
गयी.सिरेन उसे बाहो मे भरे वैसे ही चूमे जा रहा था.
चूमते-2 वीरेन ने उसकी कलाइया पकड़ दोनो हाथ ऊपर हवा मे उठा दिए.ऐसा करने
से उसकी चूचिया जोकि जोश के मारे और बड़ी हो गयी थी,उसके ब्लाउस के उपर
से बाहर निकल खुली हवा मे सांस लेने को बेताब हो उठी मगर ब्लाउस के बंधन
ने उन्हे ऐसा नही करने दिया & उनका बस थोड़ा सा हिस्सा ही बाहर आ
पाया.वीरेन उसकी कलाईयो को अपने हाथो से हवा मे थामे उसकी जीभ से जीभ
लड़ा रहा था & कामिनी की चूत से उसका रस बहने लगा था.उसने सोचा की अब
वीरेन उसके कपड़े उतारना शुरू करेगा मगर वो चौंक पड़ी जब वीरेन उसे
छ्चोड़ बिस्तर से उठ गया.
"ऐसे ही रहना.हिलना मत.",वो स्केच बुक के अगले पन्ने पे जल्दी-2 हाथ
चलाने लगा.कामिनी के चेहरे पे च्छाई खुमारी मे थोड़ा सा खिज का भाव मिला
हुआ था & यही वीरेन को चाहिए था.हवा मे हाथ उठाए भरे शरीर वाली कामिनी
अभी खजुराहो की मूर्ति जैसी लग रही थी.वीरेन की निगाहे उसके ब्लाउस के
नीचे दिख रहे उसके सपाट पेट पे पड़ी तो उसका लंड और तन गया.उसकी नाभि उसे
उसकी चूत की याद दिला रही थी.
स्केत्च बना वो वापस अपनी प्रेमिका के पास आया तो उसने उसे नाराज़ हो परे
धकेल दिया & पीठ उसकी तरफ कर दीवान के उठे हिस्से पे हाथ & उनपे अपना
मुँह रख बैठ गयी,"..मैं तो बस 1 मूरत हू तुम्हारे लिए..जिसकी पैंटिंग
बनाते रहो!"
"मूरत तो तुम हो..",वीरेन के मज़बूत बाजुओ ने उसे अपनी ओर घुमा
लिया,"..अजंता की मूरत हो तुम.",उसकी गुदाज़ बाहो को पकड़ उसने उसका माथा
चूम लिया,"कहा था ना,तुम्हारा हर अंदाज़,हर पहलू मैं कॅन्वस पे उतारना
चाहता हू..कामिनी..तुम कितनी खूबसूरत..कितनी हसीन हो..ये तुम्हे क्या
पता..ये पैंटिंग मेरी सबसे बेहतरीन पेंटिंग्स होंगी लेकिन अगर तुम्हे नही
पसंद तो ठीक है मैं बस तुम्हारी इबादत करता हू,अपनी देवी की तस्वीर नही
बनाता हू.",वो झुक के उसके सीने पे चूमने लगा.वो अभी भी खड़ा था बस उसका
दाया घुटना सहारे के लिए दीवान पे था.ऐसे मे उसका लंड कामिनी के चेहरे के
पास ही था & वो उसे पकड़ने के लिए बेचैन हो उठी.
"उम्म..अब ज़्यादा बाते मत बनाओ.अच्छी तरह जानते हो की मैं तुम्हे कभी
मना नही करूँगी.",कामिनी नेआपना हाथ उसकी टी-शर्ट मे घुसा उसके बालो भरे
सीने पे मचलते हुए हाथ फिराए.वीरेन ने फ़ौरन अपनी शर्ट निकाल दी तो
कामिनी दीवान के उठे हिस्से से उपर उठाई & उसे अपनी ओर खींच लिया.उसकी
पीठ पे बेचैनी से हाथ फिराते हुए उसके सीने पे वो अपने हाथो के निशान
छ्चोड़े जा रही थी.उसके निपल्स को अपने नखुनो से च्छेदते हुए जब उसने
अपने तपते होंठो से उसके सीने को चूमा तो वीरेन का लंड उसकी चूचियो से दब
गया.
अब कामिनी के बर्दाश्त की हद टूट गयी.उसने उसकी शॉर्ट्स को खींच कर नीचे
किया & अपना दाया हाथ उसकी पीठ पे लगाए हुए बाए मे लंड को थाम लिया.उसकी
झांतो मे उंगलिया फिराते हुए उसने उसके आंडो को दबाया तो वीरेन ने आँखे
बंद कर मज़े मे आह भरी.उसने कामिनी के चेहरे को ठुड्डी पकड़ उपर किया &
झुक के उसे चूम लिया.थोड़ी देर चूमने के बाद कामिनी ने अपने गुलाबी होंठ
उसके लंड के गिर्द लपेट दिए.
वीरेन ने उसके रेशमी बालो को जुड़े के बंधन से आज़ाद किया & कुच्छ लाटो
को पकड़ अपने लंड पे लपेट दिया.कामिनी मुस्कुराइ & अपने बालो से उसके लंड
को लपेट हिलाते हुए उसका लंड चूसने लगी.वीरेन प्यार से उसके सर & पीठ पे
हाथ फेर रहा था.कामिनी के मुलायम बॉल & जीभ उसके लंड को जन्नत की सैर करा
रहे थे.कामिनी ने सोचा की अब वो या तो उसके मुँह मे झाड़ जाएगा या फिर अब
फ़ौरन उसकी चुदाई मे लग जाएगा मगर उसे वीरेन के सब्र का अंदाज़ा नही
था.काफ़ी देर बाद वीरेन ने लंड मुँह से खींचा & झुक के उसके साथ दीवान पे
बैठ गया.
अपनी बाँहो मे भर वो उसे फिर से चूमने लगा.कामिनी की ज़ुबान पे उसके
प्रेकुं का स्वाद था.उसके हाथ कामिनी की कमर के बगल के मांसल हिस्से को
दबा रहे थे & कामिनी अब बेचैनी से अपनी जांघे रगड़ अपनी चूत को सांत्वना
दे रही थी.कामिनी के ब्लाउस मे हुक्स की जगह ज़िप थी & स्रर्र्र्ररर की
आवाज़ से वीरेन के हाथ ने 1 झटके मे ही उसे खोल दिया.ब्लाउस जिस्म से अलग
होते ही गुलाबी स्ट्रेप्लेस्स ब्रा मे कामिनी के सीने के मस्त उभार उसकी
आँखो के सामने छलक उठे.
वो झुका & ब्रा के उपर से झलक रही उसकी आधी उपरी चूचियो को चूमने
लगा.अपने दाँत से उसने जब हल्के से उन्हे काटा तो कामिनी की चूत और कसमसा
उठी.वो उसकी कमर के मांसल हिस्से को सहलाते हुए बस उसके सीने पे वैसे ही
चूमे जा रहा था.जब कामिनी ने देखा की वो ब्रा खोलने का कोई जतन नही कर
रहा है तो उसने खुद ही अपने हाथ पीछे ले जाके ब्रा के हुक्स खोल अपनी
चूचियो को आज़ाद कर दिया.
वीरेन ने उसकी च्चालच्छालती चूचियो को हाथो मे पकड़ उसपे जैसे ही अपनी
जीभ फिराई कामिनी की चूत मे मानो कोई बाँध टूट पड़ा & उसकी चूत से रस की
धारा बह चली,"उउन्न्ह...उऊन्ह....!",कराहते हुए उसने वीरेन के सर को अपने
सीने पे भींच लिया & बेचैनी से कमर हिला,जंघे रगड़ते हुए झड़ने लगी.वीरेन
ने अपनी बाई बाँह उसके गले मे डाल उसे थाम लिया & दाए से उसकी सारी उपर
उठाने लगा.सारी कमर तक उठा वो उसकी टाँगो & गोरी जाँघो को सहलाने लगा.अभी
कामिनी पूरी तरह से उबरी भी नही थी की वीरेन ने उसे दोबारा मस्त कर दिया.
उसके नर्म होंठ चूमते हुए वो उसकी जंगो के बीच हाथ घुसाए था.कामिनी ने भी
अपनी जंघे भींच उसके हाथ को क़ैद कर लिया था.वीरेन का बाया हाथ उसकी पीठ
पे घूम रहा था.वीरेन का हाथ अब उसकी पॅंटी तक जा पहुँचा था & उसकी
उंगलिया पॅंटी के किनारे से अंदर दाखिल हो रही थी.कामिनी ने कमर को थोड़ा
आगे उचका उंगलियो को चूत के अंदर आने का न्योता दिया जिसे उन्होने बड़ी
खुशी से कबूला.वीरेन की उंगलिया उसकी चूत के अंदर-बाहर होने लगी & उसकी
ज़ुबान उसके मुँह के.कामिनी अब जोश से पागल हो रही थी & अपनी कमर हिलाए
जा रही थी.उसकी चूत मे बहुत तनाव बन गया था & वीरेन के उंगलियो की
रफ़्तार तेज़ होते जा रही थी.
अचानक कामिनी ने किस तोड़ दी & अपने होंठ "ओ" की शक्ल मे गोल कर दिए.उसकी
आँखे बंद हो गयी थी & ऐसा लग रहा था मानो वो बेहोश हो गयी है जबकि
हक़ीक़त ये थी की वो दोबारे झाड़ रही थी.वीरेन ने उसे हौले से दीवान पे
लिटाया & उसकी सारी & पेटिकोट को खोलने लगा.कामिनी ने आँखे खोली,उसका
चेहरा देखने पे ऐसा लगता था मानो वो नशे मे डूबी थी.वो दीवान पे पड़ी
अपने प्रेमी के हाथो नंगी होती रही.जब वीरेन ने उसकी चूत से चिपकी उसकी
गीली पॅंटी खींची तो उसने अपनी कमर उठा उसकी मदद की.
उसे लिटा के वीरेन वापस अपने ईज़ल के पास आया & जल्दी-2 कामिनी का 1 और
स्केच बनाने लगा.कामिनी के जिस्म मे बहुत सुकून भरा था मगर अभी भी उसे
वीरेन के लंड इंतेज़ार था.उसने अपने प्रेमी को देखा जोकि उसकी खूबसूरती
कॅन्वस पे उतारने मे मगन था.उसकी नज़रे नीची हुई & उसने उसका तना लंड
देखा.उसके दिल मे 1 कसक सी उठी.
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