RE: Kamukta Story बदला
थोड़ी देर बाद तीनो खाने की मेज़ पे बैठे खाना खा रहे थे.मेज़ के सिरे पे
अकेली कुर्सी पे चंद्रा साहब उनके बाए तरफ वाली कुर्सी पे कामिनी & दाए
तरफ वाली पे मिसेज़.चंद्रा बैठी थी.हल्की-फुल्की बातो के साथ खाना हो रहा
था जब कामिनी को वही जाना-पहचाना एहसास अपनी दाई जाँघ पे हुआ.चंद्रा साहब
का हाथ मेज़ के नीचे से उसकी स्कर्ट के अंदर घुस उसके घुटनो के थोड़ा उपर
उसकी जाँघ पे घूम रहा था.हाथ जाँघ के अंदर की तरफ बढ़ा तो कामिनी ने
उसेआपने घुटनो मे भींच लिया.
"और आंटी..आपके यहा बहुत चूहे थे पिच्छली बार वो भाग गये?",उसने दाया हाथ
टेबल के नीचे किया & अपने गुरु का लंड दबा दिया.
"हां,मुझे तो नही दिखे फिर.जब तुम आती हो तभी दिखता है मुआ!",बेख़बर
मिसेज़.चंद्रा ने जवाब दिया.चंद्रा साहब उसकी बात का मतलब समझ
मुस्कुराए,".इस बात जब तुम आओ ना & वो दिखे तो डंडे से मार देना उसे."
"ठीक है आंटी.",कामिनी ने चंद्रा साहब को देखा & फिर दोबारा हाथ नीचे ले
गयी & उनके लंड पे चूटी काट ली,"..मार दूँगी आंटी.",चंद्रा साहब ने बड़ी
मुश्किल से अपनी कराह रोकी & हाथ को उसके घुटनो की गिरफ़्त से छुड़ा उसकी
जाँघो को मसल दिया.
खाना ख़त्म होते ही कामिनी ने स्वीट डिश मँगवाई-कस्टर्ड,"सर,आप इसमे फल
लेंगे & आप आंटी?",कटोरियो मे कस्टर्ड निकालते हुए उसने कटे फल
डाले,"..मुझे तो फल के साथ ही पसंद है खास कर के केले के साथ.",उसने फिर
इशारो भरी नज़रो से अपने गुरु को देखा.उसे पता नही था की उसकी बातो ने
उन्हे कितना गरम कर दिया है & वो बस मौके की तलाश मे हैं.
"केला तो बहुत अच्छा फल है,कामिनी रोज़ खाना चाहिए बड़े फ़ायदे की चीज़
है.",मिसेज़.चंद्रा कस्टर्ड खा रही थी.
"जी आंटी,मैं तो रोज़ खाती हू जिस दिन ना मिले उस दिन दिल थोड़ा बेचैन हो
जाता है.",इस आख़िरी बात को कह जब कामिनी ने चंद्रा साहब को शोखी से देखा
तो उन्होने दिल मे फ़ैसला कर लिया की चाहे कुच्छ भी हो जाए आज वो अपनी
शिष्या के अंदर अपना गरम लावा उड़ेले बगैर नही जाएँगे.
खाना खा तीनो फिर से हॉल के सोफॉ पे बैठ गये,"अरे कामिनी ज़रा टीवी लगाना
आज मेरे सीरियल का स्पेशल 1 घंटे का एपिसोड आने वाला है.",टीवी ऑन हो गया
& कामिनी & चंद्रा साहब दोनो अपने पेशे से जुड़ी बाते करने लगे.
"ओफ्फो!तुम भी भी हर जगह काम लेके बैठ जाते हो.मुझे डाइलॉग तो सुनने
दो!",मिसेज़.चंद्रा ने पति को झिड़का.
"सर,मुझे आपसे सहाय एस्टेट के बारे मे भी बात करनी थी.हम उधर के कमरे मे
चलें.आंटी आपको बुरा तो नही लगेगा ना की हमने आपको यहा अकेला छ्चोड़
दिया?"
"अरे नही क्या तकल्लूफ भरी बेकार बाते कर रही हो.जाओ.",वो अपने सीरियल मे मगन थी.
"ओई..थोड़ा तो सब्र कीजिए!",दूसरे कमरे मे पहुँचते ही चंद्रा साहब ने उसे
बाहो मे भर लिया.
"पहले ऐसी बाते करके भड़काती हो & फिर सब्र रखने को बोलती हो!",उन्होने
उसकी स्कर्ट को कमर तक उठा दिया & उसकी गंद पे चूटी काट ली,"..ये मेरे
लंड पे चिकोटी काटने के लिए!"
"अफ....अपनी शिष्या से बदला ले रहे हैं!"
"हां,मेरी जान.इश्क़ मे सब जायज़ है!",उन्होने अपनी पॅंट खोल अपना लंड
निकाला & सोफे पे बैठ गये.कामिनी ने लंड को पकड़ मुँह मे लेना चाहा तो
उन्होने उसे रोक दिया,"नही,इतना वक़्त नही है."
"वाउ!",कामिनी की स्कर्ट के नीचे लेसी लाल पॅंटी देख वो खुश हो
गये.उन्होने उसे नीचे किया & उसकी चूत को चूम लिया.कामिनी ने देखा की
पॅंटी उतार उसे उन्होने अपनी जेब मे डाल लिया.
"आंटी!",चंद्रा साहब चौंके & खड़ी हुई कामिनी की चूत से मुँह हटाया मगर
कामिनी ने उनका सर वापस अपनी चूत पे लगा उपर से स्कर्ट डाल दी.
"हां,कामिनी."
"आपको पता है मेरी दोस्त के यहा 1 चूहा घुस गया था जोकि उसके कपड़े चुरा लेता था."
"अच्छा.",कामिनी ने स्कर्ट उठा अपने आशिक़ को उसमे से निकाला & फिर सोफे
के पीछे की दीवार की ओट से खड़ी हो गयी & ड्रॉयिंग हॉल के अंदर बैठी
मिसेज़.चंद्रा को देखा,"सर बाथरूम गये हैं इसलिए जल्दी से बता रही
हू..",उसने आवाज़ थोड़ी नीची की,"..वो उसकी पॅंटी चुरा के अपने बिल मे ले
जाता था!"
"क्या?!",दोनो औरते हंस पड़ी.कामिनी दीवार की ओट मे थी & बस उसका कमर तक
का हिस्सा मिसेज़.चंद्रा को दिख रहा था.अगर वो नीचे देख लेती तो उन्हे
शायद दिल का दौरा पड़ जाता.पीछे उनके पति कामिनी की स्कर्ट उठाए उसकी गंद
की दरार मे अपना मुँह धंसाए उसके गंद के छेद & उसकी चूत को अपनी ज़ुबान
से गीला कर रहे थे.
"उसकी अलमारी से निकल लेता था क्या?"
"अरे नही,जब उतार के रखती थी ना बाथरूम मे या फिर अपने कमरे मे तब लेके
भाग जाता था.हुमलोग हंसते थे की बड़ा रंगीन मिज़ाज है कही मौका मिलने पे
पॅंटी के नीचे भी हाथ ना सॉफ कर दे.",इस बार दोनो औरते और ज़ोर से हंस
पड़ी मगर तब तक सीरियल का ब्रेक ख़त्म हो चुका था & चंद्रा साहब की
ज़ुबान ने उसे भी काफ़ी मस्त कर दिया था.
"सर आ गये.जाती हू.",कामिनी घूमी & अपने गुरु को ज़मीन पे बिछे कालीन पे
लिटा दिया & फिर स्कर्ट कमर तक उठा उनके उपर बैठ गयी.ये कहने की ज़रूरत
नही की बैठते ही उसकी चूत उनके लंड से भर गयी थी.उच्छल-2 के उसने उनके
लंड को जन्नत की सैर कराना शुरू कर दिया.चन्द्रा साहब के हाथ उसकी स्कर्ट
के नीचे च्छूपे हुए उसकी गंद की फांको बेरहमी से दबा रहे थे.कामिनी ने
अपने हाथो से अपने ब्लाउस के आगे लगे बटन्स को खोला & फिर ब्रा के कप्स
को उपर कर अपनी चूचिया अपने गुरु के लिए नुमाया कर दी.
"वो सहाय एस्टेट के बारे मे क्या कह रही थी?",चंद्रा साहब ने जैसे ही उन
मस्त गोलो को नंगा देखा,उनके हाथ गंद से सीधा उनपे चले गये & थोड़ी देर
उनके साथ खेलने के बाद उन्होने कामिनी को अपने सीने पे झुका उसकी गर्दन
को चूम लिया.
"इस से तो यही लगता है की शिवा & देविका के बीच कोई चक्कर नही
था...ऊहह..!",कामिनी ने सारी बात उन्हे बताई.बड़ी मुश्किल से उसने अपनी
मस्त आहो पे काबू रखा था.तभी उसकी चूत ने वही सिकुड़ने-फैलने की मस्तानी
हरकत शुरू की तो चंद्रा साहब समझ गये की वो झड़ने वाली है.उन्होने उसे
अपने सीने पे सुलाते हुए उसके होंठो को खुद के लबो से कस उसके मुँह को
बंद किया & फिर उसकी कमर को जाकड़ ज़ोर के धक्के लगाने लगे.
कामिनी भी उनसे चिपटि झाड़ रही थी.दूसरे कमरे मे उनकी बीवी बैठी थी & वो
यहा उनसे चुद रही थी-हर बार की तरह इस बार भी इस ख़याल ने उसके मज़े की
शिद्दत को दोगुना कर दिया.कुच्छ देर बाद चंद्रा साहब ने उसे अपने उपर से
उठाया.वो अभी नही झाडे थे.उन्होने कामिनी को कालीन पे घुटनो पे खड़ा किया
& सोफे की सीट पे हाथ रख खुद को संभालने को कहा फिर खुद भी वैसे ही घुटनो
पे उसके पीछे आए & उसकी गंद को अपने थूक से गीला करने लगे.
कामिनी ने सोफे अपनी छाती टिकाते हुए उसे बड़ी मज़बूती से पकड़ लिया &
उनके हमले के लिए तैय्यार हो गयी.कुच्छ पलो बाद लंड आधा अंदर था & उसके
गुरु बाए से उसकी चूचियो को दबातये हुए & दाए से चूत के दाने पे उंगली
चलाते हुए उसकी पीठ से खुद का सीना साटा उसके दाए कंधे के उपर से झुके
उसके होंठो को चूमते,उसकी ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ाते उसकी गंद मार रहे
थे.
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