जाए.कामिनी ने कमर हिलाते हुए अपने बाए घुटने को बिस्तर से उठाया & बाए पैर को वीरेन के सीने पे रख दिया,उसका दाया घुटना भी बिस्तर से उठ चुका था मगर दाया पैर उसकी गंद के बगल मे बिस्तर पे ही पड़ा था.वीरेन को चूत मे धंसा उसका लंड & उसपे कसी कामिनी की गुलाबी चूत की हरकते सॉफ दिख रही थी & उसकी मस्ती हर पल बढ़ती जा रही थी.
कामिनी ने बाए पैर के अंगूठे & उंगली के बीच वीरेन के दाए निपल को दबोच के उसपे चूटी काट ली & फिर अंगूठे से उसके सीने पे दायरे बनाते हुए खरोंछने लगी.वीरेन के लिए ये बिल्कुल नया तजुर्बा था.आमतौर पे लड़कियाँ बिस्तर मे उसकी कामुक हर्कतो से बेचैन हो उसके सामने हथ्यार डाल देती थी मगर आज पहली बार किसी लड़की ने उस से हथ्यार डलवाए थे...नही 1 और थी.....वीरेन ने सर झटका & उस लड़की का ख़याल दिमाग़ से निकाला..वो उस बेवफा को याद कर इस हसीन,मस्त लम्हे को बर्बाद नही करना चाहता था.
कामिनी ने अपने हाथ सहारे के लिए पीछे वीरेन की मज़बूत जाँघो पे टीका दिया थे & अपने बाए पैर से उसके सीने को मसल्ते हुए वो अब तेज़ी से कमर हिला रही थी.इस मस्त खेल ने उसकी धड़कने भी बहुत तेज़ कर दी थी.उसकी आँखो मे जिस्म मे पैदा हो रहे मज़े की खुमारी सॉफ झलक रही थी.जिस्मानी खेल की मस्ती से उसकी बोझल पलके उसकी काली आँखो को बड़ी नशीली बना रही थी.वीरेन उन नशीली आँखो की शराब अपनी आँखो से पीता हुआ अपनी कमर हिला रहा था.कामिनी की चूत अब सिकुड के उसके लंड को और कस रही थी.वो जानता था की वो झड़ने वाली है.उसका हाल भी उसी के जैसा था.दोनो प्रेमी आँखो के ज़रिए 1 दूसरे के दिल का हाल समझते हुए चुदाई कर रहे थे.
"आनह...ऊओवव्व...उउन्न्ह.....ऊउउउईईईईईइ......!",कामिनी की आहे बहुत तेज़ हो गयी थी & उसकी कमर की रफ़्तार भी.उसकी चूत मे वही मस्ताना तनाव बन गया था जिसके दूर होने पे उसे वो अनोखा मज़ा हासिल होता था जिसे दुनिया झड़ना कहती थी.वीरेन ने इस वक़्त अपने हाथो को कैसे अपने काबू मे रखा था वोही जानता था.उसके हाथ तड़प रहे थे माशूक़ा के गदराए बदन की गोलाईयो को मसल्ने के लिए मगर उसकी हसरातो से भी बड़ी थी महबूबा की कसम जिसे वो किसी भी कीमत पे नही तोड़ सकता था.
कामिनी उसके हाल को बखूबी समझ रही थी & उसे बहुत प्यार आ रहा था अपने आशिक़ पर जो उसकी कसम की इतनी इज़्ज़त कर रहा था.उसने तो खेल-2 मे ऐसा कहा था & उसे ज़रा भी उमीद नही थी की जब जोश दोनो के सर चढ़ जाएगा उस वक़्त भी वीरेन उसकी कसम का ख़याल रखेगा मगर वीरेन ने उसकी कसम निभा उसके दिल मे और बड़ी जगह बना ली थी.
दिल मे महबूब के लिए उमड़ते प्यार & चूत मे धन्से उसके लूंबे,तगड़े लंड की हर्कतो से जिस्म मे पैदा होती मदहोशी ने अपना असर दिखाया & उसकी आहे और तेज़ हो गयी,वो वीरेन की जंघे थामे और पीछे झुक गयी & अपनी चूचिया हवा मे उठा दी.उसकी कमर बहुत तेज़ी से हिल रही थी & उसकी चूत लंड पे अपनी मस्तानी हरकते कर रही थी.उसकी चूत का तनाव अपनी शिद्दत पे पहुचने के बाद कम हो रहा था & उसे वोही अनोखा एहसास हो रहा था जिसे दुनिया झड़ना कहती है.
उसे चूत मे कुच्छ गरम सा महसूस हुआ & कानो मे वीरेन की आहे सुनाई दी.उसने आँखे खोली तो देखा की वीरेन का बदन भी झटके खा रहा है & उसका गढ़ा वीर्या उसकी चूत मे भर रहा है.झड़ने के बाद दोनो लंबी-2 साँसे लेते हुए 1 दूसरे को देख रहे थे,"वीरेन....जान..मुझे छुओ.",कामिनी ने अपनी कसम वापस ली तो जैसे वीरेन को किसी क़ैद से छुटकारा मिला.हाथ बढ़ा उसने अपनी हसीन माशुक़ा को अपने सीने पे गिराया & फिर बाँहो मे भर करवट ले उसे अपने नीचे दबा उसे चूमने लगा.झड़ने के बावजूद लंड पूरा मुलायम नही हुआ था.वीरेन ने आधे सख़्त लंड से ही फिर से धक्के लगाना शुरू कर दिया.कामिनी की मस्तानी अदाओं ने उसे पागल कर दिया था & आज वो उसकी चूत से लंड निकालना ही नही चाहता था.कामिनी भी उसकी हालत समझ गयी थी,उसने अपनी बाहो मे उसे कसा & अपने होंठ उस से सटा दिए & उसकी चुदाई का लुत्फ़ उठाने लगी.