गतान्क से आगे... "मन्नू,कैसे हो भाई?",देविका ने बंगल के रखवाले के सलाम का जवाब दिया.
"बढ़िया हू,मालकिन.आप अचानक कैसे आ गयी?",उसने बंगल के अंदर जाने का दरवाज़ा खोला,"..आपलोग यहा हॉल मे बैठिए तब तक मैं आपका कमरा & गेस्ट रूम सॉफ करवाता हू.",मन्नू ने बगल के बंगल से अपने 1 दोस्त को मदद के लिए बुलाया & दोनो कमरो की सफाई मे लग गये.
"यहा सब ठीक है ना,मन्नू?तुम्हे किसी चीज़ की ज़रूरत तो नही?",उपरी मंज़िल पे बने दोनो कमरो की सफाई मे लगे नौकर से देविका ने पुचछा.
"नही,मालकिन.हमे तो कोई चीज़ की ज़रूरत नही लेकिन कल अपना जेनरेटर खराब हो गया उसे ठीक करवा दीजिएगा."
"तुमने एस्टेट मे खबर नही की?"
"नही,मालकिन.सोचा था की आज करूँगा पर भूल गया.अभी आपको देखा तो याद आया.",कमरो की सफाई हो गयी थी,देविका & इंदर खाना तो ख़ाके आए थे तो मन्नू ने दोनो के कमरो मे पीने का पानी & 1-1 मोमबत्ती रख दी.
"और कुच्छ तो नही चाहिए,मालकिन?"
"नही,मन्नू.तुम जाके सो जाओ."
"ठीक है,मालकिन.आप दरवाज़ा अंदर से बंद कर लीजिए.सवेरे वही 8 बजे आऊँ ना?",मन्नू पुराना नौकर था & देविका की रोज़मर्रा की आदतो से अच्छे से वाकिफ़ था.
"हां,मन्नू.",देविका ने बंगल का मैं दरवाज़ा बंद किया & फिर सीढ़िया चढ़ उपर आने लगी की बत्ती चली गयी.घुप अंधेरे मे देविका को कुच्छ भी नही सूझ रहा था.
"इंदर..इंदर..",सीढ़ियो के उपर पहुँच उसने इंदर को आवाज़ दी जोकि मोमबत्ती ढूढ़ने मे लगा था.
"आया मॅ'म.",इंदर कमरे से निकला & देविका की आवाज़ की ओर बढ़ा & अपनी ओर आती देविका से टकरा गया.देविका गिरने लगी तो इंदर ने उसे बाहो मे संभाल लिया.ठीक उसी वक़्त कोई जानवर उनके बगल से कूद के भागा.
"ऊओवव!",देविका डर से चीखी & इंदर से चिपक गयी.इंदर ने उस बाँहो मे भरा & उस भागते जानवर को देखा जो देविका के कमरे की बाल्कनी के खुले दरवाज़े से कूद के भाग रहा था-वो 1 छ्होटी सी बिल्ली थी.
"बस बिल्ली थी,भाग गयी.",इंदर की बाहे देविका की पीठ को घेरे थी.दोनो का कद लगभग 1 सा था & देविका सर झुका के उसके सीने मे मुँह च्छुपाया हुआ था.उसने अपनी बाहे इंदर की कमर पे कसी हुई थी.इस तरह से सटे होने के कारण देविका अपनी चूत पे इंदर का लंड-जोकि धीरे-2 तन रहा था,उसका दबाव सॉफ महसूस कर रही थी.स्टड फार्म की रात के बाद इंदर को पूरा यकीन हो गया था की देविका उसके करीब आना चाहती थी.आज बिल्कुल सही मौका था उसकी हसरत पूरी करने का,अगर आज उसने ये शुभ काम नही किया तो हो सकता है देविका ये समझे की उसे उसमे कोई दिलचस्पी नही & पीछे हट जाए.
देविका अभी भी इंदर से चिपकी हुई थी.वो चाहती थी की इंदर पहल करे & उसे अपने से अलग करे मगर उसे क्या पता था की शातिर इंदर भी आज उसी के जैसे ख़याल अपने दिल मे संजो रहा था.इंदर ने अपनी बाहो का दबाव थोड़ा बढ़ा दिया जिसे महसूस करते ही देविका की आह निकल गयी & उसने अपना सर उसके सीने से उठा दिया.
अब दोनो की आँखे अंधेरे की आदि हो गयी थी & 1 दूसरे के चेहरे को देख पा रही थी.दोनो इस वक़्त देविका के कमरे के ठीक बाहर खड़े थे.जैसे ही देविका ने सर उठाया इंदर ने अपने होंठ उसके होंठो से लगा दिए.देविका ने सोचा भी नही था की इंदर ऐसा करेगा.उसे बड़ा सुखद आश्चर्या हुआ.
इंदर उसके गुलाबी होंठो को चूमे जा रहा था.देविका की खुशी का तो ठिकाना ही नही था.उसकी बाहे भी इंदर की कमर पे और कस गयी.थोड़ी देर बाद इंदर ने अपनी ज़ुबान को देविका के होंठो के पार उसके मुँह मे घुसाने की कोशिश की.देविका के बदन मे आग लगी थी & इंदर की इस मस्तानी हरकत ने उस आग को और भड़का दिया.दिल मे अरमानो का ऐसा सैलाब उमड़ा पड़ा था जोकि देविका से संभाला नही गया & उसने बेचैन हो अपने होंठ इंदर के होंठो से अलग कर दिए & अपना चेहरा दाई तरफ घुमा लिया.इंदर के तपते होंठ उसके बाए गाल से आ लगे.चूमते-2 इंदर उसके दाए गॉल पे पहुँचा & मजबूरन देविका को अब अपना चेहरा बाई ओर घुमाना पड़ा.
इंदर की किस्सस उसे बहुत प्यारी लग रही थी.लग रहा था जैसे हल्की बारिश की फुहारे उसके प्यासे बदन को भिगो उसे सुकून पहुँचा रही थी.1 बार फिर इंदर के होंठ देविका के खूबसूरत चेहरे पे घूमने के बाद उसके होंठो से आ लगे.देविका समझ गयी की थी की इंदर के अंदर भी उसी के जैसे आग भड़क रही है.ये ख़याल आते ही उसके चूमने की शिद्दत बढ़ गयी & इस बार जब इंदर ने उसकी ज़ुबान को अपनी ज़ुबान से तलाशा तो देविका ने बड़ी गर्मजोशी से दोनो का मिलन करवाया.
चूमते हुए इंदर के हाथ उसकी पीठ से उसकी नंगी कमर पे आ गये थे & देविका के हाथ उसकी गर्दन के गिर्द.दोनो पागलो की तरह 1 दूसरे को चूमे जा रहे थे.अपनी बाहो मे भर इंदर देविका को उसके कमरे के अंदर ले आया.बड़ी देर तक दोनो 1 दूसरे को चूमते रहे.थोड़ी-2 देर पे सांस लेने के लिए दोनो के लब अलग होते मगर फिर ऐसे जुड़ जाते जैसे की जुड़ा रहे तो ज़िंदा नही रहेंगे.जी भर के चूमने के बाद इंदर के होंठ नीचे बढ़े & देविका की गोरी गर्दन पे घूमने लगे.देविका मस्ती मे खो गयी थी.उसके चूत से पानी रिसना शुरू हो गया था & वो इंदर के बालो मे बेचैनी से उंगलिया फिरा रही थी.