गतान्क से आगे.. कामिनी बहुत गहरी नींद मे थी जब उसे अपने पेट पे कुच्छ महसूस हुआ..वो तो अपने बेडरूम मे सोई थी फिर ये क्या था?!घबरा के उसने अपना हाथ पेट पे रखा तो उसके हाथो मे वीरेन का हाथ फँस गया तब उसे याद आया की रात वो अपने घर नही गयी थी बल्कि चंद्रा साहब के साथ पूरी शाम उनकी बाहो मे गुज़ारने के बाद वो वीरेन को देखने होटेल आ गयी थी & यही रुक गयी थी.
वीरेन ने जब उसे बाहो मे भर चुदाई की ख्वाहिश ज़ाहिर की थी तो उसने अपनी थकान के चलते उसे मना कर दिया था & सो गयी थी. इस वक़्त वो अपनी बाई करवट पे लेटी थी.रात को उसने होटेल के ही स्टोर से जो स्लीव्ले घुटनो तक की नाइटी खरीदी थी वो उसकी कमर के उपर आ चुकी थी & उसके पीछे से उसके बदन से लगा वीरेन अपने दाए हाथ से उसके चिकने पेट को सहलाते हुए उसकी गर्दन के पीछे उसके बालो मे चेहरा च्छुपाए चूम रहा था.
"उम्म्म....",कामिनी ने अपना दाया हाथ पीछे ले जाके वीरेन के सर को थाम उसके बाल सहलाते हुए अंगड़ाई ली तो वीरेन का हाथ उसकी पॅंटी मे घुस गया,"....उउन्न्ञन्..!",कामिनी ने अपने घुटने आगे की तरफ मोड़ लिए.ऐसा करने से उसकी गंद पीछे को तोड और निकल गयी & उसकी दरार मे वीरेन का कड़ा लंड चुभ गया.वीरेन की की उंगलिया उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी.कामिनी ने गर्दन दाई तरफ उपर घुमाई तो वीरेन के तपते होंठ उसके चेहरे पे आ गये.
उसके दाए हाथ की उंगलिया अब वीरेन के बालो मे घूम नही रही थी बल्कि उन्हे खींच रही थी.वीरेन की उंगलियो की रगड़ ने उसकी चूत से रस बहाना शुरू कर दिया था.& वो अपनी कमर पीछे हिलाके उसके लंड को अपनी कसी गंद से दबा रही थी.कामिनी को चंद्रा सहाब ने इतना चोदा था की उसे लगा था की अब 2-3 दीनो तक उसका जिस्म किसी मर्द के लिए नही तडपेगा मगर वीरेन की हर्कतो ने 1 बार फिर उसके बदन की आग को भड़का दिया था.होटेल के अंधेरे कमरे की तन्हाई मे पीछे से गंद पे दबाता वीरेन का लंड & चूत मे खलबली मचाती उसकी उंगलिया..आख़िर कामिनी कब तक सह पाती & थोड़ी ही देर मे वो झाड़ गयी.
वीरेन ने उसकी पॅंटी से हाथ बाहर निकाला & उसे दिखा के अपनी दोनो उंगलियो को बारी-2 से चाट के उनपे लगा कामिनी की चूत का पानी सॉफ किया. इस हरकत से कामिनी के दिल मे अपने प्रेमी के लिए प्यार का सैलाब उमड़ पड़ा & उसने वैसे ही करवट से लेटे हुए उसके सर को नीचे खींच उसके होंठो को शिद्दत से चूमने लगी.उसे चूमते हुए वीरेन उसकी पॅंटी को नीचे सरका रहा था.कामिनी ने घुटने मोड़ के उपर किए & वीरेन ने 1 झटके मे पॅंटी को उसकी टांगो से निकाल दिया.
उसके हाथ अब कामिनी की नाइटी को उपर खींच रहे थे.कामिनी ने उसके मन की बात समझते हुए उसके होंठो को छ्चोड़ा & थोड़ा सा उठी & 1 ही पल मे उसकी नाइटी भी उसके बदन से अलग हो गयी.वो फिर से अपनी दाई करवट पे लेट गयी & उसके पीछे वीरेन उसकी पीठ चूमते हुए उसके ब्रा के हुक्स खोल रहा था.हुक्स खुलते ही उसने कामिनी की नंगी पीठ पे किस्सस की झड़ी लगा दी.कामिनी उसकी हर किस पे ऐसे छट-पटाती मानो उसके बदन से किसी ने कुच्छ बहुत गरम चीज़ सटा दी हो.उसका बदन पूरी तरह से मस्ती मे डूब चुका था & उसे वीरेन की हर्कतो से बहुत मज़ा मिल रहा था.
अपने दाए हाथ को कामिनी के बदन पे फिसलाते हुए उसने ब्रा स्ट्रॅप्स को उसके कंधो से नीचे किया तो कामिनी ने खुद ही अपनी बाँहो से उन्हे निकाल दिया.वीरेन ने कामिनी को पेट के बल किया तो कामिनी अपनी कोहनिया बिस्तर पे जमाए उल्टी हो गयी & वीरेन उसकी पीठ से लेके कमर तक अपने होंठो के निशान छ्चोड़ने लगा.कामिनी की खुमारी पल-2 बढ़ती जा रही थी.वीरेन के तपते होंठ उसके बदन की आग और भड़का रहे थे & उसके हाथ जोकि कभी उसकी पीठ सहलाते तो कभी कमर या फिर कभी उसकी गंद की मांसल फांको को मसल देते.वो हल्के-2 अपनी चूत को बिस्तर पे रगड़ रही थी.
वीरेन की नज़रो से कामिनी की ये हरकत च्छूपी नही थी & वो भी अपनी प्रेमी की मस्ती देख और जोश मे आ रहा था.1 बार फिर उसने अपनी प्रेमिका को उसकी दाई करवट पे किया & पीछे से उस से चिपक गया.कामिनी ने दाया हाथ पीछे ले जाके टटोला तो पाया की वीरेन केवल अंडरवेर मे था.उसने उसके उपर से ही उसके लंड को दबोचा.उसके हाथो ने महसूस किया की अंडरवेर के वेस्ट बंद के उपर से वीरेन का लंड निकालने की कोशिश मे है तो उसने अंडरवेर नीचे कर दिया.वीरेन ने अपनी प्रेमिका की बात मानते हुए झट से अंडर वीयर को निकाल फेंका.कामिनी वैसे ही गर्दन घुमा उसे चूमते हुए उसके लंड को हिलाने लगी.वीरेन ने अपनी बाई बाँह उसकी गर्दन के नीचे लगाई & उसे घुमाते हुए उसकी चूचियो को दबोच लिया & दाए से उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा.
कामिनी अब फिर से हवा मे उड़ रही थी,वीरेन का लंड भी अब बस उसकी चूत से मिलना चाहता था.वीरेन ने उसका हाथ लंड से अलग किया तो कामिनी ने दोनो हाथ आगे कर बिस्तर पे रख दिए & अपने घुटने मोड़ लिए.ऐसा करने से उसकी चूत तो पीछे से नुमाया हो गयी मगर पहले से ही कसी चूत अब थोड़ी और सांकरी भी हो गयी.वीरेन जानता था की ऐसे मे जब लंड चूत मे दाखिल होगा तो दोनो आशिक़ो का मज़ा दोगुना हो जाएगा.उसने अपने दाए हाथ से अपने लंड को थामा & उसे धीरे-2 कामिनी की गीली चूत मे घुसाने लगा.
"ऊवन्न्णणन्.....आन्न्नननणणन्......!",कामिनी की आहे तेज़ हो गयी.वीरेन का दाया हाथ कामिनी के घुटने से लेके उसकी कमर तक घूम रहा था & उसकी कमर तेज़ी से हिल रही थी.उसके होंठ अपनी महबूबा के हसीन चेहरे पे घूम रहे थे & वो भी बेचैनी से कभी उसके सर को थामती तो कभी अपना बाया हाथ पीछे ले जा उसकी बाई जाँघ सहलाने लगती.
"जानेमन..",वीरेन ने कामिनी के बाए कान पे काट लिया.
"ह्म्म्म...".कामिनी अभी भी उसकी जाँघ सहला रही थी.
"तुम्हारे कहने पे आज तो मैं यहा रुक गया मगर कल से मैं अपने घर मे ही रहूँगा.अगर कोई मुझे नुकसान पहुचाना चाहेगा तो इस बार मेरे हाथो मरेगा वो!",अपने परिवार के अंजान दुश्मन के लिए दिल की नफ़रत कामिनी ने उसके तेज़ हो रहे धक्को मे महसूस की.
"नही वीरेन..",उसने सर को थोड़ा घुमाया & उसके सर को अपने बाए हाथ मे थामा,"..तुम्हे मेरी कसम तुम ऐसी कोई बेवकूफी नही करोगे.हम उसे ढूंड निकलेंगे,जान..बस थोड़ा तो सब्र रखो. ये मेरा वादा है की अब वो नीच इंसान अपने गुनाहो की सज़ा पाके रहेगा.",वीरेन का लंड आज कामिनी की कोख तक पहुँच गया था & उसका हर धक्का लंड के सुपाडे को कोख के मुँह से टकराता तो कामिनी के बदन मे मस्ती की बिजलियो की अनगिनत फुलझड़िया छूट जाती.
"अपनी कसम देके तुमने मुझे बाँध दिया है,मेरी जान.",कामिनी अपनी बाई कोहनी पे बदन को संभाले उचक गयी थी & उसने अपनी बाई बाँह वीरेन की जाँघ से वैसे ही लगाई रखी थी.वीरेन ने उसकी मस्त,कसी चूचियो को अपने बाए हाथ मे दबोचा & उन्हे चूस्ते हुए गहरे धक्के लगाने लगा.कामिनी की आहे बहुत ही तेज़ हो गयी & साथ ही वीरेन के धक्के भी.मस्ती से बहाल उसने अपने घुटने अपनी छातियो की तरफ & मोड & वीरेन ने लंड को चूत मे थोडा और अंदर धकेला. इस बार के धक्को ने कामिनी को पछाड़ दिया & वो 1 बार फिर झाड़ गयी.झाड़ते ही वो बिस्तर पे निढाल हो गयी.
वीरेन ने उसे सीधा लिटा दिया,उसका लंड अभी भी चूत के अंदर था.पीठ के बल लेटी कामिनी की बाई जाँघ को उपर उठा वीरेन सीधा हो अब उसके उपर आ गया & अपने हाथ बिस्तर पे जमा उसके उपर से उठ के उसे चोदने लगे. इस बार उसके धक्के काफ़ी धीमे थे.वो लंड को सूपदे तक बाहर निकलता & फिर बहुत धीरे-2 अंदर घुसता था.ऐसी चुदाई से कामिनी की चूत मे फिर से कसक उठने लगी,कामिनी की मदहोशी का तो अब कोई अंत ही नही था.उसने वीरेन की मज़बूत बाहे थाम ली थी & बीच-2 मे सर को उठा वो उसके तगड़े & मोटे लंड को अपनी चूत की सैर करते देखती.