Maa Sex Chudai माँ बेटे का अनौखा रिश्ता
08-17-2018, 02:27 PM,
RE: Maa Sex Chudai माँ बेटे का अनौखा रिश्ता
हाँ मेरे अच्छे भाग्य की मुझे दीपक जैसा बेटा मिला जो अपनी माँ से इतना प्यार करता है कि अपने मजे पर भी काबू रखने को तैयार है। रजनी और मैं एक दूसरे के बहुत पास बैठे थे मेरी जांघे रजनी की टाँगो से स्पर्श कर रही थी। और उसकी स्टाकिंग मे लिपटे पैरो पर मेरे नंगे पैरो का स्पर्श मुझे बहुत भा रहा था और मेरे लंड को उत्तेजित भी कर रहा था। मैंने रजनी के स्कर्ट के अंदर अपना हाथ डाला और उस्की स्कर्ट को खींच कर और भी उपर कर दिया जिससे एक तरफ से उसकी स्टाकिंग जहाँ बेल्ट से जुडी थी वह दिखायी देने लगा और उसकी काली मोटी जांघे भी नग्न हो गयी। रजनी की जांघे रीमा से भी मोटी थी अगर मैं कहूँ की रजनी का बदन रीमा के बदन से हर जगह पर मोटा था तो गलत ना होगा बहुत से लोग रजनी को मोटी और बेडोल कहते पर मेरे लिये तो वह किसी अप्सरा से कम नंही थी। और आज हम दोनो वासना के पूजारी एक दूसरे को भोगने के लिये तैयार थे। मैंने रजनी की टाँगो पर अपनी टाँग रगडते हुये उसकी नंगी जांघ पर अपने हाथ को फिराने लगा मैं अपने उगलियाँ उसकी जांघ पर फिरा रहा था और कभी अपने पूरी हाथ से उसकी जांघ सहलाने लगता। इसका सीधा असर शायद उसकी चूत पर हो रहा था क्योकी अब उसके हाथ भी मेरे लंड पर जबर्दस्त जोर जोर से चल रहे थे। हम दोनो से एक दूसरे की तरफ देखा हम दोनो की आंखे नशीली हो चुकी थी और वासना की गर्मी मे धध्क रही थी। मैंने उसकी आंखो मे देखा फिर उसके होंठो की तरफ देखा जो मस्ती मे थोडे कपकपा रहे थे जो चूमे जाने को बेताब थे और रस से भरपूरे भर चुके थे और कह रहे थी आओ कोई मर्द तो आओ और अपने होंठो मे हमको भर लो और हमारे रस को पी लो।

मैं भी उनका रस पीने को बेताब था अब उन लाल लाल होंठो से दूर रहना मेरे लिये बहुत कठिन था। मैंने अपना दूसरा हाथ रजनी के गर्दन पर रखा और उसकी गर्दन पर हाथ फेरने लगा जैसे मैं उसे जता देना चाहाता था की अब मैं क्या करने वाला हूँ। वह भी मेरी इच्छा हो समझ गयी थी इसलिये उसने एक हाथ से मेरा लंड हाथ मे थामा और प्यार से धीरे धीरे मुठ मारने लगी और एक हाथ मेरी छाती पर फिराने लगी। उसकी मुलायम उंगलिया मेरी घुंडियो से भी टकरा रही थी जो कि उत्तेजना के कारण एक दम खडी हो गयी थी। थोडी देर हम दोनो एक दूसरे को निहारते रहे और जब काबू करना बिल्कुल मुश्किल हो गया तब मैंने अपने हाथो से उसकी गर्दन को अपनी और खींचा जिस्से उसका चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल पास आ गया और उसके कपकपाते होंठ बिल्कुल मेरे होंठो के सामने थे। मैंने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिये हमारे होंठ से होंठ मिल गये और हम कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे की आँखो मे आँखे डाल कर चुप चाप एक दूसरे को देखते रहे होंठो के गर्मी हमारे बदन की प्यास को और जगा रही थी। फिर मैने रजनी के होंठो का एक चुम्बन लिया और अपना हाथ उसकी जांघो से हटा कर उसकी मोटी कमर पर रख दिया और उस्की कमर को सहलाते हुये मैंने उसके होंठो पर फिर से अपने होंठ रखे और बेतहाशा उसे चूमने लगा। वह भी मुझे चूम रही थी उसने एक हाथ मेरी कमर में डाल कर मेरी पीठ सहला रही थी और दूसरा हाथ अभी लंड पर था जिस्से वह मेरे लंड का मुठ मार रही थी।

मैं उसके होंठो को अपने होंठो मे भर कर चूस रहा था कभी दोनो होंठ अपने होंठो मे भर कर चूमता तो कभी एक होंठ को रजनी भी मेरे होंठो को साथ ऐसा ही कर रही थी हम दोनो एक दूसरे के प्यार मे पागल हो रहे थे। उसकी लिप्सटिक मेरे होंठो पर लग गयी थी। मैं होंठ चूसते हुये अब उसकी कमर मसलने लगा था उसकी कमर में काफी माँस था जिसको मसलने मे मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी गर्दन से निकाल कर उसके बदन पर फेरने लगा कमर पीठ फिर मेरा हाथ जाकर उसकी मोटी चूचीयो पर ठहरा। मैंने पहले उसकी चूचीयो के मोटायी को अपनी हाथ से महसूस किया ये जानने को कोशिश की की उसकी चूचीया कितनी बडी और भारी है। उसकी चूची बहुत ही मोटी थी जो कि मेरी हथेली में नंही समा पा रही थी। थोडी देर अपना हाथ उसकी चूचीयो पर फिराने के बाद मैंने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया और फिर से उसकी गर्दन पर ले गया। और फिर मैंने उसके चेहरे को और अपनी तरफ खीच लिया हम दोनो के होंठ एक दूसरे से कस कर चिपक गये और रजनी ने तो मस्ती मे अपनी आँखे ही बंद कर ली। हम करीब १ मिनट तक ऐसे ही एक दूसरे के होंठो से होंठ चिपकाये रहे क्या मस्ती थी रजनी हाथ कभी भी नंही रूका और मेरे लंड हो हिलाता ही रहा। फिर हमारे लिये साँस लेना थोडा मुश्किल हो गया तो हम एक दूसरे से अलग हुये।

बडी अच्छा चुम्बन लेता है तू तो मेरे रोम रोम मे मस्ती भर दी तेरे चुम्बन ने रजनी ने कहा हाँ रजनी ये तो बिना सिखाये ही इतना अच्छा चुम्बन लेता है लगता है ये इसके खून में है लगता है इसकी माँ बहूत बडी रंडी है जब ये पेट मे था तब भी जम कर अपने ग्राहको को खुश करती होगी तभी तो ये भी चुम्बन लेना पेट में ही सीख गया। तभी मुझे सिखाना नंही पडा ठीक कहती हो दीदी बडा ही अच्छा चुम्बन लेता है साला भोसडे की औलाद मन करता है कि बस अब चुम्बन लेते ही रहो तो और चुम्बन दो न माँसी अभी तो बस शुरुवात है बात तो तू ठीक कह रहा है वैसे भी तेरे ये रीमा माँ और मैं दोनो ही रंडीयाँ है और अगर अच्छा चुम्बन ना मिले तो हम गर्म ही नंही होती। तो मैं आपको और भी अच्छा चुम्बन दूंगा माँसी और अच्छी तरह से गर्म कर दूंगा तकी आप पूरा मजा ले सको चूदायी का हाँ चुदायी के लिये तुझे मुझे गर्म तो करना ही पडेगा तभी तो मजा आयेगा रंडी को बिना गर्म करे चोदेगा तो फिर मजा नंही आयेगा। हाँ माँसी ये तो आपने बिल्कुल सही कहा वैसे भी हम मर्दो को असली मजा तो रंडी के साथ ही आता है वह क्यों भला मेरे लाल वह इसलिये माँसी क्योकी रंडी पूरी तरह खुल कर पूरा सहयोग करते हुये जो चुदाती है तभी तो कहते है जो औरत अपने मर्द के साथ बिस्तर पर रंडी होकर चुदाती है उनके मर्द गुलाम बन कर रहते हैं अपनी औरत के जैसे मैंने अपनी रीमा माँ को वचन दिया है कि मैं जिंदगी भर उनका गुलाम बन कर रंहूगा सच दीदी रजनी ने पूछा।

हाँ रजनी दिया तो है मेरे लाल ने मुझे ये उपहार और ये है भी बडा आज्ञाकरी गुलाम बडी मुश्किल से मिलते है ऐसे मस्त चोदू गुलाम वाह दीदी तुम तो बहुत ही भाग्यवान हो की तुमको ऐसा जावान मर्द मिला वह भी इस उमर में हाँ और प्यार भी बहुत करता है ये मुझे मैं तो बहुत खुश हूँ कि मैंने इसे चुना। चलो दीदी मैं भी तो देखू इसमे क्या है की तुमने इसको चुना चल ले मेरी दीदी के गुलाम चुम्बन दे बडा मन कर रहा है। हम दोनो अभी भी एक दूसरे से चिपके बैठे थे और फिर हमारे होंठ एक दूसरे से चिपक गये। फिर मैंने अपने होंठ खोले और रजनी के दोनो होंठ अपने मुँह मे भर लिये और उनको चूसने लगा जैसे कोई रसीला आम हो और में उसका रस पी रहा हूँ। मैं रजनी के होंठो को जोर जोर से चूसने लगा मैं उसके होंठो पर अपना थूक लगता और फिर वही थूक चूस लेता रजनी को श्याद ये बहुत अच्छा लग रहा था इसलिये उसने अपने आप को थोडा ढीला छोड दिया और और खिसक के और मेरे पास आ गयी थी उसने अपना हाथ मेरी कमर मे डाल कर मुझे अपने और करीब कर लिया था श्याद वह मुझसे पूरी तरह चिपक कर बदन की गर्मी का अहसास करना चाहाती हो। मेरा हाथ भी उसकी कमर और पीठ पर चल रहा था और उसकी कमर हो कभी कभी मैं मसल कर उसके माँसल बदन का मजा लेता। रजनी के दोनो होंठ मैंने अपने मुँह मे भर रखे थे और उसको छोडने का मेरा कोई इरदा नंही था जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी कैंडी को तब तक नंही छोडता जबतक की वह खत्म न हो जाये मेरा बस चलता तो मैं श्याद मस्ती में उसके होंठो को चबा कर खा ही जाता।

क्रमशः..................
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