RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
उस के चेहरे पे खुशी नाच गई लेकिन थोड़ी परेशानी भी. कुछ सोच के वो बोली,
"अर्रे बीबी जी आप मेरी सारी पहने के लगवा लीजिए" मे मान गई और बोली,
"ठीक है लेकिन दो बाते है, तुम मेरी भाभी हो और बड़ी हो इस लिए 'आप' बंद करो. और ये लाइट भी. सिर्फ़ नाइट लॅंप काफ़ी है.
दरवाजा बंद कर के उसने अपनी सारी उतार के मुझे दी. वो सिर्फ़ साया ब्लाउस मे हो गयी. मेने भी ब्रा और पैंटी के उपर पहले तो उसकी सारी पहनी, फिर कुछ सोच के उसे छ्चोड़ एक चादर ओढ़ के पेट के बल लेट गयी, और मूड के उसे देख के मुस्करा के, अदा से बोली,
"सारी रहने दे. वरना उसमे तेल तो लग ही जाएगा, ये कुर्सी ठीक है. लेकिन भाभी जी मेरे जंघे फटी पड़ रही है कुछ करो ना."
"अर्रे, ननद रानी. अभी से फटी पड़ रही है तो आगे क्या होगा. लेकिन चिंता मत करो मेरे हाथ से मालिश करा के और बुकावा (उबटन) लगवा के तुम्हारी टांगे इतनी तगड़ी हो जाएगी, कि तेरा दूल्हा उसे चाहे जितनी देर तक उसे उठाए या फैलाए, कुछ फरक नही पड़ेगा."
और उसने जैसे अपनी उंगलिओं मे तेल लेके लगाना शुरू किया, मेरी जो भी झिझक थी और दर्द, सब कुछ ही देर मे पिघल गया. मेरे पैरों, पिंडलियों, जाँघो की थकान तो गायब हो ही गई, मुझे लगने लगा कि जैसे मे एकदम हल्की हो गई हूँ. उसका हाथ जब मेरे नितंबो पे पहुँचा, और उसने अपने हाथों के बीच दोनो नितंबो को लेके मसलना शुरू किया तो मेरी पैंटी एकदम दरारों के बीच फँस गयी. मे झिझकी ज़रूर,मन किया कि मना करू पर इतना आराम लग रहा था और अगले दिन कॉलेज मे रेस भी थी. फिर उसने उबटन लगाना शुरू किया, पहले पैरों पे फिर उसका हाथ मेरे ब्रा की स्ट्रिंग्स पे गया. वो बोली कि बीबी जी आपकी अंगिया ..खराब हो जाएगी. मे वैसे ही अधसोई सी थी. मेने ना सुनने का बहाना किया. उसने हल्के से मेरे हुक्स खोल दिए, फिर थोड़ा सा एक दूसरी कटोरी से कुछ अलग सा उबटन मेरे बूब्स के साइड मे लगा दिया. मे अपने आप करवट बदल के पीठ के बल हो गयी. अब उसने थोड़ा और हिम्मत कर के ब्रा उपर सरका के, मेरे उभारों पे बड़े सहम के कुछ और लगाया तो मेने आँखे खोल दी और उससे पूछा हे यहाँ क्यों तो वो बोली कि दादी ने कहा था. इससे थोड़ी देर पड़े रहने देना होगा.मुझे बहोत अच्छा लग रहा था. मेने उससे कहा कि मुझे बहोत आराम लग रहा है और मेरा नीचे जाने का मन नही कर रहा है, प्लीज़ भाभी मेरा खाना उपर ही ले आओ ना.
खुशी से वो तुरंत दरवाजे की ओर मूडी,तो मैं हंस के बोली, अर्रे भाभी जी सारी तो पहन लो वरना हंस के वो फिर वापस मूडी. थोड़ी देर मे वो सिर्फ़ खाना ले आई बल्कि अपने हाथ से खिलाया भी .
क्रमशः……………………..
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