RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
साथ जुड़े किचेन मे थाली रख के बाहर का दरवाजा खोल के जब मैं अंदर आकर फिर से उनके गोद मे बैठी तो मैं तब तक ब्रा पेटिकोट मे हो चुकी थी. मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं बता नही सकती.ससुराल मे एक तरह से ये मैं पहली बार लेकिन जिस तरह से इन्होने मेरा साथ दिया सच मे ऐसे पति के लिए मैं कुछ भी कर सकती थी. उनके आँखो पे से पट्टी खोलने के पहले, मेने कस कस के दो चुम्मि ली सीधे उनके होंठो पे. पट्टी खोलने के साथ मेने वो फिल्म भी आन कर दी जो वो देख रहे थे.
वो ब्लू फिल्म थी लेकिन एकदम अलग. एक हनी मून पे गये कपल की और एक दम रीयल लग रहा था होटेल मे किसी हिडेन कैमरे से खींची गयी थी क्यो कि सारे शॉट एक ही एगमल से लिए गये लगते थे. पति उसे छेड़ रहा था तंग कर था, लग रहा था दोनो कुछ देर से चालू थे. वो उसके मम्मे मसलता, लिंग लगा के रगड़ता और वो बहुत कहती तो थोड़ा सा डाल के रुक जाता. वो बेचारी व्याकुल थी, तड़प रही थी, चूतड़ पटक रही थी. वो बोलती करो ना, प्लीज़ और ना तड़पाओ, डाल दो पूरा अंदर तक. वो उसके निपल्स पिंच कर के पूछता क्या डाल दूं. वो बेचारी फिर अरज करती, अरे डाल दो ना अंदर तक वही वही.
वो और छेड़ता. बैठी हो के वो बोली,
"अरे डाल दो ना अपना लंड क्यो तड़पा रहे हो."
"कहाँ" उसने फिर भी नही शुरू किया.
"अरे क्यो तड़पाते हो आग लगा के अरे चोद दो मेरी बुर, पेल दो अपना लंड कस के मेरी चूत मे चोदो कस कस के." (वो मेरी ओर देख के मुस्काराए और कस के मेरी चूंची दबा दी. अब तक हम दोनो भी उसी हालत मे पहुँच गये थे जिस हालत मे पर्दे पर के कपल थे).
"ले ले ले मेरा मोटा मस्त लंड ले अपनी चूत मे, चुदा कस के" और ये कह के कस के उसने लंड पेल दिया.
"दे राजा दे चोद मुझे, चोद चोद कस कस के चोद दे मेरी बुर" मस्ती से अब उसकी भी हालत खराब थी और वो बोल बोल के, चूतड़ उछाल के चुदवा रही थी. इधर इन्होने भी अपनी उंगली मेरी चूत मे डाल उंगली से ही घचघाच चुदाई चालू कर दी थी.
उनका लंड भी कस के मेरे चूतड़ की दरारो के बीच दबा सर पटक रहा था.
मस्ती मे आ के अपनी पत्नी के जोबन उठा के, जैसे चैलेंज करते हुए बोला, ( जैसे कैमरे की ओर दिखा रहा हो) " अरे कितने मस्त मम्मे है मेरे माल के, किसी के हो नही सकते."
"अरे मेरे माल के मम्मो के आगे कुछ भी नही है तेरी वाली के." उसी तरह मेरे मम्मो को उसे दिखाते हुए वो बोले और अपने जोबन की ये तारीफ सुन खुशी से मेने अपनी रसीली चूंची उनकी ओर बढ़ा दी और उन्होने कच कचा के काट लिया. तब तक उधर टीवी पे, वो उपर हो गयी थी और अपने पति के लंड के उपर चढ़ के खचाखच चोद रही थी. और साथ मे बोल भी रही थी, हाँ चोद मुझे और कस के हाँ, पेल दे लंड अपना जड़ तक, और वो बी नीचे से कभी उसके मम्मे पकड़ के कभी कमर पकड़ के, अपने हिप्स उठा के चोद रहा था. कुछ देर बाद लेकिन उसको छेड़ते हुए टी वी मे उसके पति ने धक्के धीमे कर दिए बल्कि बीच बीच मे रोक ही देता था. उस औरत की तो हालत खराब हो रही थी. (और, हालत मेरी ही कौन सी अच्छी थी.
चूंचियो की कस के रगडन मसलन, मेरी कसी मस्त चूत मे घचघाच जाती उनकी उंगलिया और कभी कभी तो उनका अंगूठा मेरे क्लिट को कस के रगड़ देता था).
उतेज़ित हो के वो अपने पति की छाती पे अपनी चूंचिया रगड़ के बोली,
"अरे चोद ने पूरी ताक़त से. क्या बाकी ताक़त अपनी बहनो के लिए बचा रखी है."
इधर मेरी भी उंगलियो ने उनके लंड के टोपे पे से चमड़ा सरका दिया था. उनके सूपदे को भींच के अपने चूतड़ से उनके लंड को कस के दबा के रगड़ के मैं भी बोल उठी,
"अरे ये क्या उंगली से चोद रहे हो. चोदना है तो इससे चोदो. इसे क्या मेरी ननदो के लिए बचा रखा है." फिर क्या था अगले ही पल बाहो मे उठा के उन्होने मुझे पलंग पे लिटा दिया और रिमोट से फिल्म बंद करते बोले,
"बाकी फिल्म बाद मे रात मे. अभी हमारी फिल्म, मंजूर." हंस के मैं बोली मंजूर ,
लेकिन उनके लंड को दो तिहाई पे दबा के मैं बोली, अभी इतने ही, पूरा आज रात मे मंजूर. और हंस के वो बोले मंजूर.
अगले ही पल वो मेरे अंदर थे.
फिर तो मेरी चूंचियो को मसलते हुए, मेरी कमर पकड़ के कस कस के धक्के लगाते, उन्होने जबरदस्त चुदाई चालू कर दी. और नीचे से मैं भी साथ दे रही थी,
पूरे जोश से. जब वो कस के अपने मोटा लंड पेलते तो मैं भी नीचे से पूरी ताक़त से अपने चूतड़ उछालती, उनका लंड मेरी चूत के अंदर रगड़ता हुआ जाता तो मेरी चूत भी उसे कस के भींच लेती. आज मैं भी कस कस के शरम छोड़ उनके साथ बोल रही थी,
हाँ राजा हाँ और ज़ोर से पेलो ने कस के. और मेरी आवाज़ सुन के कस के वो मुझे दबोच लेते,
मेरी चूंचियो को मसल देते कचकचा के काट लेते. थोड़ी ही देर मे वो लंड,
सुपाडे तक निकाल लेते और जब मैं मस्ती से बिलबिलाने लगती तो वो फिर मेरे चूतड़ पकड़ एक बार मे ही पूरा का पूरा पेल देते और मैं दर्द से चीख उठती. कभी मैं चीखती,
कभी मैं सिसकती, कभी कस कस के चूतड़ पटकती. हम दोनो ने कस के एक दूसरे को अपनी बाहो मे बाँध रखा था, बाकी सारी दुनिया से बेख़बर. तभी मुझे याद आया कि किचेन का बाहर का दरवाजा तो मेने खोल दिया था, थाली ले जाने के लिए, लेकिन किचेन से बेड रूम का दरवाजा मेने सिर्फ़ भिड़ाया था. तभी मुझे लगा, शायद दरवाजे की फाँक खुली सी है और कोई झाँक रहा है. मुझे लगा शायद दुलारी है.
थाली उठाने आई होगी और तभी उन्होने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा और बोला, डालु.
मेने कस के उन्हे अपनी ओर खींचा और बोली हाँ राजा हाँ डाल दो अपने लंड, दो ना पूरा,
बहुत मज़ा आ रहा है और उन्होने कस के, मेरी चूंची पकड़, हचक के चोदना चालू कर दिया. और मैं भी चूतड़ उठा उठा के तभी मेरी कनेखियो ने देखा शायद अंजलि भी है दुलारी के साथ और मेरे पैर कैंची की तरह उनके हिप्स पे बँध गये .मेने कस के उनकी पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा दिए, और उनके कान मे बोली, डार्लिंग तुम बहुत अच्छे हो आई लव यू. उन्होने भी मेरा चेहरा उठा के खूब ज़ोर से कहा डार्लिंग आई लव यू डार्लिंग आई लव यू और सेकडो चुम्मि मेरे चेहरे पे ले डाले. इस दौरान भी उनका लंड अपना काम करता रहा और मैं भी उनका साथ चूतड़ उठा उठा के देती रही. एक पल रुक के कस के मेरी चुचिया मसलते हुए वो बोल रहे थे,
ज़ोर ज़ोर से मेरी जान तुम तुम बहुत अच्छी हो. तुम्हारी हर बात जो तुम कहो, जो तुम चाहो मैं सब करूँगा, डार्लिंग आइ लव यू, सो मच. मेने भी कस के उन्हे चूमते हुए कहा, देन लव मी हार्ड और फिर क्या था उन्होने दूने जोश से चोदना चालू कर दिया. तब तक किचेन से किसी बरतन के गिरने की आवाज़ आई. वो एक पल के लिए ठिठक से गये. मैं उन्हे फिर से अपनी ओर खींच कर नीचे से चूतड़ उचका कर बोली, "जाने दो डार्लीग कोई बिल्ली होगी. हमारी तुम्हारी झूठी थाली चाट रही होगी. करो ना और ओह ओह.." और फिर वो दुबारा. हम दोनो इस तरह गुथम गुथा थे कि अगर शायद कोई बगल मे भी खड़ा होता तो हमारे उपर कोई असर नही होता. कुछ देर बाद उन्होने मुंझे बहो मे बाँधे बाँधे, सेड पॉज़ मे कर लिया. मेरे दोनो पैर फैले हुए और वो तो खुद तो पूरी ताक़त से पेल ही रहे थे, मेरे चूतड़ पकड़ के मुझे भी कस कस के अपनी ओर खींच रहे थे. काफ़ी देर तक इसी तरह चुदाई करते हुए हम दोनो साथ साथ झाड़ गये और उसी पॉज़ मे एक दूसरे की बाहो मे सो भी गये.
क्रमशः……………………………………
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