RE: kamukta kahani शादी सुहागरात और हनीमून
शादी सुहागरात और हनीमून--36
गतान्क से आगे…………………………………..
बेचारे वो समझ गये उनकी शरारात पकड़ी गयी और उपर अपने कमरे में चले गये, ये बोल के भाभी मे अपने कमरे में जा रहा हूँ. मेरी जेठानी ने मुझे छेड़ा, देख तेरे लिए देवर जी दावत नामा दे गये हैं.
अर्रे दीदी बोल के तो आपसे गये हैं, मेने भी जोड़ा. मेरी जेठानी ने गुड्डी को बोला कि वो छिल्के,
पत्ते पिच्छवाड़े फेंक दे. गुड्डी के जाने के थोड़ी देर बाद मेने नोटीस किया सोनू भी नही है. मे जेठानी जी के साथ साथ किचन में गयी, लेकिन वहाँ कोई काम नही था. कुछ देर किचन में रह के मे पिच्छवाड़े की ओर चल दी.
उस तरफ ज़्यादातर कोई आता जाता नही था. मुझे कुछ हल्की सी आवाज़ें सुनाई पड़ी और मे दबे पाँव उधर मूडी. सीढ़ी के नीचे कोने में एक जगह से आवाज़ें आ रही थीं. गुड्डी और सोनू की बहुत हल्की सी...पास जा के मेने छिप के देखा, एक खिड़की के पास बाहर देखती हुई गुड्डी खड़ी थी और सोनू ने उसे पीछे से पकड़ रखा था. सोनू का एक हाथ गुड्डी के कंधे पे से होता हुआ आगे की ओर और दूसरे से उसने उसकी कमर पकड़ रखी थी. उसका चेहरा उसके चेहरे के उपर झुका हुआ...सोनू उसे छेड़ रहा था,
अर्रे तू अभी बच्ची है, छोटी सी... तू ये सब बातें क्या समझेगी.
अच्छा...तो मे दो महीने में सोलह की होने वाली हूँ, ...' गुड्डी इतरा के बोली.
तो फिर ..चल किस्सी ले के दिखा तो मे मानू. वो बोला.
धत...अच्छा चल उंगली पे ले लेती हूँ.
तभी तो मे कह रहा हूँ लड़कियाँ तो सीधे लिप पे देती हैं. अगर लिप पे दे तो मानू.
उंह...उंह...नहिहह...ओह ओह्ह अच्छा चलो ले लो बस एक ओह धीमे से...
पुच्च पुच्च ...और मे समझ गई कि क़िस्सी...विस्सि हो रही है. मे थोड़ा और पास बढ़ी.
हे जूठा कर दिया ना, अब नहाना पड़ेगा फिर से. सुबह से आज नहा धो के बैठी थी...
अच्छा तो धो के भी बैठी थी ...क्या क्या धोया था बोल ना. अब जुठि तो हो ही गयी तो एक और दे दे... और फिर पुच्च पुच्च... हे बोल ना क्या धोया था. सोनू ने फिर छेड़ा.
सब कुछ ...हे क़िस्सी तो दे दी अब तो मान गये ना, बड़ी हो गयी हूँ' अदा से वो बोली.
उन्हूँ...उन्ह... सब कुछ धोया था तो फिर तो सब कुछ जूठा करना पड़ेगा...कर दूं ना.
मेरे मना करना से बड़े मानने वाले हो...ज़बरदस्ती जैसे क़िस्सी ले ली बाकी भी सब ले लोगे.'
ज़बरदस्ती क्या ले लूँगा ...बाकी सब क्या तेरी...( बहुत धीमे से उसके कान में वो बोला, लेकिन मेने सुन लिया) तेरी...चूत.
अब मुझे लगा वो गुस्सा हो जाएगी और छुड़ा के भाग जाएगी. गुस्सा तो वो हुई लेकिन वो गुस्सा कम और अदा ज़्यादा थी.
हे कैसे बोलते हो मे चली जाउन्गि...हटो, छोड़ो ना.
तभी तो मे कहता हूँ तू अभी छोटी है ज़रा सा नाम लेने से बुरा मान गयी. अच्छा चल एक बार इसे पकड़ने दे...अगर ये बड़ा हो गया है तो मे मान लूँगा कि तू बड़ी हो गयी है.
ओह्ह छोड़ो ना...हे तुम बड़े वो हो...छोड़ो ना... सोनू का हाथ जो उसके कंधे पे था नीचे सरक गया था...उसकी हरकतों और आवाज़ों से सॉफ लग रहा था कि वो कस कस के उसकी गोलाइयाँ नाप रहा है.
थोड़ा बड़ा है, अच्छा चल साइज़ बता तो मान लूँगा कि तू बड़ी हो गयी है.
धात...उईई .... इत्ता कस के दबाते हो...ओह...रीमा की साइज़ की है जाके पूच्छ लो उस की साइज़ या नाप लो दबा के.
लगता है सोनू ने कस के दबा दिया था वो चीखी... ओयी ओयी ...अच्छा बताती हूँ...बाबा ओह...बताया तो रीमा और मेरी साइज़ एक ही है...32बी. वो बोली.
तब तक सामने से एक कुतिया आती दिखी, और उसके पीछे एक कुत्ता लगा था.
कुतिया इतरा रही थी, उसे पास आने नही दे थी, तभी कुत्ता एक दम से उसके पीछे से आके कुतिया के पीछे से चाटने लगा...
' ये कुत्ता हमारे यहाँ का है और कुतिया कहीं बाहर से आई है. मूड के गुड्डी ने सोनू से चिढ़ाते हुए कहा.
वो कहीं मुझे देख ना ले इसलिए मे और आड में सरक गयी. गुलाबी टाइट कुर्ते में वो गजब की लग रही थी. उसके उभार और उभर के सामने आरहे थे. सोनू ने उसके गाल पे एक चुम्मि ले के कहा देख देख क्या कर रहे हैं दोनो. गुड्डी फिर सामने देखने लगी और, मे आड से बाहर आगाई.
कुत्ते का खूब मोटा लंबा लाल सा, शीत के बाहर आ गया था. वो उस पे चढ़ने की कोशिश कर रहा था. लेकिन एक दो बार की कोशिश में अंदर गया नही.
कितने लंबा, मोटा है. बेसख्ता गुड्डी के मुँह से निकल गया.
अर्रे तभी तो उसे मज़ा आएगा. लेकिन देख अभी कैसे गॅप से लील लेगी, जैसे मेरा इतना लंबा मोटा है और तू भी... गॅप से लील लेगी.
धात... मुझे नही लीलना तेरा... गुड्डी बोली, लेकिन उसकी आँखे कुत्ते कुतिया पे ही गढ़ी हुई थीं. मौके का फयादा उठाके सोनू ने उसके दोनों हाथो के बीच से अपने हाथ डाल के...अब उस के गोल गोल उभार सीधे उसकी मुट्ठी में थे. वो कस कस के दबा रहा थे और पीछे से भी कस के उसे दबोचे हुए था.
देख - ना ना करते घोंट गयी ना... वो बोला.
मेने भी ज़रा सा उचक के देखा, कुत्ते का मोटा लंड आधे से ज़्यादा कुतिया की चूत में था, और वो खचाखच खचाखच धक्के मारे जा रहा था. उसका असर सॉफ सॉफ गुड्डी के उपर लग रहा था.
उसकी इस हालत का फयादा भी सोनू पूरा उठा रहा था. उसका एक हाथ कुर्ते के अंदर से अब सीधे उसके किशोर जोबन मसल रहा था और दूसरा सलवार के अंदर...
कुत्ता कुतिया की चुदाई कस के चालू हो गयी थी. उसका पूरा लंड अब अंदर था और वो एक बार में बाहर निकाल के सतसट सतसट...
हे देख...दे ना ..बहुत मन कर रहा है ... सोनू ने मौका देख के माँग ही लिया.
उहून ना...ना प्लीज़...दे तो दिया...क़िस्सी दे दी...वहाँ छूने दिया अब...और क्या..
ये....सोनू ने सलवार के अंदर कस के उसकी चुनमुनिया दबाई, दे...ना बहुत मज़ा आएगा सच्ची बहुत मन करता है बस एक बार प्यार कर लेने दे वहाँ... और पीछे से उसके नितंबो के बीच खड़े हथियार को दबा के उसने इरादा जाहिर कर दिया.
उम्मह वहाँ नही...छू तो लिया... सॉफ लग रहा था कि अब मन उसका भी कर रहा था.
देख कल मे चला जाउन्गा...फिर पता नही कब.
चली तो मे भी कल जाउन्गि... उदास मन से वो बोली.
तो दे दे ना बहुत मन कर रहा है, ये कहते हुए लगा कि उसकी उंगली अंदर धँस गयी...क्योंकि मज़े से गुड्डी की सिसकी निकल गयी.
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