RE: Antarvasna परदेसी
20 साल बाद
1) बिट्टू
"वाह यार मज़ा आ गया. क्या बटर चिकन बनाया है लकी ने. पेट ठूंस गया पर नीयत नही भरी. ओये लकी !!बिल ले आ रे." एक लंबी सी डकार मारने के बाद बिट्टू ने कहा. "अफ़ीम मिलाते हो क्या बटर चिकेन में यार, रुकने का दिल ही नही करता. बस खाए जाओ" इस बार अपने पिछवाड़े से डकार मारते हुए बिट्टू बोला. लकी बिल ले कर आ गया था "ले यह 10 रुपये की टिप. ऐश करना. मेरी तरफ से" कहकर वो उठा और सिगरेट पीने को चल दिया.
"यार बिट्टू एक सिगरेट दे यार" हॅपी बिट्टू से बोला
"ले साले. मर जा फूँक फूँक के. कभी अपने पैसे की भी खरीद लिया कर. तुझे देखना लंग कॅन्सर होगा". हॅपी बिट्टू का सबसे पुराना दोस्त था. स्कूल से लेकर कॉलेज तक दोनो साथ रहे और बहुत ही गहरी दोस्ती हो गयी दोनो में. दोनो का एक दूसरे के घर आना जाना लगा रहता. दोनो के फादर्स भी साथ ही काम करते थे और मदर्स साथ में गॉसिप. दोनो की पसंद एक जैसी थी - सेम सुट्टा, सेम दारू, सेम कपड़े, यहाँ तक दोनो ने कई बार सेम लड़की भी बजाई थी.
"अब सिगरेट दे रहा है या लानत. नही पीनी मुझे. रख अपने पास. आज मेरी तरफ से एक घुसेड लियो अपने पीछे" हॅपी भी बोला और दोनो पागलों की तरह हँसने लग गये."कॉलेज जाना है क्या?"
"अबे पढ़ लिख के किस का भला हुआ है? साला निकलवा लेंगे एग्ज़ॅम से पहले पेपर, ले आएँगे अच्छे मार्क्स."
"अबे स्वीटी का पीरियड स्टार्ट होने वाला है 15 मिनिट में. एक पीरियड को तो चल ही लेते हैं"
"हां स्वीटी का पीरियड है तो चलना पड़ेगा ही. दिन भर उससे देखते नहीं तो यार अजीब सा लगता है". दोनो अपनी-अपनी बुलेट पे सवार हुए और चल दिए कॉलेज की तरफ.
स्वीटी जिसके बारे में यह ऐसे बात कर रहे थे इनकी अकाउंट्स टीचर थी. उमर 38 की थी, लेकिन कहीं से भी 21 से एक साल उपर की नही लगती थी. काले घने बाल जो उसने स्टाइल में कटवा रखे थे उसके कंधों तक आते थे. जब चलती थी तो हर कोई सास रोक कर बस उसे ही देखता रहता. रह रह के उसके बालों की एक लट उसके चेहरे पर आती तो ऐसा लगता मानो बदल से चाँद रूपी चेहरा ढँक रहा हो. जिस किसी की तरफ वो अपनी आँखें दौड़ाती, वो वहीं घायल हो जाता. उसकी हरी हरी बिल्ली जैसी आँखें उसकी खूबसूरती और बढ़ाती. वो खूबसूरत थी और इस बात को जानती थी. इसलिए हमेशा लो कट स्लीवलेशस ब्लाउस ब्लाउस ही पहनती साड़ी के साथ कॉलेज के लिए. स्टूडेंट्स क्या, टीचर्स भी पूरा वक़्त उसपे लाइन मारते थे. लेकिन वो किसी के हाथ ना आने वाली थी. उसको सबको तडपा के ही मज़ा आता था. बिट्टू और हॅपी भी उसके दीवानों की लाइन में थे. यह एकलौती क्लास थी जिसमें वो आगे बैठ ते थे.
"यह पीछे कौन सोया हुआ है" स्वीटी ने आते ही पूछा
"मेडम बलबीर है" किसी ने बोला
"उठाओ उसे. सोना है तो बाहर जा के सोए. क्लास में कोई सोने आता है भला"
"मेडम दफ़ा करो ना, सोने दो बेचारे को"
"शट अप आंड डू ऐज आइ आम सेयिंग. जस्ट वेक हिम अप"
"अर्रे मेडम थोड़ा हिन्दी में बोल दो. आइ अंडरस्टॅंड इंग्लीश लॅंग्वेज नोट"
"उठाओ उसको तुम"
"अर्रे मेडम मैं कह रहा हूँ ना सोने दो बेचारे को. कल रात उसके बाप ने दारू पी के खूब बवाल मचाया है घर में, यहाँ नही सोएगा तो और कहाँ सोएगा? कितनी निर्दयी हो आप" जब यह आखरी शब्द ख़तम हुए तो सारी क्लास "ऊऊऊऊ" करने लग गयी ज़ोर ज़ोर से
"चुप रहो सब. मैं कहती हूँ चुप रहो. बड़ी मस्ती सूझ रही है. चलो आज में टेस्ट लेती हूँ सबका"
"यह सही है. साला दारू बलबीर का बाप पी के आए और सज़ा हमें मिले. हम नही देते कोई टेस्ट वेस्ट" हॅपी भी पूरा मज़ाक के मूड में आ गया था
"मेडम क्यूँ खून गरम करती हो. सोने दो ना बेचारे को. क्यूँ हमारी लगा रही हो. अच्छा लगेगा जब हम सब टेस्ट में अंडा लाएँगे और फिर प्रिंसी से कंप्लेन करेंगे कि तुम्हें पढ़ाना नही आता. हमें तो दूसरी टीचर मिल जाएगी. आप इस भरी जवानी में कहा जाओगी" बिट्टू बोला तो फिर से क्लास किल्कारियाँ मार के हँसने लगी.
"शट अप एवेरिबडी. जस्ट शट अप"
"ओये शोर मत मचाओ रे. साला घर पे बाप नही सोने देता. यहाँ तुमने दिमाग़ खराब कर रखा है. साला आदमी को कहीं तो चैन से रहने दो" बलबीर ने भी नींद की हालत में बोला.
"लगता है तुम्हारा आज पढ़ने का मूड नही है. ऐसे ही मेरा दिमाग़ खराब कर रहे हो"
"मेडम दिमाग़ खराब ना करो. आओ कॅंटीन में चल कर एक मस्त चाय पीते हैं." बिट्टू ने मौके पे चौका मारने की कोशिश करी
"शट अप. आज की क्लास डिस्मिस्ड. मुझे पढ़ाने का कोई शौक नहीं है अगर तुम लोगों को पढ़ना ही नही है तो" कहते हुए स्वीटी बाहर चली गयी
"लो कर्लो बात. साला हम बियर छोड़ कर यहाँ स्वीटी-दर्शन को आए और क्लास ही नही हुई. चल ओये बिट्टू, चलते हैं"
"अब रुक यार. अब आ ही गये हैं तो थोड़ी सी पतंग उड़ा ही लेते हैं. हो सकता है किसी और के साथ पेच लग जायें" बिट्टू बोला और खड़ा हो गया, "अर्रे माला.. आज कहाँ बिजली गिराने का इरादा है.. क्या कयामत लग रही हो... अर्रे पपोज़ा, तेरे जैसा नही दूजा, मैं तेरा चक्कु, तू मेरी खरबूजा" वो हर एक लड़की पे कॉमेंट मारने लगा
"साले तू तो पिटेगा, मुझे भी पिटवाएगा. अपनी नही तो कम से कम मेरी इज़्ज़त का तो ख़याल रख यहाँ"
"तेरी बड़ी इज़्ज़त आ गयी साले. तूने तो अपनी इज़्ज़त उसी दिन खो दी थी जब दारू पी के गधे पे बैठ के कॉलेज आया था"
"यार याद ना दिला तू वो दिन. चल आजा.. आज बियर का प्रोग्राम रखते हैं. चलते हैं अब. बहुत हो गयी तेरी पतंगबाज़ी"
अब दोनो वापस अपनी अपनी बुलेट पे सवार हुए और चल दिए ठेके की तरफ.
"ओये पप्पी. 4 बोटले किंगफिशर और एक तंदूरी मुर्गा ले कर आइयो. और बीमार मुर्गा मत लाना.. थोड़ा हेल्ती वाला लईयो" पहुँच कर बिट्टू ने ऑर्डर दिया
"यार बिट्टू, तूने कभी सोचा है कि हम अपनी ज़िंदगी के साथ क्या करेंगे? कभी कभी तो डर लगता है यार"
"साले दारू से पहले दिमाग़ की माँ बहेन मार कर. इतना बड़ा बिज़्नेस कौन संभालेगा? हमारे लिए ही तो है"
"यार वो तो ठीक है, लेकिन हमें कुछ अपना भी करना चाहिए ना"
"करेंगे यार. एक दारू की दुकान खोलेंगे. दुनिया भर की दारू रखेंगे. किसी और को एंट्री नही देंगे. मस्त दिन में दारू पीएँगे, रात रंगीली करेंगे"
"बात तो तू भी सही कह रहा है... चल आजा, आज इसी बात पे पीते हैं"
अच्छी तरह से खा पी के, अब दोनो के घर जाने का टाइम हुआ.
"साला आज फिर घर में कोहराम मच जाएगा कि पी के आयें है" हॅपी बोला
"अबे सीधा जा के सो जाना. मैं तो कह देता हूँ कि पढ़ने जा रहा हूँ और रूम में जा के सो जाता हूँ"
"यार दिमाग़ बहुत घूम रहा है, लगता नही है कि गाड़ी चलाई जाएगी आज"
"अबे कुछ नही होगा. चल मेरे साथ. मैं हूँ ना. धीरे धीरे चलाना"
लेकिन ऐसा कभी हुआ है? दारू पी के तो उस्तादों का खून और गरम होता है, धीरे धीरे चलाने की बजाए गाड़ी 100 की स्पीड पे भागने लगी. हल्की हल्की बारिश भी शुरू हो गयी थी जिससे उनको और भी मज़ा आ रहा था.
तभी हॅपी की गाड़ी स्लिप हो गयी. तेज़ होने के कारण गाड़ी थोड़ी दूर तक स्लिप करी.
"हॅपी!!!" बिट्टू ज़ोर से चिल्लाया जैसे ही उसने देखा कि हॅपी के ठीक सामने से एक ट्रक आ रहा है. उसने अपनी गाड़ी साइड में फेंकी और हॅपी की तरफ भागने लगा उसको खीचने के लिए. वो जैसे जैसे हॅपी के पास जा रहा आता, उसको यकीन हो रहा था कि ट्रक उससे पहले पहुँच जाएगा. दिल उसका भागते भागते इतनी ज़ोर से धड़क रहा था मानो अभी छाती फाड़ के बाहर ही आ जाएगा. हॅपी निढाल पड़ा था और बिट्टू उसके पास पहुँचा ही था कि ट्रक ने आ कर ज़ोर से टक्कर मार दी.
अब बिट्टू हॅपी के आगे खड़ा था इसलिए हॅपी को तो कुछ हुआ नही, 2 पल के बाद बिट्टू को समझ में आया कि हुआ तो उसे भी कुछ नहीं. पीछे मूड के देखा तो उससे टकराने के बाद ट्रक की हालत ऐसी हो गयी थी जैसे वो किसी मज़बूत बिल्डिंग से टकरा गया हो. आगे का हिस्सा पूरा चिपक गया था और आगे का काँच भी टूट गया था. अंदर के दोनो ड्राइवर झटके के कारण बेहोश हो चुके थे और उनके माथे से खून बह रहा था. बिट्टू को कुछ समझ नही आया. उसने हॅपी को उठाया और उसको रोड के साइड पे रखा. सड़क बिल्कुल सुनसान थी. उसने हॅपी की बुलेट भी साइड में पार्क करी, फोन कर के अपने दोस्त सुखविंदर को बोला कि आ के बुलेट उठा ले और हॅपी को अपने पीछे बिठा के अपने घर ले गया
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