RE: Antarvasna परदेसी
जितना ज़्यादा वो सोच रहा था, उतना ही ज़्यादा उसे यकीन हो रहा था कि वो सही है. क्या कनेक्षन है, वो नही समझ पा रहा था, लेकिन कनेक्षन है ज़रूर यह उसने डिसाइड कर लिया. "तो अगर बिट्टू और मेरे पास पवर्स हैं, तो हो ना हो दिया और तान्या के पास भी पवर्स होंगी. और कितने लोग हैं जिनके पास यह पवर्स हैं ?? क्यूँ यह पवर्स हमारे पास हैं?? क्या रणवीर और सोनिया जानते हैं हमारी पवर्स के बारे में या वो भी सिर्फ़ एक मोहरा ही हैं ?? क्या हमारे घर वालों को पता है कि हम नॉर्मल नहीं है ??" ऐसा वो सोचता ही रहा काफ़ी देर तक. जितनी देर वो सोचता, सल्यूशन उससे उतना ही दूर भागता. अब तो उसके दिमाग़ ने भी इस पेचीदा प्राब्लम के आगे घुटने टेक दिए. उसका सर ज़ोर से दुखने लगा. वो खड़ा हो गया और सोचा कि अब वापस हॉस्टिल जाना चाहिए. तभी उसकी नज़र नीचे गयी
नीचे गली में एक लड़की अकेली जा रही थी. उसके हाथ में पर्स और कुछ सामान था. गली बिल्कुल सुनसान थी और वो लड़की भी आराम से चले जा रही थी. शायद उसने थोड़ी पी हुई थी क्यूंकी उसकी चाल रह रह कर एक ग़लत कदम लेती थी. तभी एक आदमी उस लड़की के पास आया और उसका बॅग छीन के भागने लगा. रोहित पहले से ही सूपरहीरो की तरह फील कर रहा था. अब तो उसका सूपरमन बनने का टाइम आ ही गया था. उसने आव देखा ना ताव, बिल्डिंग से नीचे कूद गया और उड़ता हुआ उस आदमी से जा टकराया और आदमी और बॅग लेकर आगे उड़ गया. थोड़ा दूर चलने पर उसने आदमी को छोड़ दिया जो रोड पे गिर गया. रोहित भी नीचे उतर आया और आदमी को जा के 2 पंच मार दिए. वो दर्द से कराह रहा था. शायद उसकी टाँग टूट गयी थी. फिर किसी हीरो की तरह रोहित वापस मुड़ा और उस लड़की की तरफ चलने लगा. उसको लगा कि उड़ के जाने से थोड़ी ज़्यादा हीरोगिरी हो जाएगी.
वो अभी 10-12 कदम ही चला था कि ज़ोर से गोली चलने की आवाज़ आई. उसके हाथ से वो बॅग छूट गया और कंधे में तेज़ दर्द होने लग गया. उसने अपना बाया हाथ जब दायें कंधे पे रखा तो उससे कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ. उसने गौर से देखा तो उसके कंधे में से खून निकल रहा था. उस का सर चकराने लगा और वो नीचे गिर गया. गिरते हुए उसने देखा कि सामने से वो लड़की भागी हुई उसके पास आ रही है और साइड से 4 बदमाश और आ रहे हैं.
उसने उठने की कोशिश करी पर उठ ना सका. उड़ने की कोशिश करी पर कंधे में दर्द होने के कारण वहाँ भी कॉन्सेंट्रेट ना कर पाया. तभी वो लड़की उसके पास आ गयी
"ओह माइ गॉड... रोहित.. क्या ज़रूरत थी यह करने की"
"तान्या... वो.. गन... वहाँ... 4.." रोहित के मूह से शब्द भी नही निकल रहे थे. तान्या ने तभी देखा कि 4 और बदमाश टाइप लोग पीछे से आ के उन दोनो को घेरने लगे. 2 और लोग जा कर उस गिरे हुए गुंडे की मदद करने लगे.
"देखो जो तुम्हें चाहिए, तुम ले लो. बस हमे छोड़ दो"
"तुम्हारे साथी ने हमारे आदमी को चोट पहुँचाई है... अब तो हम तुम दोनो को ऐसे नही जाने दे सकते. तुम्हारा सारा समान तो हम लूटेंगे ही, साथ में तुम्हारी जान भी लेंगे... पता चला कल को पोलीस ले कर आ गये तुम दोनो हमारी पहचान करने"
"ऐसा कुछ नही होगा, मैं वादा करती हूँ.. ऐसा कुछ नही होगा"
"हाहाहा.. पता नहीं क्यूँ तुम्हारे वादे पे यकीन नही आता... पहले इसको मारूँगा.. फिर हम लोग तेरी इज़्ज़त लूटेंगे, फिर तू मरेगी... पकड़ लो इन दोनों को और ले चलो अड्डे पे" लगभग साडे 6 फीट की हाइट वाले उस बंदे ने बोला. बोलने के तरीके से वो इन लोगों का बॉस लग रहा था.
"बॉस लड़के का एक्सट्रा बोझ क्यूँ उठा के चलें? इसे यहीं पे मार के छोड़ देते हैं... अपने आप कल किसी को मिल जाएगी बॉडी" एक बंदे ने बोला
"बात तो तेरी ठीक है. चल इसको यहीं पर ख़तम कर देते हैं" कहते हुए बॉस ने उंगली ट्रिग्गर पर रख दी... वो ट्रिग्गर दबाना चाह रहा था पर दबा नही पा रहा था अपना पूरा ज़ोर लगाने पर भी.
"मैने तुम्हें बोला था कि हमे छोड़ दो... तुम्हें मेरी बात मान लेनी चाहिए थी... अब बहुत देर हो गयी..." तान्या ने कहा
उस बॉस ने देखा कि उसके तीनो आदमी जो तान्या को पकड़े हुए थे, अगले ही पल उड़ के अलग अलग दिशाओं में जा गिरे. उसने हड़बड़ा के गन तान्या के उपर तान दी लेकिन अभी भी उससे ट्रिग्गर नही दब रहा था... "तूने कहा था ना कि अगर तूने हमे ज़िंदा छोड़ दिया तो तुझे डर है कि हम कल को तुझे पहचान लेंगे... मुझे भी इसी बात का डर है... इसलिए मैं तुम्हें ज़िंदा नही छोड़ सकती" तान्या बोली और इशारे से ही "बॉस" को हवा में उठा लिया. डर के मारे उस आदमी का बुरा हाल हो रहा था. वो समझ नही पा रहा था कि आज किस से टकरा गया है. लेकिन इतना समझ गया था कि आज उसका बच निकलना असंभव था. मौत उसको अपने सर पर तांडव करती हुई दिख रही थी... एक तेज़ चुभन उसको हुई और फिर कुछ भी महसूस होना बंद गया.
तान्या ने उस निर्जीव शरीर को दूर फेंका और बाकी तीनो के उपर कॉन्सेंट्रेट करने लग गयी. वो सोचने लगी कि ऐसा क्या किया जाए कि किसी को शक ना हो कि यह मर्डर है... एक पल में ही उससे आइडिया आ गया... उसने एक एक कर के उन सब आदमियों को हवा में उठा लिया... वो उनको तब तक उड़ाती रही जब तक वो बिल्डिंग की हाइट तक नही पहुँच गये. फिर उसने एक एक कर के उन तीनो को रिलीस कर दिया. इतनी उँचाई से ज़मीन पर टकराते ही उनके सर से खून का फव्वारा छूटने लगा और भेजा इधर उधर गिर गया.
वो बाकी बचे 3 लोगों को ढूँढ रही थी कि तभी पोलीस साइरन की ज़ोर ज़ोर से आवाज़ आने लगी. उसकी पहली इन्स्टिंक्ट थी कि अपना सारा समान उठा के भाग जाए. लेकिन तभी उसने सोचा कि उसको रोहित को ऐसे छोड़ कर नही जाना चाहिए. क्या पता इसने क्या देखा है और पोलीस के सामने क्या बक दे... और तो और, यह धोखा नही था कि तान्या को लगा कि रोहित बिल्डिंग के उपर से कूदा और उड़ कर उस आदमी से जा टकराया. उसने इधर उधर नज़र दौड़ाई तो एक पार्क्ड कार दिखी... उसने अपनी पवर से उसके डोर्स खोलें और रोहित को उसके अंदर डाल दिया... फिर उसने अपना सारा सामान समेट के कार में रखा.. यह सब करने में उसको सिर्फ़ 2 पल ही लगे थे. कार में बैठ कर उसने देखा कि उसमें चाबी नही है, और होती भी क्यूँ... उसने फटाफट से कार को हॉटवाइर किया और फुल स्पीड में वहाँ से निकल गयी...
10 मिनिट तक 100अंपेच की स्पीड से चलाने के बाद ही उसे साँस आई... अब वो सोचने लगी कि आगे क्या किया जाए. रोहित को वो हॉस्पिटल ले कर जा नही सकती थी. वहाँ पे उसको बहुत सारे सवालों का जवाब देना पड़ता. उस ने डिसाइड किया कि वो उसको अपनी आंटी के यहाँ ले जाएगी. आंटी और अंकल छुट्टियाँ के लिए बाहर गये हैं तो घर पे कोई होगा नहीं, और चाबी तान्या के पास थी ही... उसको यह आइडिया बहुत ही अच्छा लगा और उसने वो गाड़ी घुमा ली... थोड़ी और दूर जाने पर उसे रियलाइज़ हुआ कि यह कार चोरी की है और जीपीआरएस से आराम से ट्रॅक किया जा सकता है और इन दोनों को पकड़ा भी जा सकता है. यह ख़याल दिमाग़ में आते ही उसने कार एक जगह पार्क कर दी. फिर उसने एक टॅक्सी ली और रोहित को किसी तरह से उसमें लादा. थोड़ी ही दूर जाने पर उसने चोरी की कार में भी आग लगा दी ताकि पोलीस चाह के भी उस तक ना पहुँच पाए. वो इतने सालों से क्राइम वर्ल्ड में आक्टिव थी कि यह सारी सावधानियाँ बरतना उसके लिए नॅचुरल हो गया था
|